पिछले कुछ िदनों में मेरा कुछ ऐसे मरीज़ों से मिलना हुआ जिन के मुंह के कैंसर का इलाज हो चुका था...उन की बातें सुन कर बार बार मन में यही प्रार्थना ही करते बनी कि ईश्वर हरेक को इस तंबाकू-गुटखे-सुपारी के व्यसन से बचा कर रखना।
जिस का आप्रेशन कुछ महीने पहले हुआ है अब वह इस चिंता में डूबा हुआ था कि डाक्टर साहब, कहीं फिर से तो नहीं हो जाएगा.. मैंने कहा ...आप का इलाज देश के सब से कैंसर संस्थान से हुआ है..आप हर तीन महीने में एक बार चैक अप के लिए जा रहे हैं, चिंता मत करिए....अगर विशेषज्ञों को कुछ भी, कहीं भी गड़बड़ी लगती है तो वे तुरंत उसे संभाल लेते हैं।
इस मरीज का आप्रेशन हुआ है और साथ में इन के मुंह के कैंसर को नियंत्रण करने के लिए सिकाई (रेडियोथेरिपी) भी की गई थी। रेडियोथेरिपी जहां पर कैंसर की कोशिकाओं का विनाश करती है, वहीं पर आस पास की स्वस्थ कोशिकाओं को भी प्रभावित करती हैं...बहुत से प्रभाव होते हैं...एक की बात करते हैं... चूंकि रेडियोथेरिपी से लार की ग्रंथियां भी प्रभावित हो जाती हैं, इन में लार बनना बंद हो चुका है... जिस की वजह से इन्हें खाना खाने में बड़ी कठिनाई होती है... पहले कुछ महीने तो मीठे-नमकीन का स्वाद तक पता नहीं चलता था, अब वह स्वाद तो थोड़ा पता चलने लगा है, लेकिन लार बननी फिर से कब चालू होगी, विशेषज्ञ कहते हैं कि कुछ कह नहीं सकते ... पांच छः वर्ष भी लग सकते हैं और हो सकता है कि यह कभी फिर से संभव ही न हो पाए।
बहरहाल, हम भोजन कर पाते हैं क्योंकि हमारे मुंह में लार बनती है जिस के साथ मिक्स हो कर भोजन आगे सरकता है... लार में भोजन चबाने के भी कईं तत्व मौजूद होते हैं... इन्हें खाने में दिक्कत यह है कि ये कुछ भी सूखा तो ले ही नहीं सकते, सूखी सब्जी को भी दाल के पानी में भिगो कर..मसल कर ही लेना होता है....दाल रोटी को भी मसल कर अच्छे से दाल के पानी में भिगो कर ही लेते हैं। कोई मिर्च नहीं कोई मसाला नहीं.. बिल्कुल सादा भोजन ही लिया जा सकता है।
मुंह बार बार सूखता रहता है..जिस की वजह से बार बार पानी से मुंह गीला करना पड़ता है। मैंने कहा कि इस बार जब विशेषज्ञों के पास जाएँ तो कृत्तिम लार (Artificial saliva) के बारे में पूछ लेना कि क्या आप उसे यूज़ कर सकते हैं।
एक दूसरा मरीज़ है, उस का आप्रेशन भी हो गया है, अभी वह सिकाई करवाएगा......बोल पाने में अभी असमर्थ है, मुंह से तो वह कुछ भी नहीं ले पाता, नाक में लगी ट्यूब से लिक्विड फूड सिरिंज के द्वारा अंदर पहुंचाया जाता है....
इस मरीज के बेटे के हाथ में डाइट शीट थी ...उस में आप देखिए कि कितनी एहतियात बताई गई है...
उस शीट के नीचे... ब्लेंडराईज्ड सूप बनाने का तरीका भी बताया गया था..... २ मुट्ठी चावल, १ मुट्ठी मूंग, या सोयाबिन पावडर, और ५० से ६० ग्राम सब्जीयां ये सब चीजें एक बर्तन या कुक्कर में डालकर ज्यादा पकाएं। ज़रूरत हो तो पानी डालिए, फिर मिक्सर में डाल कर बारीक पीसिए, उसमें थोड़ा नमक, नींबू रस, और २ चम्मच तेल डालिए, उसे अच्छी तरह मिला कर २ या ३ बार छानकर नली से दे सकते हैं। (पाल, गाजर, लौकी मिला कर १०० ग्राम) ...
ईश्वर सब को स्वस्थ रखे और इन तंबाकू जैसे उत्पादों से दूर रखे...मरीज को तो तकलीफ है ही , साथ साथ उस के तिमारदारों की भी बड़ी परीक्षा होती है।
जो भी इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं, कृपया तंबाकू, गुटखा, बीडी सिगेरट, डली, खैनी, पान, पानमसाला ..सब तक की चीज़ों से दूर रहें और अगर इन्हें इस्तेमाल करते हैं तो अभी से थूक दीजिए।
जिस का आप्रेशन कुछ महीने पहले हुआ है अब वह इस चिंता में डूबा हुआ था कि डाक्टर साहब, कहीं फिर से तो नहीं हो जाएगा.. मैंने कहा ...आप का इलाज देश के सब से कैंसर संस्थान से हुआ है..आप हर तीन महीने में एक बार चैक अप के लिए जा रहे हैं, चिंता मत करिए....अगर विशेषज्ञों को कुछ भी, कहीं भी गड़बड़ी लगती है तो वे तुरंत उसे संभाल लेते हैं।
इस मरीज का आप्रेशन हुआ है और साथ में इन के मुंह के कैंसर को नियंत्रण करने के लिए सिकाई (रेडियोथेरिपी) भी की गई थी। रेडियोथेरिपी जहां पर कैंसर की कोशिकाओं का विनाश करती है, वहीं पर आस पास की स्वस्थ कोशिकाओं को भी प्रभावित करती हैं...बहुत से प्रभाव होते हैं...एक की बात करते हैं... चूंकि रेडियोथेरिपी से लार की ग्रंथियां भी प्रभावित हो जाती हैं, इन में लार बनना बंद हो चुका है... जिस की वजह से इन्हें खाना खाने में बड़ी कठिनाई होती है... पहले कुछ महीने तो मीठे-नमकीन का स्वाद तक पता नहीं चलता था, अब वह स्वाद तो थोड़ा पता चलने लगा है, लेकिन लार बननी फिर से कब चालू होगी, विशेषज्ञ कहते हैं कि कुछ कह नहीं सकते ... पांच छः वर्ष भी लग सकते हैं और हो सकता है कि यह कभी फिर से संभव ही न हो पाए।
बहरहाल, हम भोजन कर पाते हैं क्योंकि हमारे मुंह में लार बनती है जिस के साथ मिक्स हो कर भोजन आगे सरकता है... लार में भोजन चबाने के भी कईं तत्व मौजूद होते हैं... इन्हें खाने में दिक्कत यह है कि ये कुछ भी सूखा तो ले ही नहीं सकते, सूखी सब्जी को भी दाल के पानी में भिगो कर..मसल कर ही लेना होता है....दाल रोटी को भी मसल कर अच्छे से दाल के पानी में भिगो कर ही लेते हैं। कोई मिर्च नहीं कोई मसाला नहीं.. बिल्कुल सादा भोजन ही लिया जा सकता है।
मुंह बार बार सूखता रहता है..जिस की वजह से बार बार पानी से मुंह गीला करना पड़ता है। मैंने कहा कि इस बार जब विशेषज्ञों के पास जाएँ तो कृत्तिम लार (Artificial saliva) के बारे में पूछ लेना कि क्या आप उसे यूज़ कर सकते हैं।
एक दूसरा मरीज़ है, उस का आप्रेशन भी हो गया है, अभी वह सिकाई करवाएगा......बोल पाने में अभी असमर्थ है, मुंह से तो वह कुछ भी नहीं ले पाता, नाक में लगी ट्यूब से लिक्विड फूड सिरिंज के द्वारा अंदर पहुंचाया जाता है....
इस मरीज के बेटे के हाथ में डाइट शीट थी ...उस में आप देखिए कि कितनी एहतियात बताई गई है...
उस शीट के नीचे... ब्लेंडराईज्ड सूप बनाने का तरीका भी बताया गया था..... २ मुट्ठी चावल, १ मुट्ठी मूंग, या सोयाबिन पावडर, और ५० से ६० ग्राम सब्जीयां ये सब चीजें एक बर्तन या कुक्कर में डालकर ज्यादा पकाएं। ज़रूरत हो तो पानी डालिए, फिर मिक्सर में डाल कर बारीक पीसिए, उसमें थोड़ा नमक, नींबू रस, और २ चम्मच तेल डालिए, उसे अच्छी तरह मिला कर २ या ३ बार छानकर नली से दे सकते हैं। (पाल, गाजर, लौकी मिला कर १०० ग्राम) ...
ईश्वर सब को स्वस्थ रखे और इन तंबाकू जैसे उत्पादों से दूर रखे...मरीज को तो तकलीफ है ही , साथ साथ उस के तिमारदारों की भी बड़ी परीक्षा होती है।
जो भी इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं, कृपया तंबाकू, गुटखा, बीडी सिगेरट, डली, खैनी, पान, पानमसाला ..सब तक की चीज़ों से दूर रहें और अगर इन्हें इस्तेमाल करते हैं तो अभी से थूक दीजिए।