एक अंग्रेज़ी अखबार में दो-अढ़ाई सौ कॉलम सैंटीमी.को घेरे हुये किसी स्पैशल कारसपोंडैंट की यह रिपोर्ट केवल इतना कह रही है कि पंजाब में कैंसर से ज़्यादा महिलायें मरती हैं। बस इतना कह कर ही सुईं अटक गई लगती है। कईं बार कुछ इस तरह की रिपोर्टज़ देख कर ही पत्रकारों के होम-वर्क की तरफ़ जाता है ....जिसे अगर नहीं किया या ढंग से नहीं किया तो वह ऐसी रिपोर्टों के रूप में सामने आता है, ऐसा मेरा व्यक्तिगत विचार है।
इस रिपोर्ट को देख कर रह रह कर मन में बहुत से प्रश्न उठ रहे हैं जैसे कि
- पंजाब के तीस गांवों से जो सैंपल इस अध्ययन के लिये लिया गया,क्या वह ट्रयूली रिप्रसैंटेटिव सैंपल रहा होगा और क्या इस से होने वाले परिणाम स्टैटीक्ली सिग्नीफिकेंट भी हैं क्या ?
- इतनी लंबी रिपोर्ट पढ़ कर यह कुछ पता नहीं चलता कि आखिर ऐसे कौन से कैंसर हैं जो कि पंजाबी महिलाओं में ही ज़्यादा होते हैं.....क्या ये उन के फीमेल बॉडी पार्ट्स से संबंधित कैंसर हैं या अन्य अंगों से संबंधित......इस महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया जाना भी लाज़मी था।
- Age profile की बात नहीं की गई है.....जिन महिलाओं के ऊपर यह अध्ययन किया गया वह किस उम्र से संबंध रखती थीं......इस के बारे में भी यह रिपोर्ट चुप है।
- इस संबंध में अगर किसी मैडीकल कालेज के प्रोफैसर इत्यादि से कोई बातचीत भी इस में साथ दी गई होती तो बेहतर होता।
- देश में कैंसर रजिस्टरी नाम की एक संस्था है....वह क्या कहती है पंजाब के बारे में ....इस का भी अगर उल्लेख होता तो पाठक की सोच को एक दिशा मिलती ।
मैं तो बस इतना ही कहूंगा कि मुझे यह रिपोर्ट पढ़ कर कुछ ज़्यादा जानकारी हासिल नहीं हुई। कारण आप के सामने हैं...अगर इन बातों का भी ध्यान रखा जाता है तो शायद इस रिपोर्ट से हम कुछ महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष निकाल लेते। लेकिन जो भी हो, इतना आज एक बार फिर से समझ में आ गया कि होम-वर्क लगन के साथ करना स्कूली बच्चों के लिये ही नहीं, पत्रकारों के लिये भी बेहद लाज़मी है। आप का इस न्यूज़-रिपोर्ट के बारे में क्या ख्याल है ?