निःसंदेह यह एक पागलपंथी नहीं तो और क्या है कि दूषित सिरिंज से आम जनता पर हमला किया जाये। आज की दा हिंदु में यह खबर देख कर बहुत ही दुख हुआ कि किस तरह से एच-आई.व्ही संक्रमित सिरिंजों से लोगों पर हमला कर के चीन में 500 से भी ज़्यादा लोगों को आतंकित किया गया है। जी हां, यह एक आतंक ही है, और इस की सख्त से सख्त सज़ा होनी चाहिये। पता नहीं कैसी कैसी पागलपंथी, जूनून लोग पाल लेते हैं।
खबर में आप ने भी पढ़ा ही होगा कि जितने लोग भी इस तरह के हमलों से जृख्मी हुये हैं उन में से किसी को किसी को इंफैक्शन तो नहीं है लेकिन उन के ज़ख्मों का इलाज कर दिया गया है।
मैं इस बात से सहमत नहीं हूं ---क्योंकि मैं इस बात को भली-भांति जानता हूं कि जब किसी व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई नीडल किसी को चुभती है तो फिर क्या बीतती है ---मैं तो हैल्थ संस्थानों में इस तरह के हादसों की बात कर रहा हूं लेकिन चीन में तो एक तरह से आतंकी गतिविधि के रूप में किसी सीधे-सादे बंदे के शरीर में दूषित सूईं घोंपी जा रही है।
इस तरह की वारदातों के कुछ ही दिनों के भीतर यह कह देना कि किसी को इन से इंफैक्शन नहीं हुई ---यह उचित नही ंहै। क्योंकि एच-आई-व्ही एवं हैपेटाइटिस बी, सी जैसे इंफैक्शन हैं जिन के बारे में कम से कम इस तरह की चोट लगने के कुछ हफ़्तों बाद ही पता चलता है। इसलिये इस तरह की पागलपंथी को जितना जल्दी हो सके रोका जाना चाहिये।
मैं जानता हूं एक डाक्टर को जिसे किसी मरीज़ को इंजैक्शन लगाते वक्त सूँई चुभ गई थी ---लेकिन जब उस मरीज़ के रक्त की जांच करवाई गई तो उस साथी के पैरों तले से ज़मीन निकल गई थी ----वह मरीज़ एचआईव्ही संक्रमित था। इसलिये तुरंत उस डाक्टर की कुछ हफ़्तों के लिये दवाईयां देनी शुरू की गईं ताकि अगर शरीर में कोई वॉयरस का कण चला भी गया है तो भी उस को जड़ से खत्म कर दिया जाये ----छः महीने तक टैस्ट होते रहे तब जा कर कही ंपता चला कि सब कुछ ठीक ठाक है और इन छः महीनों के दौरान उस डाक्टर की मनोस्थिति मैं ब्यां नहीं कर सकता ।
बार बार ऐसा लिखने का अभिप्रायः केवल इतना ही है कि यह दूषित सिरिंज से हमला करने वाली आतंकी वाले भी खूंखार आतंकी ही हैं ----- और जिस तरह से उस डाक्टर को दवाईयां शूरू की गईं और उस के टैस्ट छः महीने तक चलते रहे, ऐसा इस तरह के आतंकी हमले के हर शिकार के साथ कैसे हो पाता होगा। सब से पहले तो किसी को यह ही नहीं पता होगा कि जिस दूषित सिरिंज से यह वार किया गया था वह किन किन बीमारियों के विषाणुओं से लैस थी ------इसलिये आओ सब मिल कर प्रार्थना करें कि यह इश्वर इन सिरफिरों के दिल में थोड़ी करूणा पैदा करे।
वैसे इन चीनी आतंकियों की बात तो हम ने कर ली, लेकिन सोचने की बात यह भी है कि हमारे ही देश में जो लोग इस डिस्पोज़ेबल सिरिंजों एवं सूईंयों की री-साईक्लिंग करते हैं ---- क्या वे आतंकी नहीं है ? ...क्यों नहीं, ये भी सब के सब आतंकी हैं। चीनियों ने कह दिया की 530 केस हुये है ंपिछले दिनों लेकिन इन री-साईक्लिंग करने वाले दरिंदों के कितने लाखों-करोड़ों लोग शिकार हो चुके होंगे या रोज़ाना होते होंगे, ये आंकड़े किसी भी सरकारी फाइल
में नहीं मिलेंगे ------- इस मुद्दे पर कोई भी सूचना का अधिकार कानून काम ही नहीं करेगा !!
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