जी हां, इसी बहाने पिछले दो तीन दिनों से मेरे फिल्मी दिमाग में कुछ गीत बार बार आ रहे हैं...इन में से दो तीन के तो वीडियो भी आज पहली बार देखे...रेडियो पर तो खूब सुना...सोच रहा हूं आप से भी शेयर कर लूं तो मुझे चैन पड़े।
कुछ दिनों से गंगा जी की और गंगाजल की बहुत बातें देखने-सुनने को मिल रही हैं...शायद रविवार के दिन गंगा मामलों की मंत्री उमा भारती की इंटरव्यू आ रही थी... पांच दस मिनट देखने का मौका मिला...मैं उन की धाराप्रवाह हिंदी बोलने की शैली से प्रभावित हुआ..बस!
आगे चलते हैं...डाकिये का नाम लेते ही ध्यान में क्या आता है?....मुझे तो बस वही याद आता है ..डाकिया डाक लाया ..खुशी का पैगाम कहीं दर्दनाक लाया....अपनी मेमोरी में ये गीत फिट हो चुके हैं...
लेकिन कल पता चला है कि अब डाकिये के जरिये लोगों तक गंगा जल भी सप्लाई किया जाएगा....क्या कहें ...तुरंत काजल कुमार जी का एक कार्टून दिख गया...यहां शेयर कर रहा हूं...
मुझे याद है जब डाकखानों में टैलीफोन बिल, बिजली बिल...रेलवे की टिकटें...और भी पता नहीं क्या क्या, ये सब सुविधाएं शुरू होती गईं तो कुछ लोगों को डाक कर्मीयों के साथ एक सहानुभूति सी होने लगी....लेिकन यह डाकियों द्वारा गंगाजल सप्लई किए जाने की बात पर तो वह विज्ञापन याद आ गया....बच्चे की जान लोगे क्या!
अभी अभी आज का अखबार उठाया तो एक खबर देख कर बड़ी हैरानी हुई....जैसे कि कल हुई थी...कल एक खबर दिखी कि यहां लखनऊ में िमलावटी मैदा बरामद किया गया है ...यार, मैदा भी कोई मिलावट करने वाली चीज़ है....और आज पता चला कि सादे जल को गंगा जल कह कर बेचने का गोरखधंधा भी चल रहा है...
फूड सेफ्टी वाले भी इन छोटी छोटी मछलियों को पकड़ कर आंकड़ों का पेट भरने में लगे हैं...किसी व्हेल मछली को पकड़ें तो जानें..
बहरहाल, गंगा जल की बात आते ही ..कुछ यादें आ जाती हैं...जितनी बार भी गये ...हरिद्वार के बाज़ार से चार-पांच लिटर की प्लास्टिक की एक बोतल गंगा जल से भर कर लाना नहीं भूले...हर साइज की खाली बोतलें वहां मिलती हैं...बस, आप को गंगा जल भर के ठसाठस भऱी बस-ट्रेन में उसे कहीं रखने भर का जुगाड़ करना होता है...लेकिन एक बात है अब लगता है वहां पर बसे हम लोगों के पुश्तैनी पुरोहितों के दिन भी लदने वाले हैं.....क्यों?..सदियों से बिछड़े रिश्तेनातेदार अब आनलाइन अपने फैमली-ट्री तैयार कर रहे हैं, अपडेट कर रहे हैं...भूलचूक सुधार रहे हैं!! ऐसे में फिर कौन पुरोहितों के बही खातों को देखने के चक्कर में पसीना बहायेगा!
बचपन में सुना करते थे .फलां फलां घर में गंगाजल है...किसी के दिन जब पूरे होने लगते...उसे बिस्तर से नीचे उतार दिया जाता...दिया जला दिया जाता तो उस की मुक्ति के लिए गंगाजल की दो बूंदें भी डालनी ज़रूरी होती थीं...लोगों की दृढ़ आस्थाएं हैं.... No comments!...इत्मीनान से अरूणा ईरानी की ख्वाहिश सुनिए...
हां, मैं रेडियो बहुत सुनता हूं...जब भी मौका मिलता है ...मोबाइल पर नहीं...अच्छे खासे रेडियो पर...वे भी आज कल फिल्मी गीत बजाते समय कुछ थीम चुन लेते हैं....आधे घंटे के लिए.... गंगा जी और गंगा जल के नाम से जो गीत मेरे ज़हन में भी आ रहे हैं बस मैं उन्हें यहां एम्बेड कर के आप से क्षमा चाहूंगा...
शेष बातें फिर कभी करेंगे... फिर मिलते हैं..
शेष सब कुशल मंगल है...
आप का अपना ...
प्रवीण...
लेकिन इस गीत में गंगाजल की नहीं, पानी की ही बात है बस...पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, जिस में मिला दो लगे उस जैसा....कितनी धूम मचाए रखी इस गीत ने!!
कुछ दिनों से गंगा जी की और गंगाजल की बहुत बातें देखने-सुनने को मिल रही हैं...शायद रविवार के दिन गंगा मामलों की मंत्री उमा भारती की इंटरव्यू आ रही थी... पांच दस मिनट देखने का मौका मिला...मैं उन की धाराप्रवाह हिंदी बोलने की शैली से प्रभावित हुआ..बस!
आगे चलते हैं...डाकिये का नाम लेते ही ध्यान में क्या आता है?....मुझे तो बस वही याद आता है ..डाकिया डाक लाया ..खुशी का पैगाम कहीं दर्दनाक लाया....अपनी मेमोरी में ये गीत फिट हो चुके हैं...
लेकिन कल पता चला है कि अब डाकिये के जरिये लोगों तक गंगा जल भी सप्लाई किया जाएगा....क्या कहें ...तुरंत काजल कुमार जी का एक कार्टून दिख गया...यहां शेयर कर रहा हूं...
मुझे याद है जब डाकखानों में टैलीफोन बिल, बिजली बिल...रेलवे की टिकटें...और भी पता नहीं क्या क्या, ये सब सुविधाएं शुरू होती गईं तो कुछ लोगों को डाक कर्मीयों के साथ एक सहानुभूति सी होने लगी....लेिकन यह डाकियों द्वारा गंगाजल सप्लई किए जाने की बात पर तो वह विज्ञापन याद आ गया....बच्चे की जान लोगे क्या!
अभी अभी आज का अखबार उठाया तो एक खबर देख कर बड़ी हैरानी हुई....जैसे कि कल हुई थी...कल एक खबर दिखी कि यहां लखनऊ में िमलावटी मैदा बरामद किया गया है ...यार, मैदा भी कोई मिलावट करने वाली चीज़ है....और आज पता चला कि सादे जल को गंगा जल कह कर बेचने का गोरखधंधा भी चल रहा है...
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बहरहाल, गंगा जल की बात आते ही ..कुछ यादें आ जाती हैं...जितनी बार भी गये ...हरिद्वार के बाज़ार से चार-पांच लिटर की प्लास्टिक की एक बोतल गंगा जल से भर कर लाना नहीं भूले...हर साइज की खाली बोतलें वहां मिलती हैं...बस, आप को गंगा जल भर के ठसाठस भऱी बस-ट्रेन में उसे कहीं रखने भर का जुगाड़ करना होता है...लेकिन एक बात है अब लगता है वहां पर बसे हम लोगों के पुश्तैनी पुरोहितों के दिन भी लदने वाले हैं.....क्यों?..सदियों से बिछड़े रिश्तेनातेदार अब आनलाइन अपने फैमली-ट्री तैयार कर रहे हैं, अपडेट कर रहे हैं...भूलचूक सुधार रहे हैं!! ऐसे में फिर कौन पुरोहितों के बही खातों को देखने के चक्कर में पसीना बहायेगा!
बचपन में सुना करते थे .फलां फलां घर में गंगाजल है...किसी के दिन जब पूरे होने लगते...उसे बिस्तर से नीचे उतार दिया जाता...दिया जला दिया जाता तो उस की मुक्ति के लिए गंगाजल की दो बूंदें भी डालनी ज़रूरी होती थीं...लोगों की दृढ़ आस्थाएं हैं.... No comments!...इत्मीनान से अरूणा ईरानी की ख्वाहिश सुनिए...
शेष बातें फिर कभी करेंगे... फिर मिलते हैं..
शेष सब कुशल मंगल है...
आप का अपना ...
प्रवीण...
लेकिन इस गीत में गंगाजल की नहीं, पानी की ही बात है बस...पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, जिस में मिला दो लगे उस जैसा....कितनी धूम मचाए रखी इस गीत ने!!
मेरे आज सुबह के मूड के साथ मिलता जुलता एक विचार अभी ध्यान में आ रहा है ...वैसे अभी तो ध्यान गंगाजल फिल्म का भी आ रहा है...लेिकन आप लोग पक जाएंगे...