पिछले कुछ अरसे से महिलायों के गर्भाशय के मुख के कैंसर से बचाव के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले टीके की बातें चल रही हैं। एक मैडीकल-राइटर होने के नाते मैंने कुछ महीने पहले एक महिला-चिकित्सक से इस एचपीव्ही इंफैक्शन के बारे में बात करनी चाही.....कि नेट पर तो इस इंफैक्शन की जानकारी की भरमार है, लेकिन अपने यहां के आंकड़े क्या कहते हैं । तो मुझे जो जवाब मिला वह बिल्कुल भी संतोषजनक ना था, मैं आज भी यह सोच कर हैरान हूं कि उस स्त्री-रोग विशेषज्ञ ने मुझे यह क्यों कहा कि यह समस्या तो बाहर के देशों की ज़्यादा है।
इसलिये सोच रहा हूं कि आज दो-चार बातें अपनी जानकारी के आधार पर महिलायों के स्वास्थ्य के बारे में विशेषकर महिलायों में होने वाले कैंसर के बारे में ही करते हैं। अकसर विभिन्न कारणों की वजह से हमारे देश की महिलायें अपने शरीर की देखभाल पूरी तरह से कर नहीं पाती हैं। उन का तो किसी चिकित्सक के पास जाने का फैसला भी ज्यादातर उन के पति की इच्छा के मुताबिक ही होता है।
स्तन कैंसर के रोग के बारे में भी इतनी जागरूकता है नहीं। कोई प्रिवैंटिव प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किया जाता। बाहर के देशों में तो महिलायें जैसे ही 35 वर्ष की होती हैं वे महिला-रोग विशेषज्ञ से मिल कर अपनी नियमित जांच करवाती रहती हैं......क्लीनिकल चैक-अप के साथ-साथ वे अपनी मैमोग्राफी भी नियमित तौर पर चिकित्सक की सलाह के अनुसार करवाती रहती हैं।
मैमोग्राफी एक तरह का एक्स-रे ही है जिस के करवाने से महिलाओं के स्तन में आने वाले बारीक से बारीक बदलाव को प्रारंभिक अवस्था में ही पकड़ा जा सकता है। वैसे तो बाहर के देशों में और अब तो हमारे देश में भी महिलायें इसे करवाने लगी हैं.....लेकिन फिर भी हमारे यहां तो अभी भी यह स्तन में कोई तकलीफ़ होने पर ही करवाया जाता है। तो, यहां ज़रूरत है इस मैमोग्राफी तकनीक को पापुलर करने की। यह लगभग सात-आठ सौ रूपये में हो जाता है....कीमत विभिन्न जगहों पर अलग हो सकती है। आम तौर पर जिन सैंटरों में सीटी-स्कैन आदि की मशीन होती है वहां इस की भी सुविधा होती ही है। बाहर के देशों में स्त्रियां इस के बारे में बेहद चेतन हैं। इसलिये हमारे देश की महिलायों को भी अपने चिकित्सक की सलाह से इसे अवश्य करवा लेना चाहिये।....करवा क्या लेना चाहिये बल्कि नियमित करवाना चाहिये...जहां तक मुझे ध्यान है एक तो बेस-लाइन मैमोग्राफी 35 साल की उम्र में होनी चाहिये और उस के पांच –पांच साल के बाद इसे रिपीट किया जाना जरूरी होता है। इस की विस्तृत जानकारी एवं शैड्यूल आप को अपनी महिला रोग विशेषज्ञ से मिल जायेगा। उस के बाद एक उम्र के बाद तो इस मैमोग्राफी को हर साल के बाद रिपीट करने की हिदायत दी जाती है। यह बेहद लाज़मी है....क्योंकि अकसर देखा गया है कि हमारे देश में जब तक स्तन में किसी तरह की गांठ वांठ के लिये अपने चिकित्सक से मिलती हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिये इस मैमोग्राफी की मदद से छोटे से छोटे बदलाव को बहुत सी आसानी से पकड़ कर किसी तरफ भी फैलने से पहले ही उसे काबू कर लिया जाता है।
वैसे तो स्त्री –रोग चिकित्सक महिलायों को अपने वक्ष-स्थल की स्वयं-जांच के लिये भी बताती ही रहती हैं....महिलाओं को इस का पालन भी करना चाहिये....और कुछ दिन पहले से कहीं पर पढ़ा है कि इस स्वयं-जांच का एक चार्ट सा जो अपने चिकित्सक से मिले उसे उन्हें अपने कपड़ों की अलमारी में चिपका लेना चाहिये....ताकि एक तो उस के अनुसार ही वे अपने वक्ष-स्थल की स्वयं जांच करती रहें और दूसरा यह कि यह चार्ट उन को यह काम करने की याद भी दिलाता रहेगा।
एक बात और जो बहुत ही ज़रूरी है कि वैसे तो बिना किसी तकलीफ़ के भी अपनी मैमोग्राफी करवानी बहुत ज़रूरी है लेकिन एक बात तो बहुत बहुत ही ज़रूरी है कि जिन महिलायों के परिवार में किसी नज़दीकी रिश्तेदार को स्तन-कैंसर की बीमारी हो चुकी है जैसे कि किसी की मां,बहन, नानी, मौसी .....ऐसे में इन महिलायों को तो अपनी नियमित जांच करवानी और भी बहुत महत्वपूर्ण है।
इस जानकारी को हिंदी में ब्लाग पर डालने के बारे में मैंने बहुत सोचा....लेकिन मुझे यह पोस्ट लिखने के लिये मज़बूर होना ही पड़ा। उसका पहला कारण तो यह कि पोस्ट पढ़ने वाले काफी पुरूष भी हैं और देश में महिलाओं के स्वास्थ्य की विडंबना भी यही है कि उस के शरीर से संबंधित फैसले अभी भी पुरूषों के हाथ ही में हैं। और, दूसरा यह कि जो महिला ब्लागर हैं ....मैं समझता हूं ये सब बेहद प्रबुद्ध महिलायें हैं जो अपने अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं जिन्हें इस तरह की जानकारी पहले ही से होगी ....तो इन सभी बहनों से मेरी गुज़ारिश यही है कि अपने ग्रुप में .......अपनी घर काम करने वाली बाई से शुरू कर के , अपनी किट्टी पार्टी की सदस्याओं एवं अपने कार्य-क्षेत्र के इंफार्मल ग्रुप में इस तरह की चर्चायें किया जायें ....................क्योंकि यह आप के अपने स्वास्थ्य का प्रश्न है................आरक्षण बिल का तो हमें अभी पता नहीं क्या होगा, लेकिन बहनो, अभी अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी तो थामो।( यह सब कहना जितना आसान है , काश ! यह सब प्रैक्टीकल लाइफ में भी इतना ही आसान होता !!)…………फिर भी , .......Try to take control of your life from this moment onwards……….afterall it is the question of your well-being……….which is so very important for the well-being of your kids …..not only kids, but your whole family………even extended family !!
Wish all of you pink of health and spirits !!
कल दूसरे भाग में महिलायों के गर्भाशय के मुख के कैंसर के बारे में कुछ अहम् बातें करूंगा।
इसलिये सोच रहा हूं कि आज दो-चार बातें अपनी जानकारी के आधार पर महिलायों के स्वास्थ्य के बारे में विशेषकर महिलायों में होने वाले कैंसर के बारे में ही करते हैं। अकसर विभिन्न कारणों की वजह से हमारे देश की महिलायें अपने शरीर की देखभाल पूरी तरह से कर नहीं पाती हैं। उन का तो किसी चिकित्सक के पास जाने का फैसला भी ज्यादातर उन के पति की इच्छा के मुताबिक ही होता है।
स्तन कैंसर के रोग के बारे में भी इतनी जागरूकता है नहीं। कोई प्रिवैंटिव प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किया जाता। बाहर के देशों में तो महिलायें जैसे ही 35 वर्ष की होती हैं वे महिला-रोग विशेषज्ञ से मिल कर अपनी नियमित जांच करवाती रहती हैं......क्लीनिकल चैक-अप के साथ-साथ वे अपनी मैमोग्राफी भी नियमित तौर पर चिकित्सक की सलाह के अनुसार करवाती रहती हैं।
मैमोग्राफी एक तरह का एक्स-रे ही है जिस के करवाने से महिलाओं के स्तन में आने वाले बारीक से बारीक बदलाव को प्रारंभिक अवस्था में ही पकड़ा जा सकता है। वैसे तो बाहर के देशों में और अब तो हमारे देश में भी महिलायें इसे करवाने लगी हैं.....लेकिन फिर भी हमारे यहां तो अभी भी यह स्तन में कोई तकलीफ़ होने पर ही करवाया जाता है। तो, यहां ज़रूरत है इस मैमोग्राफी तकनीक को पापुलर करने की। यह लगभग सात-आठ सौ रूपये में हो जाता है....कीमत विभिन्न जगहों पर अलग हो सकती है। आम तौर पर जिन सैंटरों में सीटी-स्कैन आदि की मशीन होती है वहां इस की भी सुविधा होती ही है। बाहर के देशों में स्त्रियां इस के बारे में बेहद चेतन हैं। इसलिये हमारे देश की महिलायों को भी अपने चिकित्सक की सलाह से इसे अवश्य करवा लेना चाहिये।....करवा क्या लेना चाहिये बल्कि नियमित करवाना चाहिये...जहां तक मुझे ध्यान है एक तो बेस-लाइन मैमोग्राफी 35 साल की उम्र में होनी चाहिये और उस के पांच –पांच साल के बाद इसे रिपीट किया जाना जरूरी होता है। इस की विस्तृत जानकारी एवं शैड्यूल आप को अपनी महिला रोग विशेषज्ञ से मिल जायेगा। उस के बाद एक उम्र के बाद तो इस मैमोग्राफी को हर साल के बाद रिपीट करने की हिदायत दी जाती है। यह बेहद लाज़मी है....क्योंकि अकसर देखा गया है कि हमारे देश में जब तक स्तन में किसी तरह की गांठ वांठ के लिये अपने चिकित्सक से मिलती हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिये इस मैमोग्राफी की मदद से छोटे से छोटे बदलाव को बहुत सी आसानी से पकड़ कर किसी तरफ भी फैलने से पहले ही उसे काबू कर लिया जाता है।
वैसे तो स्त्री –रोग चिकित्सक महिलायों को अपने वक्ष-स्थल की स्वयं-जांच के लिये भी बताती ही रहती हैं....महिलाओं को इस का पालन भी करना चाहिये....और कुछ दिन पहले से कहीं पर पढ़ा है कि इस स्वयं-जांच का एक चार्ट सा जो अपने चिकित्सक से मिले उसे उन्हें अपने कपड़ों की अलमारी में चिपका लेना चाहिये....ताकि एक तो उस के अनुसार ही वे अपने वक्ष-स्थल की स्वयं जांच करती रहें और दूसरा यह कि यह चार्ट उन को यह काम करने की याद भी दिलाता रहेगा।
एक बात और जो बहुत ही ज़रूरी है कि वैसे तो बिना किसी तकलीफ़ के भी अपनी मैमोग्राफी करवानी बहुत ज़रूरी है लेकिन एक बात तो बहुत बहुत ही ज़रूरी है कि जिन महिलायों के परिवार में किसी नज़दीकी रिश्तेदार को स्तन-कैंसर की बीमारी हो चुकी है जैसे कि किसी की मां,बहन, नानी, मौसी .....ऐसे में इन महिलायों को तो अपनी नियमित जांच करवानी और भी बहुत महत्वपूर्ण है।
इस जानकारी को हिंदी में ब्लाग पर डालने के बारे में मैंने बहुत सोचा....लेकिन मुझे यह पोस्ट लिखने के लिये मज़बूर होना ही पड़ा। उसका पहला कारण तो यह कि पोस्ट पढ़ने वाले काफी पुरूष भी हैं और देश में महिलाओं के स्वास्थ्य की विडंबना भी यही है कि उस के शरीर से संबंधित फैसले अभी भी पुरूषों के हाथ ही में हैं। और, दूसरा यह कि जो महिला ब्लागर हैं ....मैं समझता हूं ये सब बेहद प्रबुद्ध महिलायें हैं जो अपने अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं जिन्हें इस तरह की जानकारी पहले ही से होगी ....तो इन सभी बहनों से मेरी गुज़ारिश यही है कि अपने ग्रुप में .......अपनी घर काम करने वाली बाई से शुरू कर के , अपनी किट्टी पार्टी की सदस्याओं एवं अपने कार्य-क्षेत्र के इंफार्मल ग्रुप में इस तरह की चर्चायें किया जायें ....................क्योंकि यह आप के अपने स्वास्थ्य का प्रश्न है................आरक्षण बिल का तो हमें अभी पता नहीं क्या होगा, लेकिन बहनो, अभी अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी तो थामो।( यह सब कहना जितना आसान है , काश ! यह सब प्रैक्टीकल लाइफ में भी इतना ही आसान होता !!)…………फिर भी , .......Try to take control of your life from this moment onwards……….afterall it is the question of your well-being……….which is so very important for the well-being of your kids …..not only kids, but your whole family………even extended family !!
Wish all of you pink of health and spirits !!
कल दूसरे भाग में महिलायों के गर्भाशय के मुख के कैंसर के बारे में कुछ अहम् बातें करूंगा।
मानव जीवन और स्वास्थ्य के अनछुए पहलुओं पर भी लिखा जाना और चर्चा किया जाना जरूरी है...
जवाब देंहटाएंआपको बधाई ब्लॉग जगत में इस ट्रेंड के अगुआ होने की...
सार्थक लेखन, शुभकामनाऐं. जारी रहिये.
जवाब देंहटाएंयह तो वास्तव में जागरूकता बढ़ाने का लेखन है। और इन विषयों को नेगलेक्ट किया जाता है परिवारों में। आपने विषय उठा कर अच्छी सेवा की है डाक्टर साहब।
जवाब देंहटाएंडॉ. साब , दो तीन बातें
जवाब देंहटाएं*"महिलायों " न लिख कर "महिलाओं " लिखें ।
*आर. अनुराधा जी का ब्लॉग "इन्द्रधनुष " स्तन कैंसर पर ही अधारित है , उसे भी देखें तो अच्छा होगा ।इन्द्रधनुष का लिंक चोखेर बाली पर उपलब्ध है ।
*स्तन कैंसर से भी ज़्यादा बड़ी समस्या भारतीय महिलाओं में "अनीमिया" की है ।