मंगलवार, 5 मई 2009

अकल की दाढ़ का पंगा --- पार्ट 2.

अच्छा तो कोई मरीज़ अपने पास अकल की दाढ़ की तकलीफ़ के साथ आया हम ने उसे कुछ दवाईयां दे दीं और वह ठीक हो गया। एक बात मैं कल कहनी भूल गया कि मुंह के जिस तरफ़ की अकल की दाढ़ परेशान किये हुये है उस तरफ़ अगर थोड़ी सिकाई भी की जाये तो अच्छा अनुभव होता है।

ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि जो दवाईयां वगैरा लेने से अकल की दाढ़ की तकलीफ़ में बिल्कुल टैंपरेरी सा आराम आता है। अधिकांश केसों में इस तरह का इलाज कोई पक्का इलाज नहीं होता। और अकसर कईं मरीज़ ऐसे दिखते हैं जो कि एक-दो महीने में बार बार इस तरह की अकल दाढ़ में दर्द, सूजन एवं बुखार आदि से परेशान होते हैं।

इसलिये जब कोई भी मरीज़ पहली बार ही किसी अकल दाढ़ की परेशानी के लिये जाता है, वह उसे दर्द-सूजन के लिये दवाईयां आदि तो लेने को कह देता है ....लेकिन साथ ही साथ वह उस दर्द-सूजन का कारण टटोलने में लग जाता है।

ऐसे ही कुछ कारणों की तरफ़ ज़रा देख लें ! बहुत ही कम केस हमारे पास ऐसे आते हैं जिन में यह अकल की दाढ़ पूरी तरह से आ तो चुकी होती है लेकिन उस के आसपास का मसूड़ा थोड़ा टाइट सा होने की वजह से बंदे को दर्द सी हो रही है। या तो कईं बार ऐसा भी होता है कि दांत मुंह में निकलने की अवस्था में तो है लेकिन उस के ऊपर की चमड़ी पूरी तरह से हटी नहीं है----ऐसा अकसर 17 से 21 या यूं कह लें कि 21 से एक-दो साल ऊपर तक ही होता है।

इस अवस्था में दंत चिकित्सक को उस के अनुभव से ही पता चल जाता है कि यह तो बस मामूली से कुछ दिनों की समस्या है ---- यह दाढ़ के ऊपर वाली चमड़ी अपने आप पीछे हट जायेगी और दांत पूरी तरह से दिखना शुरू हो जायेगा। मरीज़ को इस के लिये दर्द-निवारक टेबलेट तो दे दी जाती हैं ( अकसर कोई भी ऐंटीबॉयोटिक इस के लिये नहीं चाहिये होता ) लेकिन उसे कहा यह भी जाता है जितना इन को अवॉयड़ करेंगे उतना ही अच्छा होगा। बस, बार बार दिन में कईं बार नमक वाले गर्म पानी से कुल्ला करने की बात ज़रूर कही जाती है जिस से जबरदस्त राहत महसूस होती है।

हां, तो फिलहाल अपनी बात चल रही है 17 से 21 वर्ष के लोगों में अकल की दाढ़ के आते समय होने वाली समस्याओं की तरफ़। इन में से बहुत से केस ऐसे भी होते हैं जिन के मुंह के अंदर झांकते ही यह पता चल जाता है कि यहां तो भई रियल पंगा है। कारण ? ----या तो अकल की दाढ़ आधी अधूरी सी टेढ़ी-मेढ़ी निकली सी पड़ी है और या तो निकल रही दाढ़ के लिये जबड़े में जगह ही नहीं है। बहुत से केसों में इस अवस्था का अंदेशा मरीज़ के मुंह में देखते ही हो जाता है।

इस तरह के संभावित पंगे वाले केसों में उस अकल की दाढ़ वाले एरिया का एक डैंटल एक्स-रे करवाया जाता है ---- अकल की दाढ़ फंसी हुई तो जबड़े में हमें दिख ही रही है जो कि हमें अनुमान है कि अब ऊपर न आयेगी लेकिन फिर भी यह एक्स-रे एक तो मरीज़ को कंविंस करने के लिये और दूसरा उस दांत को निकालने की ढंग से प्लॉनिंग करने के लिये चाहिये होता है।

अकसर मरीज़ का दर्द-सूजन ठीक ठाक हो जाता है तो वह दंत-चिकित्सक की यह बात सुनी-अनसुनी कर देते हैं कि फलां फलां अकल की दाढ़ को निकलवाने में ही समझदारी है---वरना बार बार सूजन, बार बार वही दर्द-बुखार का झंझट------ जो तो लेते हैं बात मान, उन का तो हो जाता है कल्याण। लेकिन जो विभिन्न कारणों की वजह से अकल की दाढ़ को निकालने में टालमटोली करते रहते हैं उस के क्या परिणाम निकलते हैं इस के बारे में किसी अगली पोस्ट में विस्तार से बातें करेंगे।

2 टिप्‍पणियां:

  1. अकल की दाढ़ पर यह लेख काफी जानकारी देने मे सक्षम हुआ है । यह लेख अपने आप मे सम्पूर्णता लिये हुये है । इस बार आपने हमारी कही हुई बात मानी है इसके लिये हम आपके बहुत बहुत आभारी है । आशा है इस प्रकार कि जानकारी आगे भी मिलती रहेगी ।

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