बुधवार, 13 जुलाई 2011

यौन-रोग सूज़ाक की बेअसर होती दवाईयां

क्या सूज़ाक का नाम नहीं सुना? – ये जो लोग पहले सिनेमाघरों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों के बाहर हर किसी को एक इश्तिहार सा थमाते दिखते थे – जिस में किसी खानदानी नीम हकीम द्वारा हर प्रकार के गुप्त-रोग का शर्तिया इलाज का झांसा दिया जाता था, उस लिस्ट में कितनी बार लिखा तो होता था – आतशक-सूज़ाक जैसे रोग भी ठीक कर दिये जाते हैं। खैर वे कैसे ठीक करते हैं, अब सारा जग जानता है, केवल मरीज़ को उलझा के रखना और उन से पैसे ऐंठना ही अगर झोलाछापों का ध्येय हो तो इन से बच के रहने के अलावा कोई क्या करे।

हां, तो इस योन रोग सूज़ाक को इंगलिश में ग्नोरिया रोग (Gonorrhoea) कहते हैं – समाचार जो कल दिखा है वह यह कि इस रोग के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाईयां बेअसर हो रही हैं और आने वाले समय में इस का इलाज करना मुश्किल हो जायेगा--- जब दवाईयां ही काम नहीं करेंगी तो इलाज क्या होगा!!

थोड़ा सा इस रोग के बारे में – यह रोग किसी संक्रमित व्यक्ति से संभोग से फैलता है और यह केवल vaginal sex से ही नहीं बल्कि ओरल-सैक्स एवं एनल सैक्स (मुथमैथुन एवं गुदा-मैथुन) से भी फैलता है। तो इस के लक्षण क्या हैं? –इस के लक्षणों के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि लगभग 50फीसदी महिलाओं में तो इस के कोई लक्षण होते ही नहीं हैं, लेकिन 2 से 5 प्रतिशत पुरूषों में इस के कोई लक्षण नहीं होते।

इस के ऊपर भारतीयों की एक और विषम समस्या --- वे अकसर इन रोगों को छोटे मोटे समझ कर या झिझक की वजह से किसी क्वालीफाइड डाक्टर से मिल कर न तो इस का आसान सा टैस्ट ही करवाते हैं और न ही इस के लिये कुछ दिन दवाईयां लेकर इस से मुक्ति ही हासिल कर पाते हैं। नतीजतन यह रोग बढ़ता ही रहता है ... और महिलाओं में तो बांझपन तक की नौबत आ जाती है ...और भी बहुत सी परेशानियां – जैसे पैल्विक इंफेमेटरी डिसीज़(pelvic inflammatory disease), पेशाब में जलन आदि हो जाती हैं।

पुरूषों में भी इस रोग की वजह से पेशाब में जलन (पेशाब की जलन के बहुत से अन्य कारण है, केवल पेशाब की जांच से ही कारण का पता चल सकता है), अंडकोष में सूजन और गुप्तांग से डिस्चार्ज हो सकता है। लेकिन इन नीम हकीमों के चक्कर में सही इलाज से दूर ही रहा जाता है।

विश्व भर के हैल्थ विशेषज्ञों की यही राय है कि ऐसे यौन-जनित रोग जिन का इलाज नहीं करवाया जाता ये रोग एचआईव्ही संक्रमण को बढ़ावा देने में भी मदद करते हैं—क्योंकि इन की वजह से यौन अंगों पर जो छोटे मोटे घाव, फोड़े, फुंसियां होते हैं वे एचआईव्ही वॉयरस को शरीर में प्रवेश करने का एक अनुकूल वातावरण उपलब्ध करवाते हैं।

तो इस खबर पढ़ कर हरेक का यह कर्तव्य बनता है कि इस के बारे में जितनी भी हो सके जनजागरूकता बढ़ाए ताकि अगर किसी को इस तरह की कोई तकलीफ है भी तो वह उस से जल्द से जल्द निजात पा सके....फिर धीरे धीरे इस के जीवाणु इतने ढीठ (drug resistance) होने वाले हैं कि पछताना पड़ सकता है।

इस तरह के रोग अमीर देशों में बहुत हैं यह हम लोग अकसर देखते पढ़ते हैं ...बेपरवाह उन्मुकता जैसे बहुत से अन्य कारणों (जिन्हें आप जानते ही हैं) में से एक कारण यह भी है कि वहां लोग इस तरह के टैस्ट करवा लेते हैं ...लेकिन भारत में पहले तो ढंग के डाक्टर (मतलब क्वालीफाइड) के पास जाता ही नहीं और अगर वहां चला भी गया तो बहुत बात टैस्ट और दवाईयां करवाने लेने के लिये टालमटोल करता है, चलो थोड़ा दिन और देशी दवाई खा कर देख लेते हैं ...इन हालातों में वह आगे से आगे यह रोग तो संचारित करता ही है, अपना तो ऩुकसान करता ही है।
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