सोमवार, 23 मई 2016

स्कूल के साथियों का वाट्सएप ग्रुप..

१९७३ में जो लोग पांचवी कक्षा में पढ़ रहे थे ...उन्हें क्या पता था कि चालीस-ब्यालीस साल के बाद कुछ ऐसी सुविधा मिल जायेगी कि हम लोग फिर से मिलेंगे...मोबाइल के माध्यम से ...हमें तो हमारे मास्टरों ने बिजली की घंटी की कार्य-प्रणाली में, मिरर-फार्मूले में ...सूर्य और चंद्र ग्रहण में उलझाए रखा....हम ने तो कभी मोबाइल-वाइल की कल्पना भी नहीं की थी..

दो दिन पहले दो चार स्कूल के साथियों ने वाट्सएप ग्रुप बनाया...हम लोग जो अमृतसर के डीएवी स्कूल और कालेज में एक साथ रहे ...

बहुत अच्छा लग रहा है...बहुत ही अच्छा...सब के चेहरे याद आ रहे हैं ..पुरानी बातें ताज़ा हो रही हैं ..अपनी बेवकूफियों पर हंसी आ रही है ...it is all fun!

जैसे दूसरे ग्रुप में होता है सोच सोच के बात कहनी ...पहले तोलो फिर बोलो ...यहां ऐसा कुछ भी नियम नहीं है. ...सब अपने दिल की बातें करते हैं...मैं अकसर दूसरे ग्रुप्स में ऑडियो नहीं भेजता लेकिन यहां मैं रूक ही नहीं रहा हूं..

मजा इस बात का आ रहा था कि हम लोगों को एक दूसरे के नाम तो याद आ रहे थे ...लेकिन कमबख्त हम एक दूसरे के चेहरे भूल चुके थे..हम लोग दो दिन से एक दूसरे को कह रहे हैं कि लगाओ यार पुरानी बीस तीस साल पुरानी फोटो दिखाओ....ढूंढ रहे हैं लोग ...हम लोगों ने पंद्रह बीस तो ढूंढ लिए हैं साथी..हर बंदे इस मिशन में लगा है कि गुमशुदा साथियों को ढूंढ निकालना है ...

मैंने भी अपनी पुरानी पड़ी स्कूल की मैगजीन में से पांचवी, दसवीं और बारहवीं की क्लास की फोटो निकालीं...हम लोग एक Reunion की planning कर रहे हैं...मुझे भी ये फोटो ग्रुप में भेज कर अपनी पहचान का प्रूफ देना पड़ा....😀😀😀... वरना एंट्री मुश्किल हो जाती!
(पांचवी कक्षा)


मुझे इन दो तीन दिनों में यह अहसास हो रहा है कि मैं अमृतसर से दूर रहते हुए भी उन सब से उतना ही जुड़ा हुआ हूं जितना वे लोग आपस में जुड़े हुए हैं...क्या है ना, हर बंदे की लाइफ में आज संघर्ष है ..बढ़ती उम्र के साथ कईं दूसरी तरह की पारिवारिक जिम्मेवारियां निभानी होती हैं ...

आप मेरे स्कूल की फोटो देखना चाहेंगे... देखिए....
डी ए वी स्कूल अमृतसर ..एक एक कोने से हम लोगों की यादें जुड़ी हैं..
मैं आप सब से यह गुज़ारिश ज़रूर करूंगा कि आप लोग भी अपने स्कूल-कालेज के दिनों के साथियों का एक वाट्सएप ग्रुप ज़रूर बनाईए.... it is so special!

दरअसल मैं २००२ या २००३ में दस-पंद्रह दिन के लिए एक लेखक शिविर के लिए अमृतसर गया था...उन दिनों मैं जितने पुराने साथियों को ढूंढ सकता था ...ढूंढ के छोड़ा...कोई फेक्टरी मालिक था, कोई बिजनेस में था, कोई बैंक में, कोई स्कूल प्रिंसीपल, बहुत से डाक्टर....सब मजे में हैं...मुझे इन को ढूंढने में कईं घंटे लग जाते थे ..लेकिन मैं व्यस्तता के कारण मैं आधा घंटे से ज़्यादा कहीं भी रूक नहीं पाया......लेकिन मुझे बहुत अच्छा लगा था....लेखक शिविर तो बहाना था, वहां मैंने क्या सीखना था, पुराने साथियों  और मास्टर साहिबान का हाल चाल लेना असल मकसद था...

उन दिनों मैं अपने स्कूल गया... वहां पर हमारे इंगलिश के टीचर अब प्रिंसीपल बन चुके थे...उन्हें मैं बीस सालों बाद मिल रहा था...उन्होंने मुझे दूर से ही कहा ...हां, प्रवीण आओ...आओ.....मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात थी...he taught us English in 8th Standard and he used to show my answer sheet to the whole class! Sorry for bragging! ..Just innocent nostalgic memories!

अच्छा, दोस्तो, मुझे पिछले दो दिनों में कुछ वाट्सएप मैसेज बहुत अच्छे अच्छे मिले हैं...मन कर रहा है उन्हें आप के साथ शेयर करने का ....



वाह जी वाह ...कितना सुंदर नुस्खा 
हमारे स्कूल के ग्रुप में यही कुछ हो रहा है ...



Another Great Message!
अब इस िचट्ठी को बंद करने का समय आ गया है.....गाना तो बजाना ही होगा...उन्हीं स्कूल के दिनों में गुड़्डी फिल्म के इस गीत ने खूब धूम मचा रखी थी...हम भी दूरदर्शन पर अकसर इसे देख लिया करते थे... Wonderful song....Jayaji, the great!-  in one of her the best and memorable roles! वैसे हमारे स्कूल में रोज़ाना हवन भी हुआ करता था...हम लोग बारी बारी से वहां जाते थे...और सब से पहले गायत्री मंत्र का उच्चारण तो सुबह रोज़ क्लास में बैठे बैठे होता ही था..हर कक्षा में लाउड-स्पीकर लगे हुए थे...