मुंह के अंदर थर्मामीटर रख कर या जांघों के अंदर थर्मामीटर रख कर किसी रोगी के टैम्परेचर का पता करने से तो हम सब लोग परिचित ही हैं, लेकिन आप भी इस पैरों के तलवों का तापमान देखने के लिए निकाले नये थर्मामीटर के बारे में सुन कर हैरान से तो हो ही गये होंगे। कुछ दिन पहले एक मैडीकल न्यूज़ दिखी कि अब शुगर के रोगियों के पैरों को घाव से बचाने आ गया है यह विशेष थर्मामीटर जिस से वे नियमित अपने पैरों के तलवों का तापमान देख सकेंगे। अगर तलवे में किसी भी जगह तापमान बढ़ा हुया पाया जाएगा तो उसे तापमान को कम करने की सलाह दी जायेगी.....यह सब इसलिए कि किसी तरह से डायबिटीज़ के रोगियों को अकसर उन के पांव में होने वाले घाव से बचाया जा सके।
शायद आप को यह मालूम हो कि ...Sometimes diabetics lose the gift of pain…….इस से मतलब यह है कि शुगर के कुछ मरीज़ों में पैर सुन्न हो जाते हैं....पैरों में नंबनैस(numbness) होने की वजह से उन्हें उन में किसी तरह का दर्द महसूस नहीं होता जिस की वजह से उन के पांवों में घाव बनने की संभावना बढ़ जाती है। और होता यह भी है कि शूगर के रोगियों में इस तरह के घाव ठीक होने में काफ़ी समय ले लेते हैं और कईं बार तो इन मामूली से दिखने वाले घावों में इंफैक्शन भी हो जाती है, जो कईं बार इतनी बढ़ जाती है कि पैर का कुछ हिस्सा सर्जरी के द्वारा काटना (amputation) भी पड़ता है, अन्यथा कईं बार गैंगरीन( gangrene) होने से पूरी टांग को ही खतरा हो जाता है और यहां तक कि जान पर भी आन पड़ती है।
अमेरिका में तो एक वर्ष में 80,000 शुगर-रोगियों को अपने पैर के अंगूठे, पैर अथवा टांग के निचले हिस्से की ऐँपूटेशन के आप्रेशन से गुज़रना पड़ता है।
दोस्तो, बात मैंने शुरू की थी, उस थर्मामीटर से जो पैर के तलवों का तापमान जांचा करेगा---चूंकि अब अमेरिका में यह चल निकला है तो यहां पहुंचते भी देर न लगेगी ( Thanks to the wonders of globalization!!)……लेकिन क्या इस देश के बाशिंदे इस थर्मामीटर को खरीदने से पहले कुछ बिल्कुल सीधी-सादी सी दिखने वाली ( लेकिन बेहद महत्वपूर्ण) बातों पर भी प्लीज़ ध्यान देने की ज़हमत उठाएंगे।
तो सुनिए, दोस्तो, डायबीटीज़ एक ऐसी बीमारी है जिसे मैंने अपने आस-पास बहुत बुरी तरह से मैनेज होता देखा है। जैसा कि आप जानते हैं कि इस देश में हम सब की प्राबल्मस कुछ ज्यादा ही कम्पलैक्स हैं...इसलिए किसी तरफ़ भी दोष की उंगली करना इतना आसान नहीं है।
शुगर के मरीज़ महीनों तक बिना ब्लड-शुगर की जांच करवाए दवाई खाते रहते हैं.....कुछ बीच में ही छोड़ देते हैं कि अब उन्हें ठीक लग रहा है. लेकिन बात ठीक लगने की नहीं है न, ठीक तो उन्हें लग रहा होगा, ठीक है, लेकिन वे विभिन्न प्रकार की जांच से चिकित्सक को भी तो ठीक लगने चाहिए। अच्छा, एक बात और कि एलोपैथिक दवा लेते हैं, बीच में आयुर्वैदिक दवा साथ में शुरू कर देते हैं, कुछ समय बाद कुछ पुडियां जो कोई नीम-हकीम थमा देता है वे खानी शुरू कर देते हैं, फिर कोई देसी दवा किसी ने बताई वह खानी शुरू कर दी......दोस्तो, मेरी इन मरीज़ों से पूरी सहानुभूति है....किसी भी बीमारी को भुगत रहा बंदा कोई भी जगह नहीं छोड़ता................लेकिन दोस्तो, ऐसे तो नहीं हो पाएगी शुगर कंट्रोल।
एक बार विशेष और यह भी है कि वे न तो नियमित छःमहीने बाद आंख की जांच ही करवाने जाते हैं , और न ही अपने गुर्दों एवं हृदय की जांच ही नियमित करवाते हैं .....अनियंत्रित शुगर रोग शरीर के इन टारगेट अंगों पर अपनी मार करता रहता है, इसलिए इन की नियमित जांच भी जरूरी है। वैसे तो अब इस तरह के टैस्ट भी मौजूद हैं( glycosated haemoglobin) – ग्लाईकोसेटिड हिमोग्लोबिन इत्यादि) जिन के करवाने से आप के पिछले कुछ महीने के डायबीटीज़ के कंट्रोल की एकदम सही जानकारी फिज़िशियन को मिल जाती है।
एक बात और भी बहुत ज़रूरी है कि किसी अच्छी क्वालीफाईड एवं विश्वसनीय लैब से ही रक्त-जांच करवाया करें ...यह बहुत ज़रूरी है। वैसे तो आजकल हर मोहल्ले की नुक्कड़ पर ये लैब्स खुल गईं हैं, लेकिन ज़रा देख लिया करें।
मेरे ख्याल में शुगर रोगी कोई भी चिकित्सा पद्धति अपनाए, लेकिन परहेज का भी पूरा ध्यान रखे, शारीरिक कसरत करे, प्राणायाम् एवं योग भी जरूरी है, और फिज़िशियन द्वारा नियमित जांच भी जरूरी है, यह सब कुछ करने पर शायद आप की शुगर इतनी कंट्रोल रहने लगे कि आप के चिकित्सक को आप की दवाईंयां या तो कम करनी पड़े या कभी कभी बंद ही करनी पड़ें। लेकिन इस मेँ अपनी मरजी की कोई गुंजाइश है ही नहीं, जो भी हो चिकित्सक की सलाह से।
और हां, अभी वह थर्मामीटर अपने यहां आने तो दीजिए, लेकिन पहले यह बताएं कि क्या आप अपने फिजिशियन द्वारा पैरों पर घाव से बचने के लिए बताई गई सारी सावधानियां बरत रहे हैं......Because they are probably much…much …much more important than keeping that thermometer by your bed-side…..
Good luck, friends !!