शनिवार, 10 मई 2008

हिंदी चिट्ठाजगत की सेवा...


कल रात सोने से पहले में दीपक भारतदीप जी के ब्लॉग दीपकबाबू कहिन की एक ताज़ा-तरीन पोस्ट पढ़ रहा था जिस में उन्होंने उड़न तश्तरी ब्लॉग के लेखक श्री समीर लाल जी के अभियान के बारे में लिखा है जिस के अंतर्गत समीर जी हिंदी चिट्ठाजगत की प्रगति के लिये प्रयास कर रहे हैं।
मैं भी पिछले दो तीन दिन से नोटिस तो कर रहा था कि समीर लाल जी की जहां भी टिप्पणीयां दिखती थीं तो साथ में दो-तीन ये लाइनें भी नज़र आती थीं...जिन्हें देख कर यही लगता रहा कि समीर जी बिल्कुल ठीक फरमा रहे हैं, हमें भी तो इस यज्ञ में अपना योगदान देना चाहिये।
समीर जी लिखते हैं कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें ...यही हिंदी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है। वह आगे लिखते हैं कि एक नया चिट्ठा किसी नये व्यक्ति से भी शुरू करवायें और हिंदी चिट्ठों की संख्या और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
मैं अपनी ही बात बताता हूं...मुझे इंस्क्रिप्ट हिंदी टाइपिंग तो पिछले पांच-छः साल से आती है लेकिन मुझे यह हिंदी ब्लॉगिंग के बारे में बिलकुल पता न था ....पता तब लगा जब मेरा 16वर्षीय बेटा कुछ सर्च कर रहा था तो उसे रवि रतलामी जी का हिंदी ब्लॉग दिखा जिस के बारे में उस ने मुझे बतलाया कि हिंदी में भी ब्लॉगिंग शुरु हो चुकी है। फिर एक –दो दिन बाद ही उस ने बताया कि अब नेट पर सीधे ही हिंदी में भी लिखा जा सकता है......और मैंने भी इंस्क्रिप्ट स्टाइल से ट्राई किया तो सफलता मिली और इस तरह से मैंने ब्लॉगिंग की दुनिया में पांव रखा।
अब इस पोस्ट के माध्यम से मैं कुछ सुझाव आप सब बलॉगरवीरों को देना चाहता हूं( यह शब्द ब्लागरवीर मैंने लवली कुमारी जी के ब्लोग से चुराया है, मुझे अच्छा लगा था कि किसी ने हम लोगों को वीर तो कहा !!!)……ऐसा समझता हूं कि देश-विदेश में बहुत से लोग हिंदी चिट्ठाजगत में कूदना तो चाहते हैं लेकिन शायद उन्हें भी मेरी तरह इस के बारे में जानकारी नहीं है।
----सब से पहला सुझाव तो मेरा यही है कि आप सब लोग मिल कर एक दो-तीन पेज का हिंदी चिट्ठों के बारे में एक परिचय सा तैयार करें। आप सब लोग कलम के मंजे हुये खिलाड़ी हैं ....इस काम में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिये।
होता हूं है ना कि किसी को हिंदी चिट्ठों के बारे में पूरे विस्तार से बतलाना मुझ जैसे कम-पेशेन्स वाले बंदों के लिये थोड़ा मुश्किल सा काम लगता है । अगर हम लोग दो –तीन पेज का एक डाक्यूमैंट तैयार कर के रखें और इस के प्रिंट-आउट हम अपने पास रखें और जहां भी ज़रूरत हो इसे अपने मित्रों, संबंधियों एवं परिचितों में बांटते चलें ताकि दूसरे लोगों को इस हिंदी चिट्ठाकारी का पता लग सके।
इन दो –तीन पन्नों में पहले तो यही बताया गया हो कि आप कंप्यूटर पर हिंदी बिना हिंदी टाइपिंग सीखे हुये भी लिख सकते हैं......यह यूनिफोंट, कृतिदेव आदि के बारे में भी बताया जाना चाहिये---सीधे सादे शब्दों में और संक्षेप में।
उस के बाद ब्लागिंग के बारे में थोड़ा बतलाया जाना चाहिये और हिंदी में ब्लागिंग के बारे में भी कुछ लिखा जाना चाहिये।
सोच रहा हूं कि कईं धुरंधर लेखक और साहित्यकार हैं जिन्हें कंप्यूटर-नेट से कुछ भी लेना देना नहीं है...इन लोगों के लिये हम इंक-ब्लोगिंग कंसैप्ट की भी बात करनी चाहिये कि शुरूआत तो आप हस्त-लेखन से भी कर सकते हैं।
हमें यह प्रचार-प्रसार खास कर ऐसी जगहों पर करना चाहिये जहां हिंदी के प्रतिभाशाली चाहवान पाये जाने की विशेष उम्मीद होती है जैसे कि विश्वविद्यालयों के हिंदी विभाग, पत्रकारिता संस्थानों के छात्र आदि आदि......देखा जाये तो रास्ते तो बहुत हैं लेकिन बस हमारे मन में हिंदी चिट्ठों की सेवा करने की तमन्ना होनी चाहिये।
यह जो दो-तीन पन्नों का डाक्यूमैंट तैयार हो उस में अगर थोड़ा सा वैब-राइटिंग के कायदों के बारे में भी थोड़ी बात कर ली जाये तो बेहतर होगा।
मुझे तो यह भी लग रहा है कि इस तरह की कोई सामूहिक ब्लाग ही हम लोग क्यों न शुरू करें जिस में हम लोग हर नये आने वाले का स्वागत करें और अपने तजुर्बे उस के साथ बांट कर उसे उत्साहित करें क्योंकि शुरू शुरू में यह हौंसला-अफज़ाई की बहुत ज़्यादा ज़रूरत रहती है।
मुझे लगता है कि ऐसी कुछ चिट्ठे पहले से ही हैं तो जिन में हिंदी ब्लागिंग के विभिन्न पहलुओं की जानकारी हिंदी में दी तो गई है.....लेकिन वे तो हो गई पोथियां.......हमें नये लोगों को इधर खींचने के लिये एक कायदा( छोटी सी पुस्तक जिस हम लोग पहली क्लास में पढ़ते थे जिस में टेबल्स और वर्णमाला रहती थी....कुछ कुछ याद आया???)….भी तो तैयार करना होगा।
हां, अगर हिंदी ब्लागिंग से परिचय करवाने हेतु जो हम दो-तीन पन्ने तैयार करें अगर उस को अंग्रेज़ी वर्ज़न भी साथ हो तो अच्छा होगा....क्योंकि कुछ लोगों को इतने वर्षों बाद हिंदी जगत में वापिस आने में थोड़ी दिक्कत होना स्वाभाविक ही तो है।
जाते जाते मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि ठीक है नेट पर तो सूचनाओं का अंबार है लेकिन हम-आप सब लोग मिल कर जो पिछले कुछ अरसे से इस हिंदी चिट्ठाजगत की चारागाह में चरते चले जा रहे हैं हम क्यों ना मिल जुल कर हिंदी चिट्ठाजगत के बारे में दो-तीन पन्नों तैयार करें और फिर उन के चालीस-पचास प्रिंट आउट निकाल कर अपने पास रखें जिन्हें किसी भी जिज्ञासु को थमा दिया जाये। और हां, इन पन्नों में हिंदी चिट्ठों के ऐग्रीगेटर्ज़ के बारे में बताया जाना ज़रूरी है।
अब यह सुझाव मन में आ रहा था लिख दिया है.....अब गेंद आप सब के पाले में है.....आप क्या कहते हैं ?....लेकिन एक बात तो तय है कि आंकड़े तो बहुत हैं कि इस साल के अंत तक इतने हिंदी ब्लाग हो जायेंगे, अगले साल के अंत तक इतने हो जायेंगे और हिंदी चिट्ठाकार इतनी इतनी कमाई करनी भी शुरू कर देंगे....लेकिन क्या यह हम सब के हाथ-पैर मारे बिना संभव हो जायेगा.......कहीं ये भी कोरे भविष्यवाणी के आंकड़े ही ना बन कर रह जायें............इसलिये कुछ तो सक्रिय भूमिका इस में भी हमें निभानी होगी..........और यह भूमिका क्या होगी...यह हम सब मिल जुल कर तय करेंगे !!!

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सारे लेख हैं ऐसे। लिंक मिल जायेंगे खोजिये। ई-पंडित का ब्लाग, रविरतलामी का ब्लाग, अक्षरग्राम ,सर्वज्ञ देखिये मिलेंगे।

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  2. सही कहा अनूपजी ने. ऐसे बहुत सारे लेख पहले से ही तैयार हैं.
    आपका सुझाव बहुत अच्‍छा है. बहुत समय पहले हिंदी ब्‍लागर्स ने अपने-अपने स्‍थानीय पत्र-पत्रिकाओं में हिंदी ब्‍लागिंग की जानकारी देते हुए लेख भी लिखे थे.

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  3. मैं आपसे सहमत हूं। सुकुल तो ब्लॉगवीर की तरह पल्ला झाड़ गये। पर असल में नये आदमी को ये सब लिंक खोजने में भी जोर लगता है। तकनीक जानने वाले को एक ब्लॉग कायदा बनाना चाहिये। नहीं तो हमारी तरह बिट बाइ बिट जुगाड़ कर काम चलाने में बहुत धैर्य लगता है।

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  4. बहुत जरूरी है एक ऐसी पुस्तक जिसमें नये ब्लॉगरों के लिये बिलकुल आसान शब्दों में एक ही जगह चित्रों सहित ब्लॉगिंग की प्रारंभिक जानकारी हो, अनूप जी ठीक फरमा रहे हैं, कई लिंक ऐसे हैं जहां इस तरह की जानकारी मौजूद है लेकिन उनकी भाषा नये ब्लॉगरों के लिये खासकर उन लोगों के लिये जिन्हें हिन्दी टाइपिंग का ज्ञान कम है या जो कृतिदेव (रेमिंगटन) में टाइप करते हैं बहुत भ्रमित करती है।
    मैं रेमिंगटन में ऑफलाइन टाइप करता हूं और मुझे कम्प्यूटर ऑपरेटिग का अच्छा खासा ज्ञान होने के बाद भी दो माह खराब करने पड़े थे तब हिन्दी टाइप पर पकड़ हो पाई थी। एक समय तो ऐसा आया था जब मेरा मन भी (कृतिदेव फोंट यूनीकोड में परिवर्तित न होने पर)उचटने लगा था परंतु ध्ौर्य रखने तथा दीपक जी जैसे ब्लॉगरों की मदद से अब सब ठीक है। ऐसी एक पुस्तक तैयार होनी ही चाहिये।

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  5. जितनी जरूरत है उससे अधिक बहुत पहले से ही लिखा जा चुका है, एक काम को ही दोहराते रहने से अच्छा है, जो है उसे ही बढ़ाया जाय. आप सर्वज्ञ पर जायें. रविरतलामी के चिट्ठे पर ढ़ेर सारी लिंके है.

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  6. सुझाव अच्छा है....... आपको, समीर जी को हिन्दी ब्लोगिंग को आगे बढाने वाले सभी साथियों को शुभकामनाएं....

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  7. समीर जी बधाई के पात्र है। आप भी जो आपने उनकी अपील को अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया। अभी हिन्दी ब्लगिंग की राह कठिन है। जिद्दी किस्म के लोग ही यहाँ टिके है अन्यथा आम लोगो के हिसाब से यह अब भी एक तकनीकी काम है। मैने बहुत से नये ब्लाग बनवाये पर ज्यादातर निष्क्रिय रहे तकनीक के सामने। सक्रिय ब्लागरो के साथ गूगल के तकनीक एक्सपर्ट बैठे तो कुछ राह निकल सकती है।

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  8. चोपड़ाजी, 'ब्लॉगवीर' शब्द सबसे पहले मैंने दिलीप मंडल के 'रिजेक्ट माल' ब्लॉग आयी एक पोस्ट पर लिखी अपनी टिप्पणी में इस्तेमाल किया था. वह मेरे नवम्बर, २००७ के आख़िरी हफ्ते में ख़ुद का ब्लॉग शुरू करने से पहले की बात है. सम्भव है मुझसे पहले भी और किसी ने किया हो!

    वैसे आपका यह सुझाव सराहनीय एवं विचारयोग्य है.

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  9. नि संदेह सुझाव बहुत अच्छा है।

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  10. मैं आपसे सहमत हूँ कि इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिऐ.
    दीपक भारतदीप

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  11. आपसे बिल्कुल सहमत.साउदी अरब में जहाँ औरते पति के बगैर बाहर नहीं जा सकती , उनके लिए इस तरह का प्रयास किया जा सकता है. अगले महीने ही हम जा रहे हैं और उससे पहले ब्लॉग बनाने का एक सरल रेखाचित्र बना लेंगे. आपका आभार

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  12. हम जैसे नौसिखिये भी जब ठान लेंगे तो तकनीक की क्या मजाल जो पल्ला छुड़ा ले? बस ब्लॉगरी का कीड़ा तो काटने दीजिये। इस मेले में दुकान लगाने के लिये नये व्यापारी तलाशना तो ठीक है; लेकिन अच्छी बात यह है कि यहाँ घूमने आने वाले ‘मेलहरू’ भी झट दुकान सजाने लगते हैं, बशर्ते उन्हें कोई जमा हुआ वीर-ब्लॉगर जगह दिखा दे।
    समीर जी के प्रेरणा-प्रयास को मेरा पूरा समर्थन…

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  13. मेरे अभियान को प्रसार देने में आपका यह योगदान साधुवाद का पात्र है. बाकि सारी लिन्कस एक जगह लाने का सुझाव भी बेहतर होगा सब की मदद के लिए. नया लिखने की जरुरत नहीं मगर एक जगह एकत्रत करना ठीक है.


    आभार.

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इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...