यूरोप में साढ़े तीन लाख लोगों पर एक स्टडी की गई है जिस से पता चला है कि अगर किसी व्यक्ति का बॉडी मॉस इंडैक्स ( body mass index) नार्मल रेंज में भी हो लेकिन उस की कमर का साईज बड़ा है तो भी उस का समय से पहले ही इस दुनिया से विदा लेने का रिस्क दोगुना हो जाता है। यह अध्ययन अमेरिकी मैगज़ीन न्यू इंगलैड जर्नल ऑफ मैडीसन में प्रकाशित हुआ है।
इस अध्ययन में इसी बात को रेखांकित किया गया है कि जिन लोगों का वज़न न तो वैसे ज़्यादा है ( not overweight) और न ही वे मोटापे (obesity) से ग्रस्त हैं, अगर इन में भी कमर के इर्द-गिर्द ज़्यादा चर्बी डेरा जमाये हुये है तो यह भी इन की सेहत के लिये एक अच्छा खास खतरा है। इस अध्ययन के शोधकर्त्ताओं ने यह सिफारिश की है कि लोगों का सामान्य चैक-अप करते समय डाक्टरों को उन का बॉडी मॉस इंडैक्स पता करने के साथ साथ उन की कमर एवं हिप्स का भी माप लेना चाहिये।
बहुत ही ध्यान देने योग्य बात यह है कि जब एक जैसे बॉडी मॉस इंडैक्स वाले लोगों की तुलना की गई तो पाया गया कि जैसे ही उन के कमर का घेरा बढ़ा, उन का समय से पहले इस जहां से उठने का रिस्क भी काफ़ी बढ़ गया। अध्ययन में बताया गया है कि छोटी कमर ( 80सैटीमीटर से कम पुरूषों में और 65 सैंटीमीटर से कम महिलाओं में) वाले लोगों की तुलना में बड़ी कमर ( 120 सैंटीमीटर से ज़्यादा पुरूषों में और 100 सैटीमीटर से ज़्यादा स्त्रीयों में) वालों में प्री-मैच्योर संसार से अलविदे करने का रिस्क दोगुना हो जाता है। बॉडी मॉस इंडैक्स से आम तौर पर हम लोग यह देखते हैं कि क्या आदमी का वज़न नार्मल है।
अध्ययन के अनुसार कमर के घेरे में प्रत्येक 5 सैंटीमीटर का बढ़ोत्तरी मृत्यु के रिस्क को पुरूषों में 17 फीसदी और महिलाओं में 13 फीसदी बढ़ा देती है।
और मृत्यु के इस बढ़े हुये रिस्क की वजह यह बताई जा रही है कि इस कमर के इर्द-गिर्द जमा हुई पड़ी चर्बी कुछ इस तरह के साइटोकाइन्स, हारमोन्स एवं मैटाबॉलिक तौर पर सक्रिय पदार्थ उत्पन्न करती है जिन की क्रॉनिक बीमारियां पैदा करने में बहुत भूमिका है और इन बीमारियों में खास कर हार्ट से संबंधित बीमारियां एवं कैंसर जैसे रोग विशेष रूप से शामिल हैं।
स्टडी का विशेष निष्कर्ष यह भी निकलता है कि किसी बंदे में प्री-मैच्योर मृत्यु के रिस्क को बढ़े हुये वजन के साथ साथ यह बात भी बेहद प्रभावित करती है कि आखिर यह चर्बी जमा शरीर के किस भाग में है।
सुबह सुबह मैं भी कितना फीका सा टॉपिक पकड़ कर बैठ गया ---आप तो बस फिक्र-नॉट की एक टैबलेट ले लें और इस के लिये ठीक इसी वक्त ब्लागिंग को केवल आधे घंटे के लिये विराम देते हुये अपने वाकिंग-शूज़ पहन कर टहलने निकल पड़िये । बाहर मौसम बहुत अच्छा है.....तो अभी भी आप कुछ सोच रहे हैं .......प्लीज़ उठिये और घर के बाहर आइए -----देखिये, मैं भी उठ रहा हूं !!
इस अध्ययन में इसी बात को रेखांकित किया गया है कि जिन लोगों का वज़न न तो वैसे ज़्यादा है ( not overweight) और न ही वे मोटापे (obesity) से ग्रस्त हैं, अगर इन में भी कमर के इर्द-गिर्द ज़्यादा चर्बी डेरा जमाये हुये है तो यह भी इन की सेहत के लिये एक अच्छा खास खतरा है। इस अध्ययन के शोधकर्त्ताओं ने यह सिफारिश की है कि लोगों का सामान्य चैक-अप करते समय डाक्टरों को उन का बॉडी मॉस इंडैक्स पता करने के साथ साथ उन की कमर एवं हिप्स का भी माप लेना चाहिये।
बहुत ही ध्यान देने योग्य बात यह है कि जब एक जैसे बॉडी मॉस इंडैक्स वाले लोगों की तुलना की गई तो पाया गया कि जैसे ही उन के कमर का घेरा बढ़ा, उन का समय से पहले इस जहां से उठने का रिस्क भी काफ़ी बढ़ गया। अध्ययन में बताया गया है कि छोटी कमर ( 80सैटीमीटर से कम पुरूषों में और 65 सैंटीमीटर से कम महिलाओं में) वाले लोगों की तुलना में बड़ी कमर ( 120 सैंटीमीटर से ज़्यादा पुरूषों में और 100 सैटीमीटर से ज़्यादा स्त्रीयों में) वालों में प्री-मैच्योर संसार से अलविदे करने का रिस्क दोगुना हो जाता है। बॉडी मॉस इंडैक्स से आम तौर पर हम लोग यह देखते हैं कि क्या आदमी का वज़न नार्मल है।
अध्ययन के अनुसार कमर के घेरे में प्रत्येक 5 सैंटीमीटर का बढ़ोत्तरी मृत्यु के रिस्क को पुरूषों में 17 फीसदी और महिलाओं में 13 फीसदी बढ़ा देती है।
और मृत्यु के इस बढ़े हुये रिस्क की वजह यह बताई जा रही है कि इस कमर के इर्द-गिर्द जमा हुई पड़ी चर्बी कुछ इस तरह के साइटोकाइन्स, हारमोन्स एवं मैटाबॉलिक तौर पर सक्रिय पदार्थ उत्पन्न करती है जिन की क्रॉनिक बीमारियां पैदा करने में बहुत भूमिका है और इन बीमारियों में खास कर हार्ट से संबंधित बीमारियां एवं कैंसर जैसे रोग विशेष रूप से शामिल हैं।
स्टडी का विशेष निष्कर्ष यह भी निकलता है कि किसी बंदे में प्री-मैच्योर मृत्यु के रिस्क को बढ़े हुये वजन के साथ साथ यह बात भी बेहद प्रभावित करती है कि आखिर यह चर्बी जमा शरीर के किस भाग में है।
सुबह सुबह मैं भी कितना फीका सा टॉपिक पकड़ कर बैठ गया ---आप तो बस फिक्र-नॉट की एक टैबलेट ले लें और इस के लिये ठीक इसी वक्त ब्लागिंग को केवल आधे घंटे के लिये विराम देते हुये अपने वाकिंग-शूज़ पहन कर टहलने निकल पड़िये । बाहर मौसम बहुत अच्छा है.....तो अभी भी आप कुछ सोच रहे हैं .......प्लीज़ उठिये और घर के बाहर आइए -----देखिये, मैं भी उठ रहा हूं !!
डाक्टर साहब आपने बैठा लिया। हम तो उठ गये थे।
जवाब देंहटाएंडाक्टर साहब, और चिट्ठे भी पड़ने हैं। शाम को घूम आएँ तो क्या ठीक नहीं रहेगा।
जवाब देंहटाएंचलिये, हम तो सवेरे घूम आये थे!
जवाब देंहटाएंअरे बाप रे !! अब मेरा क्या होगा ?
जवाब देंहटाएंआप ऐसी सलाह देने पर भी विचार करें कि आजकल वज़न कम करने के लिए जो ज़ाउना बेल्ट या चाईनीज़ टी आदि के प्रयोग की डॊक्टर्ज़ के हवाले से सलाह दी जाती है, उन सब का कोई साईड एफ़ेक्ट होता है? एक मोर्निंगवॊकर भी चला हुआ है, जो बहर घूमने न जा सकें। ऐसी सब चीजों का उपयोग कितना निरापद या कितना लाभकारी है, जानने की इच्छा है। किसी महिला का वजन यदि ४० पार करते ही यकायक २० किलो तक बढ़ जाए, तो ऐसी भी समस्याएँ किस तरह हल हो सकते हैं.... आदि मुद्दे भी आपके ब्लॊग की भावी पोस्ट में देखने जानने की इच्छा है।
जवाब देंहटाएंjaankari achchee hai..
जवाब देंहटाएंHamare indian khaney mein agar sudhaar laya jaye to yah samsya kam ho sakti hai--hum logon ke food habits bhi wrong hain -tala bhuna-mithayeeyan--spicy khaana band kar dena chaheeye-
--exercises ki baat alag hai hi--
aap ko maluum hoga ki China mein log is baare mein bahut hi conscious hain..aur aap ko wahan koi PEt nikla[toond wala]:D- chinese nazar nahin aayega..
wahan ki police mein to strict rule hai un ki kamar naapi jaati hai har mahine aur 34[?] yaad nahin] se jyada kamar hone par par naukari se nikaala ja sakta hai--
agar aisa rule India mein bhi aa jaye to???:D