आज मैं अमेरिका में नींद की गोलियों के अंधाधुंध इस्तेमाल की बात पढ़ रहा था तो मुझे यही ध्यान आया कि पिछले तीस सालों में एक अच्छी बात जो मैंने इस देश के कैमिस्टों में नोटिस की है ...वह यह कि ये लोग नींद की गोलियां बिना डाक्टर के नुस्खे के किसी आदमी को नहीं बेचते।
वैसे तो कुछ कैमिस्ट किस किस तरह के गोरखधंधे कर रहे हैं यह जगजाहिर है.....अपने लाइसेंस को पांच हज़ार के मासिक किराये पर किसी को आगे कैमिस्ट की दुकान चलाने के लिए दे देना, या फिर कुछ तो नशे के टीके बेचते ही नहीं, ये छोटे मोटे कैमिस्ट अपनी ही दुकान में या कहीं उस के पिछवाड़े में जनता की नज़रों से दूर नशा करने वालों की इंजेक्शन लगाने तक की ज़रूरतें पूरी करते हैं।
यह नींद की गोलियां भी ये बिना नुस्खा के इसीलिए नहीं बेचते कि ये किसी तरह के पुलिस के लफड़े में पड़ना नहीं चाहते। इन नींद की गोलियां का बहुत से आत्महत्या करने वाले युवक एवं युवतियां इस्तेमाल करने लगी थीं.....अभी भी यह सब चल ही रहा है। फिर भी नींद की गोलियां उतनी आसानी से मिलती नहीं हैं।
नींद की गोलियां......कहते तो हैं, लेकिन इन के लेने से व्यक्ति थोड़ा सुकून सा महसूस करता है, आगे बात करते हैं यह कैसा सुकून है। इस में एलप्रैक्स, कामपोज़ और लोराज़िपाम जैसी दवाईयां शामिल हैं।
नींद की दवाईयां भी अगर प्रशिक्षित डाक्टर ही लिखे तो ठीक होता है क्योंकि उसे पता रहता है कि किस मरीज़ में किस तरह की गोलियां चाहिए....आप को शायद पता नहीं होगा कि नींद की दवाईयां इस हिसाब त से बनी हुई हैं कि क्या नींद आने में दिक्कत है, या फिर कोई सो तो ठीक जाता है लेकिन बीच बीच में उठने लगता है ..नींद ठीक से आती ही नहीं, या फिर सुबह कोई जल्दी उठ जाता है, इन सब के लिए अलग अलग दवाईयां तो हैं।
एक बात जो मैंने नोटिस की है कि यह नींद वींद की समस्या उन लोगों में ज्यादा होती है जो निष्क्रिय रहते हैं ..कोई काम नहीं करते सारा दिन लेटे रहते हैं, आराम फरमाते रहते हैं......जो मैंने अनुभव किया है यह नींद की समस्या उन लोगों में बहुत कम होती है जो अपने मन की खुशी के लिए किसी न किसी काम में व्यस्त रहते हैं, घूमते टहलते हैं, किसी न किसी तरह के - अपने मन की खुशी के लिए -- आध्यात्मिक समूहों के साथ मिल बैठ कर थोडा समय बिताते हैं..
और मैंने देखा है कि कुछ लोग इतने पॉजिटिव से होते हैं कि नींद कम भी आती है तो इसे बड़ा एक्टिवली एक्सेप्ट करते हैं कि ठीक है, उम्र के साथ नींद कम तो होनी ही है... चुपचाप सुबह उठ कर अपने किसी काम में व्यस्त हो जाएंगे, कुछ पढ़ने में , टीवी पर अपना मनपसंद कार्यक्रम देखने में ...कहने का मतलब है कि अधिकतर लोगों ने इस देश में अपना कोई न कोई सुपोर्ट सिस्टम बना रखा होता है ......जिस के कंधे पर अपना हाथ या सिर रख कर अपने दिल का गुबार निकाल सकते हैं।
लेकिन आज मैंने यह खबर देखी कि अमेरिका में कितनी ज़्यादा संख्या में लोग इस तरह की नींद वाली गोलियों के आदि हो चुके हैं.....वैसे इन्हें नींद वाली गोलियां तो आम तौर पर कहते हैं ......इन्हें सिडेटिव (Sedatives) भी कहा जाता है। कोई भी दवाई है तो उस के कुछ न कुछ तो साइड-इफैक्ट्स तो होते ही हैं, जैसे कि इस रिपोर्ट में भी आप पढ़ेंगे कि इन दवाईयों के इस्तेमाल से बुजुर्गों में तरह तरह की समस्याएं भी आ जाती हैं ...वह चलते चलते गिर सकते हैं, ड्राईविंग में दिक्कत आ जाती है, किसी बात को समझने में तकलीफ़ हो सकती है ...
मेरा तो यही विचार है कि अगर आप को या आप के आसपास किसी निकट संबंधी को इस तरह की तकलीफ़ है कि वे ज़्यादा टेंशन में रहते हैं, हर समय चिंता में डूबे रहते रहते हैं, नींद कम हो गई है तो इस के लिए सदियों से टेस्टेड जो फार्मूले हैं वे बेहद आसान हैं.........अपने आहार को सात्विक करें, रात को हल्का लें, योग-प्राणायाम् और ध्यान से बढ़ कर कोई औषधि इस तरह की तकलीफ़ों को दूर रखने के लिए सब से ज़्यादा कारगर हैं, बाकी तो बाजारवाद है......दवाईयां बनती हैं तो बिकेंगी भी .......बिकेंगी तभी जब कोई लिखेगा।
मैं यह नहीं कहता कि ये दवाईयां न खाएं या डाक्टर की बात न मानें.......मेरा कहने का भाव यही है कि पहले अपने खान-पान, जीवनशैली को थोड़ा पटड़ी पर लाने की कोशिश करें तो ही डाक्टर का रूख करें......शायद अपने रहन सहन, खान-पान में परिवर्तन करने से और योग-प्राणायाम् और ध्यान को अपने जीवन में लाने पर आप की ये सब समस्याएं अपने आप ही छू-मंतर हो जाएं.......और यकीनन ऐसा ही होगा।
वरना डाक्टर तो हैं ही......अगर ऐसा कुछ लग रहा है कि नींद आ ही नहीं रही, सोने का कुछ बड़ा लफड़ा है तो भई फिजिशियन के पास तो जाना ही पड़ेगा.........इस रिपोर्ट में यह भी बड़ी आपत्ति की गई है कि इस तरह की नींद की दवाईयां अधिकतर मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा लिखी भी नहीं होती......कोई भी डाक्टर लिख देता है और लोग लेना शुरू कर देते हैं.....यह अमेरिका की बात है..........आप इस लिंक पर जा कर पढ़ सकते हैं कि अमेरिकी जनता किस कद्र इन दवाओं की अभ्यस्त हो चुकी है..........Despite risks, benzodiazepine use highest in older people.
नींद की बातें बहुत हो गईं, अब ज़रा उठने के लिए कुछ फड़कती सी खुराक हो जाए..........
वैसे तो कुछ कैमिस्ट किस किस तरह के गोरखधंधे कर रहे हैं यह जगजाहिर है.....अपने लाइसेंस को पांच हज़ार के मासिक किराये पर किसी को आगे कैमिस्ट की दुकान चलाने के लिए दे देना, या फिर कुछ तो नशे के टीके बेचते ही नहीं, ये छोटे मोटे कैमिस्ट अपनी ही दुकान में या कहीं उस के पिछवाड़े में जनता की नज़रों से दूर नशा करने वालों की इंजेक्शन लगाने तक की ज़रूरतें पूरी करते हैं।
यह नींद की गोलियां भी ये बिना नुस्खा के इसीलिए नहीं बेचते कि ये किसी तरह के पुलिस के लफड़े में पड़ना नहीं चाहते। इन नींद की गोलियां का बहुत से आत्महत्या करने वाले युवक एवं युवतियां इस्तेमाल करने लगी थीं.....अभी भी यह सब चल ही रहा है। फिर भी नींद की गोलियां उतनी आसानी से मिलती नहीं हैं।
नींद की गोलियां......कहते तो हैं, लेकिन इन के लेने से व्यक्ति थोड़ा सुकून सा महसूस करता है, आगे बात करते हैं यह कैसा सुकून है। इस में एलप्रैक्स, कामपोज़ और लोराज़िपाम जैसी दवाईयां शामिल हैं।
नींद की दवाईयां भी अगर प्रशिक्षित डाक्टर ही लिखे तो ठीक होता है क्योंकि उसे पता रहता है कि किस मरीज़ में किस तरह की गोलियां चाहिए....आप को शायद पता नहीं होगा कि नींद की दवाईयां इस हिसाब त से बनी हुई हैं कि क्या नींद आने में दिक्कत है, या फिर कोई सो तो ठीक जाता है लेकिन बीच बीच में उठने लगता है ..नींद ठीक से आती ही नहीं, या फिर सुबह कोई जल्दी उठ जाता है, इन सब के लिए अलग अलग दवाईयां तो हैं।
एक बात जो मैंने नोटिस की है कि यह नींद वींद की समस्या उन लोगों में ज्यादा होती है जो निष्क्रिय रहते हैं ..कोई काम नहीं करते सारा दिन लेटे रहते हैं, आराम फरमाते रहते हैं......जो मैंने अनुभव किया है यह नींद की समस्या उन लोगों में बहुत कम होती है जो अपने मन की खुशी के लिए किसी न किसी काम में व्यस्त रहते हैं, घूमते टहलते हैं, किसी न किसी तरह के - अपने मन की खुशी के लिए -- आध्यात्मिक समूहों के साथ मिल बैठ कर थोडा समय बिताते हैं..
और मैंने देखा है कि कुछ लोग इतने पॉजिटिव से होते हैं कि नींद कम भी आती है तो इसे बड़ा एक्टिवली एक्सेप्ट करते हैं कि ठीक है, उम्र के साथ नींद कम तो होनी ही है... चुपचाप सुबह उठ कर अपने किसी काम में व्यस्त हो जाएंगे, कुछ पढ़ने में , टीवी पर अपना मनपसंद कार्यक्रम देखने में ...कहने का मतलब है कि अधिकतर लोगों ने इस देश में अपना कोई न कोई सुपोर्ट सिस्टम बना रखा होता है ......जिस के कंधे पर अपना हाथ या सिर रख कर अपने दिल का गुबार निकाल सकते हैं।
लेकिन आज मैंने यह खबर देखी कि अमेरिका में कितनी ज़्यादा संख्या में लोग इस तरह की नींद वाली गोलियों के आदि हो चुके हैं.....वैसे इन्हें नींद वाली गोलियां तो आम तौर पर कहते हैं ......इन्हें सिडेटिव (Sedatives) भी कहा जाता है। कोई भी दवाई है तो उस के कुछ न कुछ तो साइड-इफैक्ट्स तो होते ही हैं, जैसे कि इस रिपोर्ट में भी आप पढ़ेंगे कि इन दवाईयों के इस्तेमाल से बुजुर्गों में तरह तरह की समस्याएं भी आ जाती हैं ...वह चलते चलते गिर सकते हैं, ड्राईविंग में दिक्कत आ जाती है, किसी बात को समझने में तकलीफ़ हो सकती है ...
मेरा तो यही विचार है कि अगर आप को या आप के आसपास किसी निकट संबंधी को इस तरह की तकलीफ़ है कि वे ज़्यादा टेंशन में रहते हैं, हर समय चिंता में डूबे रहते रहते हैं, नींद कम हो गई है तो इस के लिए सदियों से टेस्टेड जो फार्मूले हैं वे बेहद आसान हैं.........अपने आहार को सात्विक करें, रात को हल्का लें, योग-प्राणायाम् और ध्यान से बढ़ कर कोई औषधि इस तरह की तकलीफ़ों को दूर रखने के लिए सब से ज़्यादा कारगर हैं, बाकी तो बाजारवाद है......दवाईयां बनती हैं तो बिकेंगी भी .......बिकेंगी तभी जब कोई लिखेगा।
मैं यह नहीं कहता कि ये दवाईयां न खाएं या डाक्टर की बात न मानें.......मेरा कहने का भाव यही है कि पहले अपने खान-पान, जीवनशैली को थोड़ा पटड़ी पर लाने की कोशिश करें तो ही डाक्टर का रूख करें......शायद अपने रहन सहन, खान-पान में परिवर्तन करने से और योग-प्राणायाम् और ध्यान को अपने जीवन में लाने पर आप की ये सब समस्याएं अपने आप ही छू-मंतर हो जाएं.......और यकीनन ऐसा ही होगा।
वरना डाक्टर तो हैं ही......अगर ऐसा कुछ लग रहा है कि नींद आ ही नहीं रही, सोने का कुछ बड़ा लफड़ा है तो भई फिजिशियन के पास तो जाना ही पड़ेगा.........इस रिपोर्ट में यह भी बड़ी आपत्ति की गई है कि इस तरह की नींद की दवाईयां अधिकतर मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा लिखी भी नहीं होती......कोई भी डाक्टर लिख देता है और लोग लेना शुरू कर देते हैं.....यह अमेरिका की बात है..........आप इस लिंक पर जा कर पढ़ सकते हैं कि अमेरिकी जनता किस कद्र इन दवाओं की अभ्यस्त हो चुकी है..........Despite risks, benzodiazepine use highest in older people.
नींद की बातें बहुत हो गईं, अब ज़रा उठने के लिए कुछ फड़कती सी खुराक हो जाए..........