जब कभी फिल्म समारोहों में बहुत नामी गिरामी सितारों ( आप के और मेरे ही बनाये हुये) को या फिर क्रिकेट आदि के मैचों के बाद जब खिलाड़ियों को तरह तरह के सम्मान से नवाज़ा जा रहा होता है तो इन सितारों, खिलाड़ियों को कईं बार च्यूईंग-गम चबाते हुये देख कर आप के मन में क्या ख्याल पैदा होते हैं ? --मुझे तो यह बहुत भद्दा लगता है, मुझे लगता है कि बंदा कह रहा है कि मुझे किसी की भी कोई परवाह नहीं है , मैं हरेक को अपने जूते की नोक पर रखता हूं । कईं बार तो जो इस तरह के प्रोग्राम कंपीयर कर रहा होता है वह भी यह सब चबा कर अपने माडर्न होने का ढोंग करता दिखता है। जब कोई मुंह में पान चबाते हुये या पान मसाला खाते हुये हम से मुखातिब होता है तो हम आग बबूला हो जाते हैं लेकिन हमारे ही ये चहेते कलाकार अथवा खिलाड़ी जब सैटेलाइट टीवी के ज़रिये करोड़ों लोगों से मुखातिब हो रहे होते हैं तो हम क्यों नहीं इन्हें कहते कि जाओ, पहले इस च्यूईंग-गम को थूक के आओ, फिर हम तुम्हें सुनेंगे -----चलो, जल्दी से पहले कुल्ला कर के आओ, शाबाश, अच्छे बच्चे की तरह ---और आगे से भी इस का ध्यान रखना ------वरना ...............इस गाने की तरफ़ ध्यान कर लेना !!
मुझे तो इन समारोहों में इन चांद-सितारों को देख कर अपने स्कूल के दिनों के दो सहपाठियों का ध्यान आ जाता है ---गुलशन और राकेश ----ये कमबख्त हमारी क्लास में टैरर थे ---च्यूईंग को चबाते तो रहते ही थे और बाद में दूसरों की बैंच पर चिपका देते थे जिस से वहां पर बैठने वाले की पैंट खराब हो जाया करती थी, कईं बार तो किसी सहपाठी के बालों पर ही चिपका दिया करते थे ---कईं बार तो इस की वजह से थोड़े बाल ही काटने पड़ जाया करते थे !
चलिये , अब ज़रा यह देख लेते हैं कि च्यूईंग-गम का हमारी सेहत पर क्या प्रभाव होता है !!
इसका अर्थ यह हुआ कि हानि कोई नहीं लाभ ही लाभ है। देखने वालों को बुरा लगे वह मेरी समस्या नहीं है। तो साधारण च्यूइंगगम को यदि कोई धो डाले तो सारी शक्कर बह जाएगी। इससे महंगी गम की समस्या भी नहीं रहेगी। हैप्पीडेंट आती है १० रुपये में १४ और यही बिना शक्कर वाल एक दो रुपये अधिक की।
जवाब देंहटाएंउत्तर देने के लिए धन्यवाद।
घुघूती बासूती
इसका अर्थ यह हुआ कि हानि कोई नहीं लाभ ही लाभ है। देखने वालों को बुरा लगे वह मेरी समस्या नहीं है। तो साधारण च्यूइंगगम को यदि कोई धो डाले तो सारी शक्कर बह जाएगी। इससे महंगी गम की समस्या भी नहीं रहेगी। हैप्पीडेंट आती है १० रुपये में १४ और यही बिना शक्कर वाली* एक दो रुपये अधिक की।
जवाब देंहटाएंउत्तर देने के लिए धन्यवाद।
घुघूती बासूती
वाह मेरे दोनो लडके तो काफ़ी च्यूईंग चबाते है, मैने काफ़ी बार मना किया,लेकिन वो कहते है कि सारा दिन स्कुल मै रहने से मुंह से हवाड नही आती, ओर वो खरीदते भी बिना चीनी वाली है, आप का लेख पढ कर मेरे दिमाग के पट खुल गये, लेकिन यहां बच्चे च्यूईंग को युही नही फ़ेकते, उसे वापिस उसी की पेकिंग मै पेक कर के सिर्फ़ कुडे दान मै ही फ़ेकते है, कुछ बच्चो को छोड कर.हमारे यहां च्यूईंग तो फ़िर बहुत सस्ती है,एक बच्चा महीने मै भारत के रुपये के हिसाब से सिर्फ़ १५०,२०० ही खर्च करता है, यानि यहां २,४ €
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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जवाब देंहटाएंमैने आपका ब्लाग देखा. स्वाथ्य जैसे विषय पर सचमुच इस तरह के ब्लाग की जरुरत थी जिसे आपने पूरा किया, कोटिश धन्यवाद.ब्लाग देखने के दौरान आपका पानी पर लिखा एक पुराना पोस्ट पढा तो लगा शायद मेरी एक समस्या का आपके पास कोई उपाय हो.मेरी मां लगभग 60 वर्ष की हैं.वो पिछले एक साल से जिआर्डिआ वर्म से पीड़ित है. दिन मे सामान्यत: 7 से 8 बार टायलेट जाना पड़् जाता है. जिससे उनका न सिर्फ वजन काफी कम हो गया है बल्कि कमजोरी भी काफी हो गयी है. जब दवा दी जाती है तब कुछ दिनो के लिये तो पेट ठीक रहता है पर बंद करते ही फिर वैसा ही हो जाता है. अभी डाबर का कुत्जारिष्ट दे रहा हूं पर कोई फायदा नही दिखाई दे रहा है.पानी भी सदा उबाल कर ही पीती है पर कुछ सुधार नही है.खाना सदा पका हुआ खाती हैं,कच्चा कुछ भी नही खाती है,दलिया.भात,जैसे सुपाच्य खाना खाने के बावजुद सुधार नहीं है. क्या आप कुछ दवा या उपाय सुझा सकते है जिससे जिआर्डिआ वर्म जड़ से समाप्त हो जाये.. आपका आभारी रहुंगा.
जवाब देंहटाएंच्युविंग गम का भारतीय संस्करण लोंग, इलायची है, जो प्राकृतिक खाद्य है.दंत क्षय रोकने के लिए दांतों की साफ़ सफाई और प्रत्येक खाने के बाद कुल्ला पर्याप्त होने चाहिए. वैसे आपकी राय मेरी अपेक्षा आधिकारिक होगी.
जवाब देंहटाएंजानकारी हेतु आभार।
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