आज अभी इस वक्त इस भीगी-भीगी सी दोपहर में यह पोस्ट लिखने की इंस्पीरेशन है....दो बिलकुल छोटे छोटे बालक जो अभी 10 मिनट पहने मुझे सड़क के किनारे चलते हुये दिखे....यहां यमुनानगर में इस समय बरसात हो रही है....और ये दो बालक बिलकुल आप के और मेरे बचपन के दिनों की तरह जान-बूझ पर बरसात के खड़े पानी में से उछल-कूद कर जा रहे थे......घुटने तक उन का पायजामा पानी से भीगा हुया था, लेकिन इस की किसी परवाह होती है इस उम्र में। मुझे उन्हें देख कर बहुत ही खुशी हुई कि यार, आज भी कोई तो है हम जैसा जो कि बरसात को इतना एंज्वाय करता है, इक्ट्ठे हुये बरसाती पानी का भी इतना लुत्फ़ उठाता है।
यकीनन हम जैसे जैसे बड़े होते हैं हम लोग बड़ी बड़ी खुशियों की खोज में अपने आसपास बिखरी हुई छोटी छोटी खुशियां रोज़ाना नज़रअंदाज़ करते रहते हैं। उन में से एक बहुत अहम् है....बरसात में भीगना, खूब भीगना ।
सोच रहा हूं कि यह जो आज कल जगह जगह रेन-डांस आर्गेनाइज़ करवाये जाते हैं, इन में कहां बारिश में भीगने जैसी बात होती है। इसलिये मैं सोचता हूं कि जिस किसी का भी बारिश में भीगने का दिल करे उसे कभी भी मना नहीं करना चाहिये।
बारिश का मतलब है कि कुदरत जश्न मना रही है, सारी कायनात झूम रही है, पेड़-पौधे बारिश की फुहार से फूले नहीं समा रहे तो हमें आखिर कौन रोक सकता है !!
हम लोग भी कुछ दिन पहले बारिश में दो-तीन घंटे भीगते रहे थे। बच्चों को इन छोटी छोटी खुशियों से दूर नहीं रखना चाहिये ....बल्कि शुरू शुरू में तो उन्हें खुद इनीशिएट करना चाहिये कि जाओ, बारिश का मज़ा लो। कुछ नहीं होता, न ही ठंडी़ लगती है ...ना ही कोई बीमार होता है, जब कोई अपनी खुशी से कुछ भी कर रहा है तो उसे किसी बात की फिक्र नहीं होती।
एक बार फिर लिख रहा हूं कि आज मुझे उन दोनों बच्चों की मस्ती देख कर बेहद खुशी हुई......शायद मैं अपने बचपन की सुनहरी यादों में कईं खो गया था।
वैसे अगर बारिश में भीगने की कभी इच्छा हो तो ज्यादा सोचना नहीं चाहिये, ....हमारी समस्या ही तो यही है कि दूसरे लोगों के हिस्से का भी हम भी सोचने लगते हैं कि यार, वो क्या कहेंगे............कहेंगे...जो उन का मन करेगा कहेंगे........लेकिन आप को बारिश में भीगने से कौन रोक रहा है।
बारिश में भीगना दो तरह है ...एक तो वह जो आप रास्ते में जाते हुये अचानक बारिश से भीग जाते हैं और दूसरा भीगना वह है जिस के लिये आप पांच-दस मिनट के लिये अपने घर से बाहर आ जाते हैं.....मैं इस दूसरे वाले भीगने की ही बात कर रहा हूं, दोस्तो।
अच्छी पोस्ट है उस्ताद .. वो काग़ज़ की कश्ती ! वो बारिश का पानी !! :D
जवाब देंहटाएंhttp://in.youtube.com/watch?v=j4Z53wXhLA8
बारिश का मतलब है कि कुदरत जश्न मना रही है, सारी कायनात झूम रही है, पेड़-पौधे बारिश की फुहार से फूले नहीं समा रहे तो हमें आखिर कौन रोक सकता है !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है। इसीलिए बारिश में हर दिल दीवाना हो जाता है। आनन्द लीजिए बारिश का।
आपने तो हमें अंदर तक भिगा दिया। वैसे मैं भी दूसरे वाले भीगने की बात कर रहा हूं।
जवाब देंहटाएंडाक्टर साहब, आज दिल्ली में भी रात से झमाझम बारिश हो रही हैं। मै तो सब काम धाम छोड़ एक किताब लाने का बाहाना कर निकल गया बारिश का मजा लेने। किताब तो बाद में भी आ सकती थी बस मन भिगने को कर रहा था। बच्चों को छप छपाछप करते देखा , भीगते देखा। मजदूरों को बारिश मे काम करते देखा। अपने बचपन के दिनों को ढूढ रहा था।
जवाब देंहटाएंबरसात की बात ही कुछ और होती है.
जवाब देंहटाएंपहले तो हमेशा ही इंतज़ार रहता था कि कब बारिश आए और स्कुल जाने से छुट्टी मिले. एक बार स्कुल जाने का समय बीता नहीं कि बारिश में जाकर खेलना शुरू.
बहुत मज़ा आता था.
आपने पुराणी यादें ताज़ा कर दी.
हर वक्त दिल करता ह कि काश!! भीग लेते.
जवाब देंहटाएंabhi kuch din pahle hi maine baarish mein bheegte bachchon ki tasweeren blog par post ki thi....wakai bachpan ki baat hi kuch aur hai.
जवाब देंहटाएं