सोमवार, 11 अप्रैल 2016

कुंवर बेचैन जी से मिल कर रुह खुश हो गई..

कुंअर नारायण जी राज्यपाल महोदय से अवार्ड ग्रहण करते हुए 
दो दिन पहले भारतीय नववर्ष के दिन तीन चार जगहों से निमंत्रण था...लेकिन एक प्रोग्राम में कुंवर बेचैन साहब, मुनव्वर राणा साहब ने आना था, राज्यपाल राम नाईक द्वारा कुछ हिंदी उर्दू के लेखकों को अवार्ड िदया जाना था...

यह आयोजन हिंदी उर्दू अवार्ड कमेटी की तरफ़ से था...

बाकी तो शायरों को अकसर देखते-सुनते ही रहते हैं लखनऊ में ..उस दिन मुझे कुंवर बेचैन साहब को देख कर, उन्हें सुन कर और उन से बातचीत करने के बाद आटोग्राफ लेकर बहुत अच्छा लगा...


उन का कविता पाठ उस दिन सब के बाद में रखा गया था...शायद रात १०.३० बज चुके थे...लेकिन लोग डटे रहे अपनी जगहों पर उन्हें सुनने के लिए...

इन के बारे में और इन के शेयरों, गज़लों को आप इस लिंक पर क्लिक कर के पढ़ सकते हैं...मैंने इन्हें खूब पढ़ा...उसमें से बहुत कुछ अपनी डायरी में लिख कर रखा है ...कभी कभी देख लेता हूं, मन खुश हो जाता है...मैंने प्रोग्राम के बाद उन्हें यह बात बताई तो हंसने लगे...

ऐसी हस्तियों से मैं बहुत मुतासिर होता हूं ...इन का उत्साह बिल्कुल बच्चों जैसा होता है .तीन साढ़े तीन घंटे बिल्कुल शांति से बिना किसी तरह के उतावलेपन के इत्मीनान से बैठे रहे ....और निरंतर कुछ न कुछ अपनी डायरी में लिखते रहे..इन्हें देखना, सुनना और इन से बात करना एक सुखद अहसास था..

मेरी डॉयरी के पन्नों से ...(इन्हीं का चुराया माल) 
मैंने प्रोग्राम के दौरान इन की रिकार्डिंग की और फिर यू-ट्यूब के अपने चैनल पर इसे अपलोड किया है ...शायद आवाज़ की क्वालिटी मेरे सेट की कमी की वजह से उतनी बढ़िया नहीं आई है ..लेकिन अगर आप इस हस्ती को लाइव सुन रहे हैं इस अपलोड में तो यही काफ़ी है...क्या ख्याल है?