“ यह तम्बाकू चबाने में खुशज़ायका है और बेजरर है। दांतों को पायरिया से बचाता है। मुंह में खुशबू पैदा करता है।” एक पाउच पर यह लिखा हुया है तो कोई दूसरा पाउच चीख-चीख कर यह कह रहा है…… “फिल्टर तम्बाकू पाउच अपने होंठ के बीच में रखें और चैन से मज़ा लें( चबायें नहीं)”। ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं कि किस तरह से इन विनाशकारी उत्पादों की मशहूरी की जाती है। काश, उस के साथ यह भी लिखा होता कि होंठ के बीच में रखें और फिर होंठ के भयानक कैंसर से बच कर दिखायें।
मैंने लगभग 65 -70 पान-मसालों, गुटखों एवं तम्बाकू के पाउचों का अध्ययन किया है...जिन में से केवल चार-पांच तंबाकू के पाउचों पर वैधानिक चेतावनी हिंदी में लिखी पाई। कितने अफसोस की बात है कि इस विशाल देश में जहां बहुत ही कम लोग अंग्रेज़ी जानते हैं , वहां इतनी बड़ी जानकारी जिन का उनकी सेहत से सीधा संबंध है अंग्रेज़ी में ही उपलब्ध करवाई जा रही है। क्या इस तरफ़ किसी एऩजीओ का ध्यान नहीं गया ?....शायद आप मेरी बात से सहमत होंगे कि इस तरह की चेतावनी इस देश में केवल अंग्रेज़ी में ही लगा देने से कुछ होने वाला नहीं है।
चलिए, एक बात यह भी मान लें कि क्या ग्राहक को वैसे नहीं पता कि इस तरह के सभी उत्पाद उस की सेहत के साथ उत्पात ही मचाते हैं। लेकिन जब वैधानिक चेतावनी का प्रावधान है तो फिर ये कंपनियां आखिर क्यों इस की धज्जियां उड़ाने पर उतारू हैं। क्यों नहीं लिखतीं यही बात ये हिंदी में ...जब कि कईं पाउचों पर तो इन का ट्रेड-नेम तो आठ-दस भारतीय भाषाओं में भी लिखा होता है। अंदर की बात तो यही है कि ये नहीं चाहतीं कि ग्राहक यह सब पढ़ सके, समझ सके........क्या पता कभी उस पर लिखी चेतावनी अगर उस की भाषा( कम से कम राष्ट्रीय भाषा में )में ही हो तो वह इसे पढ़ कर इसे छोड़ने के लिए ही मन बना ले या किसी अनपढ़ बंदे को उस का प्राइमरी कक्षा में पढ़ रहा बच्चा जब इस चेतावनी के बारे में हिंदी में पढ़ कर सुनाए तो.......। लेकिन इन सब से इन कंपनियों को क्या लेना देना.....भाड़ में जाये लोगों की सेहत, इन का पाउच एक रूपये में बिक गया तो बस इन का मिशन पूरा हो गया।
एक तंबाकू के उत्पाद के ऊपर तो यह भी लिखा था कि इसे गोल्ड-मैडल मिला हुया है....अब यह पता नहीं किस सिरफिरे ने इस तरह के उत्पाद को गोल्ड-मैडल देने की हिमाकत की होगी जो कि हर साल करोड़ों कीमती जानें लील लेता है।
इस तरह के कईं प्रोडक्ट्स पर एक स्क्वेयर के अंदर एक हरा सा बिंदु देख कर दुःख भी हुया और हंसी भी आई। कंपनी यह चिल्ला रही है कि यह शाकाहारी है...लेकिन ज़हर शाकाहारी हो या मांसाहारी इस से आखिर फर्क क्या पड़ता है।
इतने सारे प्रोड्क्ट्स पर इस चेतावनी को देखने पर यही पाया है कि इस में भी बहुत से लूप-होल्स हैं..... इस चेतावनी को पैकिंग पर बहुत ही छोटे से साइज़ में लिखा होता है और वह भी अंग्रेज़ी में, सब के सब पान-मसाले गुटखे के पैकेटों पर इन्ग्रिडिऐन्ट्स को ही हमेशा मैंने छोटे-छोटे फोंट में अंग्रेज़ी में ही लिखे पाया। बस, सीधी सी बात यह है कि इनके ये उत्पादक यह चाहते हैं कि किसी तरह से ग्राहक कुछ पढ़ ही न पाये ।
और यह एक उत्पादक ने तो यह लिखवाया हुया है कि 100% शुद्ध देशी गुटखा....अब इस को कौन समझाये कि तू काहे इतना शुद्धता के लिए परेशान हो रहा है। इस से क्या ज़हर का असर कम हो जायेगा। और एक मजेदार बात और भी है कि बहुत से पाउचों पर उन के मालिकों की सूट-टाई गाड़े हुए फोटो देख कर बहुत अजीब लगता है कि अमां, तुम काम कौन सा कर रहे हो और फिर भी लाइम-लाइट में रहने के इतने लालायित क्यों हो भई।
लाइम-लाइट में तो वैसे भी यह रह ही लेते हैं...किसी बड़े समारोह को स्पोंसर कर के, या किसी धार्मिक समारोह में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेकर ये बेगुनाहों को अंधी गली में धकेलने से कमाये हुये पाप की गठड़ी थोड़ी हल्की करने की कोशिश कर के मन को क्षणिक तसल्ली दे लेते हैं।
लेकिन मैं यह सब चीख चीख कर क्यों परेशान हो रहा हूं......क्यों कि चीखना मेरा कर्म है......क्या पता किसी एक के भी मन को मेरी बात लग जाये और क्या पता इस केस में भी स्नो-बॉल इफैक्ट हो जाये। इँशा-अल्लाह.........आप भी लगे हाथों कह ही दें......आमीन !!!!
मैंने लगभग 65 -70 पान-मसालों, गुटखों एवं तम्बाकू के पाउचों का अध्ययन किया है...जिन में से केवल चार-पांच तंबाकू के पाउचों पर वैधानिक चेतावनी हिंदी में लिखी पाई। कितने अफसोस की बात है कि इस विशाल देश में जहां बहुत ही कम लोग अंग्रेज़ी जानते हैं , वहां इतनी बड़ी जानकारी जिन का उनकी सेहत से सीधा संबंध है अंग्रेज़ी में ही उपलब्ध करवाई जा रही है। क्या इस तरफ़ किसी एऩजीओ का ध्यान नहीं गया ?....शायद आप मेरी बात से सहमत होंगे कि इस तरह की चेतावनी इस देश में केवल अंग्रेज़ी में ही लगा देने से कुछ होने वाला नहीं है।
चलिए, एक बात यह भी मान लें कि क्या ग्राहक को वैसे नहीं पता कि इस तरह के सभी उत्पाद उस की सेहत के साथ उत्पात ही मचाते हैं। लेकिन जब वैधानिक चेतावनी का प्रावधान है तो फिर ये कंपनियां आखिर क्यों इस की धज्जियां उड़ाने पर उतारू हैं। क्यों नहीं लिखतीं यही बात ये हिंदी में ...जब कि कईं पाउचों पर तो इन का ट्रेड-नेम तो आठ-दस भारतीय भाषाओं में भी लिखा होता है। अंदर की बात तो यही है कि ये नहीं चाहतीं कि ग्राहक यह सब पढ़ सके, समझ सके........क्या पता कभी उस पर लिखी चेतावनी अगर उस की भाषा( कम से कम राष्ट्रीय भाषा में )में ही हो तो वह इसे पढ़ कर इसे छोड़ने के लिए ही मन बना ले या किसी अनपढ़ बंदे को उस का प्राइमरी कक्षा में पढ़ रहा बच्चा जब इस चेतावनी के बारे में हिंदी में पढ़ कर सुनाए तो.......। लेकिन इन सब से इन कंपनियों को क्या लेना देना.....भाड़ में जाये लोगों की सेहत, इन का पाउच एक रूपये में बिक गया तो बस इन का मिशन पूरा हो गया।
एक तंबाकू के उत्पाद के ऊपर तो यह भी लिखा था कि इसे गोल्ड-मैडल मिला हुया है....अब यह पता नहीं किस सिरफिरे ने इस तरह के उत्पाद को गोल्ड-मैडल देने की हिमाकत की होगी जो कि हर साल करोड़ों कीमती जानें लील लेता है।
इस तरह के कईं प्रोडक्ट्स पर एक स्क्वेयर के अंदर एक हरा सा बिंदु देख कर दुःख भी हुया और हंसी भी आई। कंपनी यह चिल्ला रही है कि यह शाकाहारी है...लेकिन ज़हर शाकाहारी हो या मांसाहारी इस से आखिर फर्क क्या पड़ता है।
इतने सारे प्रोड्क्ट्स पर इस चेतावनी को देखने पर यही पाया है कि इस में भी बहुत से लूप-होल्स हैं..... इस चेतावनी को पैकिंग पर बहुत ही छोटे से साइज़ में लिखा होता है और वह भी अंग्रेज़ी में, सब के सब पान-मसाले गुटखे के पैकेटों पर इन्ग्रिडिऐन्ट्स को ही हमेशा मैंने छोटे-छोटे फोंट में अंग्रेज़ी में ही लिखे पाया। बस, सीधी सी बात यह है कि इनके ये उत्पादक यह चाहते हैं कि किसी तरह से ग्राहक कुछ पढ़ ही न पाये ।
और यह एक उत्पादक ने तो यह लिखवाया हुया है कि 100% शुद्ध देशी गुटखा....अब इस को कौन समझाये कि तू काहे इतना शुद्धता के लिए परेशान हो रहा है। इस से क्या ज़हर का असर कम हो जायेगा। और एक मजेदार बात और भी है कि बहुत से पाउचों पर उन के मालिकों की सूट-टाई गाड़े हुए फोटो देख कर बहुत अजीब लगता है कि अमां, तुम काम कौन सा कर रहे हो और फिर भी लाइम-लाइट में रहने के इतने लालायित क्यों हो भई।
लाइम-लाइट में तो वैसे भी यह रह ही लेते हैं...किसी बड़े समारोह को स्पोंसर कर के, या किसी धार्मिक समारोह में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेकर ये बेगुनाहों को अंधी गली में धकेलने से कमाये हुये पाप की गठड़ी थोड़ी हल्की करने की कोशिश कर के मन को क्षणिक तसल्ली दे लेते हैं।
लेकिन मैं यह सब चीख चीख कर क्यों परेशान हो रहा हूं......क्यों कि चीखना मेरा कर्म है......क्या पता किसी एक के भी मन को मेरी बात लग जाये और क्या पता इस केस में भी स्नो-बॉल इफैक्ट हो जाये। इँशा-अल्लाह.........आप भी लगे हाथों कह ही दें......आमीन !!!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...