मंगलवार, 17 मार्च 2009

दांत उखड़वाने के बाद क्यों लेते हैं इतनी सारी दवाईयां ?

अगर मेरा यह प्रश्न सुन कर मुझे आप में से कोई पलट कर यही प्रश्न ही पूछ ले कि आप डाक्टर लोग देते हो इसलिये हमें दांत उखड़वाने के बाद इतनी सारी दवाईयां लेनी पड़ती हैं। चलिये, उस की भी बात अभी बाद में करेंगे --- लेकिन मुझे यह बहुत अखरता है कि दांत उखड़वाने के बाद अगर कोई विशेष दो-तीन तरह की दवाईयां किसी को नहीं लिखी जायें तो वह समझता है कि आखिर बिना दवाई के कैसे भरेगा उस के मुंह में मौजूद इतना बड़ा ज़ख्म !!

दोस्तो, ऐसी बात बिल्कुल निराधार है कि आप दवाईयां खायेंगे तो ही वह दांत उखड़वाने की वजह से हुआ जख्म भरेगा। इस समय एक कहावत का ध्यान आ रहा है ---पूत सपूत तो क्या धन संचय, पूत कपूत तो क्या धन संचय !! इसी बात को यहां हम लोग दांत उखड़वाने के बाद लंबी-चौड़ी दवाईयां खाने की फरमाईश के साथ जोड़ कर देखते हैं। अगर किसी क्वालीफाईड डैंटिस्ट ने यह काम किया है तो किसी तरह के डर की कोई बात नहीं , और अगर किसी चलते-फिरते नीम हकीम ने अपना जौहर दिखाने की कोशिश की है , तब भी दवाईयों का कोई फायदा नहीं ---क्योंकि अकसर ये नीम हकीम कुछ इस तरह का नुकसान कर डालते हैं जिस की भरपाई दवाईयां ले लेने से नहीं हो सकती।

एक बिलकुल सीधी सपाट बात है कि अगर तो मरीज़ के मुंह के मुंह का स्वास्थ्य पहले ही से बिलकुल खराब है , पहले ही से बहुत ही इंफैक्शन मौज़ूद है, मरीज़ अगर गुटखे, पान-मसाले एवं बीड़ी-सिगरेट का शौकीन है और अगर दांत को किसी ऐसी वैसी जगह से निकलवाया गया है जहां पर उस नीम-हकीम जिसे हम दंत-चिकित्सक कहते हुये भी डरते हैं, तो समझिये कि उस ने आफ़त मोल ले ली है। दांत उखड़वाने के बाद होने वाले घाव की तो आप चिंता इतनी करें नहीं, यह सब प्रकृत्ति अच्छे से देख ही लेती है। लेकिन चिंता की बात यहां पर यही होती है कि दूषित सिरिंजों, सूईंयों एवं दूषित उपकरणों की वजह से तरह तरह की भयंकर बीमारियों की चपेट में आने की पूरी संभावना बनी रहती है।

दांत उखड़वाना कोई बड़ी बात थोड़े ही है ---- लेकिन किसी बस स्टैंड पर किसी चलते फिरते डैंटिस्ट से इस तरह का काम करवाना खतरे से खाली नहीं है। लोग अकसर बहुत इंप्रैस होते हैं कि हमारे यहां पर बस स्टैंड वाला बंदा तो बस कुछ छिड़कता है और तुरंत ही दांत बाहर निकल आता है। केवल इतना ध्यान देने की ज़रूरत है कि जो पावडर वह छिड़कता है या जिस के लोशन से उस ने रूमाल गीला किया होता है वह आरसैनिक नामक का विषैला तत्व होता है जो मुंह के कुछ हिस्से को बिल्कुल सुन्न कर देता है। कुछ वर्षों के बाद यह कैंसर का रूप ले सकता है।

हां, तो बात हो रही थी दांत उखड़वाने के बाद बहुत सी दवाईयां खाने की। पहले तो मैं अपना अनुभव बताता हूं ----दोस्तो, मेरा अनुभव तो यही है कि इन की कोई विशेष आवश्यकता होती ही नहीं है। मैं अकसर दांत उखाड़ने के बाद मरीज़ों को दो-चार दर्द निवारक टेबलेट लेकर रखने की सलाह अवश्य देता हूं ----इस टेबलेट में आईबूब्रोफन एवं पैरासिटामोल नाम की दवाई होती है ---- इसे मैं अधिकांश मरीज़ों के लिये बेहद सुरक्षित मानता हूं---- एक या दो टेबलेट की ही किसी को ज़रूरत पड़ती है। यह दवाई मैं अपने मरीज़ों के लिये पिछले 25 वर्षों से इस्तेमाल कर रहा हूं और मेरा अनुभव है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है

इस टेबलेट के बाद बहुत सी नईं नईं टेबलेट आई हैं, नये नये साल्ट आ गये हैं , लेकिन मेरा इस कंबीनेशन पर अटूट विश्वास है क्योंकि यह अनुभव मेरे हज़ारों मरीज़ों ने मुझे दिया है। नईं नईं दवाईयों की समस्या यही है कि यह आज निकलती हैं और कुछ अरसे बाद इन से संबंधित कुछ दुष्परिणाम उजागर होने के बाद इन पर एक दो चार अमीर देश तो लगा देते हैं प्रतिबंध लेकिन हम जैसे लकीर के फकीर ही बने रहने की वजह से अपने लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने से भी गुरेज़ नहीं करते। इसलिये, भाई हम तो पुरानी, प्रामाणिक दवाईयों से ही संतुष्ट हैं---- time-tested salts ----ये केवल दर्द-निवारक टेबलेट्स की ही बात नहीं है, मेरा ऐंटीबॉयोटिक दवाईयों के बारे में भी यही विचार है। इतने वर्षों से दांत की विभिन्न इंफैक्शनज़ के लिये अमोक्सीसिलिन कैप्सूल को ही सब से बेहतर पाता हूं और उसी को अधिकांश केसों में मुंह की इंफैक्शन एवं सूजन के लिये लिखता हूं और उसी से हमेशा वांछित रिज़ल्ट भी मिल ही जाता है। हां, कईं केसों में ( बिल्कुल कम केसों में) नईं नईं दवाईयां भी लिखनी पड़ती हैं, लेकिन इतनी कम बार कि मेरे पास वर्षों से कोई मैडीकल –रिप्रैज़ैंटेटिव ही नहीं आया है।

दांत उखड़वाने के बाद खाई जाने वाली बात तो फिर कहीं पीछे छूट गई --- ऐसा है कि इस के लिये आप को अपने प्रशिक्षित दंत-चिकित्सक की ही बात माननी होती है। मेरा अनुभव तो यही है कि मरीज़ को दो-चार टेबलेट रख लेनी चाहियें ---ज़रूरत पड़ने पर एक दो टेबलेट ले लेनी चाहिये --- अकसर बहुत से केसों में तो एक भी नहीं और किसी किसी केस में दांत उखड़वाने वाले दिन दो एक टेबलेट की ज़रूरत पड़ सकती है। सामान्यतयः दांत उखड़वाने के बाद मैंने तो अनुभव से यही सीखा है कि महंगे महंगे ऐंटिबॉयोटिक्स का कोई रोल ही नहीं है---बिना वजह अपनी सेहत एवं पेट खराब करने वाली बात है। लेकिन एक बात वही दोहरा देता हूं कि इस के बारे में भी अपने डैंटिस्ट की बात तो माननी ही होगी, बस कहीं पर आप को किसी किस्म की दुविधा हो तो मेरे अनुभवों का भी थोड़ा ध्यान कर लिया करें।

कहीं आप यह तो नहीं सोच रहे कि यार, मुंह में घाव कैसे भरेगा बिना दवाईयों के -----ऐसा है कि दांत उखड़वाने के बाद मुंह में हुये घाव का अच्छी तरह से भर जाना एक बिलकुल ही प्राकृतिक नियम है। तो यह प्रक्रिया दवाईयां खाने से तेज़ होने वाली है और ही ना खाने से मंद पड़ने वाली है। केवल हमारा कर्त्तव्य इतना सा होता है कि हम ने उस घाव को भरने के लिये एक उत्तम वातावरण देना होता है ----सिगरेट बीड़ी से घाव में भरने में देरी होती है, इसलिये इन से दूर रहें। जिस दिन दांत निकलवाया है उस के अगले दिन से गुनगुने पानी में थोड़ा नमक या फिटकड़ी डाल कर कुल्ला करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि जख्म में इक्ट्ठी हुई सारी गंदगी इस से निकलती रहती है। और देखते ही देखते दो-चार दिन में जख्म पूरी तरह से अपने आप भर जाता है।

कुछ लोग हमें यह भी पूछते हैं कि ठीक है खाने की तो कोई दवाई नहीं दे रहे हैं, लेकिन जख्म पर कोई लगाने वाली या कोई कुल्ला करने वाली दवाई तो होगी जो कि दांत निकलवाने से हुये ज़ख्म को भरने में मदद करती होगी। इन मरीज़ों के लिये भी अपना यही जवाब होता है कि इस के लिये इस तरह की किसी भी जख्म पर लगाने वाली दवाई की अथवा कुल्ला करने वाले माउथवाश की बिल्कलु ज़रूरत ही नहीं होती।

मेरे ख्याल में मैंने अपनी बात ठीक से आप प्रबुद्ध लोगों के समक्ष रख दी है ----- पोस्ट लंबी होती दिख रही है इसलिये अपनी उंगलियों को यहीं पर विराम देता हूं ---केवल एक यही बात कह कर कि ब्लड-प्रैशर, हार्ट एवं शूगर के मरीज़ भी दांत उखड़वाने के नाम से इतने भयभीत मत हुआ करें ----इन मरीज़ों से संबंधित इस नाचीज़ के अनुभव कुछ यहां पड़े हैं और कुछ यहां भी पड़े हैं।

शुभकामनायें ------ढ़ेरों शुभकामनायें ----इतना आशीर्वाद कि आप के दांत इतने फिट रहें कि आप को कभी इस उखड़वाने के चक्कर में पड़ना ही न पड़े और अगर कभी दांत-उखड़वाने की ज़रूरत पड़ भी जाये तो डैंटिस्ट का क्लीनिक छोड़ने से पहले कभी उस से यह मत पूछें कि क्या आप कोई ऐंटीबॉयोटिक दवाई नहीं दे रहे हैं, मुझे लगता है ऐसा कोई प्रश्न ना पूछने में ही आप की भलाई छुपी है।

बातें ये सब परदे में ही रखने वाली हैं, लीजिये इसी बात पर मुझे अपने बचपन का मेरा बेहद पसंदीदा गाना ध्यान में आ गया ----शायद तब मैं पहली कक्षा में पढ़ता है ---मुझे उस उम्र के जो दो-तीन फिल्मी गाने याद हैं, यह उन में से एक है। तब यह रेडियो पर खूब बजा करता था। मुझे आज भी यह बहुत अच्छा लगता है। मेरी पोस्ट की सीरियस बातों को भूल जाने के लिये आप भी इसे एक बार तो सुन ही लीजिये।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्छी जानकारी है। धन्यवाद

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  2. अच्छी जानकारी दी-अक्सर ही एन्टी बायोटिक और पेन किलर टिका देते हैं डेन्टिस्ट!!

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  3. बहुत काम की बातें बताईं आपने, आभार।

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  4. अभी तक दांत के डाक्टर साहब से बचे हैं। पर कब तक बचेंगे! :)

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  5. इतनी अच्छी जानकारी पाने के बाद दो सवाल पूछ लूँ अगर आप इजाजत दे तो। पहला कि मेरे दाँतो में थोडा गेप आने लगा है जिससे खाना उनमें अटक जाता है। और दूसरा के मेरे सामने के नीचे वाले दो दाँत में कभी कभी अजीब सा महसूस होता है जीभ लगा कर देखता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे कुछ लगता है। मैं बहुत सालों से सेकंवल टूथ पेस्ट प्रयोग करता था पर एक साल बबूल प्र्योग कर रहा हूँ वजह थी कि एक बार कई दाँत में दर्द सा था तो इससे ब्र्श किया ठीक हो गया। समस्या का हल बताए। एक समस्या पापा जी से जुडी पर वो दाँत से जुडी नही इसलिए उसके लिए अलग से मेल करुँगा। शुक्रिया।

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  6. मै एक दो बार गया ओर अपनी जाड निकलवाई... लेकिन कोई दवा नही, कोई कुल्ला करने के लिये कुछ नही , बस एक सख्त सी रुई की गांठ सी जो कुछ समय उस जगह रखी जहा से दांत निकलवाया , फ़िर सब कुछ नार्मल दो तीन घण्टे के बाद खाना भी खाया...
    आप क लेख पढ कर लोगो को शायद इन बेकार की दवाओ से परहेज हो जो खाम्खा मै लि जाती है.
    धन्यवाद

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  7. Sir maine apna teeth v ukhadwaya h PR 5-6 din ho gye lekin drd or jalan nhi khtm hua kya kre kuchh smjh nhi AA rha

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  8. Sir ji maine apna akal dant ukhwa diya hai jis jagh ka dant ukhwaya hai wha ppura sfed sfed dikhai de rha hai ghav kitne din me thik ho sakta hai

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