अभी अभी आज की टाइम्स ऑफ इंडिया.(दिल्ली ) के लेट-एडिशन में छपी दो खबरें देख कर दंग रह गया हूं.....पहले पेज पर थी ...IIT-JEE cutoffs fell to single digits in 2007. और छठे पेज पर इसी से संबंधित दूसरी खबर थी ...IIT cutoffs may be low this year too. यकीन मानिये, ये दोनों न्यूज़-आइट्मस पढ़ कर मेरे पैरों तले से ज़मीन ही खिसक गई। दूसरी खबर के साथ छपे एक टेबल से यह भी समझते देर न लगी कि 2006 में क्यों एक छात्र जिस ने मैथ, फिजिक्स और कैमिस्ट्री में क्रमशः 80,118 और 52 अंक (टोटल 250) लिये वह तो इस के लिये क्वालीफाई नहीं कर पाया, लेकिन एक दूसरा छात्र जिस ने क्रमशः 37,48 और 69 नंबर ही लिये (टोटल 154) वह इस टैस्ट को क्वालीफाई कर गया। बात समझ में नहीं आ रही ना, मेरी भी समझ में कुछ ज़्यादा आ नहीं रहा था. पिछले कुछ दिनों से इस के बारे में अखबारों के बारे में पढ़ तो रहे थे लेकिन आज ये खबरें पढ़ कर बहुत अजीब सा लगा।
किसी कारण वश स्कैन कर नहीं पाया, नहीं तो आप को ओरिजनल खबर ही पढ़ा देता। फिर भी इस ऊपर दिये लिंक पर क्लिक कर के आप भी थोड़ा इस के बारे में ज़रूर पढ़े।
और पता है यह खुलासा कैसे संभव हो पाया.....सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत किसी ने अरजी लगाई थी। मन ही मन मैंने भी इस गजब के अधिकार को एक जबरदस्त सलाम ठोक दिया..........आप किस बात की इंतज़ार कर रहे हैं !
किसी कारण वश स्कैन कर नहीं पाया, नहीं तो आप को ओरिजनल खबर ही पढ़ा देता। फिर भी इस ऊपर दिये लिंक पर क्लिक कर के आप भी थोड़ा इस के बारे में ज़रूर पढ़े।
और पता है यह खुलासा कैसे संभव हो पाया.....सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत किसी ने अरजी लगाई थी। मन ही मन मैंने भी इस गजब के अधिकार को एक जबरदस्त सलाम ठोक दिया..........आप किस बात की इंतज़ार कर रहे हैं !