रविवार, 3 अप्रैल 2016

जाको राखे साईयां..

हमारी नेचर है कि हम पल में तोला..पल में मासा हो जाते हैं, है कि नहीं हमारी ऐसी ही फितरत...किसी को दो पूड़ी दिलाकर अपने ऊपर दाता का टैग चिपका लेते हैं, कोई बात किसी की ठीक न लगे तो झट से उतावले हो जाते हैं...हर वक्त ऐसा ख्याल तंग करता है ना जैसे कि हम ही सब कुछ चला रहे हैं..हम नहीं रहेंगे तो पता नहीं जैसे दुनिया रूक जायेगी... लेिकन कभी कभी परिस्थितियां कुछ हट के सोचने पर मजबूर कर दिया करती हैं।

हमारे बाथरूम की खिड़की को इस हालत में देख कर यही लगता है ना कि पता नहीं मुद्दतों से इस की सफाई न हुई हो..आप ठीक सोच रहे हैं... इस की सफ़ाई तो क्या, पिछले तीन चार महीनों से यह खुली भी नहीं है..और हमारी डोमेस्टिक हेल्प को भी मेरे छोटे बेटे के इस आदेश का पालन करने की हिदायत मिली हुई है...

राघव अपनी दोस्त के साथ .. 
छोटा बेटा...राघव...पता नहीं यार किस मिट्टी का बना है वह...मेरी मां कहती हैं कि यह तो कोई देवता ही रहा होगा.. मुझे भी लगता है कभी कभी ..बेहद संवेदनशील...बड़े होकर गली के डॉगी लोगों के लिए एक बड़ा सा प्लाट लेकर उन के लिए बसेरा बनाने की बातें किया करता है...कितने सालों तक स्कूल से आने पर ब्रेड लेकर कालोनी के डॉगियों के पास पहुंच जाया करता था... वे भी जैसे इस के स्कूल के आने का इंतज़ार ही किया करते थे...पूंछ हिलाते इस के पीछे पीछे.. जानवर-पक्षी को कुछ भी डालने से पहले से मां से यह पूछ लेता है कि हम इसे क्यों नहीं खा रहे?...कईं बार मैंने उसे कहते सुना है िक जो चीज़ हमारे खाने लायक नहीं है, वह इन के लिए कैसे ठीक हो सकती है! ... बिल्कुल छोटा सा था, पहली दूसरी कक्षा में...एक बार मैं उसे स्कूटर से घर ला रहा था, रास्ते में एक घोड़ा-गाड़ी में जुते हुए घोड़े को उस की गाड़ी पर लदे सरिये की वजह से चोट लग गई...बेचैन हो गया...कहने लगा इस की पट्टी के लिए पैसे दो...उस गाड़ी वाले को घोड़े की पट्टी के लिए सौ रूपया देकर इसे थोड़ा चैन आया...कभी झूठ नहीं बोलता..... God bless you, Raghav. Love you!...ऐसे ही बने रहना..Today's world needs kind-hearted persons like you very much!

हां, तो बात यह थी कि राघव ने कुछ महीने पहले घर के एक बाथरूम की खिड़की पर एक पक्षी के कुछ अंडे देखे...हमारी मजबूरी थी कि हम उस पक्षी को कुछ दाना वाना डाल नहीं सकते थे...पहली मंज़िल का फ्लैट है...लेकिन राघव ने निर्देश दे दिया कि जब तक ये बच्चे उड़ने लायक नहीं हो जायेंगे, इस खिड़की को कोई नहीं खोलेगा।
वैसा ही किया गया... कभी कभी मैं और बहुत बार श्रीमति जी खिड़की की तरफ़ देख आतीं...लेकिन हम ने उसे खोला नहीं...

मुझे तो वैसे ही लग रहा था...जैसे कि मेरी निराशावादी सोच तो है... कि खिड़की न खोलने से भी होगा क्या... दो चार दिन में अंडे गिर जाएंगे...चलिए, बच्चे की बात रख लेते हैं। देखते ही देखते कुछ दिनों में एक छोटा सा घोंसला भी तैयार कर लिया इस पंक्षी ने...



लेकिन नहीं, वही बात ...जिस का कोई नहीं उस का तो खुदा है यारो वाली बात....सच कहूं मैं तो भूल ही चुका था, कुछ हफ्तों के बाद अचानक श्रीमति जी ने बताया कि पक्षी के बच्चे बड़े हो गये हैं...यह ऊपर वाली तस्वीर उन्हीं दिनों की है ....

बहुत खुशी हुई....हम से ज़्यादा खुशी राघव को होस्टल से लौटने के बाद उन्हें देख कर हुई...

पिछले कितने ही हफ्तों से हम ने नोटिस किया कि जब से छोटे छोटे बच्चे उस छोटी सी जगह पर बैठे हुए थे, जब भी कभी हम उस बाथरूम में जाते तो यह पक्षी टक-टक हमारी तरफ़ ही नज़रें गडाए रहता... डरा, सहमा सा ...यह बात राघव ने भी नोटिस की...

अचानक आज खुशखबरी मिली श्रीमति जी से कि बच्चे खूब बड़े हो गये हैं....तुरंत मैं भी देखने गया... मन झूम उठा...अब ये कभी भी उड़ारी मार जाएंगे....यह वाली तस्वीर अभी ली है ..सोचा कि राघव को भेजूं...फिर सोचा पोस्ट ही लिख देते हैं..
"We are ready to take off, folks! ...Thanx for bearing with us!!"
मैंने उन के इतने बड़े हृष्ट-पुष्ट शरीर पर आश्चर्य ज़ािहर करते हुए यही कहा कि ऐसे कैसे बिना खाए पिए इतने बड़े....श्रीमति ने तुरंत याद दिलाया...ऐसे कैसे बिना खाए पिए...उन की मां लाती होगी उन के लिए रोज़ कुछ। ठीक कहा।



लेिकन यह वाक्या हमेशा याद रह जायेगा....जब भी अहम् सिर पर चढ़ने लगेगा तो इसे ही याद कर लिया करेंगे ..कि हर जगह ईश्वर हर प्राणी की रक्षा कर रहा है और हम कितनी बेवकूफ़ी से क्रेडिट लेना चाहते हैं!

इन तीन महीनों में एक तरह के वातावरण में बहुत से परिवर्तन आए... आंधियां तूफ़ान भी तो आए थे...लेकिन  वही बहात है ....वो चिराग क्या बुझे....फ़ानूस बन कर जिस की रक्षा खुदा करे...

Thanks, Raghav dear, for teaching another lesson in life! ....First was..of course, Patole babu Story.. from your text book!.You know what i mean!


पिछले दिनों गोरैया को बचाने की बड़ी मुहिम चली थी...यहां लखनऊ के डीएम ने स्कूलों में जाकर बच्चों को शपथ दिलाई कि वे गोरैया को बचाएंगे... प्रधानमंत्री मोदी ने भी पिछले रविवार अपनी मन की बात में इन नन्हे परिंदों के लिए दाना-पानी रखने के लिए कहा था...करते रहो यार कुछ भी ... जो भी बन पाए...बस अपनी धुन में लगे रहिए...कोई कुछ भी कहे जो आप के मन को अच्छा लगे, लगे रहिए बस....that's life real mantra!

अपने घर की बालकनी में, बाग-बगीचे में इन के बसेरे का भी कुछ जुगाड़ हो जाए तो कितना अच्छा हो... मैं भी कभी कभी क्या करता हूं, सुबह सुबह आप सब को इमोशनल कर दिया... क्या करें कभी कभी हम लोग लिखते नहीं, कलम अपने आप ही चल पड़ती है ...आज भी कुछ ऐसा ही हुआ है...Just want to share with you all that writing a post is just another meditative experience for me!

सत्संग में सुनी एक बात याद आ गई....
क्या बनाने थे क्या बना बैठे..
कहीं मस्जिद बना बैठे, कहीं मंदिर बना बैठे..
हम से तो अच्छी है परिंदों की ज़ात..
कभी मंदिर पे जा बैठे, कभी मस्जिद पे जा बैठे...

अपने मित्र योगेन्द्र मुदगिल की ये बात भी ध्यान आ गई जाते जाते...
मस्जिद की मीनारें बोलीं मंदिर के कंगूरों से ..
हो सके तो देश बचा लो, 
इन मज़हब के लंगूरों से... 







3 टिप्‍पणियां:

इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...