10 साल पहले मैंने एक ब्लॉग लिखा था ....ओरल सैक्स (मुख मैथुन) कईं तरह के कैंसर के लिए है रिस्क फैक्टर ...इसे आज ढूंढ रहा था क्योंकि मुझे यही लगा कि इस के ऊपर निरंतर बात होती रहनी चाहिए....
बात इसलिए होती रहनी चाहिए कि जन मानस तक ये बातें तभी पहुंच पाएंगी जब लोग इस के बारे में लिखेंगे ....लिखना तो क्या, लोग इस तरह के विषय के बारे में बात ही नहीं करते ....जैसे पहले महिलाएं मासिक धर्म से जुड़े मुद्दे के बारे में बात करना पाप समझतीं थीं....हर महीने शारीरिक और मानसिक परेशानी स जूझना ...किसी से इस के बारे में बात न करना, और बच्चियों को भी ऐसे ही कुदरत की इस व्यवस्था से जूझने के लिए तैयार करना ..न कभी महिला रोग चिकित्सक से तो क्या, महिला चिकित्सक से ही बात न करना .....अब वक्त बदला है, इतना तो नहीं बदला....फिर भी कुछ तो मीडिया का, हिंदी फिल्मों (पैडमैन जैसे फिल्में, टॉयलट एक प्रेम कथा) का असर हुआ ही है .....कुछ जगहों पर ही सिर्फ सिंबॉलिक ही सही सैनेटरी नेपकिन के कियोस्क लगे हैं, उन के सुरक्षित डिस्पोज़ल की मशीनें भी लगी हैं....एक बदलाव आया तो है .....और उम्मीद है यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा....
बदलाव के ही संकेत हैं कि भारत में महिलाओं में गर्भाशय़ के मुख के कैंसर में ह्यूमन पैपीलोमा वॉयरस (एच.पी.व्ही) के संक्रमण की भूमिका को समझते हुए अब भारत सरकार ने बच्चियों को इस संक्रमण से बचाने के लिए उन के एच.पी.व्ही टीकाकरण की स्कीम शुरु की है ...कुछ सरकारी अस्पतालों में तो यह पहले ही से शुरू है ....लेकिन भारत सरकार का अपने बजट में इस तरह की घोषणा करना भी इस बात का संकेत है कि यह कितना गंभीर मुद्दा है ....अब फिर महिला चिकित्सकों की अहम् भूमिका रहेगी कि कैसे परिवार को, बच्चियों की मां को इस टीकाकरण के लिए तैयार किया जा सके ....ताकि भविष्य में वह गर्भाशय के मुख के कैंसर से बच सके....क्योंकि जितना मुझे याद है...मैंने कहीं पढ़ा था कि गर्भाशय के मुख के जितने भी कैंसर होते हैं, उन में से 70 फीसदी केसों में ह्यूमन पैपीलोमा वॉयरस को ही दोषी पाया जाता है ....उसी की वजह से यह कैंसर होता देखा गया है....
कुछ दिन पहले की बात है एक संगोष्ठी में हम लोग एक प्रसिद्ध हैड एवं नैक कैंसर सर्जन को सुन रहे थे ....जब वह मुंह के कैंसर की बात आई .....गले के कैंसर की बात कर रहे थे उन्होंने अपने मरीज़ों में ह्यूमन पैपीलोमा वॉयरस (एच.पी. व्ही) के होने की पुष्टि की। जब प्रश्नकाल आया तो एक बड़ी वरिष्ठ एवं अनुभवी महिला रोग विशेषज्ञ ने उन से एक प्रश्न किया कि आप ने यह बात तो कही लेकिन आप हमें यह बताएं कि बच्चियों एवं किशोरियों के एच.पी.व्ही टीकाकरण की सिफारिश करते वक्त क्या किसी प्लेटफार्म पर आपने छोटे लड़कों और किशोरों के भी एच.पी.व्ही वैक्सीनेशन की भी सिफारिश होते सुनी...। उस कैंसर सर्जन ने कहा नहीं, ऐसा तो नहीं है।
तब उस वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ ने खुलासा किया कि महिलाएं अपनी बच्चियों के एच.पी.व्ही वैक्सीनेश के लिए तो राज़ी हो भी जाती हैं लेकिन जब उन्हें कहा जाए कि अपने लड़कों को भी यह वैक्सीनेशन करवाने पर विचार करें तो बात उन की समझ में नहीं आती ...उन्हें लगता है कि लड़का है, उस को यह टीका आखिर क्यों लगवाएं....मुझे उस महिला रोग विशेषज्ञ की बात सुन कर यही लग रहा है कि यह मुद्दा भी आने वाले समय में गर्माएगा ....और चाहिए भी ...हम लोग किसी वीरान टापू पर तो नहीं रह रहे ...हम भी एक वैश्विक गांव (Global Village) में ही तो रह रहे हैं....और इस गांव में बहुत कुछ हो रहा है ....इस खबर पर एक नज़र डालिए...जिस के अनुसार अमेरिका में ही 65 लाख पुरूष मुंह ओर शिश्न (पेनिस) पर एच.पी.व्ही संक्रमण से संक्रमित हैं....यह 2017 की प्रामाणिक जानकारी एक अत्यंत विश्वसनीय मैडीकल जर्नल में छपी है ...