शनिवार, 22 अगस्त 2020

कोरोना हास्पीटल का बोर्ड

लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई मेडीकल इंस्टीच्यूट से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है एपेक्स ट्रामा सेंटर (यह भी पीजीआई संस्थान का ही हिस्सा है)  ... एक महीने से भी कुछ ज़्यादा ही समय हो गया होगा...मैं उस ट्रामा सेंटर के पास से गुज़र रहा था...अचानक अस्पताल के बोर्ड पर नज़र पड़ी - राजधानी कोरोना अस्पताल....एक बार तो ख्याल आया कि शायद यह कोई नया अस्पताल तैयार हुआ होगा ...लेकिन फिर ध्यान से देखा तो समझ में आया कि यह तो वही एपेक्स ट्रामा सेंटर ही है जिस का नाम बदल कर राजधानी कोरोना अस्पताल रख दिया गया है ...


इसी कोरोना अस्पताल का साइड-व्यू 

आज पीजीआई के पास से गुज़र रहा था तो संस्थान के बाहर ही एक बहुत बढ़िया नोटिस लगा हुआ था ...आप भी इसे पढ़िए...मुझे यही ख्याल आया कि सभी अस्पतालों में इस तरह के नोटिस तैयार करवा कर बाहर ही लगवा देने चाहिए...विशेषकर जिन अस्पतालों में कोविड के मरीज़ों का इलाज चल रहा है वहां तो इस तरह की सूचनाएं या इस से भी आगे - जैसी भी अस्पताल प्रशासन ज़रूरी समझे (कस्टम-मेड टॉइप) ...सब कुछ लिखित में बाहर टंगा होना ज़रूरी है ...

इस फोटो पर क्लिक कर के आप इसे अच्छे से पढ़ सकते हैं...

जितनी सूचना कोविड के मरीज़ों और उन के तीमारदारों तक सहज पहुंच जाएगी ...उतनी ही शरारती तत्वों द्वारा उपद्रव करने-करवाने की संभावनाएं कम हो जाएंगी...दरअसल बात यह है कि कोविड-संक्रमित मरीज़ों को ज़िला प्रशासन द्वारा जो भी अस्पताल अलॉट किया जाता है ...ज़ाहिर सी बात है वह जगह उन के लिए नई होती है ...वे उस अस्पताल के बारे में, वहां के प्रशासन के बारे में कुछ नहीं जानते ...वैसे कुछ सुन रहे थे कि अब तो ऐसे अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीज़ों को स्मार्ट-फोन भी अपने पास रखने की सहूलियत दी जा रही है ..इसलिए अस्पताल के बारे में, मरीज़ों के बारे में ...उन के खान-पान के बारे में जितना ज़रूरी हो बाहर लिख कर टंगा होना चाहिए....ऐसे ही जैसे पीजीआई संस्थान के बाहर आप यह नोटिस लगा हुआ देख रहे हैं ..मेरे विचार में यह ज़रूरी कदम है...

अब आप सोचिए इस तरह का कंटेंट वाट्सएप पर वॉयरल हो रहा है ...

सूचना जितनी इन लोगों तक पहुंचेगी उतनी ही गलतफ़हमीयां दूर होंगी...बेवजह की नाराज़गी कम होगी ...सोशल-डिस्टेंसिंग का पालन होगा ...वरना अकसर सुनते हैं कि अस्पतालों के बाहर कोविड मरीज़ों के तीमारदारों का तांता लगा रहता है ...एक दो बार तो मैंने भी देखा तो मुझे भी किसी प्रतियोगी परीक्षा जैसा दृश्य ही लगा ....यह किसी के भी हित में नहीं है...

हिन्दुस्तान - 22 अगस्त 2020 (लखनऊ)
हां तो जब से मैंने पीजीआई के एपेक्स ट्रामा सेंटर का नाम बदला हुआ - राजधानी कोरोना अस्पताल देखा है, मुझे रह रह कर यही ख़्याल आता है कि कोरोना इतनी जल्दी हम लोगों की ज़िंदगी से जाने वाला नहीं ...लेकिन अफसोस की बात यह है मैं जब भी बाहर निकलता हूं मुझे तो कहीं पर भी सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) का पालन होता नहीं दिखा ...सिर्फ़ नाक के नीचे एक मैला-कुचैला फेस-मास्क टांग लेने से क्या होगा........कुछ भी तो नहीं।

कुछ महीने पहले वाट्सएप पर एक चुटकुला आ रहा था ..यही कोरोना के बारे में कि जब टीवी लगाते हैं तो लगता है बस, हर तरफ़ कोरोना ही कोरोना है .....लेकिन जब बाहर जाकर बाज़ार में रौनकें देखते हैं तो ऐसे लगता है कुछ भी नहीं है। टीवी मैं कभी देखता नहीं इसलिए ख़बरें कम ही पता चलती हैं मुझे लेकिन जब मैं घर से बाहर कहीं भी जाता हूं तो हर तरफ़ लापरवाही का नाच ही देखता हूं .. आंकड़े भी तो खौफ़नाक हैं!

चलिए, अपना और अपनों का ख्याल रखिए...और जो भी सूचना हो सही स्रोत से ही प्राप्त करिए...वाट्सएप पर ज़्यादा भरोसा मत करिए ..आज एक अजीब सी वीडियो मिली वाट्सएप पर ---ऊपर लगाई है, देखिए उसे ....लेकिन इन बातों पर भरोसा मत करिए..

गणेश चतुर्थी की आप सब को बहुत बहुत बधाईयां ...गणपति बप्पा सारी दुनिया को खुश रखें..🙏


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