अमेरिका के कोलोरेडो की खबर अभी दिखी कि वहां पर किशोर युवतियों को गर्भ धारण करने से बचाने के लिए इंट्रा-यूटरीन डिवाईस फिट कर दिया जाता है। इसे संक्षेप में आईयूडी कहते हैं। मैंने पाठकों की सुविधा के लिए कॉपर-टी लिख दिया है।
रिपोर्ट में आप देख सकते हैं कि पांच साल से यह प्रोग्राम चल रहा है --किसी व्यक्ति ने इस महान काम के लिए २३ मिलियन डालर का गुप्तदान दिया है कि किशोर युवतियों को इस अवस्था में गर्भावस्था से बचाया जाए। और इस से कहा जाता है कि इस उम्र की किशोरियों में प्रेगनेंसी की दर ४०प्रतिशत कम हो गई है।
अमेरिका जैसे संभ्रांत एवं विकसित देशों में स्कूल जाने वाली किशोरियों में प्रेगनेंसी होना कोई छुपी बात नहीं है। और कहा जा रहा है कि कोलोरेडो में इस तरह की सुविधा मिलने से टीन्ज़ को बड़ी राहत मिल गई है। वैसे तो वहां पर कॉपर-टी जैसे उपकरण फिट करवाने में ५०० डालर के करीब का खर्च आता जो कि ये लड़कियां करने में असमर्थ होती हैं और अपने मां-बाप से इस तरह के खर्च के लिए मांगने से झिझकती हैं।
ऐसा नहीं है कि इस तरह की दान-दक्षिणा वाले काम का कोई विरोध नहीं हो रहा.......वहां पर कुछ संगठन इस तरह की विरोध तो कर ही रहे हैं कि इस तरह से तो आप किशोरियों को एक तरह से फ्री-सैक्स करने का परमिट दे रहे हैं कि बिना किसी झँझट के, बिना किसी फिक्र के वे अब इस अवस्था में ही सैक्स में लिप्त हो सकती हैं। और यह भी चेतावनी दी गई है कि १३-१५ वर्ष की बच्चियों के यौन संबंध बनाने में वैसे ही कितने नुकसान हैं। और इन सब के अलावा यह यौन जनित बीमारियों (STDs--Sexually transmitted diseases) को बढ़ावा देने जैसा है।
दुनिया आगे तो बढ़ रही है, बड़ी एडवांस होती दिख रही है .....भारत ही में देख लें कि अभी तो हम असुरक्षित संभोग के तुंरत बाद या फिर चंद घंटों के बाद उस एक गर्भनिरोधक टेबलेट के लिए जाने के बारे में ही चर्चा कर रहे हैं कि किस तरह से उस टेबलेट का दुरूपयोग हो रहा है।
मैं कोई नैतिक पुलिस के मामू की तरह बात नहीं कर रहा हूं.... लेकिन जो है वही लिख रहा हूं कि कितनी अजीब सी समस्या दिखती है कि स्कूल जाने वाली १३-१५ की बच्चियों में इस तरह के कॉपर-टी जैसे उपकरण फिट कर दिए जाएं ताकि वे गर्भावस्था के झंझट से बच पाएं।
विकसित देशों की अपनी सोच है....हमारी अपनी है.......क्या किशोरावस्था में इस तरह के डिवाईस लगवा कर प्रेगनेंसी से बचना ही सब कुछ है, सोचने वाली बात है, कोई भावनात्मक स्तर पर जुड़ाव, कोई पढ़ाई-लिखाई में रूकावट, यौन-संक्रमित बीमारीयां जैसे मुद्दे भी तो कोई मुद्दे हैं।
टीनएज प्रेगनेंसी विकसित देशों में (यहां का पता नहंीं, कोई आंकड़े नहीं...)एक विषम समस्या तो है ही, लेिकन उस से झूझने का यह तरीका मेरी समझ में तो आया नहीं। ठीक भी नहीं लगता कि कोई और ढंग का तरीका --उन की सोच बदलने का प्रयास- आजमाने की बजाए यह कॉपर-टी या इंप्लांट ही फिट कर दिए जाएं........न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी.. .......नहीं, नहीं, इस तरह की स्कीमों में दम नहीं है।
भारत में तो विमेन-एक्टिविस्ट एवं महिलारोग विशेषज्ञ अभी उस असुरक्षित संभोग के बाद ली जाने वाले टेबलेट के कुछ युवतियों-महिलाओं के द्वारा किए जाने वाले दुरूपयोग के बारे में ही जन-जागरूकता बढ़ा रही हैं कि इस गोली को नियमित बार बार लेना सुरक्षित नहीं है, हर पक्ष से......... हर पक्ष का मतलब तो आप जानते ही हैं।
Colorado birth control scheme casues drop in teen pregnancy (BBC Report)
विकसित देशों की अपनी सोच है....हमारी अपनी है.......क्या किशोरावस्था में इस तरह के डिवाईस लगवा कर प्रेगनेंसी से बचना ही सब कुछ है, सोचने वाली बात है, कोई भावनात्मक स्तर पर जुड़ाव, कोई पढ़ाई-लिखाई में रूकावट, यौन-संक्रमित बीमारीयां जैसे मुद्दे भी तो कोई मुद्दे हैं।
टीनएज प्रेगनेंसी विकसित देशों में (यहां का पता नहंीं, कोई आंकड़े नहीं...)एक विषम समस्या तो है ही, लेिकन उस से झूझने का यह तरीका मेरी समझ में तो आया नहीं। ठीक भी नहीं लगता कि कोई और ढंग का तरीका --उन की सोच बदलने का प्रयास- आजमाने की बजाए यह कॉपर-टी या इंप्लांट ही फिट कर दिए जाएं........न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी.. .......नहीं, नहीं, इस तरह की स्कीमों में दम नहीं है।
भारत में तो विमेन-एक्टिविस्ट एवं महिलारोग विशेषज्ञ अभी उस असुरक्षित संभोग के बाद ली जाने वाले टेबलेट के कुछ युवतियों-महिलाओं के द्वारा किए जाने वाले दुरूपयोग के बारे में ही जन-जागरूकता बढ़ा रही हैं कि इस गोली को नियमित बार बार लेना सुरक्षित नहीं है, हर पक्ष से......... हर पक्ष का मतलब तो आप जानते ही हैं।
Colorado birth control scheme casues drop in teen pregnancy (BBC Report)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...