शुक्रवार, 29 फ़रवरी 2008

हिंदी बलोगरी के मंजे हुये खिलाडीयों के नाम एक खुला पत्र.....

इस खुले पत्र के माध्यम से मैं हिंदी ब्लोगगिरी के सभी मंजे हुये खिलाडीयों का ध्यान एक बहुत ही विषम सी समस्या की तरफ दिलाना चाह रहा हूं.......नहीं, नहीं , यह भड़ास वाला मामला तो बिल्कुल है ही नहीं।
मेरा तो शिकायत बस यही है कि हिंदी बलोगर्ज़ अकसर किसी के प्रश्नों का जवाब नहीं देते। किसी की ब्लोग पर ,किसी की इ-मेल पर कोई टैक्नीकल बात अच्छी लगे और अगर किसी से किसी प्राइमरी स्कूल के बच्चे जैसी विनम्रता से भी पूछ लो तो भी दूसरी तरफ वाला शायद यही सोचता है कि .....चल हट, खुद ढूंढ ले। अब मुझे लगता है कि इस के बारे में आप मेरे से सहमत नहीं होंगे ...आप शायद कहेंगे कि नहीं, नहीं ,यहां तो सब बहुत ही हैल्पिंग हैं, तुम कुछ भी पूछ कर तो देखो, देखो कितने लोग जवाब देने को तैयार खड़े हैं। ........लेकिन मेरा अनुभव इस मामले में कुछ ठीक तरह का नहीं है। ठीक है, हम सब अच्छे पढ़े लिखे लोग हैं.............इंटरनैट पर बैठे हैं तो यह तो कह ही सकता हूं....कोई बात ढूंढनी होगी तो ढूंढ ही लेंगे...इंटरनैट भरा पड़ा है...सभी विषयों पर ताज़ा तरीन जानकारी से....लेकिन फिर हिंदी बलोगरी में कुछ ऐसी बात है कि आदमी किसी तरह के उम्र के भेदभाव के बिना भी अपने से छोटों को भी कईं बातें पूछ बैठता है, लेकिन अकसर मैं देखता हूं कि जिन से भी यह प्रश्न पूछे जाते हैं उनका वही कंधे झटकाने वाला एटीट्यूड नज़र आता है.......आई डोंट केयर। हैल विद यू । हां, अगर आप को लगता है कि यह हैल्पिग आप के अपने नेटवर्क ( टिप्पणीकारों का म्यूचूयल एडमाईरेशन क्लब)में ही हो रही है तो भी ठीक बात नहीं है, सारे संसार को पता लगने दो , भाई, कि हम लोग एक दूसरे से क्या सीख रहे हैं। इस में आखिर दिक्कत है क्या !
अच्छा एक बात और यह भी कहनी है कि मेरी दूसरी पोस्ट मेरी स्लेट ( http://chopraparveendr.blogspot.com) पर मैंने पिछले दिनों कुछ प्रश्न पूछे थे (देख लेंगे तो बेहतर होगा) कि क्या हम हिंदी बलोगिंग में कुछ याहू, आंसर्ज़ जैसा कुछ शुरू नहीं कर सकते। कोई रिस्पांस नहीं आई। मेरी शिकायत यही है कि कुछ इस तरह के प्लेटफार्म बनाये जायें जिस से कि कोई नया हिंदी बलोगर जो भी इस बलोगरी में कदम रखे , वो अपने आप को खोया हुया सा महसूस न करे। और तो और, अगर हम ऐसा कुछ नहीं भी कर सकते ......तो कम से कम मिल जुल कर एक ऐसा ग्रुप ब्लाग ही शुरू करें जिस में विभिन्न बलोगर्ज़ ( जो भिन्न भिन्न विषयों के अच्छे जानकार हों) हों, और वे उन से पूछे सभी प्रश्नों के जवाब देने की कोशिश करें। लेकिन उस में शर्त यह होनी चाहिए कि किसी भी तरह के उत्पादों को प्रमोट नहीं किया जाये। बिल्कुल सटीक जानकारी प्रश्न पूछने वाले को उपलब्ध करवा दी जाये, बस। या, अगर नहीं भी पता उस के प्रश्न के बारे में कुछ तो कम से कम उसे थोड़ा मार्ग-दर्शन तो दे ही दिया जाये। क्या है ना जब कोई किसी से प्रश्न पूछता है तो बहुत उम्मीद से पूछता है, यह शायद एक डाक्टर से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता।
इस यज्ञ में मेरी आहूति.........मेरी यही आहूति है कि किसी तरह के भी स्वास्थय एवं चिकित्सा विज्ञान से संबंधित विषयों के प्रश्नों के जवाब मैं हिंदी में देने की शत-प्रतिशत कोशिश करूंगा......अगर मुझे उस विषय के बारे में नहीं भी पता तो मैं कहीं से भी ढूढ कर , किसी विशेषज्ञ का साक्षात्कार करने के बाद , बिल्कुल सटीक जानकारी उस तकलीफ के बारे में आप तक पहुंचाऊंगा। यह मेरा प्रोमिस है और मैं यह प्रतिज्ञा करता हूं कि अगर आप कोई ऐसी पहल करेंगे तो मैं जब तक भी इस हिंदी बलोगिंग से जुड़ा रहूंगा.............आप में से किसी को भी डिच नहीं करूंगा। हैल्थ-साइंसज़ के हिंदी में प्रचार-प्रसार की सारी जिम्मेदारी आप मेरे ऊपर बिना झिझक डाल सकते हैं।
देखना ,दोस्तो, अगर कुछ इस के बारे में कर सकें तो ........................Please dont feel offended if you find some words a bit harsh......लेकिन मेरी यही बुरी आदत है कि लिखते हुये फिर मैं न तो आव देखता हूं न ही ताव। इसलिए हाथ-जो़ड़ कर पहले से ही क्षमा-याचना कर लेता हूं...........इसी में ही बचाव है।

10 टिप्‍पणियां:

  1. चोपडा जी जब चाहो हमे email कर के जो पुछना हो,पुछो, हम बताये गे अगर हमे मलुम हुआ तो, वरना जबाब जरुर देगे.

    जवाब देंहटाएं
  2. सर, आपकी शिकायत वाजिब है. आपकी 'आहुति' की जितनी सराहना की जाय, कम है. आपके सवाल और आपके विचार बहुत अच्छे हैं.

    जवाब देंहटाएं
  3. राज भाटियाजी, आप का बहुत बहुत शुक्रिया....आप को ई-मेल के माध्यम से तकलीफ देनी जल्दी ही शुरू करूंगा।
    शिव कुमार जी, धन्यवाद। लेकिन बात वही है ना मिश्रा जी , आहुति तो तैयार है ,लेकिन कोई यज्ञ भी तो शुरू कीजिएगा। आप भी आदरणीय ज्ञानदत्त जी पांडेय के साथ इस की चर्चा करियेगा।
    यही मान कर चल रहा हूं कि पता नही कब कौन सा आइडिया क्लिक कर जाये.....क्योंकि कहते हैं न एक आइडिया लाइफ बदल देता है।
    Yes, dear Ajit , it was a nice beginning.....but if it done on a much larger scale so that we can reach anybody and everybody whosoever is using Hindi on the Internet or whosoever cares to find any material in Hindi......let's all try to find out something really great !!

    जवाब देंहटाएं
  4. अरे आप सवाल पूछिये तो सही। जबाब मिलेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  5. शानदार प्रस्‍ताव हमें कोई जृरूरत होगी तो जरूर पूछेंगे हमसे कोई कुछ पूछेगा तो उत्‍तर भी खोजकर सामने रखेंगे

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरी शिकायत यही है कि कुछ इस तरह के प्लेटफार्म बनाये जायें जिस से कि कोई नया हिंदी बलोगर जो भी इस बलोगरी में कदम रखे , वो अपने आप को खोया हुया सा महसूस न करे।

    जनाब, ज़रा एक नज़र यहाँ सर्वज्ञ पर डालें। इसको कुछ ऐसे ही विचारों के तहत शुरुआती दिनों में स्थापित किया गया था, वो बात अलग है कि आज के हिन्दी ब्लॉगजगत में गिनती के ही लोग हैं जो इसके बारे में जानते हैं लिहाज़ा ये बेवा की तरह उजड़ा सा पड़ा है।

    जवाब देंहटाएं
  7. y anybody wud feel offended?... आप खूब-खूब शिकायत करिये, सर.. बहुत सारी चिरकुटई सुनी जाती है, कहीं वाजिब शिकायत तो सुनी जाये..

    जवाब देंहटाएं
  8. चोपड़ा जी, कोई Specific प्रश्‍न पूछिए, उसका जवाब ज़रूर मिलेगा। हो सकता है आपका प्रस्‍ताव / प्रश्‍न काफ़ी General रहा हो, अत: लोग ध्‍यान न दे पाए हों। अन्‍यथा मेरा व्‍यक्तिगत अनुभव है कि कहीं कोई भी समस्‍या आती है, मैं अपने वरिष्‍ठ ब्‍लॉगरों (जिनके ब्‍लॉग पढ़कर लगता है कि वह तकनीकी तौर पर अधिक जानते हैं)पूरे अधिकार से प्रश्‍न पूछता हूँ और वह उनका उत्तर देते हैं। इस संदर्भ में मैं सागर चंद नाहर जी को विशेषतौर पर Quote करना चाहूँगा। यह हमारा सौभाग्‍य है कि हमारे ब्‍लॉगिंग जगत में तकनीकी जानकारी देने वाले तथा हौसला बढ़ाने वाले वाले अनेक लोग मौजूद हैं। - आनंद

    जवाब देंहटाएं
  9. कई लोग ब्लॉगिंग के बारे में बहुत सारी तकनीकी जानकारी दे रहे थे । उनके लेख अभी भी ब्लॉग जगत में होंगे । यदि कोई उनके ब्लॉग्स का पता दे दे या फिर वे ही अपने लेख एक बार फिर से पोस्ट करने लगें तो नए लोगों को बहुत सुविधा हो जाएगी । मैं तो इस विषय में मंद बुद्धि होने के कारण ब्लॉगजगत के मित्रों का सहारा लेती हूँ और वे मुझे किसी बच्चे की तरह एक एक स्टेप बताते जाते हैं और मैं वही करती भी जात हूँ और आम तौर पर उन निर्देशों को सम्भाल कर भी रख लेती हूँ ।
    घुघूती बासूती

    जवाब देंहटाएं

इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...