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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009

भारत का पहला नेशनल मैडीकल ई-न्यूज़ पेपर

कल के समाचार पत्र से पता चला कि भारत का पहला मैडीकल ई-न्यूज़ पेपर लांच हुआ है। डा के के अग्रवाल सुप्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट, इस के मुख्य संपादक हैं, जिन्हें हम सब टीवी के विभिन्न चैनलों पर देखते भी रहते हैं और समाचार-पत्रों में सेहत संबंधी विषयों पर उन से सरल सटीक जानकारी भी हासिल करते रहते हैं। इस समाचार-पत्र का लिंक यह है

जैसा कि आप डा अग्रवाल के बारे में जानते ही हैं कि वे जनमानस तक अपनी बात कितनी सहजता से बिल्कुल सरल भाषा में कह जाते हैं, मैं तो दूरदर्शन पर उन की इंटरव्यूज़ का बड़ा प्रशंसक रहा हूं। इसलिये उम्मीद है कि अब इस पेपर के माध्यम से नेटयूज़र्स को मैडीकल फील्ड की ताज़ा-तरीन जानकारी मिलती रहा करेगी। आशा है कि आप इसे नियमित देखने की आदत डालेंगे।

" To live > 80 years remmeber the ABC of Heart prevention through the formula of 80 [Keep your Abdominal Circumference < 80 cm, Lower BP < 80 mm Hg, LDL (bad)Cholesterol < 80 mg%, Pulse < 80/minute and Fasting Sugar < 80 mg%".

डा अग्रवाल जी के अनुसार --- अगर आप अस्सी साल से ज़्यादा जीने की तमन्ना रखते हैं तो हृदय रोग से बचाव के लिये फार्मूला नंबर 80 के द्वारा इस की ए-बी-सी जान लें --- अपनी कमर का नाप 80 सैंटीमीटर से कम रखें, नीचे वाला बीपी ( डॉयस्टोलिक बी पी) 80 से कम रखें, एल डी एल ---बुरे कोलेस्ट्रोल का स्तर 80 से कम रखें, ध्यान करें कि आप की नबज 80/मिनट से कम ही रहे, और आप का फास्टिंग ब्लड-शूगर 80 मि.ग्राम % से कम रहे।

कितनी पते की बात डाक्टर साहब द्वारा कही गई है --- बस, अब उन के द्वारा शुरू किये गये अखबार से भी नित-प्रतिदिन इसी तरह की बहुत अहम् बातें पढ़ने को मिला करेंगी ---जो कि हम सब को अपनी सेहत के बारे में सोचने पर मज़बूर किया करेंगी। अगर हम उन के द्वारा कही एक बात (जैसे कि ऊपर वाला फार्मूला नं 80) ही मानना से शुरूआत करें तो हमारी सेहत में बहार आ जायेगी। फिर सोच क्या रहे हैं, अभी देखिये इस मैडीकल ई-न्यूज़ पेपर को और इसे बुक-मार्क कर लीजिये।

वैसे मैं तो पूरी कोशिश किया हूी करूंगा कि जो भी चीज़ मुझे वहां पर नईं दिखा करेगी उस का सार आप तक हिंदी में लिंक सहित पहुंचाया करूंगा।

PS... मैंने पिछले लगभग चालीस दिन में यह जाना कि writer's block किसे कहते हैं ---बस ऐसे ही कुछ भी लिखने की चाह ही नहीं हो रही थी। अब फिर से नियमित हो जाऊंगा। अभी कुछ दिन 9th Indian Science Communication Congress में व्यस्त रहूंगा ----लौट कर बहुत सी बातें आप से साझी करूंगा।

सोमवार, 5 जनवरी 2009

इंटरनेट पर स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी के लिये वेबसाइटें

इंटरनेट पर स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी प्राप्त करने के लिये कुछ बेहद महत्त्वपूर्ण वेबसाइटों ( हाइपरलिंक्स सहित) को कहीं नोट करियेगा।

Centre for Disease Control and Prevention – सैंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल एवं प्रिवेंशन –
www.cdc.gov
अन्य विशेषताओं के साथ साथ इस वेबसाइट पर एक विभिन्न रोगों का एक ए टू ज़ेड ( A to Z Disease Index) है जिस के द्वारा आप किसी भी शारीरिक एवं मानसिक तकलीफ़ के बारे में विस्तृत्त जानकारी हासिल कर सकते हैं।

U.S. Department of Health & Human Services’s National Institutes of Health – यूनाइटेड स्टेटज़ के हैल्थ एवं ह्यूमन सर्विसिज़ विभाग की नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ हैल्थ की यह एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण वेबसाइट है जिस में स्वास्थ्य के सभी विषयों की समुचित जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
www.nih.gov

Labtestsonline --- लैबोरेट्री टैस्टों के लिये लैबटैस्ट ऑनलाइन – किसी भी लैबोरेट्री टैस्ट के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिये अथवा किस बीमारी के लिये कौन से टैस्ट आवश्यक हैं, इस के लिये आप लॉग-ऑन कर सकते हैं ---
www.labtestsonline.org.uk

World Health Organisation – विश्व स्वास्थ्य संगठन – इस वेबसाइट पर भी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी बहुत अच्छे ढंग से मुहैया करवाई जाती है।
www.who.int

US Food and Drug Administration – अमेरिकी फूड एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन – यह भी एक बहुत ही बढ़िया वेबसाइट है जिस में उपभोक्ताओं अर्थात् मरीज़ों के हितों को ध्यान में रख कर काफ़ी पठन सामग्री उपलब्ध है। अगर किसी दवा के कोई गल्त परिणाम सामने आ रहे हैं तो उसे भी इस वेबसाइट पर डाल दिया जाता है। इस साइट की इतनी विशेषताएं हैं कि आप इस की गली की तरफ भी कभी कभी ज़रूर निकल जाया करें – अगर अभी एक नमूना देखना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करिये ---
www.fda.gov

स्वास्थ्य से संबंधित कुछ अन्य वेबसाइटों के लिंक यहां दिये जा रहे हैं --- अगर कभी समय निकाल पाये तो ज़रूर देख लीजियेगा –
US Department of Health and Human Services – अमेरिकी हैल्थ एवं ह्यूमन सर्विसिज़ विभाग का लिंक यह है
www.hhs.gov

कुछ अन्य साइटों को भी देखिये ---
www.healthfinder.gov
www.informedmedicaldecisions.org
www.womenshealth.gov
www.health.gov

National Library of Medicine – नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मैडीसन भी एक बहुत बढ़िया वेबसाइट है जहां से सेहत से संबंधित बहुत बढ़िया जानकारी हासिल की जा सकती है ।
http://www.nlm.nih.gov

Medline Plus – आप की सेहत से संबंधित बहुत ही विश्वसनीय जानकारी यहां पर उपलब्ध है –
www.nlm.nih.gov/medlineplus

HealthDay – हैल्थ-डे --- स्वस्थ जीवन के कुछ गुर हम लोग यहां पर भी सीख सकते हैं –
www.healthday.com

Masachussets Medical Society – मैसाच्यूसैट्ज़ मैडीकल सोसायिटी का वेबलिंक यह है –
www.massmed.org

International News Agencies – कुछ अंतरर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसियों की वेबसाइट पर भी स्वास्थ्य संबंधी शीर्षक के अंतर्गत हैल्थ से संबंधित उम्दा जानकारी मिल जाती है
Reuters www.reuters.com

United Press International www.upi.com

Xinhua news agency www.xinhuanet.com/english

Harvard health ( हारवर्ड हैल्थ ) की भी दो साइटें बहुत बढ़िया हैं ---

www.health.harvard.edu

harvardhealth.gather.com

CNN : Health – Medical News for CNN – सी एन एन चैनल पर स्वास्थ्य संबंधित जानकारी इस लिंक पर मिल सकती है –
www.cnn.com/Health

मेरे विचार है कि आप इन वेबसाइटों की एक सूची बना कर रख लें। वैसे तो कुछ डॉट-काम वेबसाइटों पर भी बहुत उपयोगी जानकारी उपलब्ध हो जाती है लेकिन मैं सरकारी साइटों, यूनिवर्सिटी साइटों एवं ऐजुकेशनल संस्थानों की वेबसाइटों पर ही ज़्यादा निर्भर करता हूं ।

कभी कभी इन में से किसी भी वेबसाइट पर थोड़ा टहल लेना चाहिये --- एकदम ताज़ी जानकारी उपलब्ध हो जाती है।
परिवार के प्रत्येक वर्ग के लिये इन वेबसाइटों पर जानकारी उपलब्ध रहती है जैसे कि युवा वर्ग, किशोर बालाओं के लिये, गृहिणीयों के लिये , पुरूषों के लिये अलग सैक्शन रहते हैं। इन साइटों के उन सैक्शनों पर ही जाना ज़्यादा ठीक रहता है जहां पर लिखा रहता है For the Public ---- इस सैक्शन की भाषा बहुत सरल एवं सहज होती है क्योंकि इन्हें एक नॉन-मैडीकल पाठक को ध्यान में रख कर ही लिखा जाता है।

आप की सेहत की कामना के साथ ,
डा प्रवीण चोपड़ा

PS --- यह पोस्ट मैंने लगभग 20-25 दिन पहली ठेल तो दी थी --- हाथ से लिख कर – इंक-ब्लागिंग के ज़रिये – लेकिन मुझे लग रहा था कि ऐसी पोस्ट में हाइपर-लिंक्ज़ के बिना बात बन नहीं पाती है , सो आज टाइम निकाल कर यह काम पूरा कर दिया है । और दूसरी बात यह है कि इंक-ब्लॉगिंग में लिखे को गूगल-सर्च उठा नहीं पाती !!

शनिवार, 20 दिसंबर 2008

डायबिटिज़ के पैर में बिंदी लगाने से इतनी नाराज़गी !!

इस शनिवार की सुस्त सी शाम में निठल्ले बैठे बैठे गूगल सर्च के बारे में एक बात का ज्ञान हो गया है- इसलिये आगे से नेट पर हिंदी लिखने में और हिंदी में गूगल सर्च करते वक्त सावधानी बरता करूंगा। बस, मैंने ऐसे ही डाय़बिटिज के नाम से गूगल सर्च की - नोट करें कि जब मैं गूगल-सर्च के लिये डायबिटिज़ लिख रहा था तो गलती से मेरे से की जगह लिखा गया अर्थात् के पैर में बिंदी लग गई। फिर भी मैंने इस की परवाह की - सोचा कि इस से क्या फर्क़ पड़ेगा --- मैंने सर्च के बटन पर कर्सर ले जाकर सर्च दबा दिया।

मैं सर्च रिज़ल्टस देख कर बहुत हैरान हुआ ---गूगल सर्च ने कहा कि इस शब्द के लिये कोई रिज़ल्टस ही नहीं हैं। मैंने ध्यान से देखा तो यही पाया की के पैर में बिंदी पड़ी हुई है - तो मैं समझ गया कि यहां भी इस बिंदी का ही पंगा है। मैंने तुरंत उसी तरह से दोबारा डायबिटिज़ लिखा जिस तरह से मैं आम तौर पर अपनी पोस्टों में लिखता हूं -- तो रिज़ल्ट्स में मेरी कुछ पोस्टें दिख गईं ( जो कि मैं देखने के लिये गूगल सर्च पर बिना वजह आवारागर्दी कर रहा था)

फिर उस के बाद मैंने एक और एक्पैरीमैंट करना चाहा --- मैं अब गूगल सर्च पर डायबिटीज़ लिखा ---अब भी रिज़ल्ट बदल गये। मेरी किसी पोस्ट में जहां पर मैंने डायबिटीज़ लिखा हुआ था, वह प्रकट हो गई।


मैं कुछ कुछ समझने लगा कि यह हिंदी के स्पैलिंग्ज़ की भी कितनी बड़ी भूमिका है नेट में ----कहीं भी बिंदी लगी या हटी, कहीं सिहारी की बिहारी बनी और कहीं भी आंचलिक पुट आया नहीं कि सर्च रिज़ल्ट्स ही बदल गये
मैं अब बैठा बैठा यही सोच रहा हूं कि आने वाले समय में यह नेट पर हिंदी एक सशक्त माध्यम बस अब बनने ही वाला है --मैं अधिकतर स्वास्थ्य विषयों पर ही लिख कर अपने अल्प-ज्ञान का दिखावा कर लेता हूं ( अधजल गगरी छलकत भारी !!) लेकिन मैं अकसर फीड-जिट में अकसर देख कर हैरान हो जाता हूं कि किस तरह के सीधे साधारण की-वर्ड्स लिख कर सेहत के किसी विषय के लिये गूगल सर्च की जा रही है।

हिंदी हिंदी हम पिछले साठ सालों से कह रहे हैं ----लेकिन अब हिंदी का दौर गया है --- यह हम सब प्रत्यक्ष देख ही रहे हैं। किसी भी शब्द को हिंदी में लिख कर गूगल-सर्च कीजिये और कुछ कुछ तो सर्च करने वाले के हाथ में लग ही जाता है। इस का कारण यही है कि विभिन्न क्षेत्रों के लोग इस हिंदी रूपी यज्ञ में दिन प्रतिदिन अपनी आहूतियां लगातार डालते जा रहे हैं जो भी किसी ज़रूरतमंद की सर्च -रिज़ल्ट के रूप में प्रकट होती हैं।

और मुझे लगने लगा है कि हिंदी नेट पर बढ़ भी रही है और वह भी इतने प्रजातांत्रिक स्टाइल में ---जब कोई भी व्यक्ति विश्व में हिंदी में कोई जानकारी ढूंढ रहा है तो उसे शुरू शुरू में स्पैलिंग्ज़ वगैरह की इतनी चिंता करने की ज़रूरत नहीं ----शायद ज़रूरत नहीं , लेकिन ज़रूरत तब लगने लगेगी जब उसे वांछित जानकारी के लिये स्पैंलिंग्ज़ तो ठीक करने ही होंगे --- शायद इस से हम लोगों की हिंदी में भी सुधार होने लगा।

मैंने सोच रहा हूं कि इस देश में कहते हैं इतने कोस पर पानी और इतने कोस पर बोली बदल जाती है - तो फिर हम कुछ भी कर लें किसी भी टापिक को सर्च करते वक्त हमें इस तरह की थोड़ी परेशानियों से तो रू--रू होना ही पड़ेगा ---लेकिन क्या ये वास्तव में ही परेशानियां हैं ? आइये सोचते हैं।

जब हम लोग नेट पर लिख रहे होते हैं तो ----चलिये मैं अपनी ही बात करता हूं ---कईं बार कोई स्पैलिंग गल्त हो भी जाये तो ज़्यादा परवाह किये बिना आगे बढ़ जाते हैं ----लेकिन आज लग रहा है कि यह बात बिल्कुल ठीक नहीं है ---- अगल हम चाहते हैं कि सर्च रिज़ल्ट्स के माध्यम से हम लोगों तक पहुंच सकें तो यह संभव तभी होगा जब हम शुद्द लिख रहे हैं ----शुद्ध से मेरा मतलब वह वाली हिंदी नहीं जिसे देख कर, पढ़ कर, सुन कर एक आम हिंदोस्तानी डर जाता है --- उसे लगने लगता है कि यार, यह अपने बस की बात नहीं है।

इसलिये पढ़े-लिखे इंगलिश वर्ग को अगर हम लोग नेट के माध्यम से हिंदी से जोड़ना चाहते हैं तो हमें बोल चाल वाली हिंदी ही यहां भी लिखनी होगी ---बिल्कुल वही वाली हिंदी है जो हम लोग अपने घर में, अपनी गली-मुहल्ले में यूं ही किसी से बतियाते हुये इस्तेमाल करते हैं। बिलकुल - 100% आम हिंदी ---- जिससे किसी को डर नहीं लगता --- बस, जो अपनी सी लगती है ऐसा करना इस लिये तो और भी ज़रूरी है क्योंकि यह पढ़ा लिखा वर्ग अपने मतलब की जानकारी ढूंढने के लिये इसी आम भाषा के की-वर्ड्स का ही इस्तेमाल करता है - ऐसा मैं सैंकड़ों बार नोटिस कर चुका हूं।

मैं भाषा का स्टूडैंट तो हूं नहीं --लेकिन फिर भी सोच रहा हूं कि क्या कुछ ऐसा भी होता है कि हिंदी में सब लोग वही शब्द इस्तेमाल करें जो बर्तनी के हिसाब से ठीक है -----बर्तनी शब्द भी मैं ब्लागिंग में कईं बार सुन चुका हूं, लेकिन इस का मुझे कुछ ज्ञान नहीं है। लेकिन अब लगने लगा है कि भाषा के सही शब्दों का ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है ---वरना सब लोगों की लिखावट में अपने अपने क्षेत्र का हिंदी पुट होगा तो गूगल सर्च करने पर तो डाय़बिटिज़ से भी पेचीदा खिचड़ी पक जायेगी। अब इस बात पर तो हिंदी के धुरंधर लिक्खाड़ ही प्रकाश डाल सकते हैं।

अच्छा एक बात और भी करनी है ---- मुझे बहुत बार कहा गया कि हिंदी विकि पीडिया पर भी मैं स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर लेख लिखा करूं ---- मैं बहुत बार उस साइट पर भी गया ---- लेकिन दस-पंद्रह मिनट में ही सिर भारी होने की वजह से वापिस लौट आता था ---कारण ? --- अब कारण क्या बताऊं , वहां पर लिखी हुई हिंदी किसी दूसरे लोक की दिखती है ---शायद अपनी सी नहीं लगती --- उस साइट पर घूमने से लगता है कि यह तो बस बुद्धिजीवियों का जमावड़ा है जहां पर वे अपना ज्ञान केवल अपने आप में ही बांटे जा रहे हैं --- अगर मेरा उस साइट पर इतनी बार जाने के बाद यही हाल है तो एक हिंदी का औसत नेट-यूज़र जब हिंदी विकिपीडिया पर जायेगा , वह तो तुरंत ही वहां से भाग खड़ा होगा। इसलिये इस हिंदी वीकिया में लिखने वाले को यही सुझाव है कि हिंदी का स्तर थोड़ा घटाओ ---- सब तरह के लोग वहां पर कुछ ढूंढने रहे हैं , इसलिये सब का ध्यान रखो, भाईयो।

वैसे मुझे एक तरीका दिखा ---मैंने दो तीन दिन पहले पेपर में पढ़ा कि विकिपीडिया ने मद्रास में एक विकि एकेडमी शुरू की है ---तो मैं अंग्रेज़ी की विकिपीडिया पर गया तो वहां पर सारी हिदायतें आराम से समझ में जाती हैं ---तो मेरा सुझाव यह है कि अगर आप में से भी कुछ लोग हिंदी वीकिपीडिया पर अपना योगदान देना चाहते हैं लेकिन वहां पर लिखे निर्देश हिंदी में समझ नहीं पाते हैं तो अंग्रेज़ी वीकिपीडिया में उन्हें देख कर हिंदी में लिखना शुरू कर दीजिये।

बस, अब इतना लिखने के बाद सुस्ती गायब सी हो गई है -- पता नहीं एक ही शब्द को सैकंड़ों हिंदी भाषी अपने अपने अंदाज़ में कितने कितने अलग ढंग से लिखते होंगे -- ऐसी ही एक उदाहरण डायबिटिज़, डाय़बिटिज़, डायबिटीज़ की आप ने देख ली ----वैसे आप भी कुछ शब्द लिख कर गूगल सर्च कर कुछ एक्सपैरीमेंट क्यों नहीं करते ?