जटरोफा कुरकास(जंगली अरंडी) सारे भारतवर्ष में पाया जाने वाला एक आम पौधा है। जटरोफा के बीजों में 40प्रतिशत तक तेल होता है। इससे बायोडीज़ल प्राप्त करने हेतु सैंकड़ों प्रोजेक्ट चल रहे हैं। जटरोपा के बीजों से प्राप्त तेल मनुष्य के खाने योग्य नही होता।
जटरोपा के विषैले गुण इस में मौजूद कुरसिन एवं सायनिक एसिड नामक टाक्स-एल्ब्यूमिन के कारण होते हैं। वैसे तो पौधे के सभी भाग विषैले होते हैं लेकिन इन के बीजों में इस की सर्वाधिक मात्रा होती है। इन बीजों को खा लेने के पश्चात शरीर में होने वाले दुःप्रभाव मूल रूप से पेट एवं आंतों की सूजन के कारण उत्पन्न होते हैं।
गलती से जटरोफा के बीज खा लेने की वजह से बच्चों में इस तरह के हादसे आए दिन देखने-सुनने को मिलते रहते हैं। इन आकर्षक बीजों को देख कर बच्चे अनायास ही इन्हें खाने को उतावले हो उठते हैं।
इस के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि इस पौधे के कितने बीज खाने पर विषैलेपन के लक्षण पैदा होते हैं। कुछ बच्चों की तो सिर्फ तीन बीज खा लेने ही से हालत पतली हो जाती है, जब कि कुछ अन्य केसों में पचास बीज खा लेने पर भी बस छोटे-मोटे लक्षण ही पैदा हुए। धारणा यह भी है कि इन बीजों को भून लेने से विष खत्म हो जाता है, लेकिन भुने हुए बीज खाने पर भी बड़े हादसे देखने में आये हैं।
उल्टियां आना एवं बिल्कुल पानी जैसे पतले दस्त लग जाना इन बीजों से उत्पन्न विष के मुख्य लक्षण हैं। पेट-दर्द, सिर-दर्द, बुखार एवं गले में जलन होना इस के अन्य लक्षण हैं। इस विष से प्रभावित होने पर अकसर बहुत ज्यादा प्यास लगती है। इस के विष से मृत्यु की संभावना बहुत ही कम होती है।
क्या करें ..........
बेशक जटरोफा बीज में मौजूद विष को काटने वाली कोई दवा (एंटीडोट) नहीं है, फिर भी अगर बच्चे ने इन बीजों को खा ही लिया है तो आप घबराएं नहीं।
बच्चे को किसी चिकित्सक के पास तुरंत ले कर जाएं। अगर बच्चा सचेत है, पानी निगल सकता है तो चिकित्सक के पास जाने तक भी उसे पेय पदार्थ (दूध या पानी) पिलाते रहें जिस से कि पेट में मौजूद विष हल्का पड़ जाए। चिकित्सक के पास जाने के पश्चात् अगर वह जरूरी समझते हैं तो अन्य दवाईयों के साथ-साथ वे नली द्वारा (IV fluids)कुछ दवाईयां शुरू कर देते हैं। इस अवस्था का इलाज सामान्यतयः बहुत सरल है। 6घंटे के भीतर अकसर बच्चे सामान्य हो जाते हैं।
रोकथाम---------------बच्चों को इन बीजों के बारे में पहले से बता कर रखें। उन्हें किसी भी पौधे को अथवा बीजों को ऐसे ही खेल-खेल में खा लेने के प्रति सचेत करें। स्कूल की किताबों में इन पौधों का विस्तृत वर्णन होना चाहिए। अध्यापकों को भी कक्षाओं में बच्चों को इन बीजों से संबंधित जानकारी देते रहना चाहिए।