मैंने १० साल पहले जब एक साथ अपने तीन चार ब्लॉग शुरु किये तो उन में से एक का नाम था ...हैल्थ टिप्स...
मुझे लिखने के लिए विषय ही ध्यान में नहीं आते थे...ऐसे ही एक दिन मैंने बाज़ार मेें बिकने वाले जूस पर कुछ लिखा था जिस का लिंक नीचे दिया है ...
पिछले कुछ वर्षों में भी लिखता रहा हूं कभी कभी इस विषय पर ...लेकिन कल एक मित्र ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर करी थी...यही जूस बनाने-पिलाने वाले गोरखधंधे के बारे में ..
इस में कुछ ऐसा देखा मौसंबी जूस के बारे में जिस की वजह से मुझे लगा कि यह तुरंत शेयर करने योग्य है ...
दरअसल बाकी सब बातों से मैं परिचित था ...लेकिन मौसंबी को भी इस तरह से टीके लगा कर भारी किया जाता है, यह शायद पहली बार मेरी नज़रों के सामने आया...
कल तक मैं बाज़ार में मिलने मौसंबी जूस को सब से ज़्यादा सेफ़ समझा करता था कि इसमें कोई मिलावट वाली हरकत नहीं होती होगी...लेकिन खुराफ़ाती लोग तो ठहरे नटवरलाल....
अब कोई यह तर्क दे कि बड़े बडे़ ठेकेदार करोड़ों रूपये के बिल्डिंगों के घोटाले कर जाते हैं...उन्हें कोई नहीं छूता... और ये छोटे मोटे व्यापारी ही सब लोगों को दिखते हैं....
ऐसा नहीं है, देर सवेर सभी घोटालेबाज काबू में आ ही जाते हैं...लेकिन छोटे धंधे के बहाने ऐसा नहीं है कि इन को छोड़ दिया जाए....कोई बीमार है, कितनी उम्मीद के साथ वह जूस पीता है कि वह अब ठीक हो जाएगा.....लेकिन ठीक क्या खाक होगा, ऐसा जूस पीने से वह....
मैं भी बाज़ार में केवल मौसंबी का जूस ही पीता हूं ..लेकिन अब यह वीडियो देखने के बाद तो यह भी नहीं पिया जायेगा...
हमेशा से ही यह प्रश्न तो रहा ही है कि ये जूस वाले ऊंची जगह में ग्राहकों की नज़रों से बच कर ही क्यों जूस बनाते हैं...पुराने दिनों में सब को लगता था कि थोड़े खराब फल भी ठेल देते होंगे, लेेकिन फिर भी लोग चुप थे....और यह भी लगता था कि पानी या बर्फ़ खूब मिला देते होंगे, यह भी सच तो था ही लेकिन कोई चारा था भी तो नहीं ...अगर जूस पीने गये ही हैं...
आपने भी नोटिस किया होगा कि फलों का रस बेचने वाला आपके सामने कुछ नहीं करता...
वैसे भी जूस की बजाए आप फल ही खा सकें तो और भी अच्छा... तीन चार संतरे खा लेंगे, दो तीन कीनू खा लेंगे तो हो गया ना जूस, और जो फाईबर वाला तत्व है वह भी आप तक पहुंच गया....लेकिन हां, कईं बार शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के लिए, बड़े बुज़ुर्गों के लिए जो अधिक चबा नहीं पाते ... थक जाते हैं....या छोटे बच्चे हैं, इन सब के लिए जूस हो सके तो घर पर ही तैयार करिए...
एक बात ....अगर आप को लगता है कि आप जहां से जूस पीते हैं वह बंदा यह सब नहीं करता तो भी यह एक खुशफहमी हो सकती है, मुझे तो यही लगता है ... कहां तक धक्के खा खाकर यह पता करने की कोशिश करते रहेंगे कि कौन असली है, कौन मिलावटी, कैसे ढूंढ पाएंगे...
लिंक तो लगा दिये हैं मैंने अपने १० साल पुराने लेखों के ..लेकिन मुझे सच में पता नहीं कि मैंने इतने साल पहले इन में क्या लिखा था, लेकिन मैं इन लेखों को बाद में कभी पढ़ता नहीं हूं....क्योंकि मुझे फिर से याद आ जाता है कि मैं कितना बकवास लिखता हूं ......इसलिए मैं इन से हमेशा बचता हूं, जैसे हलवाई अपनी दुकान की मिठाईयों से बचता फिरता है..उसे उन मिठाईयों के अंदर की खबर होती है .....इसलिए मैं भी इस खुशफ़हमी में ही जीना चाहता हूं कि मैं रद्दी नहीं लिखता...
मैं सोच रहा था कि यह मशीन देखने में थोड़ी हार्ड-कोर दिख रही है लेकिन इस्तेमाल करने में बहुत आसान है ...
अचानक पंजाबी सिंगर Hard Kaur का ध्यान आ गया है, इसलिए यह गीत लगा रहा हूं..
मुझे लिखने के लिए विषय ही ध्यान में नहीं आते थे...ऐसे ही एक दिन मैंने बाज़ार मेें बिकने वाले जूस पर कुछ लिखा था जिस का लिंक नीचे दिया है ...
पिछले कुछ वर्षों में भी लिखता रहा हूं कभी कभी इस विषय पर ...लेकिन कल एक मित्र ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर करी थी...यही जूस बनाने-पिलाने वाले गोरखधंधे के बारे में ..
इस में कुछ ऐसा देखा मौसंबी जूस के बारे में जिस की वजह से मुझे लगा कि यह तुरंत शेयर करने योग्य है ...
दरअसल बाकी सब बातों से मैं परिचित था ...लेकिन मौसंबी को भी इस तरह से टीके लगा कर भारी किया जाता है, यह शायद पहली बार मेरी नज़रों के सामने आया...
अब कोई यह तर्क दे कि बड़े बडे़ ठेकेदार करोड़ों रूपये के बिल्डिंगों के घोटाले कर जाते हैं...उन्हें कोई नहीं छूता... और ये छोटे मोटे व्यापारी ही सब लोगों को दिखते हैं....
ऐसा नहीं है, देर सवेर सभी घोटालेबाज काबू में आ ही जाते हैं...लेकिन छोटे धंधे के बहाने ऐसा नहीं है कि इन को छोड़ दिया जाए....कोई बीमार है, कितनी उम्मीद के साथ वह जूस पीता है कि वह अब ठीक हो जाएगा.....लेकिन ठीक क्या खाक होगा, ऐसा जूस पीने से वह....
मैं भी बाज़ार में केवल मौसंबी का जूस ही पीता हूं ..लेकिन अब यह वीडियो देखने के बाद तो यह भी नहीं पिया जायेगा...
हमेशा से ही यह प्रश्न तो रहा ही है कि ये जूस वाले ऊंची जगह में ग्राहकों की नज़रों से बच कर ही क्यों जूस बनाते हैं...पुराने दिनों में सब को लगता था कि थोड़े खराब फल भी ठेल देते होंगे, लेेकिन फिर भी लोग चुप थे....और यह भी लगता था कि पानी या बर्फ़ खूब मिला देते होंगे, यह भी सच तो था ही लेकिन कोई चारा था भी तो नहीं ...अगर जूस पीने गये ही हैं...
आपने भी नोटिस किया होगा कि फलों का रस बेचने वाला आपके सामने कुछ नहीं करता...
वैसे भी जूस की बजाए आप फल ही खा सकें तो और भी अच्छा... तीन चार संतरे खा लेंगे, दो तीन कीनू खा लेंगे तो हो गया ना जूस, और जो फाईबर वाला तत्व है वह भी आप तक पहुंच गया....लेकिन हां, कईं बार शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के लिए, बड़े बुज़ुर्गों के लिए जो अधिक चबा नहीं पाते ... थक जाते हैं....या छोटे बच्चे हैं, इन सब के लिए जूस हो सके तो घर पर ही तैयार करिए...
एक बात ....अगर आप को लगता है कि आप जहां से जूस पीते हैं वह बंदा यह सब नहीं करता तो भी यह एक खुशफहमी हो सकती है, मुझे तो यही लगता है ... कहां तक धक्के खा खाकर यह पता करने की कोशिश करते रहेंगे कि कौन असली है, कौन मिलावटी, कैसे ढूंढ पाएंगे...
असली नकली चेहरा तो फिर भी पता करना आसान है, लेकिन इन मिलावटी चीज़ों का पता लगाना एक दम मुश्किल ...
मुझे अभी ध्यान आया कि बाकी फलों के रस तो अकसर लोग घर में निकाल ही लेते हैं...लेकिन मौसंबी से जूस निकालने को ही बड़ी सिरदर्दी समझा जाता है ...मैंने सोचा कि आप को मौसंबी जूस निकालने वाली मशीन के इस्तेमाल का तरीका ही बता दिया जाए...बहुत सारे बंधु तो जानते होंगे, कुछ के लिेए नया होगा....
सब कुछ तो दिख ही रहा है इस मशीन के इस्तेमाल के बारे में, अब मैं किस चित्र को लेबल करूं!
हां, एक बात जाते जाते जोड़ना चाहता हूं कि आज कल डिब्बेबंद फलों के रस का चलन बहुत होने लगा है ...मैंने शायद १० साल पहले भी इन सब के बारे में कुछ लिखा था...लिंक नीचे दिया है ...
मैं सोच रहा था कि यह मशीन देखने में थोड़ी हार्ड-कोर दिख रही है लेकिन इस्तेमाल करने में बहुत आसान है ...
अचानक पंजाबी सिंगर Hard Kaur का ध्यान आ गया है, इसलिए यह गीत लगा रहा हूं..