पाबला जी, सति श्री अकाल -
सब से पहले तो आप का धन्यवाद इस बात के लिये करना चाहूंगा कि आप ने मेरा एक लेख पढ़ने के बाद उस पर एक बहुत अच्छी पोस्ट लिखी – उसे पढ़ कर बहुत अच्छा लगा – मैं यह केवल औपचारिक तौर पर ही नहीं कह रहा हूं बल्कि आप के साथ विस्तार से अपने विचार बांटने की कोशिश करता हूं।
जब कोई हमारे लेखन के बारे में बताता है तो मैं समझता हूं वह हिंदी भाषा के साथ साथ हमारी भी बहुत सेवा कर रहा है --- मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ --- एक बात है ना कि पाबला जी अगर कोई ठीक तरह से समझायेगा तो ही सुधरने की गुंजाईश रहती है। इसलिये भी मैं आप का बहुत धन्यवादी हूं।
आप ने लिखा कि मेरे ब्लॉग पर अंग्रेज़ी शब्दों की भरमार होती है – आप ने बिल्कुल सही कहा – और उसी दिन से मैंने यह ठान ली है कि जितना हो सकेगा इस तरफ़ दिया करूंगा। और अगर कभी कोई किसी भारी भरकम अंग्रेज़ी के शब्द का इस्तेमाल करना भी पड़ा तो शिष्टाचार वश उस के साथ ही एक प्रकोष्ठ में उस का हिंदी में शब्दार्थ लिख दिया करूंगा।
मैं आज ही सुबह देख रहा था कि अपने ज्ञानदत्त पांडे जी के चिट्ठे पर उन की आज की पोस्ट में उन्होंने एक अंग्रेज़ी शब्द को देवनागरी में लिखा तो लेकिन उस के साथ ही ब्रैकट डाल कर उस का हिंदी में शब्दार्थ भी लिख दिया –यह देख कर अच्छा लगा और कोशिश करूंगा कि नॉन-मैडीकल शब्दों के लिये मैं भी कुछ इस तरह की व्यवस्था कर दिया करूं ।
आपने बिल्कुल सही कहा कि जैसे चोपड़ा का सिर किसी शुद्ध हिंदी की साइट पर जाकर भारी होता है ,ठीक उसी तरह से किसी हिंदी प्रेमी का मेरी ब्लाग पर आने के बाद अंग्रेज़ी के इतने शब्द देख कर थोड़ा बहुत नाराज़ होना स्वाभाविक ही तो है। इस बात ने मुझे अपने अंदर झांकने का मौका दिया कि यार सिर दर्द की शिकायत केवल मेरी ही नहीं है, ऐसा दूसरे लोगों के साथ भी हो सकता है जो मेरी ब्लाग पर आते होंगे और कईं बार कुछ इंगलिश के शब्दों के चक्कर में नाराज़ भी हो जाते होंगे।
और एक बहुत ही खास बात जिस के साथ आप ने मुझे रू-ब-रू करवाया वह यह कि किसी हिंदी भाषी को क्या पड़ी है कि वह गूगल सर्च करते समय डायबिटिज़ ही लिखे --- आपने बिल्कुल सही कहा कि वह सीधे सीधे मधुमेह लिख कर ही क्यों न मधुमेह से संबंधित जानकारी प्राप्त कर लेगा ---- पाबला जी, आप के साथ पूरी तरह से सहमत हूं और विशेषकर जब मैंने इन दोनों तरीकों से गूगल-सर्च के नतीजे देखे तो मेरी तो आंखें ही खुल गईं।
आप ने बिल्कुल दुरूस्त कहा कि हम लोग वैसे भी तो कईं बातें सीखते ही हैं फिर हिंदी को भी सुधारने के लिये हमेशा प्रयासरत रहना चाहिये --- ऐसा ही होगा --- और ऐसा करने के लिये हम लोगों को किसी जगह जाने की ज़रूरत भी तो नहीं है --- हिंदी के चिट्ठों पर ही सब कुछ मिल जाता है – आज सुबह वकील साहब ( दिनेशराय द्विवेदी जी) की पोस्ट देखी जिस में उन्होंने विराम, अल्पविराम आदि के बारे में इतनी सहजता से समझा दिया कि क्या कहें !!
दरअसल मेरी बस एक ही समस्या है कि जब मैं किसी चिट्ठे पर हिंदी के बहुत बहुत कठिन शब्द देखता हूं तो मेरी ध्यान फिर वहां लगता नहीं ---- अब आप सोच रहे होंगे कि इस का क्या है यार, एक हिंदी की अच्छी सी डिक्शनरी खरीद लो ना --- दरअसल पाबला जी, शब्द कोषों का तो पूरा संग्रह है लेकिन बस तुरंत उस का शब्दार्थ देखने का आलस्य ही कर जाता हूं।
लेकिन अभी लिखते लिखते ही ध्यान आ रहा है कि अब एक ही चंद शब्दों को उस समय किसी कागज़ पर लिख लिया करूंगा और बाद में किसी समय उस का मतलब ढूंढ लिया करूंगा --- यहां मुझे ध्यान आ रहा है शास्त्री जी का ( sarathi.info) – मुझे लगता है कि वह हिंदी भाषी नहीं है लेकिन उन का भाषा ज्ञान देख कर मैं अकसर दंग रह जाता हूं। सीखने की सौभाग्यवश कोई भी सीमा होती नहीं है इसलिये मैं भी कोशिश करूंगा कि अपनी हिंदी में थोड़ा बहुत सुधार लाता चला जाऊं।
सोच रहा हूं कि एक ऐसा ब्लाग शुरू करूं जिस पर दिन में जितने कठिन शब्द देखे उन 8-10 शब्दों का शब्दार्थ उस में लिखा करूं --- इस समय यही विचार बन रहा है कि इस से एक तो आप सब हिंदी के विद्वानों को यह पता चलता रहेगा कि हिंदी के एक औसत पाठक का स्तर क्या है – उसे क्या मुश्किल लग रहा है , वह कितना समझ पा रहा है --- सोचता हूं यह काम तो शीघ्र शुरू करूंगा – स्वयं मेरे को भी इस से लाभ होगा और शेष हिंदी का औसर ज्ञान रखने वाले ( मेरे जैसे) बंधुओं के लिये भी यह ब्लॉग उपयोगी होगा --- इस के बारे में आप का क्या ख्याल है, लिखियेगा।
बस, अभी तो कहने को इतना ही है, पाबला जी, पत्र यहीं बंद कर रहा हूं --- आप को पत्र लिख कर बहुत अच्छा लगा --- और आप सब को भी नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनायें। और जाते जाते यह बताना चाहूंगा कि आप की पोस्ट देख कर बहुत ही अच्छा लगा --- आप ने कहा था कि मैं इसे अन्यथा न लूं ---वैसे तो सर उन में ऐसा कुछ था ही नहीं कि जिसे मेरे जैसा तुच्छ व्यक्ति अन्यथा ले सके और दूसरा यह कि मेरी खाल बहुत मोटी है । इसलिये आप से सविनय अनुरोध है कि भविष्य में भी अपना भाई समझ कर उचित मार्ग-दर्शन करते रहियेगा। शुभकामनाओं सहित,
प्रवीण
यमुनानगर
सब से पहले तो आप का धन्यवाद इस बात के लिये करना चाहूंगा कि आप ने मेरा एक लेख पढ़ने के बाद उस पर एक बहुत अच्छी पोस्ट लिखी – उसे पढ़ कर बहुत अच्छा लगा – मैं यह केवल औपचारिक तौर पर ही नहीं कह रहा हूं बल्कि आप के साथ विस्तार से अपने विचार बांटने की कोशिश करता हूं।
जब कोई हमारे लेखन के बारे में बताता है तो मैं समझता हूं वह हिंदी भाषा के साथ साथ हमारी भी बहुत सेवा कर रहा है --- मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ --- एक बात है ना कि पाबला जी अगर कोई ठीक तरह से समझायेगा तो ही सुधरने की गुंजाईश रहती है। इसलिये भी मैं आप का बहुत धन्यवादी हूं।
आप ने लिखा कि मेरे ब्लॉग पर अंग्रेज़ी शब्दों की भरमार होती है – आप ने बिल्कुल सही कहा – और उसी दिन से मैंने यह ठान ली है कि जितना हो सकेगा इस तरफ़ दिया करूंगा। और अगर कभी कोई किसी भारी भरकम अंग्रेज़ी के शब्द का इस्तेमाल करना भी पड़ा तो शिष्टाचार वश उस के साथ ही एक प्रकोष्ठ में उस का हिंदी में शब्दार्थ लिख दिया करूंगा।
मैं आज ही सुबह देख रहा था कि अपने ज्ञानदत्त पांडे जी के चिट्ठे पर उन की आज की पोस्ट में उन्होंने एक अंग्रेज़ी शब्द को देवनागरी में लिखा तो लेकिन उस के साथ ही ब्रैकट डाल कर उस का हिंदी में शब्दार्थ भी लिख दिया –यह देख कर अच्छा लगा और कोशिश करूंगा कि नॉन-मैडीकल शब्दों के लिये मैं भी कुछ इस तरह की व्यवस्था कर दिया करूं ।
आपने बिल्कुल सही कहा कि जैसे चोपड़ा का सिर किसी शुद्ध हिंदी की साइट पर जाकर भारी होता है ,ठीक उसी तरह से किसी हिंदी प्रेमी का मेरी ब्लाग पर आने के बाद अंग्रेज़ी के इतने शब्द देख कर थोड़ा बहुत नाराज़ होना स्वाभाविक ही तो है। इस बात ने मुझे अपने अंदर झांकने का मौका दिया कि यार सिर दर्द की शिकायत केवल मेरी ही नहीं है, ऐसा दूसरे लोगों के साथ भी हो सकता है जो मेरी ब्लाग पर आते होंगे और कईं बार कुछ इंगलिश के शब्दों के चक्कर में नाराज़ भी हो जाते होंगे।
और एक बहुत ही खास बात जिस के साथ आप ने मुझे रू-ब-रू करवाया वह यह कि किसी हिंदी भाषी को क्या पड़ी है कि वह गूगल सर्च करते समय डायबिटिज़ ही लिखे --- आपने बिल्कुल सही कहा कि वह सीधे सीधे मधुमेह लिख कर ही क्यों न मधुमेह से संबंधित जानकारी प्राप्त कर लेगा ---- पाबला जी, आप के साथ पूरी तरह से सहमत हूं और विशेषकर जब मैंने इन दोनों तरीकों से गूगल-सर्च के नतीजे देखे तो मेरी तो आंखें ही खुल गईं।
आप ने बिल्कुल दुरूस्त कहा कि हम लोग वैसे भी तो कईं बातें सीखते ही हैं फिर हिंदी को भी सुधारने के लिये हमेशा प्रयासरत रहना चाहिये --- ऐसा ही होगा --- और ऐसा करने के लिये हम लोगों को किसी जगह जाने की ज़रूरत भी तो नहीं है --- हिंदी के चिट्ठों पर ही सब कुछ मिल जाता है – आज सुबह वकील साहब ( दिनेशराय द्विवेदी जी) की पोस्ट देखी जिस में उन्होंने विराम, अल्पविराम आदि के बारे में इतनी सहजता से समझा दिया कि क्या कहें !!
दरअसल मेरी बस एक ही समस्या है कि जब मैं किसी चिट्ठे पर हिंदी के बहुत बहुत कठिन शब्द देखता हूं तो मेरी ध्यान फिर वहां लगता नहीं ---- अब आप सोच रहे होंगे कि इस का क्या है यार, एक हिंदी की अच्छी सी डिक्शनरी खरीद लो ना --- दरअसल पाबला जी, शब्द कोषों का तो पूरा संग्रह है लेकिन बस तुरंत उस का शब्दार्थ देखने का आलस्य ही कर जाता हूं।
लेकिन अभी लिखते लिखते ही ध्यान आ रहा है कि अब एक ही चंद शब्दों को उस समय किसी कागज़ पर लिख लिया करूंगा और बाद में किसी समय उस का मतलब ढूंढ लिया करूंगा --- यहां मुझे ध्यान आ रहा है शास्त्री जी का ( sarathi.info) – मुझे लगता है कि वह हिंदी भाषी नहीं है लेकिन उन का भाषा ज्ञान देख कर मैं अकसर दंग रह जाता हूं। सीखने की सौभाग्यवश कोई भी सीमा होती नहीं है इसलिये मैं भी कोशिश करूंगा कि अपनी हिंदी में थोड़ा बहुत सुधार लाता चला जाऊं।
सोच रहा हूं कि एक ऐसा ब्लाग शुरू करूं जिस पर दिन में जितने कठिन शब्द देखे उन 8-10 शब्दों का शब्दार्थ उस में लिखा करूं --- इस समय यही विचार बन रहा है कि इस से एक तो आप सब हिंदी के विद्वानों को यह पता चलता रहेगा कि हिंदी के एक औसत पाठक का स्तर क्या है – उसे क्या मुश्किल लग रहा है , वह कितना समझ पा रहा है --- सोचता हूं यह काम तो शीघ्र शुरू करूंगा – स्वयं मेरे को भी इस से लाभ होगा और शेष हिंदी का औसर ज्ञान रखने वाले ( मेरे जैसे) बंधुओं के लिये भी यह ब्लॉग उपयोगी होगा --- इस के बारे में आप का क्या ख्याल है, लिखियेगा।
बस, अभी तो कहने को इतना ही है, पाबला जी, पत्र यहीं बंद कर रहा हूं --- आप को पत्र लिख कर बहुत अच्छा लगा --- और आप सब को भी नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनायें। और जाते जाते यह बताना चाहूंगा कि आप की पोस्ट देख कर बहुत ही अच्छा लगा --- आप ने कहा था कि मैं इसे अन्यथा न लूं ---वैसे तो सर उन में ऐसा कुछ था ही नहीं कि जिसे मेरे जैसा तुच्छ व्यक्ति अन्यथा ले सके और दूसरा यह कि मेरी खाल बहुत मोटी है । इसलिये आप से सविनय अनुरोध है कि भविष्य में भी अपना भाई समझ कर उचित मार्ग-दर्शन करते रहियेगा। शुभकामनाओं सहित,
प्रवीण
यमुनानगर