शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

मुंबई मेट्रो...फर्स्ट डे...फर्स्ट शो का सपना हुआ साकार

जवानी के दिनों में कभी भी किसी बालीवुड फिल्म को फर्स्ट डे, फर्स्ट शो ...(जैसे की डॉन, अमर-अकबर, एंथोनी, लावारिस, एक दूजे के लिए)....देखने का सपना कभी साकार न हुआ...क्योंकि फ्राई-डे और अगले दिन शनिवार-रविवार को टिकटों की इतनी काला बाजारी होती थी कि हम सोच भी नहीं सकते थे पांच रुपए कि टिकट को ब्लैक में 50 रुपये में खरीदने के बारे में....लेकिन यह मेट्रो वाला सपना कल साकार हो गया.....😁


कल सुबह मुझे भी कुछ तस्वीरों के साथ ऐसा ही शीर्षक दिखा …दरअसल हमारे एक डाक्टर साथी ने अपनी कुछ बढ़िया 2 तस्वीरें शेयर की हम लोगों के एक वाट्सएप ग्रुप में ….जिस तरह का उतावला पन हम रखते हैं…मुझे जैसे ही उन तस्वीरों की एक झलक दिखी, बिना उन को खोले ही दो ख्याल ऐन उसी वक्त दिमाग में कौंध गए कि यह तस्वीरें तो डाक्टर बाबू ने लगता है गलती से यहां शेयर की दी हैं…और दूसरा ख्याल भी फौरन पहुंच गया कि डाक्टर साहब बता रहे होंगे कि देखिए AI से फोटो को किस लेवल तक पहुंचाया जा सकता है ….

अभी इन ख़्यालों का ख्याल भी न कर पाया था कि फोटो खुल गईं, वे देखीं….उन के साथ कोई कट्लाईन नहीं थी, वह एक अगली पोस्ट में लिखा था कि मुंबई मेट्रो में पहले दिन-पहले शो का आनंद लिया …बहुत खुशी हुई हम सब को यह देख-पढ़ कर ….


मराठा मंदिर सिनेमा के एकदम बाहर भी एक एंट्री-एग्ज़िट है और इस के सामने नायर डेंटल कालेज के बाहर भी ...

पहला सब से ज़रूरी काम लेखक ने जो किया...मुंबईसेंट्रल मेट्रो स्टेशन पर पहुंचते ही सेल्फी ली....

मैंने भी सोचा हुआ था कि जिस दिन यह पूरी लाईन खुलेगी उस दिन इस में सफ़र ज़रूर करना है …लेकिन कहां से कहां तक मैं यह ही नहीं तय कर पा रहा था …फिर जब कल यह भी अपने आप ही तय हो गया….क्योंकि कल विश्व डाक दिवस था ….और मुझे जीपीओ कुछ काम था …इसलिए मुंबई सैंट्रल से सीएसटी मैट्रो स्टेशन तक जाना भी तय हो गया….




जिस इंक्ल्यूसिविटी की मैंने ब्लॉग में बात की है...



मुंबई मेट्रो एक्वा लाईन जिसे लाईन तीन भी कहते हैं….उस का उद्घाटन परसों 8 अक्टूबर को हुआ है और कल 9 अक्टूबर को यह पब्लिक के लिए खोल दी गई है ….यह आरे, जेवीएल आर से लेकर कफ परेड तक जाती है …सारी अंडरग्रांउड है, कुल 28 स्टेशनों में से 27 स्टेशन अंडर-ग्रांउड ही हैं….इस का एक स्ट्रैच आरे (आरे मिल्क प्लाटं के नाम से) से महात्मा अत्रे चौक (वरली) तक को कुछ महीने पहले ही खुल गया था …अब परसों वरली से कफ-परेड तक का भी स्ट्रैच खुलने से मुंबई वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई है….



अब ऐसे ऐतिहासिक लम्हे को ट्रेने के अंदर भी कैद न किया तो क्या किया...



मुंबई सीएसटी मेट्रो स्टेशन पर फूलों के हार ऐसे स्वागत करते मिले ...



वैसे इस एक्वा लाईन पर यह मेरी दूसरी यात्रा थी…क्योंकि जितना स्ट्रैच पहले खुल चुका था. उस पर भी मैंने कुछ दिन पहले सफर किया था ..एयरपोर्ट टर्मिनल मेट्रो स्टेशन से बीकेसी (बांद्रा कुर्ला कंपलेक्स) मेट्रो स्टेशन तक …चालीस रूपए टिकट है उन दोनों स्टेशनों के बीच सफर करने के लिए ….कुछ ज़्यादा वक्त नहीं लगा था …यही दस मिनट शायद …


सब कुछ बढ़िया लिखा हुआ कि किस गेट से निकलेंगे तो किधर पहुंचेंगे ...बहुत अच्छे 

चमकते दमकते स्टेशन....मुंबई सीएसटी मेट्रो 


दिव्यांग जनों के लिए वॉश रूम की व्यवस्था और पानी पीने की सुविधा भी ऐसी कि कोई भी आराम से पी ले ....इस तरह की सुविधाएं दिल्ली मेट्रो पर भी होनी चाहिए....वॉश की सामान्य व्यवस्था भी है , यह देख कर बहुत अच्छा लगा...

पढ़ लीजिए ज़ूम कर के अगर आप चाहें तो ...






उस दिन भी बहुत अच्छा अनुभव रहा था और कल भी एक्वा-लाईन (पूरी स्ट्रैच खुलने पर)  के पहले दिन भी बहुत अच्छा अनुभव रहा ….कल शाम ही सोच रहा था कि इस को अपनी डॉयरी में लिख दूंगा ….ज़रूरी लगा ….इसलिए यह पोस्ट लिख रहा हूं….


मुंबई सीएसटी पर बाहर से लोग स्टेशन देखने आए हुए थे ...इस के आगे जाने के लिए टिकट खरीदना पड़ता है ..

बढ़िया व्यवस्था एस्केलेटर भी और सीढि़यां भी ...


सीएसटी मेट्रो स्टेशनसे बाहर आने के लिए सीढ़ी के साथ साथ यह एक बहुत ही सुविधाजनक रैंप भी है ....बेहतरीन डिज़ाईन ...कोई भी आसानी से इस पर चल सकता है ..

कल खबरें आ रही थीं कि यह लाइन पूरी खुल तो गई है लेकिन बहुत से स्टेशनों के कुछ एंट्री-एग्जिट प्वाईंट अभी नहीं खुले हैं…नहीं खुले हैं कुछ प्वाईंट तो नहीं खुले हैं, मेट्रो काम पर लगी हुई है …खुल जाएगा सब कुछ जल्दी लेकिन तब तक भी मेट्रो की सेवाएं हम सब के लिए खुल गई हैं, यही क्या कम है। हर स्टेशन पर आने जाने के लिए कुछ एंट्री-एग्ज़िट प्वाईंट तो खुले ही हैं….


जैसा की मैंने ऊपर लिखा कि मैंने मुंबई सेंट्रल स्टेशन से मुंबई सी एस टी जाना था इस एक्वा लाईन में ….मुंबई स्टेशन मेट्रो स्टेशन का नाम जगन्नाथ शंकर सेठ मेट्रो स्टेशन के नाम से है…इस के एंट्री-एग्ज़िट प्वाईंट एक तो नायर डैंटल कालेज (मराठा मंदिर सिनेमा के ठीक सामने) के गेट के बाहर है …अभी मराठा मंदिर के गेट के बाहर वाला चालू नहीं हुआ है …और एक एंट्री-एग्जि़ट प्वाईंट है मुंबई सेँट्रल स्टेशन मेन स्टेशन के मेन गेट के साथ सटा हुआ ….मैं नायर डेंटल वाली एंट्री से नीचे गया…लिफ्ट भी है, और सीढ़ियां भी हैं, एस्केलेटर भी था, लेकिन कोई कह रहा था वह ऊपर आने के लिए ही है…अभी बहुत सारी सुविधाओं का हम लोगों को पता भी नहीं है, लग जाएगा पता लगते लगते …ऐसा ही होता है जब कोई नईं सेवा शुरु होती है …


सीएसटी मेट्रो स्टेशन के बाहर निकल कर जब यह मुंबई सीएसटी के पुराने सब-वे से मिलता है, यह तस्वीर वहां से, बाहर से ली गई है 

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा .....अब सी एस टी मेट्रो स्टेशन से बाहर आकर उस पुराने सब-वे हम फिर से अपने पुराने रंग में रंग जाते हैं....सामने आप को सीढ़ियां दिखाई दे रही हैं...जिन को चढ़ते ही आप मुबंई सीएसटी लोकल स्टेशन प्लेटफार्म पर पहुंच जाते हैं...

लेकिन नीचे जा कर वहां का भव्य नज़ारा देख कर दिल खुश हो गया….सब कुछ एकदम साफ-सुथरा, व्यवस्थित और एक दम बढ़िया एम्बीऐंस ….हां, एक बात जो वहां पर मैं बार बार सुन रहा था कि नीचे मोबाईल नेटवर्क की समस्या है …मुझे इतनी साईंस नहीं आती, शायद इतना नीचे नहीं चलता होगा नेटवर्क ….यह इसलिए लिख रहा हूं ताकि अगर नीचे जा कर केश-काउंटर से टिकट लेनी है तो साथ में कुछ रोकड़ा भी रखना ज़रूरी है ….यह इसलिए लिखना ज़रूरी है कि आज कल कुछ लोगों को विशेषकर जेन्ज़ी पीढ़ी को केश रखने की बिल्कुल आदत नहीं रही ….हां, एक एप का भी बार बार ज़िक्र आ रहा है ….और शायद स्टेशन के बाहर क्यू-आर कोड भी लगे होंगे …भूमिगत स्टेशन की तरफ प्रस्थान करने से पहले लोग टिकट का जुगाड़ कर ही लेंगे ….


मैंने टिकट काउंटर से टिकट ली ….मुंबई सेंट्रल (जे एस एस मेट्रो) से मुंबई सीएसटी तक 20 रुपए की टिकट थी …कुछ लोग जो इसी रूट का रिटर्न टिकट ले रहे थे, वह 40 रूपए का था। टिकट लेकर मैंं प्लेटफार्म पर बैठ गया….वहां पर अच्छी तरह से सब कुछ आप की सूचना के लिए लिखा गया है ….


पांच मिनट में गाड़ी आ गई ….इतनी भीड़ नहीं थी, पता नहीं आगे चल कर क्या हालात होंगे ..लेकिन आज तो लगता है तफ़रीह के मूड में आए लोग ही थे…फोटो खींच रहे थे, व्हीडियो बना कर इंस्टा पर शेयर करने के लिेए, हाथ में पहले दिन वाली टिकट हाथ में थामे हुए….


मैं भी गाड़ी में उपलब्ध सुविधाओं को देख रहा था ….एमरजेंसी में ट्रेन के ड्राईवर से संपर्क करने की सुविधा है ….और मेरी सीट के सामने ही दिव्यांग जन के लिए, उन की व्हील-चेयर रखने की भी व्यवस्था थी ….मेट्रो ने इंक्ल्यूसिविटी का पूरा ख्याल रखा है …..क्योंकि मैंने मुंबई सीएसटी स्टेशन पर देखा कि वहां पर दिव्यांग जनों के लिए वॉश-रूम भी अलग उपलब्ध थे….


यह जो ट्रेन में दिव्यांग जनों के लिए उन की व्हील चेयर के साथ चढ़ने उतरने की व्यवस्था है, यह मैंने 2019 में यू-एस-ए में बसों में देखी थी, अगर वहां पर बस-स्टैंड पर कोई दिव्यांग जन इंतज़ार कर रहा दिखता, तो बस के पिछले हिस्से का प्लेटफार्म बिल्कुल नीचे ज़मीन के साथ टच कर जाता ताकि वह बंदा अपनी व्हील-चेयर को आगे चला कर खुद ही अंदर आ जाए और अपनी जगह पर उसे ले जाए, उस के बाद वह प्लेटफार्म ऊपर उठा लिया जाता ….और बस आगे की यात्रा के लिए निकल जाती …


कितना वक्त लगा मुबंई सेंट्रल से मुंबई सी एस टी स्टेशन तक ….


बीच में तीन स्टेशन हैं….ग्रांट रोड स्टेशन, गिरगांव, कालबा देवी …और पता ही लगता कब 10 मिनट लगभग में ही मुंबई सीएसटी स्टेशन आ गया….बहुत अच्छा एक्सपिरिएंस रहा ….एकदम स्मूथ राईड ….सब कुछ एकदम सेट…


लेकिन एक बात जो मुझे लगी …पता नहीं अभी हम लोगों को सही तरह से सभी एंट्री-एग्ज़िट प्वांईंट का पता भी नहीं है और कुछ अभी खुले भी नहीं हैं (जल्दी खुल जाएंगे) …लेकिन मेट्रो-स्टेशनों पर चलना खूब पढ़ता है ….शायद मुझे लगता है कि टोटल 10-15 मिनट का चलना हो ही जाता है….अच्छी बात है, चलना और चल पाना सेहत की निशानी है …लेकिन यह लिखा इसलिए है कि अगर आप अपने बुज़ुर्ग परिवार के सदस्यों को एक ज्वॉय-राईड के लिए लेकर जाना चाहते हैं तो पहले अच्छे से खुद रेकी कर के आ जाईए…स्टेशन पर उपलब्ध सुविधाओं  के बारे में पढ़ लीजिए…रोज़ अखबारों में बड़े अच्छे से बता रहे हैं…


चलिए, मुंबई मेट्रो से सीएसटी मेट्रो तक पहुंच गए और वहां से बाहर निकल कर सीएसटी के सब-वे तक भी पहुंच गए लेकिन व्हील-चेयर वाला बंदा या अशक्त इंसान जो सीढ़ीयां नहीं चढ़ सकता वह क्या करे ….क्योंकि वहां से बाहर निकलने के लिेए सीढ़ीयां ही इस्तेमाल करनी होंगी….लेकिन जैसा की मैंने लिखा है हो सकता है कि मैं जिस रास्ते से बाहर निकला हूं उधर ही ऐसा हो, दूसरे किसी निकास पर लिफ्ट हो या एस्केलेटर भी हो, यह आप को देखना चाहिए…. 


मेरे मेट्रो सफर ….

मेरा पहला मेट्रो सफर नवंबर 2009 में था ..मेरे साथ मेरी मां थी और तब स्कूल में पढ़ने वाला बडा़ बेटा था ….हम लोग दिल्ली से विश्वविद्यालय स्टेशन तक गए थे ..सत्संग में जा रहे थे ….डरते डरते चढ़ रहे थे ….मां भी थोड़ी डर रही थीं….होता ही है पहली बार …..लेकिन उस दिन भी बहुत अच्छा लगा था ….फिर तो इतने बरसों से दिल्ली मेट्रो एक आदत सी बन गई है …और जब से बुज़ुर्ग होने का टैग लगा है और टैग लगने से भी ज़्यादा चेहरे-मोहरे ,सफेद बालों की वजह से और बरबाद हो चुके घुटनों के कारण चाल टेढ़ी मेढ़ी होने से अपनी उम्र से भी बड़ा दिखने लगा हूं, बुज़ुर्ग लोगों की सीट तक पहुंचते ही वहां पर बैठा कोई नवयुवक डिफॉल्टर (डिफॉल्टर ही कहेंगे ऐसे लोगों को जो इन सीटों को हथिया कर मुंडी नीचे कर मोबाईल की दुनिया में डूब जाते हैं) खुद ही खड़ा हो कर सीट खाली कर देता है ….वही वक्त है जब  बुज़ुर्ग होने पर फ़ख्र भी होता है …और अपने सफेद बालों को काला करने के लिए कूची से कभी न पोतने का फैसला अच्छा लगता है …बालों की रंगाई-पुताई सच में बडी़ सिरदर्दी लगती है.. क्यों लगता है कि इतनी सी पुताई से हमारी उम्र छुप जाएगी…..कुछ नहीं छुपता-वुपता, दोस्तो….


फिर लखनऊ में दिसंबर 2017 में मेट्रो में पहली बार सफर किया था …. वहां पर भी मेट्रो का ठीक ठाक नेटवर्क है …एयरपोर्ट से लेकर शहर के दूसरे छोर तक ….लखनऊ में रहते हुए ज़्यादा मेट्रो में सफर नहीं किया…ज़रूरत ही नहीं पड़ी। 


फिर मुंबई में घाटकोपर से वर्सोवा वाली मेट्रो लाइन पर भी पिछले कुछ सालों में दो चार बार सफर किया….इसे रिलायंस चला रही है …..लेकिन यह जो ऊपर मैंने मुंबई मेट्रो की एक्वा लाईन के बारे में लिख रहा हूं, यह मुंबई मेट्रो रेल कार्पोरेशन चला रहा है ….दूसरी सभी मेट्रो जो चलने वाली हैं, शायद ये भी एमएमआरसी द्वारा ही संचालित होंगी….जैसे दिल्ली में दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन है ….यह भी मुझे कल ही पता चला जब मैंने स्टेशन पर इस तरह के बोर्ड देखे ….


मेट्रो की व्यवस्था मुझे बहुत भाती है….कोई थूकता नहीं, कोई बीड़ी-सिगरेट नहीं फूंकता….शायद 2010 के आस पास की बात है, मैंने दिल्ली मेट्रो में पढ़ा था कि थूकने वाले पर 500 रुपए जुर्माना किया जाएगा….और मैं इतने बरसों से दिल्ली की मेट्रो में सफर कर रहा हूं और लखनऊ मेट्रो में भी जितना सफर किया कभी पान की, गुटखे की एक छींट तक नहीं देखी …एक दम साफ सुथरे स्टेशन …मेट्रो वाले जानते हैं नियमों को कैसे लागू करना-करवाना है …मुझे याद है जब आज से दस बरस पहले लखनऊ मेट्रो का निर्माण कार्य चल रहा था तो सड़कों पर जो मेट्रो के निर्माणाधीन लोहे के बोर्ड लगे होते थे उन को भी रोज़ाना लोग पान-गुटका थूक थूक कर रंग दिया करते थे ….लेकिन मेट्रो की यह बात भी देखी कि उन के सफाईकर्मी उन लोहे के बने बैरियर को रोज़ाना पानी से धोते …यह हम रोज़ देखा करते थे …..अब अगर वहां पर मेट्रो साफ सुथरी रही तो मुंबई में तो ऐसी कोई दिक्कत आने का अंदेशा ही नहीं है, और अगर कुछ होगा तो मेट्रो के नियम जो मैंने यहां पो्सट किए हैं, वह आप भी पढ़ लीजिए….अगर पढ़ने में दिक्कत हो तो किसी भी तस्वीर पर क्लिक कर के, ज़ूम कर के देख लीजिए….



ऐसे ही घूमते-टहलते अकसर यह गाना याद आ ही जाता है ...आदमी मुसाफिर है आता है जाता है ....


यह तो मैं बताना भूल ही गया कि जीपीओ में मुझे ऐसा कौन सा काम आन पडा ऐसे वक्त में जो मोबाईल नहीं कर पाता....काम ही कुछ ऐसा था ....वहां जाना ज़रुरी था ...

नहीं देख पाए फर्स्ट डे, फर्स्ट शो शोले का 50 बरस पहले तो भी कोई ग़म नहीं, पचास साल बाद पचास पचास रुपए में यह पोस्ट कार्ड तो खरीद पाए ....😀...दिल का क्या है, कैसे भी समझ जाता है ....