अभी तो आप मेरे दो मरीज़ों के बुरी तरह से घिसे हुये दांतों की तस्वीरें ही देखिये ---ये दोनों महिलायें दो एक दिन पहले आईं थी --- इन की उम्र पैंतालीस के पास की है। दांतों की जब इतनी घिसाई हो जाती है तो इस का इलाज इतना आसान होता नहीं ---- और न ही इतना सस्ता में हो पाता है। इस का इलाज बहुत महंगा होता है जिस के लिये इन दांतों पर कैप्स ( क्राउन) लगाये जाते हैं।
अकसर मैंने तो अपने प्रोफैशन कैरियर में शायद एक दो मरीज़ों को ही इस का इलाज करवाते देखा है। वरना, तो वही दांतों पर ठंडा गर्म लगने से बचाने वाली क्रीमें लगानी शुरू कर दी जाती हैं। लेकिन उन से भी आराम बिल्कुल टैंपरेरी सा ही आता है।
जब मरीज़ दांतों की इस घिसाई की वजह से इतना परेशान हो जाता है कि उस से और दर्द सहा नहीं जाता तो फिर धीरे धीरे इन को निकलवाने का काम शुरू करवा लिया जाता है और बाद में नकली दांतों का सैट लगवा लिया जाता है।
सर इससे बचने का तरीका भी लिख देना चाहिए था। वैसे अच्छी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंथोडा बहुत दवा दारू के बारे मे भी लिखिये । आप के जयादातर लेख एक अध्यापक वाले या अखबार म आने वाली जानकारी जितने ही है हम चाहते है कि आप उनसे कही आगे की बात लिखे ।
जवाब देंहटाएंसुशील जी से सहमत हूँ.
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