वो कहते हैं न कि एक आइडिया लाइफ बदल देता है, मैं भी यही क्लेम(सही या गलत , कह नहीं सकता) कर रहा हूं कि पांच मिनट पहले मुझे भी एक ऐसा ही आइडिया आया है। ऐसा है कि हम सब हिंदी बलोगर्स चाहते हैं ना कि इंटरनैट पर हिंदी का प्रयोग बढ़े, लोग इस के साथ जुड़े, लोग हिंदी की वेब-साइट्स पढ़ें, तो क्या हम सब के दिन रात बलाग्स लिखने से यह संभव हो पायेगा। लगता तो है, लेकिन इस में शायद टाईम लगेगा। खूब टाईम लगेगा......। अब हम लोग अपने अपने विषय में इतनी मेहनत से लिख तो रहे हैं, लोग पढ़ भी रहे हैं.....लेकिन हम लोग ज्यादातर आपस में ही एक दूसरे की पीठ खुजाते नज़र आ रहे हैं.......देख तूने मुझे दाद दी थी , मैं भी देख दाद दे रहा हूं। यह भी अपने आप में ठीक है, इस से हम नये-नये लिक्खाड़ों का हौंसला बढ़ता है। लेकिन अगर हम दिल से चाहते हैं कि इंटरनैट पर हिंदी का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़े तो हमें आम आदमी ( जो भी इंटरनैट यूज़ कर रहा है) की उंगली भी पकड़नी होगी।
अब मुझे ही देखिए ...मैं हमेशा तम्बाकू –गुटखे के पीछे ही पड़ा रहता हूं या अपनी स्लेट बलोग पर बस कुछ भी लिख कर टाइम को धक्के दे रहा हूं, कोई मक्की की रोटियों की विधि बता रहा है, कोई भड़ास निकालने के लिए हल्ला-शेरी दे रहा है, कोई हल्ला बोलने की हिम्मत जुटवा रहा है, कोई निठल्ला चिंतन कर रहा है, किसी की मानसिक हलचल ने धूम मचाई हुई है, कोई टिप्पणीकार सभी टिप्पणी पर नज़र रख रहा है, कोई स्वामी जी इ-जगत के बारे में बताते हैं, किसी की कतरनें हमारा दिल बहला रही हैं, कोई तरकश में बहुत कुछ लिये नज़र आ रहा है, कोई अपनी ही धुन में हिंदो विश्वकोष बनाने में व्यस्त हैं, कोई संता-बंता के चुटकुले सुना रहा है.......दोस्तो, ये सब बहुत ही महान काम हैं....इसमें रत्ती भर भी शक नहीं है, जो बंदा अपनी भाषा से प्रेम के वशीभूत यह सब किया जा रहा है, वह तो एक बहुत सेवा का काम कर रहा है।( कृपया इस पैराग्राफ के भाव को समझते हुए अन्यथा न लें, नोट करें सब से पहले मैंने अपना ही नाम लिया है.......कृपया इसे खेल-भाव से लें...धन्यवाद)
लेकिन एक हिंदोस्तानी के मन में भी शायद कुछ ऐसा प्रश्न हिलोरे खा रहे हैं जिन का जवाब उसे कहीं से ठीक से मिल नहीं रहा, नेट पर सामग्री तो है लेकिन वह अंग्रेज़ी में इतना प्राफीशियेंट नहीं है कि इसे अच्छी तरह से समझ सके। इसलिए जो आम हिंदोस्तानी नेट पर आ रहा है उसे हिंदी की साइट्स तक खींच लाने का मेरे पास एक सुझाव है......मैं सोच रहा हूं कि जैसे याहू. आंसर्ज़ ( Yahoo! Answers) की सर्विस है , हम सब मिल कर इस के बारे में सोचें और कुछ इस तरह का हिंदी में भी एक प्लेटफार्म तैयार करें जिस में लोग अपना प्रश्न लिखें....फिर जो भी चाहे उस का जवाब दे...लिखने वाले को यह सुविधा हो कि वह चाहे हिंदी में प्रश्न पूछे या अंग्रेज़ी में ,लेकिन हिंदी लेखकों की तरफ से यही कोशिश हो कि वे जवाब हिंदी में ही लिखें......इस से लोगों को कंप्यूटर पर हिंदी लिखने के लिए भी प्रेरणा मिलेगी....और खेल खेल में यह सब सीख जायेंगे। और तो और क्या इंटरनैट पर हिंदी की चैटिंग....( बलाग्स पर नहीं , जस्ट खुले में .....किसी दूसरे प्लेटफार्म पर जैसे याहू में होती है) नहीं हो सकती ।
मुझे तो इस के बारे में कुछ खास पता नहीं है लेकिन अगर याहू आंसर्ज की तरह कुछ हिंदी में हो जाये तो मज़ा आ जाये। इस से लगता है कि इंटरनैट पर हिंदी की तस्वीर ही बदल जायेगी। हिंदी भाषा के लेखकों को एक दिशा मिलेगी।......और हां,साथ ही साथ हम सब हिंदी बलोगिंग तो करते ही रहेंगे।
तो , आप सब धुरंधर लिक्खाड़ो के लिए ( जैसा कि वह चिट्ठों का चांदनी चौंक कहता है) यह होम-वर्क है कि इस के बारे में सोचें.....आप में से बहुत से तो टैक्नीकल एक्सपर्ट हैं, बहुत से बहुत पुराने लिक्खाड़ हैं....इस लिए इस के बारे में ज़रूर कुछ करें....जब तक आप इस के बारे में कुछ नहीं करेंगे...मैं आप सब के पीछे पड़ा ही रहूंगा...यानि इस तरह की पोस्टें प्रकाशित कर कर के आप को बोर करता रहूंगा।
चाहे मुझे इस में इन्वाल्व टैक्नीकैलिटिज़ की ज़रा भी समझ नहीं है, लेकिन मुझे इतनी आशा ज़रूर है कि आप सब के सहयोग से हिंदी में याहू, आंसर्ज जैसे कुछ तो क्या ,और भी बहुत कुछ संभव है। तो, चलो, सब मिल कर हम भी कुछ सबक इंटरनैट पश्चिमी देशों को सिखायें.....बहुत हो गया पीछे पीछे चलना, अब घिन्न आने लगी है। तो चलिए कुछ नया सोचॆं , कुछ नया करें और हिंदी की मशाल सारे संसार में प्रज्जवलित करें।
और हां, अगर ऐसा कुछ हिंदी भाषा में पहले से ही कुछ ऐसा हो रहा है तो इस के बारे में मझे भी प्लीज़ बतलाइयेगा....और इस मामले में मेरे अनाड़ीपन को हिंदी बलोगिंग में एक फ्रैशर समझ कर माफ कर दीजिएगा......अब आप सीनियर होने के नाते इतना भी नहीं करेंगे क्या ?
हिन्दी विकीपिडिया एक बेहतरीन जगह है। हममें से कई उसमें योगदान करते हैं। थोड़ा बहुत, मैं भी करता हूं। आप का स्वागत है, आप भी कुछ करें।
जवाब देंहटाएंDear Praveen ji, This is a phantasti idea. For last five days even I have been trying to put my whole blog in hindi but with lot of help from e-pandit, so far i have only managed post in hindi on my blog. I am still condemned to give my comments in eglish only.
जवाब देंहटाएंThe point is .. like me there are thousands who have queries... & who wish to communicate in this lovely expressive language ....but are just not able as there is no commeon well-known platform. for such people a helping hand will be the final resort ..I strongly support your mission.
Blog URL -- http:\\thephilosophicalpoint.blogspot.com