सुनने में तो यह बहुत छोटी सी ही बात लगती है लेकिन अकसर दंत चिकित्सकों के पास ऐसे मरीज़ आते ही रहते हैं जो आकर बतलाते हैं कि दुखते दांत की कैविटी के अंदर लवंग-तेल ( clove oil) लगाने से सारे मुंह में छाले हो गये।
जब ये डैंटिस्ट के पास आते हैं तो अकसर दांत के दर्द से ज्यादा मुंह में मौजूद घावों से ज़्यादा परेशान होते हैं। और उन घावों का ट्रीटमैंट भी साथ साथ करना पड़ता है।
इस का कारण ? – अधिकांश लोगों का दुखते दांत में लवंग-तेल लगाने का तरीका यह है कि छोटा सा रूई का टुकड़ा लिया और उसे लवंग तेल में भिगो कर तुरंत दांत की कैविटि में ठूंस दिया ---यही सारी गड़बड़ हो जाती है---यह लवंग-तेल एक कैमिकल ही है और इस तरह से इस्तेमाल करने से यह आस-पास के मसूड़ों, मुंह के अंदर की चमड़ी (oral mucous membrane) पर लीक कर जाता है और इन जगहों पर दर्दनाक घाव पैदा कर देता है।
तो, हमारे लिये यह बहुत ज़रूरी है कि हम सब लोग अच्छी तरह से लवंग तेल के इस्तेमाल को सीख लें----बात बिल्कुल छोटी सी है ---जिस रूईं को आपने लवंग-तेल में भिगो लिया है, उसे मुंह में लगाने से पहले किसी दूसरे सूखे हुये रूईं के टुकड़े पर दो-तीन बार टच करें, डैब करें ----ताकि लवंग तेल वाली रूईँ में मौजूद ज़्यादा लवंग-तेल सूखी हुई रूईं द्वारा सोख लिया जाये और यह लवंग तेल से भीगी हुई रूईं भी आप को देखने में सूखी सी ही लगने लगेगी। इसे आप अपनी कैविटि में लगा सकते हैं ----आप को तुरंत दर्द में राहत मिलेगा और आसपास की किसी जगह पर घाव भी नहीं होंगे।
यह तो हो गई लवंग-तेल की बात ---एक दूसरी बात भी करनी ज़रूरी है ---एसप्रिन बर्न--- अर्थात् एसप्रिन की गोली से मुंह का जलना और घाव हो जाना। होता यूं है कि कुछ लोग अज्ञानता-वश दांत के दर्द के लिये एसप्रिन की टीकिया पीस कर दुखते दांत की जगह पर मल लेते हैं ---मल क्या लेते हैं, आफत ही मोल ले लेते हैं ----एसप्रिन को टैबलेट भी एक कैमिकल ही है ---एसीटाइलसैलीस्लिक एसिड ( acetylsalicylic acid) ---और अगर इसे खाने की बजाये मुंह में पीस कर रगड़ लिया जाता है तो परिणाम आपने सुन ही लिये हैं ----यह मुंह को जला देती है !!
कुछ लोग दांत के दर्द से निजात पाने के लिये उस जगह पर तंबाकू, नसवार ( creamy snuff) रगड़ लेते हैं ----इस से तो बस नशा ही होता है लेकिन कुछ ही समय बाद लोग इस नशे के इतने आदि हो जाते हैं कि इस व्यसन का चस्का उन्हें लग जाता है। दांत के दर्द से राहत की रैसिपी तो यह तंबाकू कतई है नहीं , लेकिन मुंह के कैंसर को तो खुला न्यौता है ही है। एक बात ध्यान आई कि बहुत से मंजन और पेस्ट बाज़ार में इस तरह के हैं जिन में तंबाकू पीस कर मिला हुआ है ---इस से बच कर रहियेगा------ यह केवल आग है जो सब कुछ जला देगी !!
जो लोग तंबाकू के इस्तेमाल के आदि हो जाते हैं उन में से ऐसे लोगों का प्रतिशत भी अच्छा खासा ज़्यादा है जिन्होंने की तंबाकू से पहले मुलाकात ही दांत के दर्द के बहाने हुई ----किसी दोस्त अथवा सगे-संबंधी के कहने पर दांतों अथवा मसूड़ों की तकलीफ़ के लिये एक बार इस तंबाकू का इस्तेमाल क्या शुरू किया कि बस फिर इस लत को लात मार ही न पाये और बहुत से लोग मुंह के कैंसर की आफत को मोल ले बैठे !!
रोज़ाना मरीज़ अपने अनुभव बतलाते हैं ----कुछ लोगों से पता चला कि वे दांत के दर्द के लिये उस के ऊपर नेल-पालिश लगा लेते हैं । यह काम भी करना ठीक नहीं है। कुछ कहते हैं कि वे झाड़-फूंक करवा लेते हैं ----यह बात भी गले से नीचे ही नहीं उतरती।
बात जो भी है – दांत का दर्द परेशानी और जहां तक हो सके इस से बचा जाये और उस का एक उपाय है कि हर छः महीने बाद अपने क्वालीफाईड डैंटिस्ट से अपने दांतों का चैक-अप ज़रूर करवा लिया करें।