सोमवार, 22 मई 2017

फोन रिकार्डिंग पिछली बार कब की थी ?

उस दिन जैसे ही उसने मुझे कहा कि वह ऐसे कैसे मुकर सकता है अपनी बात से ...मेरे फोन में रिकार्डिंग है मैं उसे सुना सकता हूं...

बरकत के ये शब्द सुनते ही मेरे मन में जो उस के बारे में इंप्रेशन था, उस पर बुरी तरह से आंच आ गई...

एक दिन मैंने शेरू को भी सुना कि वह फोन की रिकार्डिंग सुन रहा था ...मैंने कुछ कहा नहीं, लेकिन मुझे बहुत ही ज़्यादा बुरा लगा.. 

कईं साल पहले एक परिचित था जो बॉस की बातों को टेप किया करता था ...उसे वह अपने साथियों को सुनाता और उन की बातें टेप कर फिर बॉस को सुनाता...एक-दो बार में पता चल गया, विश्वास ही नहीं हुआ...लेकिन इन बातों में कोई सबूत नहीं मांगता ...बस, उस बंदे की क्रेडिबिलिटि इतनी नीचे चली गई कि उस के साथ बात करने से ही हिचकिचाहट होने लगी...

अभी कुछ समय पहले की ही बात है कि एक उच्च अधिकारी जब मेरे पास ओपिनियन के लिया अपने सारे डैंटल रिकार्ड लेकर आया तो पूछने लगा कि मैं आप की बात को टेप कर लूं....मुझे उस दिन भी बहुत अजीब लगा... लेकिन मैंने मना नहीं किया...हां, बातें ज़रूर मैं सोच सोच कर करता रहा..

उस अधिकारी को मैंने मना बस इसीलिए नहीं किया कि यह तो मेरे से पूछ रहा है ..वैसे भी हम लोग इतने लोगों से मिलते हैं कौन बात रिकार्ड कर रहा है, कौन वीडियो बना रहा है ...पता ही नहीं चलता....यकीन मानिए, यह एक बहुत बड़ी समस्या है ... मरीज़ के साथ आने वाले फोन पर लगे रहते हैं...फोटो भी खींचते हैं...फोन पर बातचीत भी चलती रहती है ... बस, बेतकल्लुफ़ी का यह आलम अब देखा नहीं जाता!

बस इसीलिए क्यों कि इस सब से डिस्ट्रेकशन तो होती ही है...

हां, तो बात चल रही थी फोन रिकार्डिंग की ...मेरे विचार में यह बहुत ही घटिया आदत है ...बिल्कुल पीठ पर वार करने जैसा ... यह उन लोगों का हथियार है जिन लोगों ने ऐसे स्टिंग आप्रेशन के जरिये अपने विरोधियों का मलियामेट करना होता है ... 

पढ़े लिखों को यह सब शोभा नहीं देता....सब से बड़ा खतरा यही होता है कि जैसे ही किसी दूसरे को पता चलता है कि यह तो इस तरह के पंगे भी करता है, लोग उस से किनारा करना शुरू कर देते हैं..

आज के दौर में इस से ज़्यादा विश्वासघात क्या होगा कि कोई हम से अपने दिल की बातें कर रहा है और हम विलेन वाली हरकतें करने में मसरूफ़ हैं....घोर निंदनीय... 

दरअसल मुझे ऐसा लगता है कि हमें मोबाइल फोन के एटिकेट्स भी नहीं हैं... We always flaunt our pricy mobiles...किसी को भी मिलने जा रहे हैं तो क्यों नहीं हम लोग अपना मोबाइल किसी पाउच में, पतलून की जेब में या लेडीज़ अपने पर्स में क्यों नहीं रख लेतीं... अगर हम इस तरह के टेपिंग वेपिंग के लफड़े में नहीं हैं तो हमें वैसा दिखना भी चाहिए...बस, कोशिश करिए किसी से मिलते वक्त वह शर्ट की जेब में न हो, हाथ में न हो...उसे बार बार छेड़ें नहीं, दूसरों को लगता है कि यह कुछ टेप ही कर रहा होगा....

मेरी सब को नसीहत यही रहती है कि कभी भी किसी की बात टेप मत किया करें....जितने लोगों को आप उसे सुनाएंगे, उतने लोगों की नज़रों से आप गिरते चले जायेंगे। आप का क्या ख्याल है?

लेकिन एहतियात यह भी रखनी ज़रूरी है कि कभी न कभी तो हमारी बातें टेप होती ही होंगी...अच्छा, एक बात और भी है कि आप की 6th sense बता ही देती है कि कौन सा बंदा इन सब चक्करों में है। एक बार इस तरह की भनक भी लग जाए तो मैं तो उस बंदे से फोन पर बातचीत करते वक्त नार्मल नहीं हो पाता...यार, बंदा किसी को कितने विश्वास में लेकर उससे ऐसी वैसी, जैसी तैसी, कैसी भी बात कर लेता है ...और उस की ऐसी टेपिंग-वेपिंग वाली घटिया हरकत का कभी पता चले तो ... 

हां, तो पोस्ट के शीर्षक में एक प्रश्न है ...जवाब तो देना ही होगा मुझे भी ....जी हां, मैंने भी एक बार यह घृणित काम किया था  ...शायद २००८  के आसपास की बात होगी... नया नया पता चला था कि फोन पर बात रिकार्ड हो जाती है ...तो मैंने भी एक दो मिनट की बातचीत रिकार्ड करी थी...लेकिन शाम को सुनते ही अपने आप से पूछा कि तेरे को इन सब की कब से ज़रूरत पड़ने लगी ....उसी समय डिलीट मारा ......और उस दिन के बाद कईं फोन बदले हैं... लेकिन कभी यह जानने तक की कोशिश नहीं की ...कि इस फोन रिकार्डिंग के फीचर को कैसे एक्टिवेट करना है .....अभी भी जो Nexus 6 इस्तेमाल कर रहा हूं, मुझे नहीं पता इस में फोन को कैसे रिकार्ड करते हैं... और किसी के साथ व्यक्तिगत बातचीत करते वक्त भी मैंने कभी रिकार्डिंग नहीं की ... ये सब बातें बड़ी बेकूफ़ाना लगती हैं... और एक बात, जब भी किसी से मिलने जाता हूं अपने मोबाइल को पतलून की जेब में ठूंस के रखता हूं....मेरी भी यही हसरत है कि जो लोग मुझ से मुलाकात करने आएं वे भी अपने मोबाइल मेरी तरफ़ प्वाईंट न कर के रखें....मैं असहज हो जाता हूं...... Inspite of all this, I stand by my words! ....जो बात मुंह से निकाल दी तो उस से मुकरना भी क्यों, अंजाम कुछ भी हो!!

 Having said all this, let's admit that we are living in times of mutual mistrust......God bless all of us!

अभी बिजली गुल थी ..मेरे एफएम रेडियो पर यह गोपाल दास नीरज जी का लिखा हुआ मेरा पसंदीदा गीत बज रहा था .. .यहां पर भी देख कर चलने की ही बात हो रही है...देख भाई ज़रा देख के चलो... 


4 टिप्‍पणियां:

  1. मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि फोन रिकॉर्डिंग हमेशा गलत नहीं होती। हाँ, हर किसी की फोन रिकॉर्डिंग करने का कोई तुक मुझे नहीं लगता। सरकारी अधिकारी या कंपनी के बड़े बोस्सेस जो अपनी ताकत का नाजायज़ फायदा उठाते हैं उनकी विडियो रिकॉर्डिंग और फोन रिकॉर्डिंग हो तो उनके इस अन्यायपूर्ण व्यवहार पे लगाम लगे।

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  2. आप की व्यक्तिगत राय का सन्मान है।

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  3. मैंने तो आज तक फोन पर रिकार्डिंग नहीं की, पर हाँ लेपटॉप पर या पोर्टेबल म्यूजिक प्लेयर से कई मीटिंग में रिकार्डिंग की, वो भी मिनिट्स ऑफ मीटिंग बनाने के लिये, क्योंकि कई बार महत्वपूर्ण बातों में से कुछ बातें छूट जाती हैं, तो मिनिट्स बनाने के बाद रिकार्डिंग सुन लिया करते थे। हाँ हमेशा ही पहले पूछ लेते थे कि क्या हम रिकार्डिंग कर सकते हैं और मकसद भी बता दिया करते थे, कई क्लाइंट्स मना कर देते थे, तो ईमानदारी से कभी रिकार्डिंग नहीं की।

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    1. इतनी पारदर्शिता के साथ यह सब कुछ किया...अच्छा लगा पढ़ कर, विवेक जी।

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