बुधवार, 7 जनवरी 2015

एक पान पुराण यह भी....

अभी मैं पेपर पढ़ रहा हूं...पास ही रेडियो बज रहा है....विविध भारती पर किसी ठुमरी बंदिश की बातें चल रही थीं....मेरी समझ में नहीं आतीं ये बातें. लेकिन अचानक पान की बात चली।

प्रोग्राम पेश करने वाला पुरूष ने उस महिला कलाकार से पूछा कि आप तो बनारस से हैं, और बनारस का पान तो सारे जहां में प्रसिद्ध है.. आप का पान के बारे में क्या ख्याल है?

उस फनकार ने बताया कि आप ठीक कह रहे हैं, पान तो बड़े काम की चीज़ है ही, वैसे हम लोग बनारस में जो पान इस्तेमाल करते हैं वह गया से आता है।

आगे उन्होंने बताया कि पान हम गाने वालों के लिए बड़े काम की चीज़ है, इस से गला तर रहता है, हमें ठंडक महसूस होती है..गला सूखता नहीं है।

पान की तारीफ़ करते करते मोहतरमा ने यह भी कहा कि पान तो वैसे भी हर मौके पर शुभ ही माना जाता है....फिर पुराने राजे-महाराजों नवाबों की पान से जुड़ी यादें ताज़ा की गईं।

मोहतरमा ने आगे बताया कि आज कल वैसे बाज़ार में जिस तरह की अनेकों चीज़ें पान में मिला देते हैं, वह देख कर डर लगता है। इसलिए वे कह रही थीं िक हम लोग तो देश-विदेश कहीं भी बाहर जब जाते हैं तो अपना पान स्वयं ही बनाते हैं।

बहुत अफसोस हुआ विविध भारती जैसे रेडियो कार्यक्रम पर पान के बारे में इस तरह की बातें सुन कर। अगर कोई कलाकार पान वान खाता है तो कहीं न कहीं यह उसका पर्सनल निर्णय है......जी हां, पी के के आमिर खान जैसे..(मैंने उसे एक खत भी लिखा था) ..लेिकन इस तरह से पान जैसी घातक चीज को ग्लोरीफाई करने से तो जनता का बहुत नुकसान हो सकता है।

लोग वैसे ही हमारी नहीं सुनते.......हम लोग सुबह से शाम तक पान आदि को छुड़वाने के लिए लोगों को प्रेरित करते रहते हैं......लेख लिखते हैं जिन्हें शायद ५०-६० हज़ार लोग पढ़ते होंगे लेकिन विविध भारती के प्रोग्रामों की अथाह पहुंच के बारे में तो आप सब जानते ही हैं.....करोड़ों लोगों तक ये कार्यक्रम पहुंचते हैं।

हां, एक बात और भी है कि प्रोग्राम पेश करने वालों को भी इन सब बातों के बारे में संवेदनशील होना बहुत ज़रूरी है ताकि लोगों तक ऐसी जानकारी ही पहुंचे जिससे उन्हें लाभ हो।

जितना मैं पान के बारे में जानता हूं कि पान में सुपारी, तंबाकू... ये दोनों या इस में से एक चीज़ तो होती ही है......और दोनों ही आप की सेहत के लिए घातक है।

 यह महिला भी केवल पान ही चबाती थीं...
पिछले दिनों एक बुज़ुर्ग महिला आई थीं......ऐसे ही चेक अप के लिए....यह भी कुछ महीने पहले तक बस पान ही खाती थीं और घर पर ही बना कर.....अब इस घाव पर लगने लगा तो पान चबाना बंद कर रखा है....अब इन्हें क्या तकलीफ़ है, शायद यह मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है!!

इस कार्यक्रम के ठीक बाद प्रधानमंत्री मोदी के दिल की बात का विज्ञापन था.....सोच रहा हूं कि प्रधानमंत्री के दिल की बात में यह बात भी दर्ज करवा ही दूं। 

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