मैं आज सुबह आप को बता रहा था कि मैं लता जी के अन्तयेष्ठि स्थल - दादर के शिवाजी पार्क तक पहुंच गया...(इस लिंक पर आप पूरी बात देख-पढ़ सकते हैं..)
जब मुझे किसी से पता चला कि शिवाजी पार्क के अंदर भी जा सकते हैं ..लता जी को श्रद्धांजलि देने तो मैं भी एक लाइन में लग तो गया ...अंदर घुसने से पहले सभी लोगों की अच्छे से तलाशी और मेटल-डिटेक्टर से जांच हो रही थी ...मैं भी लाइन में लग तो गया ..बाप रे बाप....इतनी लंबी लाइन ...गेट से बाहर भी पता नहीं कितनी दूर तक फैली हुई...और अंदर भी बहुत लंबी लाइन ...सिर के बाल सारे पके हों तो, उस का यह फायदा यह भी होता है कि आप को आप ही की उम्र के आसपास के अनजान बालों को लाल-काला रंग हुए लोग भी चाचा कहने लगते हैं...मैं गेट के बाहर लगी लाइन के आखिर में जा ही रहा था कि किसी तरफ़ से आवाज़ आई कि चाचा इधर ही लग जाओ...मैं वहीं खड़ा हो गया...मैंने सोचा कि अब चाचा बाकी काम अपने आप कर लेगा ...क्योंकि हमारा कल्चर ऐसा है कि हम बूढ़े लोगों को ज़्यादा टोकते नहीं हैं....मैं कुछ लोगों के आगे तो ऐसे ही निकल गया ...इतने में पता नहीं लाइन में क्या भगदड़ हुई ...लोग दो लाइनें बनाने लगे और मैं फिर आगे चलने लगा ..और इस तरह मुश्किल से पांच दस मिनट में लता जी के पार्थिव शरीर तक पहुंच गया ....सादर नमन किया ...बड़ा ग़मग़ीन माहौल था वहां...पहले तो लता जी को राजकीय सम्मान दिया गया... बैंड से धुनें बज रही थीं...मंत्रोच्चारण चल रहा था ...कुछ समय बाद ही चिता को आग दे दी गई ...
लोगों ने अपने अपने ढंग से लता दीदी को श्रद्धांजलि दी |
संसार की हर शै का इतना ही फ़साना है ...इक धुंद में आना है, इक धुंद में जाना है 😂🙏 |