शुक्रवार, 6 जून 2008

जब दांतों में खाना फंसने से आप परेशान होने लगें...


दांतों में खाना फंसना एक बहुत ही आम समस्या है। लेकिन इस विषय पर कुछ विशेष बातें करने से पहले चलिये यह तो समझ लें कि प्रकृति ने हमारे दांतों, जिह्वा, गालों की संरचना एवं कार्य-प्रणाली ऐसी बनाई है कि दांतों के बीच सामान्यतः कुछ भी खाद्य पदार्थ फंस ही नहीं सकता। जिह्वा एवं गालों के लगातार दांतों पर होने वाले घर्षण से हमारे दांतों की सफाई होती रहती है। अगर कभी-कभार कुछ फंस भी जाता है तो वह कुल्ला करने मात्र से ही निकल जाता है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति के किसी विशेष दांत अथवा दांतों में ही खाना फंस रहा है तो समझ लीजिये की कहीं न कहीं तो गड़बड़ है जिस के लिये आप को दंत-चिकित्सक से अवश्य परामर्श करना होगा।

आम तौर पर देखा गया है कि बहुत से लोग ऐसे ही टुथ-पिक या दिया-सिलाई की तीली से फंसे हुये पदार्थों को कुरेदते रहते हैं। यह तो भई समस्या का समाधान कदापि नहीं है। इस से तो कोमल मसूड़े बार बार आहत होते रहते हैं। इसलिये टुथ-पिक के इस्तेमाल की तो हम लोग कभी भी सलाह नहीं देते हैं.....इसे नोट किया जाए। कुछ लोग अपने आप ही इस समस्या से समाधान हेतु इंटर-डैंटल ब्रुश ( अर्थात् दो दांतों के बीच में इस्तेमाल किया जाने वाला ब्रुश) को यूज़ करना शुरू कर देते हैं । लेकिन एक बात विशेष तौर पर काबिले-गौर है कि दांतों में खाद्य-पदार्थों के फंसने की समस्या का अपने ही तरीके से समाधान ढूंढने का सीधा-सीधा मतलब है ......दंत-रोगों को बढ़ावा देना।

अब ज़रा हम दांतों में खाना फंसने के आम कारणों पर एक नज़र डालेंगे....

दंत-छिद्र ( दांतों में कैविटीज़)

मसूड़ों की सूजन ( पायरिया रोग)

मसूड़ों की सर्जरी के बाद

दंत-छिद्रों और पायरिया का समुचित उपचार होने के पश्चात् इस समस्या का समाधान संभव है। जहां तक मसूड़ों की सर्जरी के बाद दांतों में फंसने की बात है, यह आम तौर पर कुछ ही सप्ताह में ठीक हो जाता है क्योंकि थोड़े दिनों में मसूड़े एवं उस के साथ लगे उत्तक अपनी सही जगह ले लेते हैं।

कईं बार ऐसे मरीज़ मिलते हैं जिन के दांतों में स्वाभाविक तौर पर ही काफी जगह होती है और उन में कभी कभार थोड़ा खाना अटकता तो है....लेकिन केवल कुल्ला करने मात्र से ही सब फंसा हुया निकल जायेगा।

ध्यान में रखने लायक कुछ विशेष बातें.....

कुछ ऐसे लोग अकसर दिखते हैं जो एक छ्ल्ले-नुमा आकार में छोटे-छोटे तीन औज़ार हमेशा अपने पास ही रखते हैं...एक दांत खोदने के लिये, दूसरा कान खोदने के लिए और तीसरा नाखून कुरेदने के लिये। ऐसे शौकिया औज़ारों के परिणाम अकसर खतरनाक ही होते हैं।

कईं बार जब कोई मरीज़ दंत-चिकित्सक के पास जा कर किसी दांत में कुछ फंसने ( उदाहरण के तौर पर कोई रेशेदार सब्जी जैसे पालक, साग, बंद-गोभी, मेथी इत्यादि) मात्र से ही दंत-चिकित्सक को यह संकेत मिल जाता है कि इस दांत में या अमुक दो दांतों के बीच कुछ गड़बड़ है। चाहे मरीज को अपने दांत देखने में सब कुछ ठीक ठाक ही लगे, लेकिन उपर्युक्त दंत-चिकित्सा औजारों से उस स्थान पर दंत-छिद्र अथवा मसूड़ों की तकलीफ़ की पुष्टि की जाती है। आवश्यकतानुसार दांतों का एक्स-रे परीक्षण भी कर लिया जाता है।

जहां कहीं भी मुंह में दांतों के बीच या कहीं भी खाना फंसेगा, स्वाभाविक है कि यह वहां पर सड़ने के बाद बदबू तो पैदा करेगा ही और साथ ही साथ आस-पास के दांतों के दंत-क्षय (दांतों की सड़न) से ग्रस्त होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

इसलिये दांतों में खाना फंसने का इलाज स्वयं करने की बजाए दंत-चिकित्सक से समय पर परामर्श लेने में ही बेहतरी है।

10 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहते हैं आप। टूथपिक का प्रयोग अपने आप में साफ सुथरा नहीं लगता। पर यह भी है कि अभी हमें यह समस्या बहुत पाले नहीं पड़ी।
    डेण्टल केयर का ज्यादा भान नहीं है भारतीयों को। पर ज्यादा क्या बोलें, शायद हम भी गलत प्रेक्टिसेज फालो करते हों। एक दशक पहले बड़ी मुश्किल से दांत ब्रश करने का तरीका ठीक किया था।

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  2. अच्छी जानकारी दी. वैसे भी हर ६ महिने में डेंटिस्ट को चेक अप करा ही लेते हैं.

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  3. एक अच्छी जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...अगर ऐसी समस्या आई तो ज़रूर याद रखूंगी ये सुझाव!

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  4. मूल्यवान जानकारी है क्यूंकि कई बार ऐसी बातों पर ध्यान ही नही जाता है।

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  5. भाई वैसे तो मैन्यूफेक्चरिंग ही ऐसी है कि बहुत जगह है और कुल्ले से ही सब निकल जाता है। बस दिक्कत तो तब आती है जब तंतुओं वाली सब्जी खा लेते हैं। वह फंसे बिना रहती नहीं और हम निकाले बिना।

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