समाचार है कि नाईज़ीरिया की मिलेटरी में पिछले पांच वर्षों में एच.आई.व्ही एवं एड्स के 94000 केस मिले हैं जिन में से सात हज़ार फौजी इस के दवाईयां भी ले रहे हैं।
क्या आप जानते हैं कि नीदरलैंड में मैजिक मशरूम भी मिलती हैं- चलिये कोई बात नहीं, क्योंकि वैसे भी नीदरलैंड ने इन पर एक दिसंबर से प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। वहां की स्वास्थ्य मिनिस्ट्री ने कहा है कि इन मैजिक मशरूम की वजह से इसे खाने वाले लोगों में अजीबोगरीब तरह के काल्पनिक ख्याल आने लगते हैं ( hallucinogenic effects) जिस से उस बंदे का बिहेवियर अटपटा सा और रिस्की हो सकता है। सूखी हुई मैजिक मशरूम को बेचना और अपने यहां रखना तो पहले ही से कानूनी तौर पर मना है। पिछले साल वहां पर एक 17साल की फ्रैंच टूरिस्ट ने इन्हीं मैजिक मशरूम को खाने के बाद एमसटर्डम के एक पुल से कूद कर जान दे दी थी--- वैसे अपने यहां भी तो हम लोग कभी कभी मीडिया में देख-सुन ही लेते हैं कि फलां फलां जगह पर जहरीली मशरूम खाने से इतने लोग अपनी जान गंवा बैठे ----इसलिये मशरूम तो ज़रूर खाइये, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखिये।
महिलायें ज़रा ध्यान करें ---देश में जो महिलायें गर्भावस्था के दौरान उचित पोषण लेती हैं उन का प्रतिशत तो बेहद कम है, लेकिन अधिकतर महिलायें जो पर्याप्त मात्रा में उच्च स्तर का पोषण नहीं ले पाती हैं उन की संख्या बहुत ही ज़्यादा है और कुछ महिलायें हैं या उन के सगे-संबंधी हैं जो समझते हैं कि इस दौरान उसे खूब सारा मक्खन, देसी घी देना चाहिये । अच्छा तो खबर यह है कि न्यू-यार्क सिटी में चूहों पर किये गये एक अध्ययन में पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा फैट्स लेने से गर्भ में विकसित हो रहे शिशु के दिमाग में कुछ इस तरह के स्थायी बदलाव हो जाते हैं जिन के कारण ज़िंदगी के शुरूआती दौर में उसे ज़रूरत से ज़्यादा खाने की लत लग जाती है जिस की वजह से इस शुरूआती दौर में ही उस का मोटापा बढ़ जाता है। इस अध्ययन को जर्नल ऑफ न्यूरोसाईंस में प्रकाशित किया गया है।
अमेरिका के सब से सेहतमंद शहर का नाम बतलाईये ----यह है बर्लिंगटन। वहां के लोग एक्सरसाईज़ भी खूब करते हैं, वहां पर मोटापा, डायबिटिज़ और खराब सेहत के अन्य इंडीकेटर्ज़ का प्रतिशत भी काफी कम है। वहां पर लोग साईकिल खूब चलाते हैं, हाईकिंग, स्कियिंग ( hiking and skiing) करते हैं और अधिकतर सेहतमंद खाना खाते हैं।
हलकाये हुये कुत्ते का डर क्यों लगता है ?---क्योंकि उस के काटने से या कुछ अन्य जानवरों के काटने से रेबीज़ नाम की बीमारी हो सकती है जो जानलेवा होती है। लेकिन एक बड़ी खबर यह है कि ब्राज़ील में एक 15 साल का लड़का जिसका रेबीज़ की बीमारी( जिस में दिमाग में सूजन आ जाती है) के लिये इलाज हुआ है , उस में सफलता हाथ लगी है। यह सारी दुनिया में रेबीज बीमारी के ठीक होने वाला दूसरा केस है -----बहुत अच्छी खबर है, हम लोगों में आस बंध गई कि हां, कुछ तो हो रेबीज़ का भी निकट भविष्य में हो ही सकता है। ध्यान रहे कि इस लड़के में रेबीज़ की बीमारी चमगादड़ के द्वारा काट लेने से हो गई थी और इसे एक महीने हास्पीटल में रहना पड़ा। पिछले 20 सालों में ब्राज़ील में रेबीज़ के 629 केस पाये गये।
बस एक माज़ा की दूरी है ---थोड़ी पागल पंथी भी ज़रूरी है ----इस विज्ञापन से याद आया ज़ोहरा सहगल जी का वह सुपरहिस्ट जबरदस्त विज्ञापन ---मैं तो जितनी बार भी यह विज्ञापन देखता हूं बहुत खुश हो जाता हूं क्योंकि मेरी निगाह में ज़ोहरा सहगल जी इस देश की सब से ज़हीन बुज़ुर्ग हैं। इस वक्त मुझे उन का ध्यान इस लिये आ गया कि क्योंकि आज कल यह रिसर्च चल रही है कि जो लोग 80 साल की उम्र के बाद भी बहुत ज़िंदादिल, खुशमिज़ाज और ज़हीन रहते हैं उन में और उन बुजुर्गों में आखिर क्या फर्क़ होता है जो बढ़ती उम्र के साथ अपनी यादाश्त खो बैठते हैं और इस रिसर्च से पता चला है कि जिन बुजुर्गों की यादाश्त एकदम अच्छी बनी रहती है उन में एक टाऊ (tau) नामक प्रोटीन के फाईबर-टाइप के उलझाव( fiber-like tangles of a protein linked with Alzheimer’s Disease)- कम होते हैं।
यूनाईटेड अरब एमेरिरेट्स (UAE) की सरकार ने यह फैसला किया है कि बच्चों को स्कूल में दाखिल करने पहले उन के रक्त एवं यूरिन की जांच की जायेगी। यह इसलिये किया जा रहा है ताकि छोटी उम्र में ही कुछ बीमारियों से बचने के उपाय कर लिये जायें। छोटे छोटे बच्चों में एनीमिया( खून की कमी), डायबिटिज़ और थैलेसिमिया रोग कईं वर्षों तक बिना किसी जांच के अपनी जड़े पक्की होने तक बढ़ता ही रहता है । प्रस्ताव के अनुसार ये टैस्ट पहले तो के.जी क्लास में दाखिले के समय, उस के बाद जब बच्चा पांचवी कक्षा में आयेगा और उस के बाद नवीं कक्षा में आने के बाद उस की यह जांच हुआ करेगी।