कुंअर नारायण जी राज्यपाल महोदय से अवार्ड ग्रहण करते हुए |
यह आयोजन हिंदी उर्दू अवार्ड कमेटी की तरफ़ से था...
बाकी तो शायरों को अकसर देखते-सुनते ही रहते हैं लखनऊ में ..उस दिन मुझे कुंवर बेचैन साहब को देख कर, उन्हें सुन कर और उन से बातचीत करने के बाद आटोग्राफ लेकर बहुत अच्छा लगा...
उन का कविता पाठ उस दिन सब के बाद में रखा गया था...शायद रात १०.३० बज चुके थे...लेकिन लोग डटे रहे अपनी जगहों पर उन्हें सुनने के लिए...
इन के बारे में और इन के शेयरों, गज़लों को आप इस लिंक पर क्लिक कर के पढ़ सकते हैं...मैंने इन्हें खूब पढ़ा...उसमें से बहुत कुछ अपनी डायरी में लिख कर रखा है ...कभी कभी देख लेता हूं, मन खुश हो जाता है...मैंने प्रोग्राम के बाद उन्हें यह बात बताई तो हंसने लगे...
ऐसी हस्तियों से मैं बहुत मुतासिर होता हूं ...इन का उत्साह बिल्कुल बच्चों जैसा होता है .तीन साढ़े तीन घंटे बिल्कुल शांति से बिना किसी तरह के उतावलेपन के इत्मीनान से बैठे रहे ....और निरंतर कुछ न कुछ अपनी डायरी में लिखते रहे..इन्हें देखना, सुनना और इन से बात करना एक सुखद अहसास था..
मेरी डॉयरी के पन्नों से ...(इन्हीं का चुराया माल) |