मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

आंवला जूस के बारे में आप भी सचेत रहिए...


आंवले के जूस के बारे में कल मुझे मेरी बड़ी बहन से एक वाट्सएप मैसेज मिला ...दरअसल हर घर में कोई न कोई तो इस जूस का दीवाना हो चला है ...पिछले कईं सालों से ..इसलिए ऐसी खबर पढ़ कर एक दूसरे की चिंता हो जाना भी स्वाभाविक सी बात है!

आंवला अच्छा है, मुरब्बा अच्छा है...आंवले का पावडर बढ़िया है ...आंवले का आचार, चटनी, कैंडी भी अच्छे हैं...लेकिन जब से यह आंवले का जूस बाज़ार में आया है ना तभी से मेरे मन में इस के बारे में अजीब से विचार हैं...

अब ब्लॉग है तो ज़ाहिर सी बात है कि विचार ही होंगे, मैं कोई लैबोरेट्री तो खोल कर बैठा नहीं हूं कि सब कुछ अपने जांचे-परखे तथ्यों के आधार पर ही कहूं...ऐसा नहीं हो सकता, इस काम के लिए देश की बड़ी बड़ी विश्वसनीय लैब्स हैं जो यह काम बखूबी कर रही हैं...जैसा कि आप इस रिपोर्ट में भी देख सकते हैं..

रात को सोते समय जिज्ञासा सी हुई कि ज़रा इस वाट्सएप मैसेज की विश्वसनीयता ही जांच ली जाए...गूगल के अलावा कोई साधन है नहीं इस के लिए भी ... इसी न्यूज़-स्टोरी का शीर्षक लिख कर गूगल किया तो ये रिज़ल्ट आ गये ...बात पक्की हो गई.. (आप इस लिंक पर क्लिक कर के देख सकते हैं) और टाइम्स ऑफ इंडिया के ऑनलाईन संस्करण में भी यह खबर दिख गई ...

कलकत्ता की एक लैब ने इस आंवला जूस की जांच करने पर पाया है कि इसे पीना असुरक्षित है .. आर्मी की कैंटीनों में इस की बिक्री बंद कर दी गई है ...

जब हम लोग आंवले जैसे किसी खाद्य पदार्थ के जूस के बारे में सोचते हैं तो मन में कुछ बूंदों की कल्पना होती है ... न कि बड़ी बड़ी आंवले जूस से भरी एक लिटर बोतलों की ...लेकिन यह प्रश्न मेरे मन में ही रहा इतने वर्षों से कि इस तरह के आंवले के जूस कैसे हैं जो इतनी इतनी बड़ी बोतलों में मिलते हैं..एक बोतल भरने के लिए पता नहीं कितनी बोरी आंवले पीसे जाते होंगे..

कल रात मेरी जब मिसिज़ से इस बारे में बात हुई तो उन का भी यही विचार था कि इस तरह के आंवला-जूस वैसे नहीं होते होंगे जैसा पब्लिक समझती है कि जैसे हम लोग संतरे-कीनू का जूस निकालते हैं....यह जूस वह होगा जो आंवला कैंडी बनाते समय आंवले को पानी में उबालने से बच जाता होगा......बात मेेरे भी मन को लगी तो!

मैं किसी एक ब्रांड की बात भी नहीं कर रहा हूं...लेकिन एक बात तो है कि पब्लिक के इस नये जुनून को कैमिस्टों ने खूब भुनाया..एक तरह से रामबाण औषधि की तरह इस जूस को प्रमोट किया गया...यकीनन, आंवला अमृत फल है...इस के सभी उत्पाद भी .....लेकिन इस आंवले के जूस के बारे में रह रह कर मन में प्रश्न आते रहते हैं....

मैं इतने विवादास्पद मुद्दे पर जो कि पब्लिक सेंटीमेंट्स से इतना जुड़ा हुआ है ....इस पर लिखने की हिम्मत जुटा पा रहा हूं क्योंकि रात में एक और वाट्सएप मैसेज भी मिला था ...
"एक क्रिकेटर बता सकता है कि कौन सा इंवर्टर, सीमैंट और दारू अच्छी है...एक एक्टर बता सकता है कि कौन सा अन्डरवियर, दीवार का पेंट, फेस-क्रीम अच्छी है...
लोक सभा का एक सदस्य बता सकता है कि जल शुद्धिकरण का कौन सा यंत्र टनाटन है!
लेकिन एक डाक्टर नहीं बता सकता कि दवाई का कौन सा ब्रांड अच्छा है !
अविश्वसनीय भारत!!"
इसे देख कर यही लगा कि हमें भी किसी भी चीज़ के बारे में अपनी बेबाक राय रखने की हिम्मत करनी चाहिए....वैसे कौन सा पब्लिक हर बात पढ़ कर मान ही लेती है ...वे भी स्वतंत्र हैं सच की खोज करने के लिए.

बहुत से लोग अकसर मिलते हैं जो आंवला जूस रोज़ पीते हैं...मैं किसी को नहीं कहता कि इसे मत पियो या इसे पियो...मैंने एक दो बार ज़रूर पिया था ..लेकिन मैं आंवले का प्राकृतिक रूप में, पावडर रूप में ...आचार-मुरब्बे के रूप में सेवन करना बेहतर मानता हूं...

मुझे कल यही ध्यान आ रहा था कि देश में इतनी ज़्यादा गर्मी पड़ती है ...हम लोग खाने पीने वाली चीज़ों को एक घंटा भी बाहर नहीं छोड़ते, फ्रिज में ठूंसते रहते हैं...और एक हिंदोस्तानी घर में फ्रिज़ में आटा, दाल, सब्जी, दूध-मलाई और पानी की छःसात बोतलें ही इतनी मुश्किल से ठूंसी जाती है कि यह आंवले जूस वाली बोतल को फ्रिज में रखने की जगह ही नहीं बचती होगी ...हमारे यहां भी यह आंवले जूस वाली बोतल मेज पर ही सजी दिखती है ...

अभी मेैं इस बोतल को देख रहा था कि इस में प्रिज़र्वेटिव ..सोडियम बेंजोएट भी पड़ा हुआ है ...वह कोई इतना बड़ा इश्यू नहीं है....अब अगर एक उत्पाद की शेल्फ-लाइफ एक साल बताई जा रही है (आंवले जूस की एक्सपॉयरी तैयार होने से एक साल तक की बताई गई है ...इस सौ रूपये में बिकने वाली एक लिटर बोतल में!) तो ज़रूरी है कि उस में प्रिज़र्वेटिव भी तो होगा!

अब हमारे जैसे गर्म देश में बिना रेफ्रीजरेशन के ऐसे पेय पदार्थ मेज़ों पर सजे रहेंगे तो इन में कुछ तो बदलाव आता ही होगा....मैं नहीं मानता कि इन्हें आप तब भी राम बाण या संजीवनी मानते रहेंगे ...लोग भी इतने सेंटीमेंटल हैं यहां के .....एक घंटा पुरानी लस्सी (छाछ) या दस मिनट पुराना गन्ने का रस तो नहीं पिएंगे ..लेकिन इन सब डिब्बा बंद प्रोडक्टस के बारे में कम ही सोचते हैं!

अब लैब ने रिपोर्ट दी है तो बड़ी जांच परख कर ...ठोक बजा कर ही दी होगी ....शायद आज की अखबार में भी आप को यह खबर दिख जाए... लेेकिन एक बात और भी पक्की है कि आज से ही एक आरोपों-प्रत्यारोपों का अभियान भी मीडिया में चलने लगेगा....कि हम सच्चे हैं, नहीं हम सच्चे हैं....करोड़ों रूपये खर्च किये जाएंगे ...शायद कुछ महीनों बाद कोई आप से यह भी कहने आ जाए (नूडल्स की तरह)  कि नहीं, नहीं, सब ठीक है, गलतफहमी दूर हो गई है, आप जी भर कर इस्तेमाल कीजिए इसे ..........वह तो ठीक है , लेकिन समझदार को बस एक इशारा ही काफ़ी होता है...

मैंने ऊपर भी लिखा कि यह किसी एक कंपनी की बात नहीं है ....  इतनी इतनी बड़ी बोतलों में मिलने वाले जूस मेरे मन में कुछ प्रश्न छोड़ जाते हैं...लेकिन वे मेरे अंदर ही रहे ...मैं तो आंवले से तैयार विभिन्न खाद्य पदार्थों का महिमामंडन ही करता रहा इस ब्लॉग पर भी ..और यह सच भी है ...लेेकिन कलकत्ता की लैब ने हो न हो इस आंवले जूस पर तो एक प्रश्न चिंह लगा ही दिया है ...

हमें खबर पता चली हम ने आगे शेयर कर दी ...लोग मेच्योर हैं...बड़े से बड़े फैसले अपने आप लेने में सक्षम हैं...पता नहीं यह बात मानेंगे कि नहीं.....लेकिन एक काम कीजिए...अगर आपकी मां भी इसे पीती हैं, मेरी मां की तरह, तो उसे ज़रूर मना कर दीजिए....मेरी मां तो मान गई हैं....मां को मनाना कौन सा मुश्किल काम होता है, झट से हमारी बातों में आ जाती हैं! बाहर चाहे हमारी कोई एक बंदा भी न सुनता हो, लेकिन मां के सामने हम तीसमार खां बन ही जाते हैं!!

इस पोस्ट को बंद करते समय यही ध्यान आ रहा है कि ऐसे जूसों की जगह इतने पैसों में तो कोई बंदा कुछ दिन तक बाज़ार में सस्ते बिकने वाले मौसमी फलों का जुगाड़ कर सकता है .....एक ध्यान यह भी आ रहा है कि इन चीज़ों के चक्करों में नहीं पड़ना चाहिए... ताज़ा बना हुआ सीधा सादा हिंदोस्तानी खाना ही सर्वोत्तम है, बाकी सब चोंचले हैं...ज्वार भाटा फिल्म के इस गीत का भी यही क्रक्स है ..दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ...


आंवले के बारे में एक बार फिर से लिख दूं कि यह तो अमृत फल है ही...मैं भी इसे अकसर खाता ही हूं..पावडर भी लेता हूं बहुत बार .....लेकिन आंवले के जूस के बारे में अपने विचार मैं लिख कर हल्कापन महसूस कर रहा हूं......ज़रूरी नहीं कि आप मेरी इस बात से सहमत हों, मतभेद भी ज़रूरी है ......लेकिन अपने विचार इस पोस्ट के नीचे टिप्पणी के रूप में दर्ज करते जाईएगा....ज्ञान का आदान-प्रदान बड़ा ज़रूरी है...ज़रूरत पड़ने पर मैं अपनी इस पोस्ट में संशोधन भी कर सकता हूं...

बिल्कुल एक unknown territory में आज पंगा ले लिया है, देखते हैं!

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया और ज्ञानवर्धक लेख.....

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  2. मैं तो आप की बात से १००% सहमत हूँ ...पर मुझसे कोई नही होता...बे जी हैं नही ...नही तो उन्हें मना ही लेता :) (y) खुश रहो जी .

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  4. I had Karela juice of some ayurvedic brand . Exp date was same what you have mentioned here ie: 1 year from date of manufacturing . I had constipation on days when i consumed it . No positive effect on health . So one day i just gulped it like bitter beer . :) and finished .

    It is my first hand experience ....NO rumor .

    Thanks

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    1. Thanks for sharing your experience.
      By the way, when i told my mother this morning to stop using Amla juice. I told her we should throw away the remaining portion left in the bottle.
      She suggested with childlike innocence...."No, no, i will use it for washing my hair."
      I agreed.

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  5. very informative post for me as I am always looking for new content that can help me and my knowledge grow better.

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  6. Amazing blog and very interesting stuff you got here! I definitely learned a lot from reading through some of your earlier posts as well and decided to drop a comment on this one.

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इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...