रविवार, 27 फ़रवरी 2011

एनर्जी ड्रिंक्स से बचे रहने में ही है बचाव

इस तरह की चीज़ों के बारे में हम लोगों को पता भी बच्चों से ही चलता है ..इन लोगों की स्कूल आदि में बातें चलती होंगी। एनर्जी ड्रिंक्स के बुरे प्रभाव तो समाचार पत्रों में आते ही रहते हैं। मुझे तो ऐसा लगता है कि आज के युवा वर्ग को इन कोल्ड-ड्रिंक्स की लत लगा देने के बाद अब अगली बारी है इन एनर्जी ड्रिंक्स को पापुलर करने की।

कुछ दिन पहले मैं भी एक डिपार्टमैंटल स्टोर गया हुआ था ... मैंने उस से पूछा कि क्या यहां पर भी एनर्जी ड्रिंक्स मिलती हैं, तो मुझे उस शेल्फ की तरफ़ ले गया जहां पर इस तरह की ड्रिंक्स सजी हुई थीं। एक कैन की कीमत थी अस्सी रूपये और चार कैनों का एक पैक था...डिस्काउंट रेट पर।

उस के ऊपर लिखी इंफरमेशन पढ़ी .. वही सब जो मैडीकल न्यूज़ में दिख रहा था पिछले कुछ दिनों से कि ये सब ड्रिंक्स कैफ़ीन (caffeine) जैसे तत्वों से लैस होते हैं जिन से बहुत से नुकसान होते हैं ....और इन पर लिखा तो रहता है कि इन में कॉफी के एक कप चाय के बराबर कैफीन है लेकिन इस में इस से कहीं ज़्यादा मात्रा में कैफ़ीन होती है। कारण ? – इस में कंपनियों ने कईं तरह के हर्बल इनग्रिडीऐंट भी डाले होते हैं जिन की वजह से कैफ़ीन की मात्रा खूब बढ़ जाती है।

आज कल जिस तरह से ये ड्रिंक्स पापुलर हो रही हैं, इस से तो यही लगता है कि जब कोई भी वस्तु विकसित देशों से निकाले जाने के कगार पर होती है तो उसे हमारे यहां पापुलर करना शुरू कर दिया जाता है। आप इस लिंक पर जा कर इस के बारे में देखिये .... Energy drinks dangers.

कईं विकसित देशों में तो 12 से 17 साल के वर्ग के एक तिहाई युवा इस तरह की ड्रिंक्स नियमित रूप से लेने लगे हैं... और इन ड्रिंक्स के युवाओं के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों का भी उन देशों में पिछले कईं वर्षों से अध्ययन किया जा रहा है और विशेषज्ञों के अनुसार इन ड्रिंक्स की वजह से बच्चों एवं युवाओं को दौरे (seizures) पड़ सकते हैं, उन के हृदय की धड़कन में अनियमितताएं(irregular heart rhythm) आ सकती हैं, उच्च रक्तचाप(high blood pressure) हो सकता है, और यहां तक की इस रिपोर्ट में (जिस का लिंक मैंने ऊपर दिया है) तो यह भी कहा गया है कि इस से मौत तक हो सकती है।

सोचने की बात तो यही है कि अगर कोई खाध्य वस्तु इतने पंगे कर सकती है तो उसे ट्राई ही क्यों किया जाए। और कोई इतनी सस्ती भी नहीं है ये ड्रिंक्स। अपनी देसी पेय पदार्थों में ऐसा क्या है कि वे एनर्जी न दे सकेंगे। सभी खिलाड़ी उन देसी चीज़ों को ही इस्तेमाल कर के पले-बड़े हैं।

ध्यान आ रहा है बाबा रामदेव की दो चार दिन पहले सुनी बात का --- एक सभा को संबोधित करते हुये वे कोल्ड-ड्रिक्स की पोल खोल रहे थे कि किस तरह से ये हमें केवल नुकसान ही पहुंचाती हैं। एक खिलाड़ी का नाम लेकर बच्चों को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि यह जो आप लोग विज्ञापन में उस खिलाड़ी को कोल्ड-ड्रिंक के समर्थन में बोलते सुनते हो ना, यह ड्रिंक्स ये खिलाड़ी लोग स्वयं नहीं पीते, ग्रामीण पृष्टभूमि से आने वाले ये स्टार देसी पेयों को पी-पीकर ही इतने बड़े हो गये कि इन कंपनियों की इन की नज़र पड़ सके।

सोचता हूं कि हर तरफ़ इतना गोरखधंधा चल रहा है कि मैडीकल विषयों के बारे में कंटैंट डिवेल्पमैंट का यही मतलब दिखने लगा है कि आमजन को किस तरह से नईं नईं हानिकारक वस्तुओं के बारे में लगातार जागृत रखा जाए...................मेरे विचार में तो एक बात तो है कि इस तरह की वस्तुएं बनाने वालों के पास इतना अथाह पैसा है कि वे इन की मार्केटिंग के लिये किसी भी हद तक जा सकते है।

लेकिन अगर आम आदमी ने कांटों से अपने आप को बचाना है तो सारी दुनिया पर कारपेट बिछाने की बजाए अगर अपने पैरों में ही चप्पल डाल ली जाए तो बात बन जाती है... है कि नहीं ? केवल जागरूक रहना ही एक हथियार है – यह देखना कि हम क्या खा रहे हैं, क्यों खा रहे हैं, और इस के हमारे शरीर में क्या प्रभाव हो सकते हैं।




5 टिप्‍पणियां:

  1. दारू, कोल्‍ड ड्रिंक और एनर्जी ड्रिंक एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हुए.

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  2. सही कहा आप ने, हमारे बच्चे भी ले आते हे, जब मेरी नजर पडती हे तो मै उन्हे प्यार से फ़िर गुस्से से समझाता हुं, पता नही समझते भी हे या मेरे सामाने ही मुडी हिला कर मुझे खुश कर देते हे, लेकिन इन से नुकसान बहुत होता हे, धन्यवाद

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  3. bahut achi jankari hai jitni banti jaye utani kam hai. apka batane ka tarika kuch kuch RAJIV DIXIT ji se milta hai

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