होल्टर-मॉनीटर एक ऐसा यंत्र है जिसे हम एक पोर्टेबल ईसीजी मशीन कह सकते हैं जिस से किसी व्यक्ति के हृदय की गतिविधि 24 से 48 घंटे तक रिकार्ड की जाती है । यह तो हम जानते ही हैं कि ईसीजी के द्वारा हमारे हृदय की इलैक्ट्रिक गतिविधि चंद मिनटों के लिये जांची जाती है और होल्टर –मॉनीटर के द्वारा हमारे हृदय की लय ( cardiac rhythm) को हास्पीटल के बाहर 24 से 48 घंटे तक रिकार्ड कर लिया जाता है।
और इस दौरान उस मरीज़ की सारी दैनिक क्रियायें चलती रहती हैं यहां तक की उस के सोते रहते भी यह मशीन चालू रहती है। इस से डाक्टरों को ऐसे लक्षणों को देखने का अवसर मिलता है जो कुछ समय के लिये आते हैं फिर खत्म हो जाते हैं लेकिन इन के साथ साथ हृदय की लय में बदलाव भी होता है ।
यह टैस्ट करवाने से पहले किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है --- जिन पुरूषों की छाती पर बहुत से बाल हैं उन्हें उन की शेव करने के लिये कहा जा सकता है।
यह टैस्ट होता कैसे है ? – डाक्टर के पास अथवा किसी डॉयग्नोस्टिक लैब में काम कर रहा टैक्निशियन मरीज को होल्टर-मॉनीटर फिट कर देता है और इसे इस्तेमाल करने की उचित सलाह दे देता है । मरीज़ की छाती पर पांच स्टिकर लगा दिये जाते हैं—इन के साथ जुड़ी तारों को होल्टर-मॉनीटर के साथ जोड़ दिया जाता है। इन तारों के द्वारा आप के हृदय का दिन भर का इलैक्ट्रिक पैटर्न मॉनीटर में रिकार्ड हो जाता है और इस स्टोर किये जा चुके डैटा का डाक्टर बाद में विश्लेषण करते हैं।
होल्टर मॉनीटर का साइज़ इतना होता है कि यह किसी के पर्स में अथवा जैकेट की जेब में आसानी से आ जाता है , वैसे इसे स्ट्रैप की मदद से कंधे पर भी लटकाया जा सकता है।
इस के लगे रहते ही आप को अपनी दैनिक क्रियायें करनी होती हैं ---बस इतना ध्यान रखना होता है कि जब तक आप इसे धारण किये रहते हैं उस समय तक आप को नहाना नहीं होता और दूसरा यह कि आप को एक छोटी डॉयरी इस लिये दी जाती है ताकि आप उस में ऐसे किसी भी अजीबोगरीब लक्षण को ( समय के साथ) अपने पास लिख कर रखें – ऐसा लक्षण जो आप को थोड़ा बहुत भी चिंताजनक सा लगा हो !!
टैस्ट के बाद डाक्टर आप की डॉयरी के साथ साथ होल्टर मानीटर में स्टोर किये गये डैटा को यह जानने के लिये स्टडी करता है कि आप के द्वारा बताये गये ( लिख कर रिकार्ड किये गये लक्षण ) लक्षण क्या हृदय के किसी रोग की वजह से हैं !!
इस टैस्ट को करवाने से कोई रिस्क नहीं है – बस, आप को मॉनीटर हास्पीटल को वापिस लौटाना होता है !! बाद में इस रिकार्डिंग का प्रिंट-आउट लेकर डाक्टर इस का अध्ययन करते हैं।
संक्षेप में बताया जाये तो यही है कि कुछ एंजाइना ( angina) के मरीज़ ऐसे होते हैं जिन में डाक्टर को लगता है कि इनमें इस्कीमिक हार्ट डिसीज़ ( हृदय को मिलने वाले रक्त की सप्लाई की कमी) हो सकती है लेकिन इन की ईसीजी नार्मल आ रही है ---तो फिर दिन भर सारी सामान्य दैनिक क्रियाओं के दौरान ऐसे मरीज़ों के हृदय की एक्टीविटी रिकार्ड करने के लिये होल्टर-मानीटर टैस्ट करवाया जाता है।