शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

एक यादगार भजन संध्या ...रामनवमी की बधाईयां


कल यहां लखनऊ में उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक श्री ए के लाहोटी जी के आवास के प्रांगण में भजन संध्या का आयोजन किया गया ...यह एक यादगार भजन संध्या रही ...

इस में नेशनल-इंटरनेशल फेम के कलाकारों ने अपनी कला से आए हुए श्रद्धालुओं को भाव विभोर किया..

मुझे वहां बैठे बैठे ध्यान आया कि जो लोग एक-साथ छुट्टियां पड़ने की वजह से शहर से बाहर होने की वजह से नहीं आ पाए और जो इस भजन संध्या में उपस्थित थे वे इन रब्बी लम्हों का लुत्फ बार बार कैसे ले पाएं...एक छोटा सा प्रयास किया है इस प्रस्तुति के द्वारा...पांच आडियो यहां एम्बेड किये हैं...आप भी इनको सुन कर भक्तिमय हो जाइए...


 श्री मिथिलेश श्रीवास्तव जी ने अपने गीतों से भक्तों को निहाल किया...

उन के बाद श्री देवेश चतुर्वेदी ने अपनी मधुर आवाज़ में गीतों रूपी पुष्प वर्षा की...


इन के बाद श्री किशोर चतुर्वेदी एवं स्वाति जी के द्वारा दुर्गा स्तुति, केवट प्रसंग, बधईयां की प्रस्तुति की गई..सारा वातावरण भक्ति में डूबा रहा...

कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े..जाना था गंगा गांव, प्रभु केवट की नांव चढ़े...





इस संध्या के समापन के दौरान डीआरएम श्री लाहोटी जी ने सभी कलाकारों का उत्साह-वर्धन दिया, उन्हें स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया..और गृह में पधारे सभी श्रद्धालुओं का अभिनंदन किया...उस के बाद सभी  श्रद्धालुओं ने मिल कर सहभोज किया...दो अढ़ाई घंटे पंख लगा कर उड़ गये, पता ही नहीं चला...

निःसंदेह यह भजन-संध्या बहुत लंबे समय तक याद रहेगी...राम नवमी की एक बार फिर से आप सब को बहुत बहुत बधाईयां...

प्रांगण से बाहर आते हुए पंक्षियों के इस सुंदर आशियाने पर नज़र पड़ी ...बहुत खुशी हुई...इतने सुंदर घोंसले को देख कर जिस में दाना-पानी का भी प्रबंध किया गया था...एक प्रेरणा भी मिली कि हमें भी अपने अपने आंगन में यह काम तो ज़रूर ही करना चाहिए... अपने नन्हे दोस्तों के लिए!




गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

बतरस.....कटहल, गंगा जल, कांग्रेस बूटी और पौधों के नक्षत्रों-गृहों की बातें




आज सुबह एक दुकान पर कुछ लेने के लिए रुका तो बाकी पूजन सामग्री तो समझ में आ रही थी ..ये इंजेक्शन की शीशियां समझ में नहीं आई..मैंने सोचा ...गुलाब जल या केवड़ा जैसा कुछ होगा...


इसे हाथ में उठाया तो पता चला कि यह तो गंगा जल है ...दुकानदार ने पूछने पर बताया कि पांच रूपये की शीशी है ...मैं इसी सोच में पड़ गया कि कुछ साल पहले तक तो ५ लिटर की प्लास्टिक की कैनीयों में बिकता था गंगा जल..अब जब कि पाप इतने बढ़ गये हैं लेकिन गंगा जल की पैकिंग इतनी छोटी हो चली है..एक ध्यान यह भी आया कि पता नहीं पतंजलि इंडस्ट्री इसे कब लांच करेगी...देखते हैं..वैसे टीके की एक शीशी तो इस से भी छोटी आती है !


आज मैं स्टेशन के बाहर खड़ा था..मैंने देखा एक ८० साल के करीब की वृद्ध महिला सीढ़ियां चढ़ रही थी और उस के पीछे ४०-५० के करीब की महिला थी...बहु-बेटी होगी... मुश्किल से वह वृद्धा सीढ़ियां चढ़ रही थीं, मुझे देख कर यही लगा कि उस के पीछे चलने वाली महिला भी धीरे धीरे उस के पीछे उस का साथ देने के लिए चल रही हैं, हाथ में डंडी लिए हुए थे ...शायद उस वृद्धा की ही होगी। 

लेिकन जैसे ही ये दोनों ऊपर पहुंची...मैंने देखा कि वृद्धा से भी ज़्यादा उस अधेड़ उम्र की टांगों की हालत खस्ता थी...उस की टांगे और घुटने तो बिल्कुल मुड़े हुए से ही थे...धीरे धीरे वे दोनों आगे बढ़ गई...

मुझे भी फ्लैट फुट है और घुटनों में लफड़ा तो है ...सुबह सुबह ऐंठन और दर्द--विशेषकर सर्दी के दिनों में आने वाले समय का संकेत दे रहा है...लेकिन टहलने वहलने से अच्छा लगता है, तकलीफ़ बहुत कम है...

उन दो महिलाओं को देख कर यही ध्यान आ रहा था कि हमें हर हालत में ईश्वर का तहेदिल से शुक्रिया अदा करते रहना चाहिए...हर पल....जिस भी हालत में हम हैं..मैं अपने निराश हुए मरीज़ों को भी यही बात कहता हूं हमेशा...कोई मुंह की हड्‍डी तुड़वा लेता है किसी हादसे में ...बहुत निराश है तो मैं कहता हूं अगर आंखें भी चली जातीं, और दिमाग पर भी चोट आ जाती तो क्या कर लेते!...शायद मेरी बातें उन में शुकराने के भाव पैदा कर देती हैं..

इन्हीं महिलाओं की ही बात करें...कि इन से भी कईं गुणा बदतर हैं कुछ लोग जो अपनी दिनचर्या भी नहीं कर सकते, इस तरह की सीढ़ियां तो चढ़ना तो दूर, नहा तक नहीं पातीं अपने आप ....कुछ तो इतने असहाय हैं कि बेड पर लेटे रहते हैं, उठ ही नहीं पाते....वैसे भी हमारा अस्तित्व बस इतना है कि अंदर गई सांस बाहर आई तो आई...हमारे अस्तित्व की एक एक घड़ी ..पल-छिन कहते हैं ना इसे...यह ईश्वरीय अनुकंपा, रहमत ही  है। 

हर हालात में इस सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान कण कण में मौजूद इस निराकार, परमपिता परमात्मा का शुकराना करने की आदत डाल लें...ज़िंदगी अच्छी लगने लगती है....सत्संग की और बातें मुझे कितनी समझ में आई, कितनी नहीं, लेकिन यह बात पक्के से मन में घर कर गई है...


     आज मैं राजकीय उद्यान की तरफ़ निकल गया...वहां पर योग की कक्षा चल रही थी..

बाग में घूमते घूमते यह भी पता चला कि आपातकालीन प्रसाधन नाम की भी कोई चीज़ होती है ...पहली बार इस तरह का नाम सुना है ..कितनी शालीनता से कह दिया गया है कि आपातकाल में ही इसे इस्तेमाल कीजिए...लखनऊ की यही बातें हैं जो यहां से जाने के बाद याद आएंगी..

अच्छा बातें तो होती रहेंगी...मुझे यह बताएँ कि कटहल जिस की हम लोग सब्जी खाते हैं, वह किस तरह की झाड़ी में लगती है...बता पाएंगे, कभी देखा इस की झाड़ी को? ब्लॉग को आगे पढ़ने से पहले रूक जाइए और इस का जवाब मन में रख लीजिएगा...


मैंने इस बाग में इस तरह के फल देखे तो मुझे एक बार लगा कि यह कटहल है...लेकिन यकीं नहीं हुआ...इस तरह के पेड़ पर ये इतने बड़े बड़े फल...

मैं वही खड़ा था तो सामने से हमारी एक कर्मचारी का पति आ रहा था...मैं इन्हें जानता हूं..मैंने पूछा कि यह कटहल ही है? उन्होंने भी इस की पुष्टि की ...

    इस बाग में कटहल के बहुत से पेड़ दिखे...बिल्कुल छोटे फल कुछ नीचे भी गिरे हुए थे...


मैं तो कटहल देख रहा था और यही सोच रहा था कि जो बड़े बड़े फल नीचे गिरते होंगे...अगर वे किसी को नीचे लग जाते होंगे तो ..

यह भी कटहल का ही पेड़ है....हम लोग कुछ साल पहले तक कटहल की सब्जी नहीं खाते थे..लेिकन अब लखनऊ में आने के बाद खाने लगे हैं...यहां सब्जी तो वैसे भी अच्छी ही मिलती है ...मुझे लगता है इस के छिलके को काटने-उतारने का खासा झंझट होता है ...लेकिन यहां दुकानदार उसे उतार कर ही देते हैं..

इस पार्क में मैंने यह देखा कि कुछ रास्तों पर कांग्रेसी बूटी लगी हुई थी...नहीं नहीं, राहुल गांधी में इस का कोई कसूर नहीं है, इस का नाम ही कांग्रेस ग्रास है ...और यह कांग्रेस बूटी सेहत के लिए विशेषकर सांस की तकलीफ़ें पैदा करने के लिए बहुत बदनाम है...सरकारी विभागों में तो इसे काटने और नष्ट करने के लिए (किसी दवाई के छिड़काव से) ठेके दिये जाते हैं...



हर तरफ़ कांग्रेस बूटी की भरमार है ...और चुनाव सिर पर हैं...बाकी आप सब सुधि पाठकगण हैं।



आज बाग में टहलते हुए मेरे ज्ञान में एक इज़ाफ़ा यह भी हुआ कि नक्षत्रों और गृहों के मुताबिक भी पौधे होते हैं...इस की फोटो खींच ली, लेकिन पढ़ा नहीं...कभी फ़ुर्सत होगी तो देख लेंगे..

इस तरह के भीमकाय पौधों के पास से गुजरते ही मुझे अपनी तुच्छता का अहसास हो जाता है ..इसलिए मैं हमेशा ऐसे पौधों की फोटू ज़रूर खींच लेता हूं...मुझे ये बड़ा सुकून देते हैं..अकेले मुझे ही क्यों, सब को ही चैन मिलता है इन के सान्निध्य से...


भाई यह तो पोस्ट आज कटहल स्पैशल ही हो गई दिक्खे है ...बार बार कटहल की फोटू दिख रही है...


इस बाग में प्रवेश करते ही बोतल पाम के ये पौधे आप का स्वागत करते हैं...मुझे इन पौधों को देखना ही बहुत रोमांचिक करता है ..

मैं इस बाग में दो तीन बार पहले भी जा चुका हूं लेकिन मुझे नहीं पता था कि यह इतने बडे़ क्षेत्र में फैला हुआ है ... अच्छा लगा...इस का ट्रेक भी रेतीला है, एक दम बढ़िया....बस, कांग्रेस की बूटी का कुछ हो जाए तो बात बने...यह स्वच्छता मिशन में भाग लेने वाले कुछ लोग जो बस शेल्फी लेनी की फिराक में रहते हैं..अगर ये लोग सब मिल कर एक ही दिन कुछ घंटे का सामूहिक श्रमदान करें तो बूटी से निजात पाई जा सकती है ..


परसों से यह बात बार बार याद आ रही है ...कभी एक जगह लिख कर याद करता हूं, कभी दूसरी जगह ..परफेक्ट वेलापंती...

अब पोस्ट को बंद करते समय चित्रहार भी पेश करना होगा...लीजिए सुनिए...पिछले ४० सालों से धूम मचा रखी है इस ने भी ....न धर्म बुरा, न कर्म बुरा...न गंगा बुरी ..न जल बुरा...

अभी पोस्ट लिखने के बाद किचन की तरफ़ गया पानी पीने तो वहां पर भी कटहल जैसी महक आई..मैंने सोचा कि सुबह की सैर का hang-over ही होगा...तभी सामने देखा तो कटहल की सब्जी पड़ी थी..उस समय यही ध्यान आया कि आज के दिन काश मैंने सुबह से अपनी ट्रांसफर का ध्यान किया होता.... 😎 😎
कटहल की सब्जी ..

बुधवार, 13 अप्रैल 2016

ओए जट्टा आई वैसाखी...

आज सुबह टहल रहा था तो स्कूल के ज़माने से मित्र रमन बब्बर के अमृतसर से वैसाखी के कुछ संदेश आए...यहां पेस्ट कर रहा हूं..बहुत अच्छा लगा...इतने सजीव मैसेज पा कर...रमन बब्बर कज़िन है राज बब्बर साहब के...हर समय मुस्कुराते हैं..और हमें हंसाते रहते हैं...स्कूल के दिनों से ही ...



बाग से लौटने के बाद मैंने सोचा कि हम भी वैसाखी मना लें...जलेबियां-मिठाईयां शाम में खा लेंगे..अभी ऑनलाईन ही इस का जश्न मना लेते हैं...

 मैंने जैसे ही लिखा जट्ट मेले आ गया...तुरंत इस पंजाबी फिल्म का बढ़िया सा ट्रेलर खुल गया...मैंने सोचा चलिए कुछ शुरूआत तो हुई...यह फिल्म २२ अप्रैल को आने वाली है ...इस में जिम्मी शेरगिल ने काम किया है ..शायद कुछ न जानते हों कि जिम्मी शेरगिल हिंदोस्तान की एक महान् हस्ती अमृता शेरगिल के पोते हैं...

जिम्मी को मैंने माचिस फिल्म के प्रीमियर वाले दिन पहली बार १९९५ के आस पास बंबई के मेट्रो थियेटर में देखा था..मुझे अच्छे से याद है ..सब लोग थियेटर से बाहर आ रहे थे ..अचानक मैंने देखा कि यश चोपड़ा साहब किसी युवक से बात करते चल रहे थे...उन्होंने इस के काम की तारीफ़ की ...और अपना कार्ड जिम्मी को दिया...जिम्मी ने बड़े सम्मान-पूर्वक उन के इस अभिवादन को स्वीकार किया...

दो दिन पहले भी हम लोग टाटास्काई के मिनिप्लेक्स पर इन की फिल्म युवा देख रहे थे...आप भी ज़रूर देखिए, अभी तो इस ट्रेलर को देखिए और वैसाखी की खुशियों के रंग में रंग जाइए...
वैसाखी को दिन देश के विभिन्न प्रदेशों में अलग अलग ढंग से मनाया जाता है ..सभी ढंग मुबारक हैं...सभी जश्न का माहौल ही बनाते हैं...

पंजाब में फसल के पकने के बाद आज से इस की कटाई शुरू होती है ..इस का विशेष महत्व पंजाब के लिए इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन गुरू गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ का सृजन किया था..

मुझे लग रहा है कि आज बातें कम करूं...वह तो करता ही रहता हूं...आज इस पोस्ट को वैसाखी स्पैशल ही रहने देते हैं..


आज तो लग रहा है आप से पंजाबी गीत शेयर करता रहूं सारा दिन....इस समय जो याद आ रहे हैं...यहां एम्बेड कर रहा हूं...सैंकड़ों पंजाबी गीतों की मेरे पास कलेक्शन भी है...मुझे भी कईं बार लगता है कि लोग ठीक ही कहते हैं मैं अगर मैं इस तरह की कलेक्शनों के चक्कर में ही पड़ा रहा तो पढ़ाई वढ़ाई कब की होगी...बिल्कुल ठीक है...तभी तो कुछ भी ढंग से कर ही नहीं पाया..

जसविंदर बराड़ के खुले अखाड़े मुझे बेहद पसंद हैं.....२००५ से २०१२ तक मैं नियमित इन की सी.डी देखा सुना करता था...खुले अखाड़े का मतलब है जब ये कलाकार किसी खुले मैदान, गांव में अपने फन से लोगों को निहाल करते हैं...कोई टिकट का झंझट नहीं, कोई सिक्यूरिटी नहीं....बस आप होते हैं और ये कलाकार...आप अपनी फरमाईश करते जाइए और ये थकते नहीं....किस किस का नाम लूं...पंजाब के सभी महान गायकों के खुले अखाड़ों बड़े लोकप्रिय होते हैं क्योंकि ये आम आदमी के दिल की बातें करते हैं..सभ्याचार को पल्लित-पुष्पित करते हैं...और बहुत बार कुछ कुछ बढ़िया नसीहत भी दे जाते हैं...पहली वीडियो में बराड़ मिरजा सुना रही हैं और पहले पांच मिनट जो बातें कर रही हैं वे डायरी में तो क्या अपने मन में नोट करने वाली हैं...पंजाबी नहीं आती, तो भी सुनिए... अपने आप समझ आने लगेगी..

दूसरी वीडियो में बराड़ देश की एक आम समस्या की तरफ़ ध्यान दिला रही हैं युवाओं का ...बिल्कुल बागबान फिल्म के थीम जैसी बात कह रही हैं अपने भाईयों को घर का सारा सामान चाहे तो बांट लो, ज़मीनें बांट लो..लेकिन बापू-बेबे को मत बांट लेना, वे एक दूसरे के बिना रह नहीं पाएंगे.... 

मैंने ऊपर लिखा है ना कि प्यार, मोहब्बत, अपनेपन की कोई भाषा नहीं होती, शुक्र है जश्न का कोई कोड-ऑफ-कंडक्ट भी नहीं होता...बरसों पहले मैंने इस मराठी महिला का यह वीडियो देखा था...मेरे मन में बस गया था यह ...सरबजीत के उस सुपर-़डुपर गीत पर इतना बेहतरीन डांस किया इस महिला ने....Have you noticed she is enjoying what she is doing?...Great lady! वैसे भी कहते हैं कि नाचना, गाना अपनी रूह के लिए होना चाहिए...यानि उस समय आप को यह फिक्र न हो कि कोई देख रहा है कि नहीं... इस औरत ने वही किया है..

जाते जाते अगर टाइम हो तो गुरदास मान को भी थोड़ा सुन लिया जाए...

आज के वैसाखी के पर्व के लिए कहने को बहुत कुछ है, गीत बहुत से हैं..लेकिन अच्छा होगा इस समय आप के सब्र का इम्तिहान न ही लिया जाए...


मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

डॉयबीटीज़ की दवा अब हफ्ते में एक बार....बस?


आज बाद दोपहर उत्तर रेलवे डिवीजिनल अस्पताल, लखनऊ में एक क्लीनिक मीटिंग के दौरान डॉयबीटीज़ रोग के लिए उपलब्ध नईं दवाईयों के बारे में चर्चा हुई...चीफ़  फ़िज़िशियन डा अमरेन्द्र कुमार द्वारा इस विषय पर एक वार्त्ता  प्रस्तुत की गई...यह प्रोग्राम सभी मैडीकल ऑफीसर्ज़ के लिए रखा गया था..इस तरह की क्लीनिकल मीटिंग यहां नियमित होती रहती हैं।

डा अमरेन्द्र ने इस बीमारी के चौकाने वाले आंकड़े रखते हुए इस के लिए उपलब्ध विभिन्न दवाईयों के बारे में चिकित्सकों की जानकारी को रिफ्रेश किया..

कुछ नईं दवाईयों के इतिहास के बारे में बताते हुए यह बताया गया कि २००५ में किस तरह से अफ्रीकी छिपकली की लार से कुछ एन्ज़ाईम्स अलग कर, बहुत सी जटिल रासायनिक प्रकियाओं के बाद एक तरह की दवाई ब्लड-शूगर के लिए तैयार की जाने लगी... उस के बाद इसी तरह की दवाई को मानव से प्राप्त किया जाने लगा..

लेकिन अब यह ड्यूलाग्यूटाईड (Dulagutide) के रूप में उपलब्ध है ..यूरोपियन मार्कीट में २०१५ से यह उपलब्ध है..अमेरिका में यह दवाई २०१४ से उपलब्ध है और अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से एप्रूवड है।

इस तरह की दवाईयां -इन से थोड़ा मिलती जुलती पहले ही से उपलब्ध तो हैं...लेिकन इन्हें इंजेक्शन के रूप में हर रोज़ लेना पड़ता है...जब कि ड्यूलाग्यूटाईड का एक इंजेक्शन हफ्ते में एक बार ही लेना पड़ता है। 



ड्यूलाग्यूटाईड साल्ट ने किस तरह से शूगर रोगियों के लिए दवा लेना आसान कर दिया है ...इंसुलिन दो बार, तीन या चार बार तक भी लेनी पड़ती है ..लेकिन Dulagutide का एक इंजेक्शन एक सप्ताह तक अपना काम करता रहता है। यह इंजेक्शन ०.७५ मिलीग्राम और १.५ मिलीग्राम के सिंगल-यूज़ इस्तेमाल होने वाले पेन के रूप में आता है...इस इंजेक्शन को लेने का खाने के समय से कोई संबंध नहीं है...यानि के इसी कोई खाने से पहले लगाए या बाद में कोई फ़र्क नहीं पड़ता।

यह जो नईं दवाई है यह शूगर के रोगी का वज़न कम करने के लिए भी बहुत उपयोगी है ...अपने आप में यह वज़न कम करने की कोई दवाई नहीं है ...इस से अभिप्रायः यह है कि अगर कोई चाहे कि इसे वज़न कम करने के लिए लिया जाने लगे, ऐसा नहीं है...इस का वज़न कम करने वाला एक्शन इसलिए है कि यह मस्तिष्क के Satiety Centre पर काम करती है ...अब इसे कैसे समझाया जाए...अच्छा, आप यह जान लें कि जब हम खाते हैं तो कुछ समय बाद मस्तिष्क में एक भूख को कंट्रोल करने वाला केन्द्र एक संकेत भेजता है कि और नहीं चाहिए, बस....इस से Calorie intake कम होती है और यह दवाई लेने वालों का वज़न कम होने लगता है।

 Dulagutide से पहले Liragutide इंजेक्शन का इस्तेमाल हुआ करता था ..लेकिन इसे रोज़ाना लेना पड़ता था.. और इस के साथ साथ नये साल्ट की निम्नलिखित विशेषताएं बताई जा रही हैं..
  • इस से HbA1C के स्तर में बेहतर कमी आती है ...इस टेस्ट को ग्लाईकोसेटेड हीमोग्लोबिन कहते हैं..
  • जैसा कि ऊपर चर्चा की गई कि इस से वज़न भी घटता है..
  • मधुमेह की इस दवाई से ब्लड-प्रेशर भी घटता है..
  • इस दवाई का हृदय की मांसपेशियों पर एक सुरक्षात्मक प्रभाव बताया जा रहा है..
  • हाईपोग्लाईसिमिया नामक तकलीफ़ ड्यूलाग्यूटाईड ले रहे मरीज़ों में ओरल ड्रग्स (OHD--oral hypoglycemic drugs) एवं इंसुलिन ले रहे मरीज़ों के मुकाबले बहुत ही कम होती है ..और मधुमेह के जिन मरीज़ों को जिन दवाईयों के साथ हाईपोग्लाईसिमिया हुआ है ये वे ही जानते हैं कि यह कितनी परेशान करने वाली अवस्था है ...जिसमें अचानक रक्त में शर्करा का स्तर बहुत कम होने से मरीज़ की हातल बहुत पतली हो जाती है। 
इस दवाई को एक इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है ...कहने को ही इंजेक्शन है ..यह एक तरह से पेन ही है..और इस में Painless technology का इस्तेमाल होता है और मरीज़ को बिल्कुल भी तकलीफ़ नहीं होती.. और एक बार इस्तेमाल करने के बाद इसे डिस्पोज़ ऑफ कर दिया जाता है .. इस की वीडियो आप इस लिंक पर देख सकते हैं..

साईड इफेक्ट्स ...

साईड इफेक्ट्स हो सकते हैं किसी किसी को .. लेिकन वे कुछ भयंकर किस्म के नहीं है..बस, यही मितली, उल्टी, पेट में दर्द, अपचन आदि हो सकते हैं इस को लेने के बाद शुरूआती हफ्तों में.. मरीज़ को इस के बारे में आगाह कर दिया जाना ज़रूरी है .. दो तीन हफ्तों के इस्तेमाल के बाद इस तरह के इफेक्ट्स कम होने लगते हैं।

एक बात इस के बारे में ध्यान देने योग्य यह भी है कि कोशिश करें कि भर पेट खाना खाने के तुरंत बाद इसे न ले लें, थोड़ा कम खाना खाएं...३० मिनट तक इंतज़ार कर लें, सेटाईटी सेंटर को थोड़ा काम कर लेने दें, फिर थोड़ा खा लें... वही बात कि एक दम ठूंस कर पेट भरने के तुरंत बाद इसे न लें...ताकि मतली, उल्टी जैसी तकलीफ़ से बचा जा सके।

 शूगर के रोगियों में माईक्रोएल्ब्यूमनयूरिया होने के चांस भी यह दवाई कम करती है...माईक्रोएल्ब्यूमनयूरिया को गुर्दे की तकलीफ़ का शुरूआती संकेत माना जाता है।

जब इस दवा को लेना शुरू किया जाता है ...सप्ताह में एक बार इंजेक्शन के रूप में...तो दो हफ्ते में इस का असर होना शुरू हो जाता है .. रेगुलर ब्लड-शूगर मानीटरिंग तो इस केस में भी ज़रूरी है।

शूगर के कौन से रोगी इसे ले सकते हैं...

हर शूगर के मरीज़ के लिए इस तरह की दवाईयां नहीं है..मधुमेह दो तरह का होता है ..एक तो जो बचपन या युवावस्था में ही हो जाता है और दूसरा है जो बड़ी उम्र में तीस-चालीस साल की उम्र में या इस के बाद होता है ..पहले वाली को टाईप वन और दूसरे वाली को टाइप टू कहते हैं... इस दवाई को टाइप टू के मरीज़ ही ले सकते हैं ..वे भी निम्नलिखित क्राईटीरिया पूरा होने पर ...
  • ऐसे मरीज़ जो दो, तीन या चार ओरल ड्रग्स एवं इंसुलिन भी शूगर के कंट्रोल के लिए इस्तेमाल करते हैं लेिकन फिर भी इन का ब्लड-शूगर स्तर कंट्रोल नहीं हो रहा, इन में इस तरह की दवाई फिजिशियन शुरू कर सकते हैं...या तो अकेले या फिर किसी अन्य दवाई के साथ मिला कर ..जैसा भी वे मरीज़ की भलाई के लिए उचित समझते हैं। 
  • जो मरीज़ स्थूल काया वाले हैं और विभिन्न दवाईयों के बावजूद जिन का ग्लाईकोसेटेड हिमोग्लोबिन 8-9 से ऊपर ही रहता है ..

एक बार विशेष यह भी है कि इस दवाई को ज़रूरत पड़ने पर अन्य दवाईयों के साथ भी दिया जा सकता है।

इस की कीमत क्या है..

हफ्ते में इस्तेमाल होने वाले एक पेन की कीमत लगभग दो से अढ़ाई हज़ार है ...इस का मतलब इस को इस्तेमाल करने का खर्च महीने भर के लिए दस हज़ार के पास बैठता है ... यह पेन-टेक्नोलाजी वाला इंजेक्शन बहुत ही कम पीड़ादायक है, वह तो है ही, इस के साथ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि चूंकि यह दवा नई नई लांच हुई है इसलिए थोड़ा महंगी तो है लेकिन जिस तरह से मधुमेह की वजह से उत्पन्न होने वाले अन्य रोगों से यह दवा बचा कर रखती है, दिल की सुरक्षा, ब्लड-प्रेशर का बेहतर कंट्रोल, गुर्दे का बचाव करती है ...उस हिसाब से उन तकलीफ़ों पर होने वाले खर्च से भी एक तरह से बचा लेती है..

जैसा कि मैंने ऊपर भी लिखा है इसे टाइप १ डायबीटीज़ में नहीं दिया जा सकता .. और न ही इसे डायबीटिक किटोएसीडोसिस में ही दिया जा सकता है।

इस के बारे में एक बार और याद आ गई कि अगर आप इसे आप एक हफ्ते के बाद दो तीन दिन तक लेना भूल भी जाते हैं तो भी कोई बात नहीं....कोई बात नहीं का मतलब यह नहीं कि ऐसा करने के लिए हमेशा के लिए क्लीन चिट मिल गई है ..ऐसा नहीं है, बहुत बार इस की वजह से इसे फिर से रि-शेड्यूल भी करना पड़ सकता है ..

Disclaimer.. . It is just a medical communication, please consult your physician for taking any health-related decision.

1970 के दशक में पहली बार सुना था कि डॉयबीटीज़ नाम का भी कोई रोग होता है..यह फिल्म यही है ज़िंदगी देखने के बाद...इस फिल्म में संजीव कुमार को डॉयबीटीज़ हो जाती है..

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

कुंवर बेचैन जी से मिल कर रुह खुश हो गई..

कुंअर नारायण जी राज्यपाल महोदय से अवार्ड ग्रहण करते हुए 
दो दिन पहले भारतीय नववर्ष के दिन तीन चार जगहों से निमंत्रण था...लेकिन एक प्रोग्राम में कुंवर बेचैन साहब, मुनव्वर राणा साहब ने आना था, राज्यपाल राम नाईक द्वारा कुछ हिंदी उर्दू के लेखकों को अवार्ड िदया जाना था...

यह आयोजन हिंदी उर्दू अवार्ड कमेटी की तरफ़ से था...

बाकी तो शायरों को अकसर देखते-सुनते ही रहते हैं लखनऊ में ..उस दिन मुझे कुंवर बेचैन साहब को देख कर, उन्हें सुन कर और उन से बातचीत करने के बाद आटोग्राफ लेकर बहुत अच्छा लगा...


उन का कविता पाठ उस दिन सब के बाद में रखा गया था...शायद रात १०.३० बज चुके थे...लेकिन लोग डटे रहे अपनी जगहों पर उन्हें सुनने के लिए...

इन के बारे में और इन के शेयरों, गज़लों को आप इस लिंक पर क्लिक कर के पढ़ सकते हैं...मैंने इन्हें खूब पढ़ा...उसमें से बहुत कुछ अपनी डायरी में लिख कर रखा है ...कभी कभी देख लेता हूं, मन खुश हो जाता है...मैंने प्रोग्राम के बाद उन्हें यह बात बताई तो हंसने लगे...

ऐसी हस्तियों से मैं बहुत मुतासिर होता हूं ...इन का उत्साह बिल्कुल बच्चों जैसा होता है .तीन साढ़े तीन घंटे बिल्कुल शांति से बिना किसी तरह के उतावलेपन के इत्मीनान से बैठे रहे ....और निरंतर कुछ न कुछ अपनी डायरी में लिखते रहे..इन्हें देखना, सुनना और इन से बात करना एक सुखद अहसास था..

मेरी डॉयरी के पन्नों से ...(इन्हीं का चुराया माल) 
मैंने प्रोग्राम के दौरान इन की रिकार्डिंग की और फिर यू-ट्यूब के अपने चैनल पर इसे अपलोड किया है ...शायद आवाज़ की क्वालिटी मेरे सेट की कमी की वजह से उतनी बढ़िया नहीं आई है ..लेकिन अगर आप इस हस्ती को लाइव सुन रहे हैं इस अपलोड में तो यही काफ़ी है...क्या ख्याल है?