एक तो इस सोशल मीडिया ने लोगों का जीना दूभर कर रखा है ....सुबह सवेरे ही हरकत में आ जाते हैं वाट्सएप ज्ञानी लोग अपने अपने टोटकों के साथ कि भाई लोगों, इन चीज़ों का सेवन शुरू कर लीजिए, कोरोना आप के पास फटकेगा नहीं...कुछ तो इतने हास्यास्पद होते हैं कि क्या कहें...
चिकित्साकर्मी भी इन दिनों अपने काम में इतने मसरूफ़ हैं कि उन्हें फ़ुरसत नहीं कि सोशल मीडिया की पोस्टों का खंडन अथवा समर्थन करते फिरें ...फिर भी वक्त निकाल कर विभिन्न जन संचार माध्यमों से वे पूरी कोशिश करते रहते हैं कि जनता तक सही सटीक जानकारी पहुंचे।
किसी व्यक्ति में अगर ख़ून की कमी हो - हीमोग्लोबिन का स्तर सात-आठ ग्राम फ़ीसद हो तो मैंने बहुत बार कहते सुना है कि अनार का जूस शुरू कर दिया है परसों से ....रोज़ाना पिला रहे हैं....फिर उन्हें अच्छे से समझाना पड़ता है कि किसी भी तरह की बीमारी से बचने, टकराने का सब से बड़ा हथियार है सीधा-सादा हिंदोस्तानी खाना - और उस के साथ डाक्टर की सलाह से ली जाने वाली दवाई- अगर खाना ही उपलब्ध नहीं है या संतुलित खाना नहीं खाया जा रहा है तो फिर दिक्कतें ही दिक्कतें हैं ...एक -दो चार नहीं, अनेकों।
यह केवल खून की कमी की ही बात नहीं है ...बहुत सी तकलीफ़ों के लिए लोग अपने आप ही तरह तरह के टॉनिक लेकर इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं....दोष उन का भी नहीं है, जानकारी का अभाव है ...कईं बार जानकारी हो भी तो भी दिमाग काम करना बंद कर देता है जब हम लोग किसी अपने को तकलीफ़ में देखते हैं ...मेरी मां कैंसर की आखिरी स्टेज से जूझ रही थी ..उन दिनों अगर वह अच्छे से दिन भर में एक दो गिलास जूस के पी लेतीं ...या दो चार चम्मच खिचड़ी ही खा लेतीं तो मैं इस ख़ुशफ़हमी में मुबतिला हो जाता कि क्या पता मां की सांसें ऐसे ही चलती रहें......लेकिन अफ़सोस!!
कोई भी विपदा आन पड़े तो जैसे इंसान का दिमाग सुन्न हो जाता है .....ठीक वैसे ही कोरोना में तरह तरह के दावे कि यह ले लो, कोरोना नहीं होगा...वह ले लो कोरोना नहीं होगा...अभी याद आया कि मार्च ेेके शुरू में मैं होटल में एक कार्यक्रम में गया था ..लखनऊ की एक महान हस्ती हुई हैं...मुंशी नवल किशोर.. उन की याद में एक प्रोग्राम था ..प्रोग्राम के अंत में एक सज्जन ने छोटी छोटी शीशियां निकालीं जैसे इत्र की छोटी शीशीयां होती हैं...और उन्होंने कहा कि यह दवाई आप लोग नाक में सुबह शाम डाल लीजिए ...कोरोना पास नहीं फटक सकता। वे यूनानी चिकित्सा पद्धति से जुड़े हुए थे ...मुझे इस तरह के दावे में कोई दम नहीं दिखा ..और यह हो भी कैसे सकता है ..
मैं आज क्यों यह सब लिखने बैठ गया? - कल मैं पेट्रोल पंप पर था, पेट्रोल डालने वाला पहचानता है, पूछने लगा - डाक्टर साब, यह पैकेट पीने से क्या इस महामारी से बचा जा सकता है?, उसने जेब में से ओआरएस का पैकेट निकाल कर मुझे दिखाते हुए पूछा. कहने लगा कि आज कल खाने का तो कोई ठिकाना नहीं है, पास वाली दवाई की दुकान वाला कहता है कि रोज़ इसे पीते रहो, इस से इम्यूनिटि बढ़ जायेगी (उसने यही लफ़्ज़ बोला था) और इस महामारी से बचे रहोगे....मैंने उसे बताया कि कहीं आसपास कोई मौसमी फल या ककड़ी-खीरा-टमाटर मिल जाए तो उसे खाना बेहतर होगा ...और इस तरह की चीज़ों से कोई इम्यूनिटि-वूनिटि में इज़ाफ़ा नहीं होता..। बता रहा था कि एक पैकेट 35 रूपये का आता है, मैंने अपनी तरफ़ से तो उसे अच्छे से समझा दिया...
वैसे यह इम्यूनिटि का फंडा है क्या ..
यह इम्यूनिटि हम लोगों की जीवनशैली का टोटल है..इस में हम लोग क्या कर रहे हैं, क्या नहीं कर रहे हैं और हमारी सोच कैसी है , ये सब बाते हमारी इम्यूनिटी तय करती हैें.....इसलिए इस के बारे में अच्छे से समझने की ज़रूरत है ...
एक बात तो यह है कि अगर हम लोग कहते हैं कि इम्यूनिटि हमारी जीवन शैली का कुल जमा टोटल है और अगर पहले से किसी की ज़िंदगी बेपटड़ी भी रही है तो भी उसे मायूस होने की ज़रूरत नहीं....आज ही से शुरूआत की जा सकती है ...जब जागो तभी सवेरा...
व्यसन -
एक बहुत ज़रूरी बात यह है जितने भी व्यसन हैं वे हमारी इम्यूनिटि को गिरा देते हैं...इसलिए अगर आप इन तीस चालीस दिनों में मजबूरन ही सही, अगर किसी ऐसे ही व्यसन से दूर रह पाएं हैं तो अब इसे पास न फटकने दें....यह कोई कही-सुनी बात नहीं है ..बिल्कुल पत्थर पर लकीर जैसी पक्की बात है कि विभिन्न तरह के व्यसन हमारी इम्यूनिटि को कम कर के हमें मुख़्तलिफ़ बीमारीयों की तरफ़ धकेल देते हैं.....डाक्टरों का क्या है, उन्होंने तो इशारा ही करना होता है ...बाकी हर इंसान की ज़िंदगी अपनी है ....मैं परसों किसी को कह रहा था कि सिगरेट बंद कर दो...उसने कहा कि हां, बहुत कम पीता हूं.......अब आगे हम लोगों के पास कहने को रह ही क्या जाता है ......बच्चा बच्चा जानता है कि कोरोना का अजगर सारी कायनात पर फन उठाए खड़ा है और इस बीमारी में सब से ज़्यादा असर फ़ेफ़ड़ों पर ही होता है, ऐसे में क्यों सिगरेट, बीड़ी के चक्कर में फ़ेफ़ड़ों के लिए मुसीबत मोल ली जाए....क्योंकि आज की तारीख़ में उन का सही से काम करना भी तो ज़रूरी है .. उस के लिए हम सब को प्राणायाम ज़रूर करना चाहिए...अगर अभी तक नहीं किया तो क्या हुआ, आज ही से थोड़ा थोडा़ शुरू कीजिए...कहां से सीखें? - उस का जवाब यही है कि अगर हम चाहते हैं तो कुछ भी सीख लेते हैं...और हां, अगर प्राणायाम को किसी मज़हब के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है तो इसे प्राणायाम् कहें ही न, इसे सांस की एक्सरसाइज़ कह लीजिए...(ब्रीदिंग एक्सरसाईज़). और जितना हो सके योगाभ्यास भी करें...
इम्यूनिटि का चक्कर उन सब चीज़ों से है जो हम करते हैं या नहीं करते हैं....हम लोग एक्सरसाईज़ करते हैं या नहीं, शरीर को हिलाते-ढुलाते हैं कि नहीं, सुबह की धूप में बैठते हैं या नहीं, घरों की खिड़कियां धूप और हवा के लिए खोलते भी हैं या नहीं, ये धार्मिक घृणा फैलाने वाली पोस्टों को देखते हैं या नहीं, अपने आप को संतुलित रखने के लिए मेडीटेशन (ध्यान) करते हैं या नहीं....अभी मुझे लिखते लिखते यही ख़्याल आ रहा है कि हमारी ज़िंदगी में आखिर ऐसी कौन सी चीज़ है जो हमारी इम्यूनिटि को प्रभावित नहीं करती ....सब कुछ करती है ...अभी ध्यान आया कि मैंने यह इम्यूनिटि लफ़्ज़ पहली बार अपने जीजा जी से सुना था --मैं आठवीं नवीं कक्षा में था, बार बार जुकाम हो जाता था ...बस में बैठते ही जी मितलाने लगता था ...एक बार उन्होंने कहा कि ये सब इम्यूनिटि कम होने की वजह से होता है .
हां तो दोस्तो बात इतनी है कि सादा खाइए...अब लॉक-डाउन में किसी को खाने के बारे में ज़्यादा उपदेश देना भी बहुत घटिया बात लगती है, ठीक है न जो भी जिसे मिल रहा है खा ही रहा है ....पड़ोस में रहने वाले कुछ लोगों की जान निकली रही पिछले दिनों की संतरे नहीं मिल पा रहे ....एक दिन कॉलोनी के बाहर संतरे देखे तो उन्हें बता दिया....एक बात और आप ने लॉक-डाउन के शुरूआती दिनों में बहुत सुनी होगी कि विटामिन सी लीजिेए...इस से इम्यूनिटि बढ़ जाती है ......ऐसा कुछ नहीं होता, डाक्टरों ने इस बात का खंडन किया है ....ठीक है, विटामिन सी लीजिए. ..अगर संतरे, आंवले जैसी चीज़ों के रूप में लेते हैं तो अच्छी बात है ...संतुलित आहार का हिस्सा है ....और संतुलित आहार तो इम्यूनिटि बढ़ाने में मददगार होता ही है ...
इम्यूनिटि भी एक ऐसा टॉपिक है कि अगर हम लोग इसके बारे में जान गए तो बात एक फ़िक़रे भर की है .....हमेशा अपने खाने पीने का ख़्याल रखें, एक्सरसाईज़ करें, व्यसनों से दूर रहें, प्राणायाम ज़रूर करिए, ध्यान ज़रूर करिए, सकारात्मक साहित्य देखिए एवं पढ़िए....नकारात्मक लोगों से कन्नी कतराते रहें .....प्रकृति के पास रहें ....अपनी हैसियत के मुताबिक़ खाना-पीना लेते रहें .....अगर हो सके तो सलाद, अंकुरित अनाज एवं दालें, और मौसमी फल भी ज़रूरी हैं..
इम्यूनिटि चाहे कुछ दिनों में नहीं बढ़ जाती लेकिन शुरूआत तो कभी भी कर ही सकते हैं ....तुलसी, शहद, अदरक, तरह तरह के काढ़े सब बढ़िया हैं ...करिए इन्हें ज़रूर इस्तेमाल करिए ....लेकिन ये ही केवल संजीवनी बूटी नहीं है कोरोना को मात देने के लिए ...ऊपर लिखी सभी बातों का ख़्याल रखिए ...
और क्या लिखें, अपना ख़्याल रखिए - मस्त रहिेए..
दिल की बात ...
जाते जाते मेरे दिल की बात -- यह जो ऊपर लिखा ये सब वैज्ञानिक बातें हैं ..एक दम मैडीकल तथ्यों पर आधारित ...जो मेरे बाएं तरफ़ के दिमाग ने लिखवा दीं.......लेकिन जैसा कि मैं अकसर बेटों से कहता हूं कि मेरे दिल और दिमाग में अकसर जंग छिड़ी होती है ...दिमाग कुछ कहता है -- और दिल कुछ और ....दिमाग की बात ऊपर लिख दी है ....लेकिन दिल यही कहता है कि हम कितना भी पढ़-लिख जाएं ....कितना भी ज्ञान बटोर लें .....लेकिन सब चीज़ों का कंट्रोलर तो कहीं और बैठा है .....बुल्ले शाह की ये बातें मेरा दाईं तरफ़ वाला दिमाग मुझे रह रह कर याद दिलाता रहता है ...
चिकित्साकर्मी भी इन दिनों अपने काम में इतने मसरूफ़ हैं कि उन्हें फ़ुरसत नहीं कि सोशल मीडिया की पोस्टों का खंडन अथवा समर्थन करते फिरें ...फिर भी वक्त निकाल कर विभिन्न जन संचार माध्यमों से वे पूरी कोशिश करते रहते हैं कि जनता तक सही सटीक जानकारी पहुंचे।
किसी व्यक्ति में अगर ख़ून की कमी हो - हीमोग्लोबिन का स्तर सात-आठ ग्राम फ़ीसद हो तो मैंने बहुत बार कहते सुना है कि अनार का जूस शुरू कर दिया है परसों से ....रोज़ाना पिला रहे हैं....फिर उन्हें अच्छे से समझाना पड़ता है कि किसी भी तरह की बीमारी से बचने, टकराने का सब से बड़ा हथियार है सीधा-सादा हिंदोस्तानी खाना - और उस के साथ डाक्टर की सलाह से ली जाने वाली दवाई- अगर खाना ही उपलब्ध नहीं है या संतुलित खाना नहीं खाया जा रहा है तो फिर दिक्कतें ही दिक्कतें हैं ...एक -दो चार नहीं, अनेकों।
यह केवल खून की कमी की ही बात नहीं है ...बहुत सी तकलीफ़ों के लिए लोग अपने आप ही तरह तरह के टॉनिक लेकर इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं....दोष उन का भी नहीं है, जानकारी का अभाव है ...कईं बार जानकारी हो भी तो भी दिमाग काम करना बंद कर देता है जब हम लोग किसी अपने को तकलीफ़ में देखते हैं ...मेरी मां कैंसर की आखिरी स्टेज से जूझ रही थी ..उन दिनों अगर वह अच्छे से दिन भर में एक दो गिलास जूस के पी लेतीं ...या दो चार चम्मच खिचड़ी ही खा लेतीं तो मैं इस ख़ुशफ़हमी में मुबतिला हो जाता कि क्या पता मां की सांसें ऐसे ही चलती रहें......लेकिन अफ़सोस!!
कोई भी विपदा आन पड़े तो जैसे इंसान का दिमाग सुन्न हो जाता है .....ठीक वैसे ही कोरोना में तरह तरह के दावे कि यह ले लो, कोरोना नहीं होगा...वह ले लो कोरोना नहीं होगा...अभी याद आया कि मार्च ेेके शुरू में मैं होटल में एक कार्यक्रम में गया था ..लखनऊ की एक महान हस्ती हुई हैं...मुंशी नवल किशोर.. उन की याद में एक प्रोग्राम था ..प्रोग्राम के अंत में एक सज्जन ने छोटी छोटी शीशियां निकालीं जैसे इत्र की छोटी शीशीयां होती हैं...और उन्होंने कहा कि यह दवाई आप लोग नाक में सुबह शाम डाल लीजिए ...कोरोना पास नहीं फटक सकता। वे यूनानी चिकित्सा पद्धति से जुड़े हुए थे ...मुझे इस तरह के दावे में कोई दम नहीं दिखा ..और यह हो भी कैसे सकता है ..
मैं आज क्यों यह सब लिखने बैठ गया? - कल मैं पेट्रोल पंप पर था, पेट्रोल डालने वाला पहचानता है, पूछने लगा - डाक्टर साब, यह पैकेट पीने से क्या इस महामारी से बचा जा सकता है?, उसने जेब में से ओआरएस का पैकेट निकाल कर मुझे दिखाते हुए पूछा. कहने लगा कि आज कल खाने का तो कोई ठिकाना नहीं है, पास वाली दवाई की दुकान वाला कहता है कि रोज़ इसे पीते रहो, इस से इम्यूनिटि बढ़ जायेगी (उसने यही लफ़्ज़ बोला था) और इस महामारी से बचे रहोगे....मैंने उसे बताया कि कहीं आसपास कोई मौसमी फल या ककड़ी-खीरा-टमाटर मिल जाए तो उसे खाना बेहतर होगा ...और इस तरह की चीज़ों से कोई इम्यूनिटि-वूनिटि में इज़ाफ़ा नहीं होता..। बता रहा था कि एक पैकेट 35 रूपये का आता है, मैंने अपनी तरफ़ से तो उसे अच्छे से समझा दिया...
वैसे यह इम्यूनिटि का फंडा है क्या ..
यह इम्यूनिटि हम लोगों की जीवनशैली का टोटल है..इस में हम लोग क्या कर रहे हैं, क्या नहीं कर रहे हैं और हमारी सोच कैसी है , ये सब बाते हमारी इम्यूनिटी तय करती हैें.....इसलिए इस के बारे में अच्छे से समझने की ज़रूरत है ...
एक बात तो यह है कि अगर हम लोग कहते हैं कि इम्यूनिटि हमारी जीवन शैली का कुल जमा टोटल है और अगर पहले से किसी की ज़िंदगी बेपटड़ी भी रही है तो भी उसे मायूस होने की ज़रूरत नहीं....आज ही से शुरूआत की जा सकती है ...जब जागो तभी सवेरा...
व्यसन -
एक बहुत ज़रूरी बात यह है जितने भी व्यसन हैं वे हमारी इम्यूनिटि को गिरा देते हैं...इसलिए अगर आप इन तीस चालीस दिनों में मजबूरन ही सही, अगर किसी ऐसे ही व्यसन से दूर रह पाएं हैं तो अब इसे पास न फटकने दें....यह कोई कही-सुनी बात नहीं है ..बिल्कुल पत्थर पर लकीर जैसी पक्की बात है कि विभिन्न तरह के व्यसन हमारी इम्यूनिटि को कम कर के हमें मुख़्तलिफ़ बीमारीयों की तरफ़ धकेल देते हैं.....डाक्टरों का क्या है, उन्होंने तो इशारा ही करना होता है ...बाकी हर इंसान की ज़िंदगी अपनी है ....मैं परसों किसी को कह रहा था कि सिगरेट बंद कर दो...उसने कहा कि हां, बहुत कम पीता हूं.......अब आगे हम लोगों के पास कहने को रह ही क्या जाता है ......बच्चा बच्चा जानता है कि कोरोना का अजगर सारी कायनात पर फन उठाए खड़ा है और इस बीमारी में सब से ज़्यादा असर फ़ेफ़ड़ों पर ही होता है, ऐसे में क्यों सिगरेट, बीड़ी के चक्कर में फ़ेफ़ड़ों के लिए मुसीबत मोल ली जाए....क्योंकि आज की तारीख़ में उन का सही से काम करना भी तो ज़रूरी है .. उस के लिए हम सब को प्राणायाम ज़रूर करना चाहिए...अगर अभी तक नहीं किया तो क्या हुआ, आज ही से थोड़ा थोडा़ शुरू कीजिए...कहां से सीखें? - उस का जवाब यही है कि अगर हम चाहते हैं तो कुछ भी सीख लेते हैं...और हां, अगर प्राणायाम को किसी मज़हब के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है तो इसे प्राणायाम् कहें ही न, इसे सांस की एक्सरसाइज़ कह लीजिए...(ब्रीदिंग एक्सरसाईज़). और जितना हो सके योगाभ्यास भी करें...
इम्यूनिटि का चक्कर उन सब चीज़ों से है जो हम करते हैं या नहीं करते हैं....हम लोग एक्सरसाईज़ करते हैं या नहीं, शरीर को हिलाते-ढुलाते हैं कि नहीं, सुबह की धूप में बैठते हैं या नहीं, घरों की खिड़कियां धूप और हवा के लिए खोलते भी हैं या नहीं, ये धार्मिक घृणा फैलाने वाली पोस्टों को देखते हैं या नहीं, अपने आप को संतुलित रखने के लिए मेडीटेशन (ध्यान) करते हैं या नहीं....अभी मुझे लिखते लिखते यही ख़्याल आ रहा है कि हमारी ज़िंदगी में आखिर ऐसी कौन सी चीज़ है जो हमारी इम्यूनिटि को प्रभावित नहीं करती ....सब कुछ करती है ...अभी ध्यान आया कि मैंने यह इम्यूनिटि लफ़्ज़ पहली बार अपने जीजा जी से सुना था --मैं आठवीं नवीं कक्षा में था, बार बार जुकाम हो जाता था ...बस में बैठते ही जी मितलाने लगता था ...एक बार उन्होंने कहा कि ये सब इम्यूनिटि कम होने की वजह से होता है .
हां तो दोस्तो बात इतनी है कि सादा खाइए...अब लॉक-डाउन में किसी को खाने के बारे में ज़्यादा उपदेश देना भी बहुत घटिया बात लगती है, ठीक है न जो भी जिसे मिल रहा है खा ही रहा है ....पड़ोस में रहने वाले कुछ लोगों की जान निकली रही पिछले दिनों की संतरे नहीं मिल पा रहे ....एक दिन कॉलोनी के बाहर संतरे देखे तो उन्हें बता दिया....एक बात और आप ने लॉक-डाउन के शुरूआती दिनों में बहुत सुनी होगी कि विटामिन सी लीजिेए...इस से इम्यूनिटि बढ़ जाती है ......ऐसा कुछ नहीं होता, डाक्टरों ने इस बात का खंडन किया है ....ठीक है, विटामिन सी लीजिए. ..अगर संतरे, आंवले जैसी चीज़ों के रूप में लेते हैं तो अच्छी बात है ...संतुलित आहार का हिस्सा है ....और संतुलित आहार तो इम्यूनिटि बढ़ाने में मददगार होता ही है ...
इम्यूनिटि भी एक ऐसा टॉपिक है कि अगर हम लोग इसके बारे में जान गए तो बात एक फ़िक़रे भर की है .....हमेशा अपने खाने पीने का ख़्याल रखें, एक्सरसाईज़ करें, व्यसनों से दूर रहें, प्राणायाम ज़रूर करिए, ध्यान ज़रूर करिए, सकारात्मक साहित्य देखिए एवं पढ़िए....नकारात्मक लोगों से कन्नी कतराते रहें .....प्रकृति के पास रहें ....अपनी हैसियत के मुताबिक़ खाना-पीना लेते रहें .....अगर हो सके तो सलाद, अंकुरित अनाज एवं दालें, और मौसमी फल भी ज़रूरी हैं..
इम्यूनिटि चाहे कुछ दिनों में नहीं बढ़ जाती लेकिन शुरूआत तो कभी भी कर ही सकते हैं ....तुलसी, शहद, अदरक, तरह तरह के काढ़े सब बढ़िया हैं ...करिए इन्हें ज़रूर इस्तेमाल करिए ....लेकिन ये ही केवल संजीवनी बूटी नहीं है कोरोना को मात देने के लिए ...ऊपर लिखी सभी बातों का ख़्याल रखिए ...
और क्या लिखें, अपना ख़्याल रखिए - मस्त रहिेए..
दिल की बात ...
जाते जाते मेरे दिल की बात -- यह जो ऊपर लिखा ये सब वैज्ञानिक बातें हैं ..एक दम मैडीकल तथ्यों पर आधारित ...जो मेरे बाएं तरफ़ के दिमाग ने लिखवा दीं.......लेकिन जैसा कि मैं अकसर बेटों से कहता हूं कि मेरे दिल और दिमाग में अकसर जंग छिड़ी होती है ...दिमाग कुछ कहता है -- और दिल कुछ और ....दिमाग की बात ऊपर लिख दी है ....लेकिन दिल यही कहता है कि हम कितना भी पढ़-लिख जाएं ....कितना भी ज्ञान बटोर लें .....लेकिन सब चीज़ों का कंट्रोलर तो कहीं और बैठा है .....बुल्ले शाह की ये बातें मेरा दाईं तरफ़ वाला दिमाग मुझे रह रह कर याद दिलाता रहता है ...