बुधवार, 30 दिसंबर 2015

त्योहारों पर बेमतलब का शोर शराबा...

मुझे याद है बचपन में मुझे लगता था कि त्योहारों के नाम पर जो शोर शराबा होता है वह ३१ दिसंबर की रात को बंबई में ही होता है...लेकिन फिर धीरे धीरे जैसे जैसे समय बदलता गया...यह शोर शराबा..यह शोशेबाजी, दिखावा, फिज़ूल की नौटंकियां, रस्मी तौर पर शुभकामनाएं देने का सिलसिला, तोहफ़ों का आदान प्रदान....रोड-रेज....यह सब कुछ इतना देख सुन लिया कि त्योहारों के नाम से डर लगने लगा.....अब यह आलम है कि त्योहार के दिन बिल्कुल शांति से अपने घर में टिके रहने में और कोई पुरानी हिंदी मूवी देखने में ही आनंद मिलता है.... किसी को रिवायत के तौर पर शुभ संदेश भेजने की इच्छा भी बिल्कुल नहीं होती...चुपचाप सब के मंगल की कामना करना अच्छा लगता है।

इसलिए हम लोगों के लिए हर दिन उत्सव के समान है और हर उत्सव हमारे लिए एक बिल्कुल सामान्य दिन है। हम उत्सव के दिनों पर तोहफ़ों के आदान प्रदान में रती भर भी विश्वास नहीं रखते.. ये सब खोखले खेल हैं..मतलबी समीकरण हैं अधिकतर..कुछ नहीं है। हम कभी भी इन त्योहार के दिनों में शहर से बाहर हों या जाना पड़े तो भी हमें कुछ मलाल नहीं होता, लगभग त्योहारों का हमारे लिए कुछ भी महत्व नहीं है....शोर शराबा, हुल्लड़बाज़ी, शोहदापंथी, स्टंटबाजी से नफ़रत है...मुझे ही नहीं, घर में सभी को, चुप्पी अच्छी लगती है, अपनी भी और दूसरे की भी...हर एक को अपना स्पेस मिले तो बहुत अच्छा है।

यह तो हो गई अपनी बात .... अब शशि शेखर जी की बात कर लें....ये हिन्दुस्तान के संपादक हैं...और रविवार के पेपर में ये एक लेख लिखते हैं जिसका मेरे से ज़्यादा मेरी मां को इंतज़ार रहता है....हर बार एक बढ़िया सा मुद्दा उठाते हैं...इस बार २७ दिसंबर को इन के लेख का शीर्षक था... इस धुंध को चीरना होगा.. पढ़ कर बहुत अच्छा लगा... आप भी इस लिंक पर क्लिक कर के इसे अवश्य पढ़िए...

मैं फिर से आग्रह कर रहा हूं कि इस लेख को अवश्य पढ़िए...इस में इन्होंने वर्णऩ किया है कि किस तरह से दीवाली के दिन इन के लिए सांस लेना दूभर हो गया... उसी लेख में यह लिखते हैं...परंपराएं उल्लास जगाएं, तो अच्छा। परंपराएं मर्यादा की रक्षा करें, तो बहुत अच्छा। परंपराएं हमें इंसानियत की सीख दें, तो सबसे अच्छा। मगर परंपरा के नाम पर समूचे समाज की सेहत से खिलवाड़! मामला समझ से परे है।

वे आगे लिखते हैं... वही परंपराएं जिंदा रहती हैं, जो कल्याणकारी होती हैं। समय आ गया है कि हम त्योहारों और रोजमर्रा के रहन-सहन को नए नजरिये से देखें। हमारे इतिहास में ही हमारी सफलताओं और असफलताओं के सूत्र छिपे हुए हैं। यह हमें तय करना है कि हम इन दोनों में से किसका वरण करते हैं?

इस रविवार को इस लेख को पढ़ कर जैसे ही अखबार को एक किनारे रखा तो ज़ाहिर सी बात है कुछ तो करना ही था...रिमोट उठाया तो ध्यान आया कि आज इस समय तो डी डी न्यूज़ पर टोटल हैल्थ प्रोग्राम आ रहा होगा...वह चैनल लगाया तो लगाते ही पता चला कि उन लोगों ने भी इस सप्ताह कुछ इस तरह का ही विषय चुना हुआ है।
विषय था... नये वर्ष के जश्न के दौरान सेहत का कैसे रखें ध्यान।

सब से पहले तो मैंने इन लोगों को इतना बढ़िया विषय चुनने के लिए बधाई दी ... दरअसल मैं इस पोस्ट को रविवार को ही लिखना चाहता था लेकिन मैं इस के साथ उस दिन के प्रोग्राम की वीडियो भी एम्बेड करना चाहता था, यह काम शायद डी डी न्यूज़ ने कल किया...इसलिए इस पोस्ट को आज लिख रहा हूं।



मुझे नहीं पता कि आप इस प्रोग्राम को देखेंगे कि नहीं लेकिन मेरा आग्रह है कि इसे आप भी देखें और आगे भी भेजिए....अभी तो नव वर्ष के जश्न को समय है, शायद हम इस प्रोग्राम की एक बात को भी अपना पाएं।

मैं बहुत बार ऐसा सोचता हूं कि इस तरह के बेहतरीन प्रोग्राम किसी भी बड़े से बड़े संत के प्रवचनों से क्या कम होते हैं, तीन चार प्रोफैसर बैठे हुए हैं... वे अपने जीवन भर के अनुभव कितने खुलेपन से बांट रहे हैं .....ये केवल अपने विषय का ज्ञान ही नहीं बांट रहे, आप देखिए, आप देखिएगा कि ये बच्चों में सामने वाले को सम्मान देने वाले संस्कारों की भी बात कर रहे हैं....

फिर से कहना चाह रहा हूं कि इस प्रोग्राम का एक एक वाक्य ध्यान देने योग्य, याद रखने योग्य और अनुकरणीय है....यह हमारी और हमारे आस पास के लोगों की ज़िंदगी बदल सकता है..

चलिए, थोड़ी रस्म अदायगी तो मैं भी कर लूं......  आने वाले साल को सलाम...यह आप सब के लिए बहुत शुभ हो!!

यहां पर भी कुछ हुल्लड़बाजी चल रही है, अगर इसे भी देखना चाहें तो...

2 टिप्‍पणियां:

  1. Har nye haadse pe hairaani phle hoti thi ...Ab nahi hoti..sachh...baki aaraam se dekhunga .zaroor. Aur kya likhun aap ke liye..bas jo aapne likha samjh lijiye mere man ka likha...ye hi soch rakhta hun main !!! khush rho ji ...

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  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (01.01.2016) को " मंगलमय नववर्ष" (चर्चा -2208) पर लिंक की गयी है कृपया पधारे। वहाँ आपका स्वागत है, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें, धन्यबाद।

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