होता है, बहुत बार ऐसा होता है और आप के साथ भी होगा कि किसी सूचना की इंतज़ार आप कितनी डेसपिरेटली कर रहे हैं लेकिन जन सूचना अधिकारी का बेतुका का जवाब आप की उम्मीदों पर पानी फेर देता है।
ऐसे में क्या करें, किस से डिस्कस करें, मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि हमारे प्रश्न हो सकता है कि कुछ इस तरह के हों कि हम अपने कार्य-स्थल पर उन की चर्चा ही न करना चाहते हों, मेरे साथ तो बहुत बार ऐसा होता है।
और मैंने आरटीआई के पांच वर्ष तक धक्के खाने के बाद यही सीखा है कि कोई आरटीआई विषय को डील कर रहा है इस का यह मतलब नहीं कि उस का ज्ञान भी श्रेष्ठ ही होगा। मुझे कभी भी यह नहीं लगा, कारण यही है कि हम लोग विषय का अध्ययन करने से कतराते रहते हैं, हम यही सोचते हैं कि बाबू है ना, लिख देगा कुछ भी जवाब, नहीं....अगर हम में ही कुछ नया जानने की इच्छा-शक्ति नहीं है, बाबू बेचारे से क्यों इतनी अपेक्षा कर लेते हैं लोग, मुझे कभी समझ में नहीं आया।
हां तो बात चल रही थी कि आर टी आई में कहीं अटक जाने पर बाहर निकलने के उपायों की ... मैंने काफ़ी वकीलों से भी बात की , वे अपने काम में धुरंधर हो सकते हैं, लेकिन आरटीआई के मामले में वे कुछ ज़्यादा मदद कर नहीं पाते। क्या है ना, किसी से बात करने पर एक-दो मिनट में ही आप को पता चल जाता है कि यह मेरी समस्या का समाधान बता पायेगा कि नहीं...
हां तो फिर क्या करें.................इस के लिए मैंने एक तरीके का आविष्कार किया कि जब भी मुझे किसी विषय पर बहुत ज़रूरी सूचना चाहिए होती थी लेकिन जन सूचना अधिकारी द्वारा दो टूक जवाब मिल जाता तो मैं एक साइट ढूंढ ली जिस का यू आर एल यह है ........... http://www.rtiindia.org
इस साइट की तारीफ़ करने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं, जिस तरह का मार्गदर्शन वे कर देते हैं ऐसा तो कोई मोटी फीस लेकर भी न कर पाए.......मैं अपना प्रश्न वहां पर जा कर करता और मेरे पास कुछ ही घंटों में जवाब मिल जाते ... मैं उन का अध्ययन करने पर प्रथम अपील या सैकेंड अपील करता और लगभग हमेशा ही मुझे मेरी मांगी गई सूचना पाने में सफलता ही मिली ।
हां, एक बात और पाठकों से शेयर करना चाहूंगा कि प्रथम अपील में केवल इतना ही कह न चुप हो जाएं --एक सुझाव है---कि जन सूचना अधिकारी ने सूचना नहीं भेजी, उस में कुछ और भी डालें, क्या? -- मैं सीआईसी (मुख्य सूचना आयोग) की साइट पर जा कर थोड़ा सा होमवर्क कर लिया करता ... उस का भी एक आसान सा तरीका है, आप जिस विषय के बारे में सूचना पाना चाहते हैं, आप सीआईसी साइट पर सर्च-बाक्स में उन की-वर्ड्स को डाल दें, तुरंत आप के पास वे तमाम रिज़ल्ट्स आ जाते हैं जिस पर केंद्र सूचना आयोग ने आरटीआई आवेदन करने वालों के हक में निर्णय लिये होते हैं। बस थोड़ी सी और मेहनत कि आप को उन में से दो चार निर्णयों का अध्ययन करना होगा, उन का केस नंबर नोट करें और पहली अपील करते वक्त इन केसों के नंबर डाल दें ...मैं तो कईं बार उन के कुछ अंश भी डाल देता था कि जब केंद्र सूचना आयोग ने इस तरह के केसों में सूचना देने की सिफारिश की है तो यह जन सूचना अधिकारी क्यों इस की राह में रोड़े अटका रहा है, बस इतना ही लिखना काफ़ी होता था, कुछ ही दिनों या हफ्तों में सारी सूचना पहुंच जाती थी।
मेरे विचार में जो ट्रेड-सीक्रेट्स मैं शेयर कर रहा हूं उन्हें धीरे धीरे शेयर करना चाहिए, इसलिए आज इतना ही .....हां तो बात आरटीआई गुरू की हो रही थी, कोई गुरू वुरू नहीं है इस मामले में किसी है, हम लोग आपस में एक दूसरे के अनुभवों से ही सीखते हैं, नेट है ना, बस वहां से हेल्प ले ली। और एक बात सूचना के अधिकार अधिनियम का एक बार अच्छे से अध्ययन ज़रूर कर लेना चाहिए, नेट पर तो जगह जगह पडा़ ही है, बाज़ार में भी आसानी से मिल जाता है।
मैं भी आरटीआई आदि की तरफ़ नहीं जाता है लेकिन दो एक इंसान ऐसे मिल गये जिन की वजह से ज़िंदगी के बेहतरीन चार वर्ष खराब हो गए, क्या करें, ज़िंदगी का सफ़र है, हर तरह के इंसान हैं और मिलेंगे भी ....लेकिन मैं बहुत बेबाकी से यह स्वीकार करता हूं कि मुझे जितनी मदद आरटीआई कानून से मिली इतनी तो शायद कोई परम मित्र भी न कर पाता, परेशान तो मैं हुआ, इस चक्कर में बहुत सी व्यक्तिगत प्रायरटीज़ को तो नज़र अंदाज़ किया ही, लेकिन कईं बार जब पानी आप के नाक तक पहुंच जाए तो केवल सूचना रूपी लाइफ-गार्ड ही आप की रक्षा कर सकता है और मेरे साथ भी यही हुआ। इसलिए करने वाले ने तो मेरा बुरा करना चाहा लेकिन देखिए मैं पिछले चार वर्षों में इतना कुछ सीख गया कि आरटीआई पर किताब लिखने के लिए बिल्कुल तैयार हो गया.....................हां, फिर से ज़िंदगी के सफर की बात याद आ गई ......dedicated to those cherished moments of life which i missed out just searching for vital information -- i got the information but those golden four years of life can't be brought back. Thanks to all those SADISTIC SOULS !
ऐसे में क्या करें, किस से डिस्कस करें, मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि हमारे प्रश्न हो सकता है कि कुछ इस तरह के हों कि हम अपने कार्य-स्थल पर उन की चर्चा ही न करना चाहते हों, मेरे साथ तो बहुत बार ऐसा होता है।
और मैंने आरटीआई के पांच वर्ष तक धक्के खाने के बाद यही सीखा है कि कोई आरटीआई विषय को डील कर रहा है इस का यह मतलब नहीं कि उस का ज्ञान भी श्रेष्ठ ही होगा। मुझे कभी भी यह नहीं लगा, कारण यही है कि हम लोग विषय का अध्ययन करने से कतराते रहते हैं, हम यही सोचते हैं कि बाबू है ना, लिख देगा कुछ भी जवाब, नहीं....अगर हम में ही कुछ नया जानने की इच्छा-शक्ति नहीं है, बाबू बेचारे से क्यों इतनी अपेक्षा कर लेते हैं लोग, मुझे कभी समझ में नहीं आया।
हां तो बात चल रही थी कि आर टी आई में कहीं अटक जाने पर बाहर निकलने के उपायों की ... मैंने काफ़ी वकीलों से भी बात की , वे अपने काम में धुरंधर हो सकते हैं, लेकिन आरटीआई के मामले में वे कुछ ज़्यादा मदद कर नहीं पाते। क्या है ना, किसी से बात करने पर एक-दो मिनट में ही आप को पता चल जाता है कि यह मेरी समस्या का समाधान बता पायेगा कि नहीं...
हां तो फिर क्या करें.................इस के लिए मैंने एक तरीके का आविष्कार किया कि जब भी मुझे किसी विषय पर बहुत ज़रूरी सूचना चाहिए होती थी लेकिन जन सूचना अधिकारी द्वारा दो टूक जवाब मिल जाता तो मैं एक साइट ढूंढ ली जिस का यू आर एल यह है ........... http://www.rtiindia.org
इस साइट की तारीफ़ करने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं, जिस तरह का मार्गदर्शन वे कर देते हैं ऐसा तो कोई मोटी फीस लेकर भी न कर पाए.......मैं अपना प्रश्न वहां पर जा कर करता और मेरे पास कुछ ही घंटों में जवाब मिल जाते ... मैं उन का अध्ययन करने पर प्रथम अपील या सैकेंड अपील करता और लगभग हमेशा ही मुझे मेरी मांगी गई सूचना पाने में सफलता ही मिली ।
हां, एक बात और पाठकों से शेयर करना चाहूंगा कि प्रथम अपील में केवल इतना ही कह न चुप हो जाएं --एक सुझाव है---कि जन सूचना अधिकारी ने सूचना नहीं भेजी, उस में कुछ और भी डालें, क्या? -- मैं सीआईसी (मुख्य सूचना आयोग) की साइट पर जा कर थोड़ा सा होमवर्क कर लिया करता ... उस का भी एक आसान सा तरीका है, आप जिस विषय के बारे में सूचना पाना चाहते हैं, आप सीआईसी साइट पर सर्च-बाक्स में उन की-वर्ड्स को डाल दें, तुरंत आप के पास वे तमाम रिज़ल्ट्स आ जाते हैं जिस पर केंद्र सूचना आयोग ने आरटीआई आवेदन करने वालों के हक में निर्णय लिये होते हैं। बस थोड़ी सी और मेहनत कि आप को उन में से दो चार निर्णयों का अध्ययन करना होगा, उन का केस नंबर नोट करें और पहली अपील करते वक्त इन केसों के नंबर डाल दें ...मैं तो कईं बार उन के कुछ अंश भी डाल देता था कि जब केंद्र सूचना आयोग ने इस तरह के केसों में सूचना देने की सिफारिश की है तो यह जन सूचना अधिकारी क्यों इस की राह में रोड़े अटका रहा है, बस इतना ही लिखना काफ़ी होता था, कुछ ही दिनों या हफ्तों में सारी सूचना पहुंच जाती थी।
मेरे विचार में जो ट्रेड-सीक्रेट्स मैं शेयर कर रहा हूं उन्हें धीरे धीरे शेयर करना चाहिए, इसलिए आज इतना ही .....हां तो बात आरटीआई गुरू की हो रही थी, कोई गुरू वुरू नहीं है इस मामले में किसी है, हम लोग आपस में एक दूसरे के अनुभवों से ही सीखते हैं, नेट है ना, बस वहां से हेल्प ले ली। और एक बात सूचना के अधिकार अधिनियम का एक बार अच्छे से अध्ययन ज़रूर कर लेना चाहिए, नेट पर तो जगह जगह पडा़ ही है, बाज़ार में भी आसानी से मिल जाता है।
मैं भी आरटीआई आदि की तरफ़ नहीं जाता है लेकिन दो एक इंसान ऐसे मिल गये जिन की वजह से ज़िंदगी के बेहतरीन चार वर्ष खराब हो गए, क्या करें, ज़िंदगी का सफ़र है, हर तरह के इंसान हैं और मिलेंगे भी ....लेकिन मैं बहुत बेबाकी से यह स्वीकार करता हूं कि मुझे जितनी मदद आरटीआई कानून से मिली इतनी तो शायद कोई परम मित्र भी न कर पाता, परेशान तो मैं हुआ, इस चक्कर में बहुत सी व्यक्तिगत प्रायरटीज़ को तो नज़र अंदाज़ किया ही, लेकिन कईं बार जब पानी आप के नाक तक पहुंच जाए तो केवल सूचना रूपी लाइफ-गार्ड ही आप की रक्षा कर सकता है और मेरे साथ भी यही हुआ। इसलिए करने वाले ने तो मेरा बुरा करना चाहा लेकिन देखिए मैं पिछले चार वर्षों में इतना कुछ सीख गया कि आरटीआई पर किताब लिखने के लिए बिल्कुल तैयार हो गया.....................हां, फिर से ज़िंदगी के सफर की बात याद आ गई ......dedicated to those cherished moments of life which i missed out just searching for vital information -- i got the information but those golden four years of life can't be brought back. Thanks to all those SADISTIC SOULS !