इस चाकू का नाम का ...गामा चाकू (Gamma Knife)… कहने को तो चाकू है लेकिन न ही तो इस में कोई ब्लेड है और न ही इस से कुछ कट लगाया जाता है। एम्स में यह चाकू 14 वर्षों के बाद आया है और इस की कीमत 28 करोड़ रूपये है ..वहां पर पहले एक गामा नाईफ़ 1997 में खरीदा गया था। आखिर इस चाकू से होता क्या है....इस चाकू का इस्तेमाल मस्तिष्क के आपरेशन करने के लिये किया जाता है लेकिन कोई कट नहीं, कोई चीरा नहीं ...फिर कैसे हो पाता है फिर यह आप्रेशन।
दरअसल इस गामा नाईफ से एक ही बार में, हाई-डोज़ विकिरणें (high-dose radiation) मस्तिष्क के बीमार भाग पर डाली जाती हैं ताकि उस का सफाया किया जा सके---यह बिल्कुल एक आटोमैटिक प्रक्रिया होती है और बस एक बटन दबाने से ही सारा काम हो जाता है। समय की बचत तो होती ही है और इस से बहुत से मरीज़ों का इलाज किया जा सकता है।
सर्जरी से संबंधित सभी कंप्लीकेशन से तो मरीज़ बच ही जाता है, साथ ही जल्द ही अस्पताल से उसे छुट्टी भी मिल जाती है और शीघ्र ही अपने काम पर भी लौट जाता है। एक मरीज़ के लिये एम्स में इस का खर्च 75000 हज़ार रूपये आता है .. यह उस खर्च का एक तिहाई है जो किसी मरीज़ को इस इलाज के लिये प्राइव्हेट अस्पताल में खर्च करना पड़ता है।
Source : Quick surgeries at AIIMS
दरअसल इस गामा नाईफ से एक ही बार में, हाई-डोज़ विकिरणें (high-dose radiation) मस्तिष्क के बीमार भाग पर डाली जाती हैं ताकि उस का सफाया किया जा सके---यह बिल्कुल एक आटोमैटिक प्रक्रिया होती है और बस एक बटन दबाने से ही सारा काम हो जाता है। समय की बचत तो होती ही है और इस से बहुत से मरीज़ों का इलाज किया जा सकता है।
सर्जरी से संबंधित सभी कंप्लीकेशन से तो मरीज़ बच ही जाता है, साथ ही जल्द ही अस्पताल से उसे छुट्टी भी मिल जाती है और शीघ्र ही अपने काम पर भी लौट जाता है। एक मरीज़ के लिये एम्स में इस का खर्च 75000 हज़ार रूपये आता है .. यह उस खर्च का एक तिहाई है जो किसी मरीज़ को इस इलाज के लिये प्राइव्हेट अस्पताल में खर्च करना पड़ता है।
Source : Quick surgeries at AIIMS