मैं कल सुबह रेडियो सुन रहा था। उस पर एक प्रोग्राम चल रहा था जिस में एक डाक्टर साहब नवजात शिशुओं की सेहत के बारे में बातें कर रहे थे। बीच बीच में उन की पसंद के फिल्मी गीत बज रहे थे। वे इतनी अच्छी तरह से सब कुछ समझा रहे थे कि उन की कही काम की बातें एक निरक्षर बंदे के भी दिल में उतर गई होंगी। वैसे विविध भारती ऐसे प्रोग्राम देश के करोड़ो श्रोताओं पर पहुंचाने के लिए बधाई की पात्र है।वे देश के प्रख्यात विशेषज्ञों को हमारे घर में जैसे ले आती है। और ये डाक्टर भी इतने सुलझे हुए होते हैं कि ऐसा लगता है कि वे आम बंदे से बात ही कर रहे हैं। आम जनता क्या, कईं बार तो हम डाक्टर लोग भी एक दूसरे से कई नई बातें सुन लेते हैं, सीख लेते हैं। मैं अकसर कहता हूं जब कोई अनुभवी व्यक्ति ऐसे कार्यक्रमों में बात करता है तो अपने सारे अनुभव उस एक घंटे में ही भर देता है। बस उस का फायदा लेने वाला बंदा चाहिए। ऐसे किसी कार्यक्रम की एक बात भी दिल में उतर गई तो समझो कल्याण हो गया।
उस कार्यक्रम के बाद एक प्रोग्राम था हैलो, एफ एम लाईफ लाइन----वह भी कमाल की पेशकश थी. इतने अपनेपन से वह महिला डाक्टर श्रोताओं के प्रश्नों का जवाब दे रही थीं.
दोस्तो, एफ एम ने निःसंदेह देश में मनोरंजन एवं ज्ञान अर्जन के क्षेत्र में एक क्रांति सी ला दी है। तो क्यों न हम रेडियों से भी अपना नाता एक बार फिर से कायम ही कर लें....