इस पंजाबी गाने के बोलों पर ज़रा ध्यान दीजिये.....तू माने या न माने दिलदारा...असां ते तैनूं रब मन्निया.........यह जबरदस्त पंजाबी गीत को गाने वाले हैं वडाली बंधू.............इन की सूफी गायकी भी गज़ब है ....इन को लाइव देखने का एक बार अवसर मिल चुका है और ये दोनों भाई इस कद्र समां बांध लेते हैं कि श्रोताओं का मन करता है कि बस समां यहीं पर ही थमा रहे। ये दोनों भाई जितने चोटी के गायक हैं , उतने ही सरल स्वभाव के एवं सादी जीवन-शैली जीने वाले हैं ..............जब भी मैं इन के गाये हुये गीत सुनता हूं तो मुझे बेहद सुकून महसूस होता है । इन की सूफी गायकी की जितनी भी तारीफ की जाये कम है।
एक बार ये अपने एक सूफी गीत के द्वारा कुछ इस तरह की बात बता रहे थे.......कि एक बार किसी संत को कुछ छोटे छोटे बच्चों ने कुछ ऐसा कह दिया कि वह भड़क उठा और उस ने उन को बुरा भला कहना शुरू कर दिया.....और साथ ही कुछ बच्चे एक बेरी के पेड़ पर पत्थर मार रहे थे और पेड़ से बेर नीचे गिर रहे थे..............तब, एक फकीर उस बाबा को कहता है कि देख, ये छोटे-छोटे बच्चे तो रब का रूप हैं..........इन्होंने तेरे साथ थोड़ी सी मस्ती की है और तूने भड़क कर इन्हें बददुआयें दे डाली हैं..............और इस बेरी का बड़प्पन देख.....ये इन के पत्थर खा कर भी इन्हें मीठे मीठे बेर खिला रही है।
यकीन मानिये....मैं अपनी बात तो ज़रा भी सही ढंग से कह नहीं पाया हूं ....लेकिन इन के गायन में क्या बात होती है कि जब भी इन को पूरे मन से सुनते हैं ना तो लू-कंडे ( रोंगटे) खड़े हो जाते हैं। और हां, जब यह बेरी वाली बात ये बंधु गा कर सुना रहे थे और मेरे साथ और भी सैंकड़ों दर्शकों की आंखें भीगी हुईं थीं।
चलिये ,इन की गायिकी का एक नमूना सुनते हैं. ..........और खो जाते हैं किसी दूसरी ही दुनिया में । यही तो सूफी गायकी की खासियत है।