एक जमाना था जब लालू प्रसाद यादव मैनेजमेंट के टॉप संस्थानों में जा कर रेलवे के कायाकल्प का राज़ खोला करते थे...
मुझे पिछले तीन चार रोज़ से लग रहा है कि अब लोकसभा के कुछ विद्वान सदस्यों को आल इंडिया इंस्टीच्यूट या अन्य मैडीकल कालेजों में जा कर तंबाकू के प्रभावों को खारिज करने वाले लैक्चर देने चाहिए...किस तरह से पहले एक ने कहा कि तंबाकू से कैंसर नहीं होता ...आज पता लगा कि एक और सदस्य ने भी यही कुछ कहा है।
आज पता चला कि यह जो संसदीय कमेटी बनी थी संसद सदस्यों की उन में ऐसे सदस्य भी हैं जिन का अपना करोड़ों रूपये का बीड़ी का धंधा है। उन्हें बीड़ी के वर्करों से भी बहुत सहानुभूति है कि वे लोग बेरोज़गार हो जाएंगे। लेकिन जिस तरह से तिल तिल वे वर्कर ..जिन में बहुत से बच्चे और महिलाएं भी होती हैं... रोज़ मरते हैं, उन की बात कौन उठाएगा। ज़ाहिर है उन की कोई आवाज़ नहीं होती...अगर होती भी है तो इतनी दबी कुचली और शोषित कि वह उठ ही नहीं पाती।
मुझे हैरानगी यही है आज की अखबार पढ़ कर कि सरकारी नौकरों पर तो तरह तरह के अंकुश होते हैं कि कहीं से भी कंफ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट में लिप्त न पाए जाएं......लेकिन ऐसा लोकसभा का सदस्य जिस का अपना बीड़ी का करोड़ों का धंधा हो वह कैसे ऐसी किसी कमेटी में आया जिसने यह निर्णय लिया कि सिगरेट आदि के पैकेटों पर चेतावनी के साइज को बढ़ाने के फैसले को स्थगित कर दिया जाए।
अभी अभी मैंने फेसबुक खोला तो एक पोस्ट दिखी कि एक संसद सदस्य ने यह भी कह दिया कि चीनी (शक्कर) से भी मधुमेह होता है तो फिर उस पर भी प्रतिबंध क्यों नहीं लगा दिया जाता। इस खबर का लिंक यह रहा... चीनी से डायबिटिज होता है तो क्या उस पर रोक है!
अब आप मुझे बताएं कि गुस्से में अपने ही बाल नोंचने के सिवाए इस तरह की बात का कोई क्या जवाब दे!
आज ही के पेपर में यह भी पढ़ा कि संसद सदस्य का यह भी कहना है कि बीड़ी जो है वह तो सिगरेट से कम हानिकारक है। लेकिन सच्चाई यह है कि यह एक बहुत बड़ी भ्रांति है ..बीड़ी सिगरेट दोनों ही नुकसानदायक तो हैं ही... बीड़ी सिगरेट से कम नुकसान तो किसी भी हालत में नहीं, उस से ज़्यादा भले ही हो। ये मेरे निजी विचार नहीं है, वैज्ञानिक सत्य पर आधारित बातें हैं ये।
अपने घर में ही देखा...बड़े बुज़ुर्गों को सिगरेट पीते पीते जब तकलीफ़ होने लगीं ..तो बीड़ी पीने लगे .कि इस का नुकसान कम है....अब हम कह ही सकते थे..कहते रहे.......लेकिन इसी कहने-सुनने के सिलसिले में अधिकतर तो इस संसार से कूच ही कर चुके हैं....मेरे पापा ने भी बहुत साल सिगरेट पीने के बाद बीड़ी शुरू कर दी थी..लेकिन मरते दम तक छोड़ी नहीं।
वैसे मुझे लगता है कि यार यह भी कोई मुद्दा है जिस पर मैं लिखने बैठ जाता हूं.....सारा संसार जानता है कि तंबाकू जान लेवा शौक है, यह बीमारियों का घर है, इससे कैंसर होता है, यह घर परिवार उजाड़ देता है...तिल तिल मार देता है.....मैं तो तंबाकू द्वारा मुंह के अंदर होने वाली विनाशलीला का साक्ष्य हूं...
ऐसा कैसे हो सकता है कि दो चार एम.पी घोषणा कर दें कि तंबाकू से कैंसर नहीं होता, बीड़ी इतनी खराब नहीं है जितना सिगरेट......और चेतावनी के साइज को बढ़ाने के निर्णय को स्थगित कर दिया जाए...
हम समझते हैं कि इस से और कुछ नहीं होगा.....बस वह जो सिगरेट बीड़ी के पैकेटों पर चेतावनी के साइज को बढ़ाने का मुद्दा है वह ऐसा एक बार कोल्ड-स्टोर में पड़ेगा कि शायद ही फिर कभी बाहर निकल पाए..... अगर आपने इस मुद्दे को नजदीक से मीडिया में फॉलो किया हो तो आप को याद होना चाहिए कि इस तरह की डरावनी चेतावनियां तंबाकू-गुटखे-सिगरेट-बीडी के पैकेटों पर छपवाने का कानून बनाते बनाते सरकार की सांसे फूल गई थीं.....यह कोर्ट यह कचहरी ..केस पे केस ..सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट ..फिर आखिर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ही यह सब छपना शुरू हुआ....लेकिन अब संसदीय कमेटी की सिफारिश के बाद तो लगता है कि जैसे यू-टर्न लिया जाना लगभग तय ही है.
मेरे जैसों का क्या है, हमारी सुनता कौन है, हमारा काम ही है भौंकते रहना, भौंक कर थक जाएंगे तो चुप हो जाएंगे.....लेकिन एक बात है कि मैं तंबाकू विरोधी अभियान में और भी तन-मन-धन से सतत जुड़ा रहूंगा....यह मेरा अपने आप से वायदा रहा।
मुझे कईं बार लगता है कि इस तरह के फिल्मी गीतों ने भी तंबाकू की लत को बहुत बढ़ावा दिया होगा.....खाई के पान बनारस वाला......या फिर पान खाए सैयां हमारो.... दोस्तो, ये गीत सुनने तक ही ठीक हैं...
AIIMS Doctors Trash Tobacco Report
मुझे पिछले तीन चार रोज़ से लग रहा है कि अब लोकसभा के कुछ विद्वान सदस्यों को आल इंडिया इंस्टीच्यूट या अन्य मैडीकल कालेजों में जा कर तंबाकू के प्रभावों को खारिज करने वाले लैक्चर देने चाहिए...किस तरह से पहले एक ने कहा कि तंबाकू से कैंसर नहीं होता ...आज पता लगा कि एक और सदस्य ने भी यही कुछ कहा है।
आज पता चला कि यह जो संसदीय कमेटी बनी थी संसद सदस्यों की उन में ऐसे सदस्य भी हैं जिन का अपना करोड़ों रूपये का बीड़ी का धंधा है। उन्हें बीड़ी के वर्करों से भी बहुत सहानुभूति है कि वे लोग बेरोज़गार हो जाएंगे। लेकिन जिस तरह से तिल तिल वे वर्कर ..जिन में बहुत से बच्चे और महिलाएं भी होती हैं... रोज़ मरते हैं, उन की बात कौन उठाएगा। ज़ाहिर है उन की कोई आवाज़ नहीं होती...अगर होती भी है तो इतनी दबी कुचली और शोषित कि वह उठ ही नहीं पाती।
मुझे हैरानगी यही है आज की अखबार पढ़ कर कि सरकारी नौकरों पर तो तरह तरह के अंकुश होते हैं कि कहीं से भी कंफ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट में लिप्त न पाए जाएं......लेकिन ऐसा लोकसभा का सदस्य जिस का अपना बीड़ी का करोड़ों का धंधा हो वह कैसे ऐसी किसी कमेटी में आया जिसने यह निर्णय लिया कि सिगरेट आदि के पैकेटों पर चेतावनी के साइज को बढ़ाने के फैसले को स्थगित कर दिया जाए।
अभी अभी मैंने फेसबुक खोला तो एक पोस्ट दिखी कि एक संसद सदस्य ने यह भी कह दिया कि चीनी (शक्कर) से भी मधुमेह होता है तो फिर उस पर भी प्रतिबंध क्यों नहीं लगा दिया जाता। इस खबर का लिंक यह रहा... चीनी से डायबिटिज होता है तो क्या उस पर रोक है!
अब आप मुझे बताएं कि गुस्से में अपने ही बाल नोंचने के सिवाए इस तरह की बात का कोई क्या जवाब दे!
आज ही के पेपर में यह भी पढ़ा कि संसद सदस्य का यह भी कहना है कि बीड़ी जो है वह तो सिगरेट से कम हानिकारक है। लेकिन सच्चाई यह है कि यह एक बहुत बड़ी भ्रांति है ..बीड़ी सिगरेट दोनों ही नुकसानदायक तो हैं ही... बीड़ी सिगरेट से कम नुकसान तो किसी भी हालत में नहीं, उस से ज़्यादा भले ही हो। ये मेरे निजी विचार नहीं है, वैज्ञानिक सत्य पर आधारित बातें हैं ये।
अपने घर में ही देखा...बड़े बुज़ुर्गों को सिगरेट पीते पीते जब तकलीफ़ होने लगीं ..तो बीड़ी पीने लगे .कि इस का नुकसान कम है....अब हम कह ही सकते थे..कहते रहे.......लेकिन इसी कहने-सुनने के सिलसिले में अधिकतर तो इस संसार से कूच ही कर चुके हैं....मेरे पापा ने भी बहुत साल सिगरेट पीने के बाद बीड़ी शुरू कर दी थी..लेकिन मरते दम तक छोड़ी नहीं।
वैसे मुझे लगता है कि यार यह भी कोई मुद्दा है जिस पर मैं लिखने बैठ जाता हूं.....सारा संसार जानता है कि तंबाकू जान लेवा शौक है, यह बीमारियों का घर है, इससे कैंसर होता है, यह घर परिवार उजाड़ देता है...तिल तिल मार देता है.....मैं तो तंबाकू द्वारा मुंह के अंदर होने वाली विनाशलीला का साक्ष्य हूं...
ऐसा कैसे हो सकता है कि दो चार एम.पी घोषणा कर दें कि तंबाकू से कैंसर नहीं होता, बीड़ी इतनी खराब नहीं है जितना सिगरेट......और चेतावनी के साइज को बढ़ाने के निर्णय को स्थगित कर दिया जाए...
हम समझते हैं कि इस से और कुछ नहीं होगा.....बस वह जो सिगरेट बीड़ी के पैकेटों पर चेतावनी के साइज को बढ़ाने का मुद्दा है वह ऐसा एक बार कोल्ड-स्टोर में पड़ेगा कि शायद ही फिर कभी बाहर निकल पाए..... अगर आपने इस मुद्दे को नजदीक से मीडिया में फॉलो किया हो तो आप को याद होना चाहिए कि इस तरह की डरावनी चेतावनियां तंबाकू-गुटखे-सिगरेट-बीडी के पैकेटों पर छपवाने का कानून बनाते बनाते सरकार की सांसे फूल गई थीं.....यह कोर्ट यह कचहरी ..केस पे केस ..सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट ..फिर आखिर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ही यह सब छपना शुरू हुआ....लेकिन अब संसदीय कमेटी की सिफारिश के बाद तो लगता है कि जैसे यू-टर्न लिया जाना लगभग तय ही है.
मेरे जैसों का क्या है, हमारी सुनता कौन है, हमारा काम ही है भौंकते रहना, भौंक कर थक जाएंगे तो चुप हो जाएंगे.....लेकिन एक बात है कि मैं तंबाकू विरोधी अभियान में और भी तन-मन-धन से सतत जुड़ा रहूंगा....यह मेरा अपने आप से वायदा रहा।
मुझे कईं बार लगता है कि इस तरह के फिल्मी गीतों ने भी तंबाकू की लत को बहुत बढ़ावा दिया होगा.....खाई के पान बनारस वाला......या फिर पान खाए सैयां हमारो.... दोस्तो, ये गीत सुनने तक ही ठीक हैं...
AIIMS Doctors Trash Tobacco Report
आपकी चिंता जायज़ है ....शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंji....bilkul
हटाएंबिना तम्बाखू के ही अपना मुंह खुला रह जाता है इनके बयां देख सुन पढ़ :(
जवाब देंहटाएंजी, बिल्कुल सही फरमाया आपने..
हटाएं.बीड़ी-सिगरेट तम्बाकू, शराब आदि सभी नशा जो करते हैं उन्हें उनमें बुराई नहीं देखता वह तो उन्हें अच्छा ही कहता है ....शायद कुछ ऐसा ही है हमारे महानुभावों के साथ भी ...
जवाब देंहटाएं..
जी....कविता जी....लेकिन यह आम आदमी को तो बख्श दें...वेह तो बेचारा इलाज के अभाव में ही खलास हो जाता है...
जवाब देंहटाएंVery sad comment by our M P He must be out from parliament committee.
जवाब देंहटाएंquite right....
हटाएंसर, एक बार फिर से खुद को रोक न पाई कमेंट करने से। बेहद उम्दा पोस्ट लेकिन सिर्फ एक बात खली "मेरे जैसों का क्या है, हमारी सुनता कौन है, हमारा काम ही है भौंकते रहना, भौंक कर थक जाएंगे तो चुप हो जाएंगे....."
जवाब देंहटाएंआपको नहीं मालूम बेशक सारे लोग न बदलें, शायद एक भी न बदले, लेकिन धूम्रपान करने वाले लोगों के सगे सम्बन्धी पर तो आपका उपकार है कि कम से कम कोई तो जागरूक करने की दिशा में अग्रसर है। और मुझे एक विशेष ख़ुशी भी मिली। मैं सरकारी नौकरी करती हूँ और सरकारी आवास में रहती हूँ। उम्र के साँझ वाले दौर में हूँ। कई वर्ष पहले पति ने सिगरेट छोड़कर बीड़ी पीनी शुरू की तो देखकर बड़ा झटका लगा। परम्परागत भारतीय पत्नी की तरह दबे स्वर में समझाने की कोशिश की तो उन्होंने छोड़ने की कोशिश करने की बात कर पीछा छुड़ा लिया। अब आज सुबह एक अजीब से परिस्थति उत्पन्न हो गई। पति बालकनी में जाकर बीड़ी पीने लगे तो बिटिया ने तुरंत दम घुटने जैसा और बदबू आने की शिकायत कर दी। अब अगर घर से बाहर बीड़ी पीते हैं तो ज़ाहिर है हम तो दूसरों को टोकते हैं सड़क पर बीड़ी पीने से, उसमे मैंने आपत्ति की तो मामला अटका - इज़्ज़त ज़्यादा प्यारी है या स्वास्थ्य।
शायद आप हमारी पीड़ा को समझ पाएंगे..........आपका लिखा कभी व्यर्थ नहीं।
Parveen Chopra ji
जवाब देंहटाएंJab kabhi bhi kisi cancer hospital me jata hun, jyadatar cancer ke marij muh ke cancer se pidit milte hain. Sabhi Tambaku, sigrates, bidi, paan, gutka ka sevan karte the. Mere pitaji ka muhn ke cancer se dehant ho gaya tha.Iski bhayawata maine bhaut hi najdik se dekha hai aur unki vedana ko mahsus kiya hai. Aaj bhi yaad karke us vedana ko mahsus karta hun. Unhe cancer jyada paan khane se hua tha.
Aaj sigrate, bidi aadi ke boxes par ek had tak visible chitra warning ke saath chhape hote hai phir bhi un chitro ko log undekha karte hai aur sigrates ka khub sevan karte hai. Sigrates sevan karne walo ko aisi talab lagti hai sara kaam chod kar office se bahar sigrates pine chale jaate hain. Mujhe nahi lagta warning chitra bada kar dene se sigrate pine wale sigrate pina chhod denge. Jabtak cigrates aur bidi evam anya prakar ke tambaku products par puri tarah pabandi nahi lag jaati hai tab tak isme kami nahi aa sakti hai. MP ke betuka bayan se mujhe bhi ashcharya ho raha hai. Aapke ke bog se mai puri tarah se sahmat hun.
Ashwini Gupta