शनिवार, 25 जनवरी 2014

गुटखा छोड़ने का एक जानलेवा उपाय

इस युवक के मुंह की तस्वीर.. 
कल मेरे पास एक २१ वर्ष के लगभग आयु का युवक आया। मुंह में कोई समस्या थी। मुझे लगा कि गुटखा-पान मसाला खूब खाया जा रहा है।

पूछने पर उसने बताया कि मैंने खाया तो खूब बहुत वर्षों तक ..लेकिन पिछले ६-७ वर्षों से सब कुछ छोड़ दिया है। ऐसे लोगों से मिल कर बहुत खुशी होती है जो अपने बल-बूते पर इस ज़हर को ठोकर मार देते हैं। उस के इस प्रयास के लिए मैंने उस की पीठ भी थपथपाई।

ऐसे मरीज़ मेरे पास कम ही आते हैं जो कहें कि इतने वर्षों से गुटखा-पानमसाला छोड़ रखा है। मुझे जिज्ञासा हुई कि इस से पूछें तो सही कि कैसे यह संभव हो पाया।

उस ने बताया कि गुटखा-पानमसाला उसने स्कूल के दिनों से ही खाना शुरू कर दिया था और मैट्रिक तक खूब खाया--लगभग दस पैकेट रोज़। लेकिन एक दिन उसने बताया कि उस के पिता जी को पता चल गया ...बस फिर छूट गया यह सब कुछ।

मैंने ऐसे ही पूछ लिया कि पिता जी ने धुनाई की होगी........कहने लगा ...नहीं, नहीं, उन्होंने मुझे बड़े प्यार से उस दिन समझा दिया कि इस सब से ज़िंदगी खराब हो जायेगी। और बताने लगा कि उस दिन के बाद से पिता जी ने मुझे अपने पास ही सुलाना शुरू कर दिया।

दो-चार मिनट तक ये बातें वह बता रहा था। पता नहीं मुझे कुछ ठीक सा नहीं लगा, उस का मुंह के अंदर की तस्वीर उस की बात से मेल खा नहीं रही थी। मैं भी थोड़े असमंजस की स्थिति में था कि सात वर्ष हो गये हैं गुटखा छोड़े इस को लेकिन मुंह की अंदरूनी सेहत तो अब तक ठीक हो जानी चाहिए।

यह बात बिल्कुल सत्य है कि मुझे कल कोई ऐसा मिला जिसने अपने आत्मबल के कारण गुटखा त्याग दिया था।
लेकिन मैं गलत साबित हुआ। पता नहीं उसे किस बात ने प्रेरित किया कि अचानक कहने लगा कि बस, डाक्टर साहब, मैं कभी कभी बस तंबाकू रख लेता हूं। मेरा माथा ठनका।

पूछने पर उसने बताया कि १४-१५ वर्ष की अवस्था से अर्थात् छः-सात वर्ष से उसने गुटखा तो छोड़ ही रखा है, कभी लिया ही नहीं ...लेकिन अभी कुछ डेढ़ साल के करीब वह इलाहाबाद अपने अंकल के पास गया है जो कि वहां पर एक उच्चाधिकारी हैं....वहां रहकर वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा है। बस, वहां रहते रहते अन्य साथियों की देखा देखी ...बस, फ्रस्ट्रेशन दूर करने के लिए (जी हां, उस ने इसी शब्द का इस्तेमाल किया था) जैसे दूसरे लड़के लोग तंबाकू चबा लेते थे मैंने भी चबाना शुरू कर दिया है।

और वह एक बात बड़े विश्वास से कह रहा था कि गुटखे छोड़े रखने के लिए ही उसने तंबाकू चबाना शुरू किया है। मुझे लगा कि यह कैसा इलाज है। उसने बताया कि वह जो तंबाकू इस्तेमाल करता है उस में चूना भी मिला रहता है और गुटखे छोड़ने के लिए बहुत बढ़िया है।

गुटखे की आदत से मुक्ति दिलाने का दावा करता यह तंबाकू
मेरे कहने पर उसने वह तंबाकू का पैकेट मुझे जेब से निकाल कर दिखाया। आप इसे देखिए कि किस तरह से ये कंपनियां देश के लोगों को बेवकूफ़ बना कर लूट रही हैं ... धिक्कार है इन सब पर जिस तरह से ये देश की सेहत के साथ खिलवाड़ किये जा रही हैं, आप की जानकारी के लिए इस पैकेट की कुछ तस्वीरें मैं यहां लगा रहा हूं....आप भी देखिए कि किस तरह से पैकिंग पर ही कितना बोल्ड लिखा गया है .. गटुखा छोड़ने का उत्तम उपाय... चूना मिश्रित तंबाकू--- दुर्गंध एवं झंझट से मुक्ति।

उसी तंबाकू के पैकेट पर यह भी लिखा पाया...
इस तरह की बातें किसी पैकेट के ऊपर लिखा पाया जाना कि इस तंबाकू को खाने के बाद मुंह से दुर्गंध नहीं आती है ..इसके सेवन से गुटखे की आदत से अतिशीघ्र मुक्ति मिल सकती है। गंभीर बात यह भी है कि ठीक ठाक पढ़े युवक -यह युवक भी ग्रेजुएट है...अगर इस तरह की बातों में आकर गुटखे को छोड़ कर तंबाकू चबाने लगते हैं तो फिर उस इंसान की कल्पना करिए जो न तो पढ़ना जानता है ...और न ही उस की कोई कोई आवाज़ है, बस हाशिये पर जिये जा रहा है।

गुटखा छोड़ने का जानलेवा उपाय 
हां, उस लड़के को मैंने इतना अच्छा से समझा दिया कि यह बात तो तुम ने पैकेट पर लिखी देख ली कि यह गुटखा छोड़ने का उत्तम उपाय है ...जो कि सरासर कोरा झूठ है... लेकिन तुम ने पैकेट की दूसरी तरफ़ यह कैसे नहीं देखा... तंबाकू जानलेवा है और एक कैंसर से ग्रसित मरीज़ के मुंह की तस्वीर (चाहे वह इतनी क्लियर नहीं है) भी पैकेट पर ही छपी है।  उसे मैंने समझा तो दिया कि ऐसे सब के सब उत्पाद मौत के खेल के सामान हैं ...।

लगता था वह समझ गया है, कहने लगा कि आज के बाद इसे भी नहीं छूयेगा... और बाहर जाते जाते वहीं कूड़दाने में उस पैकेट को फैंक गया। मुझे लगा मेरी पंद्रह मिनट की मेहनत सफ़ल हो गई। अभी आता रहेगा अपने इलाज के लिए मेरे पास...तीन चार बार... देखता हूं कि वह इस ज़हर से हमेशा दूर रह पाए।

इस पोस्ट में स्वास्थ्य से संबंधित ही नहीं ..अन्य सामाजिक संदेश भी है....किस तरह से बाप के प्यार ने, उसे पास सुलाने से उस ने गुटखा तो छोड़ दिया....लेकिन करीबी रिश्तेदार के यहां जाकर फिर वह तंबाकू चबाने लगा......वहां शायद उसे किसी ने रोका नहीं होगा....मतलब आप समझ ही गये हैं।

मैं इस तरह की कंपनियां के ऐसे भ्रामक विज्ञापन देखता हूं , एक तरह से पैकेट में बिकता ज़हर देखता हूं तो मुझे इतना गु्स्सा आता है कि मैं उसे पी कर ही मन ममोस कर रह जाता हूं लेकिन ये मुझे इस तंबाकू-गुटखे-पानमसाले के विरूद्ध जंग को और प्रभावी बनाने के लिए उकसा जाते हैं।

मुझे लगता है कि हम डाक्टरों के संपर्क में आने के बाद भी अगर लोग तंबाकू, गुटखा, पानमसाला नहीं छोड़ पाएं तो फिर कहां जा कर छोड़ पाएंगे, हमें इन के साथ बार बार गहराई से बात करनी ही होगी। ऐसे कैसे हम इन कमबख्त कंपनियां को जीतने देंगे, अपना युवा वर्ग हमारे देश की पूंजी है.......कैसे हम उन्हें इन का शिकार होने देंगे। अगर कोई व्यक्ति मेरे पास कईं बार आ चुका है और वह अभी भी इस तरह की जानलेवा चीज़ों से निजात नहीं पा सका है तो मैं इसे अपनी असफलता मानता हूं.....यह मेरा फेल्योर है....ये दो टके की लालची कंपनियां क्या डाक्टरों से आगे निकल गईं, हमारे पास समझाने बुझाने के बहुत तरीके हैं, और हम लोग पिछले तीस वर्षों से कर ही क्या रहे हैं, बस ज़रूरत है तो उन तरीकों को कारगार ढंग से इस्तेमाल करने की..........इस सोच के साथ कि जैसे इस तरह का हर युवक अपने बेटा जैसे ही है, अगर हम १०-१५ मिनट की तकलीफ़ से बचना चाहेंगे तो इस की सेहत तबाह हो जायेगी। मैं नहीं जानता निकोटीन च्यूईंग गम वम को... मैं ना तो किसी को इसे लेने की सलाह दी है ...इस के कईं कारण हैं, वैसे भी अपने दूसरे हथियार अच्छे से काम कर रहे हैं, मरीज़ अच्छे से बात सुन लेते हैं, मान लेते हैं तो क्यों फिर क्यों इन सब के चक्कर में उन्हें डालें?

बस अपना कर्म किये जा रहे हैं, इन युवाओं की सेहत की रक्षा हो पाने के रूप में फल भी मिल ही रहा है.......मैंने उसे इतना भी कहा कि अगर इस तरह के दांतों के साथ तुम कोई भी कंपीटीशन की परीक्षा देने के बाद इंटरव्यू में जाओगे तो इस का क्या परिणाम क्या हो सकता है, तुम स्वयं सोचना। कुछ बातें साक्षात्कार लेने वाले रिकार्ड नहीं करते लेकिन ये सब बातें उम्मीदवार के मूल्यांकन को प्रभावित अवश्य करती हैं, आप क्या सोचते हैं ...क्या ऐसा होता होगा कि नहीं?

सुबह से लेकर रात सोने तक सारे चैनलों पर आम आदमी पार्टी एवं अन्य पार्टीयों की छोटी छोटी बातें ...कौन कितना खांसता है, कौन खांसने का बहाना करता है, किस ने एक साइज बड़ी कमीज़ डाली है, किस ने मफलर कैसे लपेटा, कौन  दफ्तर से निकल कर महिला आयोग पहुंचा कि नहीं, राखी सावंत कैसे चलाती दिल्ली सरकार..........सारा दिन बार बार वही दिखा दिखा कर...उत्तेजित स्वरों में बड़ी बड़ी बहसें.............इन सब के बीच कुछ कंपनियां किस तरह से ज़हर बेच बेच कर अपना उल्लू सीधा किए जा रही हैं, उन की खबर कौन लेगा?

19 टिप्‍पणियां:

  1. डॉ.साहब ...नमस्ते जी ..
    आप का लेख पढ़ कर ऐसा लगता है ..जैसे मैंने भी कोई अच्छा काम कर लिया ..काश कोई मरीज़ आप की समझाई बात समझ कर अपनी जान बचा ले ...मैंने भी अपने दो जानकार खोये हैं इस लत से ...किसी को देखता हं तो बड़ी तकलीफ होती है ...बहुत शुभकामनायें आपके इस महान कार्य को ..,,

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    1. धन्यवाद, सलूजा साहिब....
      सही बात है जब हमारे तुच्छ प्रयासों से कोई इस शैतान से छुटकारा पा लेता है तो बहुत अच्छा लगता है।

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  2. यदि मन शक्ति हो मजबूत तो कुछ प्रयासों से किसी भी बुरी आदत से मुक्ति पाई जा सकती है.आपका लेख प्रेरणस्पद है आभार.

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    1. बिल्कुल सही फरमाया सर आपने...इच्छा शक्ति पर ही सब कुछ टिका हुआ है। धन्यवाद, लेख देखने के बाद टिप्पणी करने के लिए।

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  3. डाक्‍टर साहब मुझे समझ में ही नहीं आता है कि सिर्फ नाम मात्र के कुछ टैक्‍स के लिए हम अपने देश में एक तरफ तो खूले आम जहर रूपी दानव को अपना पैर पसारने के लिए छोड देते हैं और दूसरी तरफ हर उत्‍पाद में यह लिखते फिरते हैं कि यह जानलेवा है आदि।

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  4. आदरणीय महोदय, आपके लिखी रचना ने मुझे अपनी जिन्‍दगी से जुडी एक कडवी सच्‍चाई को आज समाज के सामने लाने को बाध्‍य कर दिया है। दरअसल दूसरे युवा की तरह मैं भी गुटखा खाने की शुरूआत अपने जवानी के दिनों में ही वर्ष 1995 में ही कर दी थी जबकि उस समय मेरी उम्र महज 17 वर्ष की थी। कुछ ही समय में मुझे पता ही नहीं चला कब इसने एक गंभीर आदत का रूप ले लिया। अब मैं अपने बीते कल को देखता हूं तो कांप उठता हॅूं क्‍योंकि उस वक्‍त मैं तकरीबन 15 से 20 गुटखा प्रतिदिन खा लेता था और उसपर भी उसका पीक भी बाहर नहीं फेंकता था। मेरे जीवन में कई रोमांचक मोड आए जब न सिर्फ अपनों ने अपितु परायों ने भी इसे छोडने तथा जीवन को सुधारने की सलाह दी मगर ऐसा संभव नहीं हुआ। इतना ही नहीं वर्ष 2000 में जबकि मेरी सच्‍ची मोहब्‍बत ने भी मुझसे गुटखा को छोड देने की सलाह दी तब भी मैंने उसे नजरअंदाज कर दिया था। इसके बाद से मेरी जिंदगी दिन प्रतिदिन आने वाले कल को तलाशती फिरने लगी। फिर अचानक ही मैंने 31 दिसम्‍बर 2010 को एक नया संकल्‍प लिया कि कल से मैं एक वर्ष के लिए गुटखा, जर्दा पान कुछ भी नहीं खाउंगा और अपने इस संकल्‍प को मैंन अपने ब्‍लॉग पर डाल भी दिया http://www.parmarthsuman.blogspot.in/2012/01/2011.html मेरे द्वारा लिए गए इस संकल्‍प के पीछे की शक्ति सिर्फ इतनी थी कि मुझमे अचानक ही न जाने कहां से आत्‍मबल आया और मैंने यह महसूस किया कि जिस ईश्‍वर की मैं दैनिक आराधना करता हॅूं वो तो मेरे अंदर ही है और उस ईश्‍वर को आखिर मैं रोजाना ही क्‍या समर्पित करता रहता हॅूं यह गुटखा, जर्दा पान बस मेरे अंदर की अंतरात्‍मा ने मेरे संकल्‍प को सहमति प्रदान की और अंतत: 16 वर्षों के बाद वह हो गया जो वर्षों पहले हो जाना चाहिए था। बीते 1 जनवरी 2011 से लेकर आज 4 फरवरी 2014 तक मैंने अपने उस शरीर के अंदर जहर का अंश मात्र भी जाने नहीं दिया है जिसे परमपिता ईश्‍वर ने बहुत ही संजीदगी से बनाया है और जहां ईश्‍वर खुद ही निवास करते हैं। मेरा यह मानना है कि जब तक मनुष्‍य के अंदर स्‍वयं आत्‍मबल मजबूत नहीं होगा तब तक सारे प्रयास व्‍यर्थ हैं। मैंने गुटखा, जर्दा पान आदि दानव के साथ अपने अनमोल जीवन के 16 वर्ष व्‍यर्थ ही गंवा दिए हैं जिसके बारे में सोचकर मैं अपने आप पर ही शर्मिंदा होता रहता हॅूं। आदरणीय डॉक्‍टर साहब को अपने अनमोल लेख के लिए हार्दिक बधाई।

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    1. डॉ साहब मुझे भी १ उपाय जरूर बताये मई जिंदगीसे तंग चुका हु मेरे पास आत्महत्या करनेके शिव कोई रास्ता नहीं है मुझे भी आत्महत्या करनेका उपाय जरूर बताए मेराmail id-- pappunc1122@gmail.com

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  6. अच्छा लगा पढ कर ।धन्यवाद

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  7. दिन में अगर 5 गुटका खाते हैं तो 5*5- 25रुपया हुआ और 10 साल तक खाया तो 91125 रुपये हुए और सेहत भी चली गयी इसमें हमारा फायदा क्या हुआ
    हम आपको बता सकते है गुटका छोड़ने का जादुई तरीका 7023680815
    हम कोइ डाक्टर नही है

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  8. मैं विगत 35 वर्षों से निरंतर छोड़ने का सोच रहा हूँ ।

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  9. main ne bhi haal hi me gutkha chhoda h.. lekin ab iske side effects nazar ane suru ho gaye h. jaise jeebh me chhale ana, din bhar neend ana, sans lene ke lie zor lagana, gale me halki khrash, kabhi kabhi tounsil, kamzori. etc. main kya krun mujhe slaah de

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  10. Me Jiyendra yadav me bhe kai salo se gutakha tambakgu kha rha tha par abhi kuch samay se hi ese lekh padne ke bad samajh aya ki ham chahe to gutakha chodna bahut asan he. Bas mujhe withdrawal symptoms ki vajah se thodi problem ho rhi he. Eske liye mujhe diet plan aur koi suggestion de sake to bahut achha hoga

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  11. Inko bnd kra do please me to inse bhut paresan hu mere pti khate h

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