आज की हिन्दुस्तान अखबार में केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डा विजय कुमार का एक बहुत बढ़िया लेख प्रकाशित हुआ है...डाक्टर साहब ने बिना वजह से चेहरे पर क्रीमें थोप-थोप कर उसे बिगाड़ने के बारे में बड़े अच्छे से सचेत किया है।
जब कोई विशेषज्ञ इस तरह की बातें करता है तो बेहतरी है हम चुपचाप मान लें।
हम देखते ही हैं ..आज अधिकतर लोग अपने चेहरे को बिगाड़ने में लगे हैं.....मेरे सहायक परिचर ने भी अस्पताल में एक गोरा होने की क्रीम रख छोड़ी है... यदा कदा देखता हूं चेहरे पर रगड़ रहा होता है। मैं उसे कहता हूं कि तू क्यों इन चक्करों में पड़ता है, इन से कुछ नहीं होता। लेकिन उस का भ्रम है कि उसे तो फर्क महसूस होता है।
अकसर मुझे कुछ युवा मिलते हैं जिन के चेहरों पर मुंहासे आ जाते हैं...१५-१८-२० की उम्र में.....मैं देखता हूं कि जो युवा तो इन के लिए कुछ भी नहीं करते...वे तो बिल्कुल ठीक रहते हैं, कुछ समय बाद ये मुहांसे अपने आप ही सूख जाते हैं...बिना कोई भी निशान छोड़े.....क्या हम लोगों को नहीं होते थे ये मुहंासे, होते थे, लेकिन हम कुछ भी तो नहीं करते थे। लेकिन आज के युवाओं को इन मुहांसों के बिगड़े रूप से बचने के लिए जंक-फूड और अपनी जीवनशैली को दुरूस्त करने की भी बहुत ज़रूरत है...नींद भी पूरी होनी चाहिए ..जो सोशल मीडिया के चक्कर में अधूरी रह जाती है।
और अगर लगे कि इन मुहांसों की वजह से ज़्यादा ही परेशानी हो रही है तो चमडी रोग विशेषज्ञ से मिल कर ही कुछ करिए...अपने आप ही किसी विज्ञापन में देख-पढ़ कर या फिर पड़ोस के कैमिस्ट की सलाह से कुछ भी न लगाएं.....चेहरा बिगड़ जाएगा, फिर तो चमडी रोग विशेषज्ञ के पास जाना ही होगा।
डाक्टर साहब ने बार बार फेशियल के नुकसान भी गिनाए हैं, ध्यान से पढ़िएगा।
मैं भी इन दो तीन महीनों की सर्दी के दिनों में बस चेहरे पर सुबह नहाने के बाद बिल्कुल थोड़ी सी कोल्ड-क्रीम लगा लेता हूं... चेहरे पर शुष्कपन नहीं रहता, बस इसलिए, और कुछ नहीं करते।
वैसे भी ..... Beauty is not skin deep! ....अगर आप के भीतर सुंदरता है तो वही बात झलकेगी.... रंग ले आएगं, रूप ले आएंगे..कागज के फूल खुशबू कहां से लाएंगे। गांवों-कसबों की महिलाएं अधिकतर पहले कहां इन सब चक्करों में पड़ा करती थीं, और उन के चेहरे की चमक-दमक देखते ही बना करती थी।
मैं कईं बार मजाक में कहता हूं कि जितना पैसा आप लोग अपने आप को ब्यूटीफाई करने के लिए खर्च कर देते हैं, अगर उतने पैसे का फल-फ्रूट या जूस ही पी लिया जाए.....पौष्टिक आहार लिया जाएं, तो स्थायी सुंदरता से ही चेहरे चमकने लगें।
दादी-नानी के घरेलू नुस्खों जैसे मुल्तानी मिट्टी, उबटन आदि तो सब अब नाम ही से आज के युवाओं को कितना आउटडेटेड सा लगता होगा, है कि नहीं, सब कुछ एकदम हिप होना चाहिए!
एक बात बिल्कुल इस विषय से जुड़ी नहीं है, दोस्तो, चेहरे की बात हो रही है तो ज़ाहिर है शर्माने की बात भी इस के साथ थोड़ी जुड़ तो सकती है.....दोस्तो, आज सुबह जब मैं विविध भारती पर "मेरा गांव मेरा देश" का यह गीत सुन रहा था तो अचानक मेरे मन में यह विचार आया कि पिछले चार दशकों से मेलों में फिल्माए गये अनेकों गीत आए......लेकिन ऐसा क्या है, कि यह गीत बचपन के दिनों से लेकर आज तक हम सब के दिलों पे राज करता है..... क्या ख्याल है?
इसे मैंने यहां पर इस लिए भी लगा दिया है क्योंकि मैं चाहता हूं कि आप थोड़ा हंसे-मुस्कुराएं......यहां एक नन्हे फरिश्ते की तस्वीर देख रहे हैं.....यह एक बेहतरीन नुस्खा हम से शेयर कर रहा है.....
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हम देखते ही हैं ..आज अधिकतर लोग अपने चेहरे को बिगाड़ने में लगे हैं.....मेरे सहायक परिचर ने भी अस्पताल में एक गोरा होने की क्रीम रख छोड़ी है... यदा कदा देखता हूं चेहरे पर रगड़ रहा होता है। मैं उसे कहता हूं कि तू क्यों इन चक्करों में पड़ता है, इन से कुछ नहीं होता। लेकिन उस का भ्रम है कि उसे तो फर्क महसूस होता है।
अकसर मुझे कुछ युवा मिलते हैं जिन के चेहरों पर मुंहासे आ जाते हैं...१५-१८-२० की उम्र में.....मैं देखता हूं कि जो युवा तो इन के लिए कुछ भी नहीं करते...वे तो बिल्कुल ठीक रहते हैं, कुछ समय बाद ये मुहांसे अपने आप ही सूख जाते हैं...बिना कोई भी निशान छोड़े.....क्या हम लोगों को नहीं होते थे ये मुहंासे, होते थे, लेकिन हम कुछ भी तो नहीं करते थे। लेकिन आज के युवाओं को इन मुहांसों के बिगड़े रूप से बचने के लिए जंक-फूड और अपनी जीवनशैली को दुरूस्त करने की भी बहुत ज़रूरत है...नींद भी पूरी होनी चाहिए ..जो सोशल मीडिया के चक्कर में अधूरी रह जाती है।
और अगर लगे कि इन मुहांसों की वजह से ज़्यादा ही परेशानी हो रही है तो चमडी रोग विशेषज्ञ से मिल कर ही कुछ करिए...अपने आप ही किसी विज्ञापन में देख-पढ़ कर या फिर पड़ोस के कैमिस्ट की सलाह से कुछ भी न लगाएं.....चेहरा बिगड़ जाएगा, फिर तो चमडी रोग विशेषज्ञ के पास जाना ही होगा।
डाक्टर साहब ने बार बार फेशियल के नुकसान भी गिनाए हैं, ध्यान से पढ़िएगा।
मैं भी इन दो तीन महीनों की सर्दी के दिनों में बस चेहरे पर सुबह नहाने के बाद बिल्कुल थोड़ी सी कोल्ड-क्रीम लगा लेता हूं... चेहरे पर शुष्कपन नहीं रहता, बस इसलिए, और कुछ नहीं करते।
वैसे भी ..... Beauty is not skin deep! ....अगर आप के भीतर सुंदरता है तो वही बात झलकेगी.... रंग ले आएगं, रूप ले आएंगे..कागज के फूल खुशबू कहां से लाएंगे। गांवों-कसबों की महिलाएं अधिकतर पहले कहां इन सब चक्करों में पड़ा करती थीं, और उन के चेहरे की चमक-दमक देखते ही बना करती थी।
मैं कईं बार मजाक में कहता हूं कि जितना पैसा आप लोग अपने आप को ब्यूटीफाई करने के लिए खर्च कर देते हैं, अगर उतने पैसे का फल-फ्रूट या जूस ही पी लिया जाए.....पौष्टिक आहार लिया जाएं, तो स्थायी सुंदरता से ही चेहरे चमकने लगें।
दादी-नानी के घरेलू नुस्खों जैसे मुल्तानी मिट्टी, उबटन आदि तो सब अब नाम ही से आज के युवाओं को कितना आउटडेटेड सा लगता होगा, है कि नहीं, सब कुछ एकदम हिप होना चाहिए!
एक बात बिल्कुल इस विषय से जुड़ी नहीं है, दोस्तो, चेहरे की बात हो रही है तो ज़ाहिर है शर्माने की बात भी इस के साथ थोड़ी जुड़ तो सकती है.....दोस्तो, आज सुबह जब मैं विविध भारती पर "मेरा गांव मेरा देश" का यह गीत सुन रहा था तो अचानक मेरे मन में यह विचार आया कि पिछले चार दशकों से मेलों में फिल्माए गये अनेकों गीत आए......लेकिन ऐसा क्या है, कि यह गीत बचपन के दिनों से लेकर आज तक हम सब के दिलों पे राज करता है..... क्या ख्याल है?
इसे मैंने यहां पर इस लिए भी लगा दिया है क्योंकि मैं चाहता हूं कि आप थोड़ा हंसे-मुस्कुराएं......यहां एक नन्हे फरिश्ते की तस्वीर देख रहे हैं.....यह एक बेहतरीन नुस्खा हम से शेयर कर रहा है.....
"अगर बिना वजह चिंता में डूबे रहोगे तो चेहरे पर मुहांसे फूटेंगे...
अगर रोनी सूरत बनाए रहोगो तो झुर्रियां ही पड़ेंगी,
अगर हंसते-मुस्कुराते रहोगे तो गाल मेरे जैसे डिंपट वाले क्यूट हो जाएंगे।।"