आज एक खबर देख कर पता चला किस तरह से इंडोनेशिया में दाईयां दादागिरी पर उतर आती हैं... इन का स्टाईल तो भाई बंबई के हफ्ता-वसूली करने वाले भाई लोगों जैसा ही लगा ...एक औरत की उदाहरण से यह सारी बात बीबीसी की इस स्टोरी में बताई गई है।
हां तो कैसी दादागिरी इन दाईयों की? – अगर कोई महिला बच्चे को जन्म देने के पश्चात् इन दाईयों की फीस नहीं चुका पातीं तो ये उस के बच्चे को मां को देती ही नहीं ---उसे अपने पास ही रख लेती हैं। और कुछ केसों में तो ये उन बच्चों को आगे बेच भी देती हैं....और जो कर्ज़ इन्होंने महिला की डिलिवरी करने के एवज़ में लेना होता है, वह इसलिये बढ़ता रहता है क्योंकि उस में बच्चे के पालन-पोषण का खर्च भी जुड़ने लगता है। हुई कि न घोर दादागिरी ? --- Indonesian babies held hostage by unpaid midwives.
एक महिला अपनी दास्तां ब्यां कर रही है ... इस रिपोर्ट में वह बता रही है कि गर्भावस्था के दौरान उस का अल्ट्रासाउंड हुआ नहीं, इसलिये प्रसव के दौरान ही पता चला कि उस ने तो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है ... लेकिन अस्पताल वाले दो बच्चों को डिलिवर कराने के लिए डबल फीस मांगने लगे ...उस दंपति के पास पांच सौ डालर जितनी रकम थी नहीं .... तो क्या था, वही हुआ जिस का डर था!!
बच्चे को क्लीनिक वालों ने अपने कब्जे में रख लिया ...और वह दंपति अस्पताल की दोगुनी फीस जमा करने का जुगाड़ करने लगे... और जब पैसे इक्ट्ठे हो गये तो दाई के पास गये तो पता चला कि बच्चा तो आगे बिक चुका है। खैर, किसी सामाजिक कार्यकर्त्ता की सहायता से बच्चा तो वापिस मिल गया।
खबर देख कर यही लग रहा था कि दुनिया में क्या क्या हो रहा है, यार, इस हिसाब से अपना देश तो बहुत बेहतर हुआ ....मतलब दाईयों की दादागिरी तो नहीं है कम से कम.... लेकिन नवजात शिशुओं की यहां वैसे ही कितनी समस्याएं हैं इस पर एक लेख लिखने की कितने दिनों से सोच रहा हूं .... लेकिन इस विषय पर लिखते समय मन टिकता नहीं ....टिके भी कैसे, जिस दिन से कोलकाता में एक साथ 18 नवजात् शिशुओं के मरने की खबर सुनी है, बहुत बुरा महसूस हो रहा है।
बुरा महसूस इसलिये भी होता है कि किसी नामी-गिरामी महंगे अस्पताल में तो किसी की डिलीवरी के समय महिला डाक्टर के अलावा बच्चों का विशेषज्ञ(Paediatrician) तो क्या, नवजात् बच्चों का विशेषज्ञ (Neo-natologist) भी मौजूद रहता है और जनता जनार्दन को किस तरह से दाईयों के हत्थे चढ़ने पर मजबूर होना पड़ता है ....और कईं बार तो अस्पतालों की चौखट पर ही माताएं बच्चे जन देती हैं.... आप इस से कैसे इंकार कर सकते हैं क्योंकि ऐसी खबरें अकसर मीडिया में कभी कभी दिख ही जाती हैं..... जो भी है, गनीमत है कि मेरे भारत महान् में दाईयों की ...गर्दी (नहीं, यार, दादागिरी ही ठीक है) नहीं चलती ....लेकिन क्या पता कुछ कुछ चलती भी हो, लोग तो वैसे ही कहां कुछ बोलते हैं!!
हां तो कैसी दादागिरी इन दाईयों की? – अगर कोई महिला बच्चे को जन्म देने के पश्चात् इन दाईयों की फीस नहीं चुका पातीं तो ये उस के बच्चे को मां को देती ही नहीं ---उसे अपने पास ही रख लेती हैं। और कुछ केसों में तो ये उन बच्चों को आगे बेच भी देती हैं....और जो कर्ज़ इन्होंने महिला की डिलिवरी करने के एवज़ में लेना होता है, वह इसलिये बढ़ता रहता है क्योंकि उस में बच्चे के पालन-पोषण का खर्च भी जुड़ने लगता है। हुई कि न घोर दादागिरी ? --- Indonesian babies held hostage by unpaid midwives.
एक महिला अपनी दास्तां ब्यां कर रही है ... इस रिपोर्ट में वह बता रही है कि गर्भावस्था के दौरान उस का अल्ट्रासाउंड हुआ नहीं, इसलिये प्रसव के दौरान ही पता चला कि उस ने तो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है ... लेकिन अस्पताल वाले दो बच्चों को डिलिवर कराने के लिए डबल फीस मांगने लगे ...उस दंपति के पास पांच सौ डालर जितनी रकम थी नहीं .... तो क्या था, वही हुआ जिस का डर था!!
बच्चे को क्लीनिक वालों ने अपने कब्जे में रख लिया ...और वह दंपति अस्पताल की दोगुनी फीस जमा करने का जुगाड़ करने लगे... और जब पैसे इक्ट्ठे हो गये तो दाई के पास गये तो पता चला कि बच्चा तो आगे बिक चुका है। खैर, किसी सामाजिक कार्यकर्त्ता की सहायता से बच्चा तो वापिस मिल गया।
खबर देख कर यही लग रहा था कि दुनिया में क्या क्या हो रहा है, यार, इस हिसाब से अपना देश तो बहुत बेहतर हुआ ....मतलब दाईयों की दादागिरी तो नहीं है कम से कम.... लेकिन नवजात शिशुओं की यहां वैसे ही कितनी समस्याएं हैं इस पर एक लेख लिखने की कितने दिनों से सोच रहा हूं .... लेकिन इस विषय पर लिखते समय मन टिकता नहीं ....टिके भी कैसे, जिस दिन से कोलकाता में एक साथ 18 नवजात् शिशुओं के मरने की खबर सुनी है, बहुत बुरा महसूस हो रहा है।
बुरा महसूस इसलिये भी होता है कि किसी नामी-गिरामी महंगे अस्पताल में तो किसी की डिलीवरी के समय महिला डाक्टर के अलावा बच्चों का विशेषज्ञ(Paediatrician) तो क्या, नवजात् बच्चों का विशेषज्ञ (Neo-natologist) भी मौजूद रहता है और जनता जनार्दन को किस तरह से दाईयों के हत्थे चढ़ने पर मजबूर होना पड़ता है ....और कईं बार तो अस्पतालों की चौखट पर ही माताएं बच्चे जन देती हैं.... आप इस से कैसे इंकार कर सकते हैं क्योंकि ऐसी खबरें अकसर मीडिया में कभी कभी दिख ही जाती हैं..... जो भी है, गनीमत है कि मेरे भारत महान् में दाईयों की ...गर्दी (नहीं, यार, दादागिरी ही ठीक है) नहीं चलती ....लेकिन क्या पता कुछ कुछ चलती भी हो, लोग तो वैसे ही कहां कुछ बोलते हैं!!
यहां दाइयों की दादागिरी तो नहीं पर बच्चा होने के बाद ताली बजाकर नेग मांगनेवालों को देखकर अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं.
जवाब देंहटाएंभारत में दाईयों की दादा गिरी कम चलती है,पर डॉक्टरों की दादा गिरी फ़ुल चलती है।
जवाब देंहटाएंनर्सिंग होम बूचड़खाने बन गए हैं और सरकारी अस्पताल मुर्दाघर। सेवा भावना तो 1 करोड़ में डॉक्टर बनने के बाद तिरोहित ही हो जाती है।